पाठ – 2
भारत में राष्ट्रवाद
In this post we have given the detailed notes of class 10 Social Science chapter 2 Bharat me rastravaad (Nationalism in India) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 10 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 10 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 2 भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | Social Science |
Chapter no. | Chapter 2 |
Chapter Name | भारत में राष्ट्रवाद (Nationalism in India) |
Category | Class 10 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
भारत में राष्ट्रवाद
- इतिहास को समझने के लिए यह रुप बहुत ही बड़ा है, जैसा कि हमें पता है अंग्रेजी शासन से पहले भारत बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और विकसित देश हुआ करता था
- यह वह समय था जब भारत पर गुप्त साम्राज्य दिल्ली सल्तनत और भी कई शासकों का शासन हुआ करता था, लेकिन जब ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में आई तब वह अपनी आर्मी बढ़ाने लगी, जिसके फलस्वरूप ब्रिटिश सरकार ने धीरे-धीरे भारत पर अपना कब्जा करना शुरू कर दिया
प्रथम विश्वयुद्ध
- विश्व युद्ध की शुरुआत 1914 में हुई
- इस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन हुआ करता था
- विश्व युद्ध के दौरान अंग्रेजों के रक्षा व्यय खर्चों में भारी इजाफा हुआ इसकी भरपाई और कर्ज के लिए ब्रिटिश कंपनी ने करों में वृद्धि की
- सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आयकर प्रारंभ कर दिया गया जिसकी वजह से भारतीय लोगों को बहुत सारी समस्याओं का सामना करना पड़ा था
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान हर वस्तु की कीमत दुगनी हो चुकी थी
- गांव में सिपाहियों का जबरन भर्ती करवाया गया जिसमें से प्रमुख पंजाब था
- यह वही समय था जब फसल भी बर्बाद हो चुकी थी और खाने की सामग्री में भारी कमी आई थी
- इसी समय फ्लू की महामारी फैल गई जिसमें 120 से 130 लाख लोग मारे गए
युद्ध खत्म होने के बाद लोगों के अंदर उम्मीद जागी कि यह सारी मुसीबत खत्म हो जाएगी परंतु ऐसा नहीं हुआ
सत्याग्रह के विचार से आप क्या समझते हैं?
- सत्याग्रह के विचार में ही सत्य की शक्ति, सत्य की राह पर चलना सत्याग्रह कहलाता है इसका उद्देश्य सच्चा होता है यदि संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो अहिंसात्मक रूप से भी हम उसको जीत सकते हैं इसमें शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं होती है
- गांधीजी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 में गुजरात के पोरबंदर शहर में हुआ था
- गांधीजी पेशे से एक वकील थे गांधी जी ने अपना सबसे पहला सत्याग्रह दक्षिण अफ्रीका में चलाया था जो कि रंगभेद के ऊपर था
- गांधीजी 1915 में भारत लौटे इससे पहले गांधीजी दक्षिण अफ्रीका में थे
- भारत आने के बाद गांधीजी ने कई जगहों पर सत्याग्रह आंदोलन चलाया और भारत की रूपरेखा को पूरी तरह से बदलने का प्रयत्न किया
- भारत में गांधी जी ने अपना सत्याग्रह 1916 में किया जो बिहार के चंपारण में हुआ
- यह सत्याग्रह दमनकारी बागान व्यवस्था के खिलाफ किसानों के संघर्ष के लिए किया
- 1917 में गुजरात के खेड़ा जिले में किसानों की मदद के लिए आवाज उठाई
- खेड़ा जिले के किसान अपना कर्ज चुकाने में असमर्थ थे क्योंकि फसल पूरी तरह से खराब हो गई थी और महामारी ने भी उनको पूरी तरह से बर्बाद कर दिया था
- 1918 में अहमदाबाद में गांधी जी ने मजदूरों के लिए आवाज उठाई
- 1919 में रोलेक्ट एक्ट लागू किया गया जिस को काला कानून के नाम से भी जाना जाता है
- इस कानून के अतिरिक्त सरकार राजनीतिक गतिविधियों को कुचलना चाहती थी
- बिना मुकदमा चलाय लोगो को 2 साल तक जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया
- महात्मा गांधी अन्याय पूर्ण कानूनों के खिलाफ अवज्ञा चाहते थे परंतु ऐसा नहीं हो पाया
- काले कानून के विरोध में लोगों ने दुकान बंद कर दी
- रेली और जुलूस निकाला
- लोग हड़ताल पर चले गए
- अमृतसर में सारी स्थानीय नेताओं को हिरासत में ले लिया
- गांधी जी को दिल्ली में प्रवेश करने पर पाबंदी लगा दी
- पुलिस ने अमृतसर शांतिपूर्ण जुलुस में गोली चला दी
इसके बाद लोग बैंक, डाकखाने, रेलवे स्टेशन आदि इन सब पर हमला करने लग गए, जिस पर काबू पाना बहुत ज्यादा मुश्किल था इसके लिए अंग्रेजों ने मार्शल लॉ लागू किया
- मार्शल लॉ में मिलिट्री के सबसे उच्च पद के अवसर को सरकार का मुखिया बना दिया
- इस समय यह पद जनरल डायर को मिला
जलियांवाला बाग हत्याकांड
- 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग मैं लोग एकजुट हुए
- मैदान चारों तरफ से बंद था और इलाके में मार्शल लॉ लागू किया
- जनरल डायर अपने सिपाहियों के साथ बंदूक ताने वहां पर तैनात था
- जैसे ही भीड़ इकट्ठी हुई जनरल डायर ने अंधाधुंध गोलियां चला दी
- सैकड़ों लोग मारे गए
- अंग्रेज सिर्फ यही चाहते थे कि वह भारतीयों पर अपना डर कायम रख सके, परंतु भारतीय लोगों के मन में बहुत ही ज्यादा गुस्सा भरा हुआ था
- 1922 में चोरा चोरी कांड के बाद गांधी जी ने अपना सत्याग्रह वापस ले लिया
- गांधीजी की प्रसिद्ध पुस्तक हिंद स्वराज 1909 में छपी
- गांधी जी का कहना था कि ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ है अगर भारतीय अपना सहयोग वापस ले ले तो ब्रिटिश शासन 1 साल के भीतर ही रह जाएगा इसी सोच के साथ गांधी जी ने असहयोग आंदोलन की शुरुआत की
- गांधीजी सभी लोगों को एकजुट करना चाहते थे चाहे वह हिंदू हो या फिर मुस्लिम
- आंदोलन मोहम्मद अली और शौकत अली, जो कि एक राजनीतिक नेता थे उनका भी सहयोग मिला
- आंदोलन के साथ खिलाफत आंदोलन भी जुड़ गया क्योंकि उस समय खलीफा इस्लामिक विश्व का मुख्य था
- 1921 में महात्मा गांधी, मोहम्मद अली और शौकत अली ने मिलकर आंदोलन खिलाफत आंदोलन की शुरुआत की
- इस आंदोलन की एक ही मांग थी, स्वराज लक्ष्य स्वतंत्रत
- हजारों विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिए
- शिक्षकों और प्रधानाध्यापक ने इस्तीफा दे दिया
- वकीलों ने मुकदमा लड़ना बंद कर दिया
- विदेशी कपड़ों को जला दिया गया
- विदेशी सामानों को खरीदना बंद कर दिया
इन सब को देखने के बाद ऐसा लग रहा था कि आंदोलन लगभग सफल हो जाएग लेकिन कई जगह पर यह आंदोलन धीमा पड़ने लगा
कारण: –
- खादी कपड़े महंगे होते गए
- शिक्षकों और विद्यार्थियों ने स्कूल में लौटना शुरू कर दिया
- वकील दोबारा अदालत में दिखाई देने लगे
- ग्रामीण इलाकों में विद्रोह
- ज्यादातर लोग खेती किया करते थे
- बेगार नियम का पालन करना पड़ता था
- बाबा रामचंद्र और जवाहरलाल नेहरू जी ने किसानों के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन किया, इसमें बेकार अवस्था को खत्म करने का प्रयत्न किया
- लगान काम किए जाएं
- दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार किया जाए
- महात्मा गांधी के संदेश और स्वराज के विचार का असहयोग आंदोलन के बाद आदिवासियों ने कुछ और ही मतलब निकाला
- कई स्थानीय नेता लोगों को समझा रहे थे कि गांधी जी ने ऐलान कर दिया है कि अब जमीन गरीबों में बांटी जाएगी और किसी को भी कोई भी लगान नहीं भरना पड़ेगा, परंतु उन्होंने ऐसा कुछ नहीं कहा था इससे साफ पता चलता है के गांधी जी की बात किसानों तक नहीं पहुंच पा रही थी
बागानों में स्वराज
- 1859 में इंग्लैंड इमीग्रेशन के तहत बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत के बाहर जाने की इजाजत नहीं थी
- बागानों में काम करने वाले मजदूरों के लिए यह कानून खत्म होना बहुत आवश्यक था
- बागानों में काम करने वाले लोगों को यह लगने लगा कि अब वह बाहर जा सकते हैं और उन्होंने अपने घर जाना प्रारंभ कर दिया
- उन्हें लग रहा था गांधी राज स्थापित हो चुका है, परंतु रेलवे और स्ट्रो की हड़ताल के कारण वह रास्ते में ही फंस गए
- पुलिस ने उन्हें पकड़ लिया और उन पर अत्याचार किया
- परंतु 1922 में चोरी चोरा कांड के बाद गांधी जी को अपना यह असहयोग आंदोलन वापस लेना पड़ा
असहयोग आंदोलन वापस लेने के बाद महात्मा गांधी ने यह निर्णय लिया कि आंदोलन करने से पहले लोगों को
- समझाना
- पढ़ाना
- आंदोलन का लक्ष्य बताना
- क्षेत्र आदि के विषय में बताएँगे
सविनय अवज्ञा आंदोलन
- असहयोग आंदोलन वापस लेने के बाद लोगों ने कहा कि अगर हमें ब्रिटिश का विरोध करना है तो हमें प्रांतीय परिषदों के चुनाव में हिस्सा लेना होगा
- सी आर दास और मोती लाल नेहरू ने मिलकर 1922 में स्वराज पार्टी का गठन किया
- सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरू ने इस पार्टी में सहयोग दिया क्योंकि यह सभी स्वतंत्रता प्राप्त करना चाहते थे
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के दो मुख्य कारण थे
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विश्वव्यापी आर्थिक महामंदी का असर पहला कारण बना
- कृषि उत्पादन की कीमतें 1926 में गिरने लगी और 1930 में पूरी तरह धराशाई हो गई
- उत्पादनो की मांग में गिरावट आने के कारण निर्यात कम होने लगा और किसानों को अपनी उपज बेचना और लगान चुकाना भी भारी पड़ने लगा
- सरकार ने कर में कोई कमी नहीं करी, इसी कारण गरीबी बहुत ज्यादा बढ़ गई
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विश्वव्यापी आर्थिक महामंदी का असर पहला कारण बना
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साइमन कमीशन दूसरा कारण बना
- इस आंदोलन के जवाब में ब्रिटेन की एक नई सरकार ने वैधानिक आयोग का गठन किया
- इस आयोग को संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था और उसके बारे में सुझाव देना था
- इसमें भारतीय सदस्य एक भी नहीं था
- यह आयोग कमीशन स्वराज की ओर संकेत भी नहीं कर रहा था परंतु भारतीय का लक्ष्य स्वराज था
- इन्हीं सब कारणों से भारतीयों ने इस कमीशन का विरोध किया
- 1928 में साइमन कमीशन भारत आया परंतु भारतीयों ने इसका विरोध क्या
- लाहौर में पुलिस ने भारतीय लोगों पर लाठीचार्ज किया जो साइमन कमीशन का विरोध कर रहे थे
- इस लाठीचार्ज के कारण लाला लाजपत राय जो स्वतंत्रता सेनानी थे उनकी मृत्यु हो गई
- इन्हीं कारणों से महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ किया
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साइमन कमीशन दूसरा कारण बना
नमक यात्रा और सविनय अवज्ञा आंदोलन
- औपनिवेशिक कानूनों का उल्लंघन और विरोद्ध किया जाने लगा
- सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने से पहले लॉर्ड इरविन के सामने महात्मा गांधी ने 11 मांगे रखी जिनमें से कुछ मांगे हैं: –
- नमक का कर खत्म करना
- राजस्व कर को कम करना और आदि
- इरविन ने सारी मांगों को इंकार कर दिया
- महात्मा गांधी ने फिर एक पत्र दोबारा लिखा जिसमें उन्होंने लिखा की 11 मार्च 1930 तक अगर उनकी सभी मांगे पूरी नहीं की गई तो वह सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ कर देंगे
- परंतु इरविन झुकने को तैयार नहीं था
- महात्मा गांधी ने आंदोलन प्रारंभ कर दिया
- नए तरीके के साथ महात्मा गांधी ने इस बार देश को पहले एकता में बांधने का प्रयास किया
- एकता को प्रारंभ करने के लिए उन्होंने नमक का इस्तेमाल किया क्योंकि नमक का इस्तेमाल सभी करते थे चाहे वह गरीब हो या अमीर और सभी नमक का कर चुकाते थे
- कानूनी रूप से कोई भी प्राइवेट कंपनी नमक नहीं बना सकती
- महात्मा गांधी ने इसी कानून को तोड़ने का सबसे पहले फैसला लिया फिर उन्होंने दांडी यात्रा शुरू की
- 78 विश्वस्त वालंटियर रो के साथ महात्मा गांधी ने यात्रा शुरू कर दी
- यात्रा 240 किलोमीटर दूर दांडी दमक गुजरात के कस्बे में जाकर खत्म होनी थी जो साबरमती में गांधी जी के आश्रम से 240 किलोमीटर दूर थी
- रास्ते में उन्होंने अपने विचारों का प्रसार किया क्योंकि वह चाहते थे कि आंदोलन ज्यादा शक्तिशाली हो और धीरे-धीरे आंदोलन शक्तिशाली होता गया
- फिर धीरे-धीरे बहुत अधिक मात्रा में अवैध तरीकों से नमक बनाया गया और धीरे-धीरे सभी लोगों ने नमक पर कर देना बंद कर दिया
- यह आंदोलन शक्तिशाली होता गया और अंग्रेजों ने सभी नेताओं को जेल में डालना प्रारंभ कर दिया ताकि इस आंदोलन को रोक सके
- महात्मा गांधी के समर्पित, अप्रैल 1930 में अब्दुल गफ्फार खान को गिरफ्तार कर लिया गया जिसके कारण लोग पुलिस की गोलियों का सामना करते हुए सड़कों पर उतर गए
- बहुत लोग मारे गए और महीनों बाद जब महात्मा गांधी को गिरफ्तार कर लिया तो सोलापुर के मजदूरों ने अंग्रेजी शासन का प्रतीक पुलिस चौकी, नगर पालिका, भवन, अदालतों और रेलवे स्टेशनों पर हमला करना शुरू कर दिया
- जुलूस पर हमले किए गए, औरतों व बच्चों को मारा गया और लगभग 100000 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया
- यही सब देखते हुए महात्मा गांधी ने आंदोलन को वापस ले लिया
- 5 मार्च 1933 को इरविन के साथ गांधीजी ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए और इसे गांधी इरविन समझौता कहा गया
- महात्मा गांधी यह सब रोकना चाहते थे और सभी लोगों को रिहा कर आना चाहते थे
- महात्मा गांधी चाहते थे कि एक सभा कांग्रेस पार्टी और मेरे बीच हो ताकि सभी मिलकर कुछ नए तरीके ला सकें
- इसके बाद लंदन में एक गोलमेज सम्मेलन गठित किया गया जिसमें महात्मा गांधी और सरोजिनी नायडू गई
- परंतु भारत के पक्ष में कोई फैसला नहीं लिया गया और वह निराश ही वापस लौट आए और अवज्ञा आंदोलन दोबारा से शुरू कर दिया
- 1934 के बाद आंदोलन धीमा पड़ने लगा और इसके बाद लोगों ने उनका सहयोग करना बंद कर दिया
सामूहिक अपनेपन का भाव
- राष्ट्रवाद के विकास के दो कारण हैं जो भारत में माने जाते हैं
- संयुक्त संघर्ष
- संयुक्त संघर्ष के कारण 19वीं और 20वीं सदी में जितने भी आंदोलनों की शुरुआत की गई सभी समुदायों ने मिलकर भाग लिया और इसी एकता की वजह से संयुक्त संघर्ष की बात पूरे भारत में फैली
- संयुक्त संघर्ष
- राष्ट्रवाद के विकास के दो कारण हैं जो भारत में माने जाते हैं
- सांस्कृतिक प्रक्रिया
- सांस्कृतिक प्रक्रिया के कारण बीसवीं सदी में भारत में गीत, प्रतीक, रूपक और आदि बहुत
- सारी चीजों का निर्माण किया गया और यह सभी संस्कृति से जुड़े थे
- सांस्कृतिक प्रक्रिया
- उदाहरण के लिए भारत माता की तस्वीर रूपक का निर्माण, कीमन चंद्र चट्टोपाध्याय ने किया जो यह दर्शाती है कि भारत हमारी मातृभूमि है और हमारी मातृभूमि की स्वतंत्रता और सुरक्षा करना हमारा धर्म है
- मातृभूमि की स्तुति के रूप में वंदे मातरम गीत लिखा गया
- विभिन्न तरह के आंदोलनों में इस गीत को गाया गया
- इस गीत पर एक कविता भी लिखी गई जिसके बाद इस गीत का नाम बदलकर राष्ट्रीय गीत घोषित कर दिया गया
- उदाहरण के लिए भारत माता की तस्वीर रूपक का निर्माण, कीमन चंद्र चट्टोपाध्याय ने किया जो यह दर्शाती है कि भारत हमारी मातृभूमि है और हमारी मातृभूमि की स्वतंत्रता और सुरक्षा करना हमारा धर्म है
भारत का तिरंगा
- स्वदेशी आंदोलन के दौरान बंगाल में एक तिरंगा झंडा तैयार किया गया जिसका रंग हरा पीला और लाल था
- इस झंडे में ब्रिटिश भारत के 8 प्रांतों का प्रतिनिधित्व करते कमल का फूल दिखाया गया और हिंदू व मुस्लिम मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करता एक अर्धचंद्र भी बनाया गया
- इन सब के दौरान गांधीजी ने भी अपने स्वराज का झंडा तैयार कर लिया था जिसका रंग सफेद, हरा और केसरि था
- इस तिरंगे झंडे के मध्य में गांधीवादी प्रतीक चरखे को जगा दी गई जो स्वावलंबन का प्रतीक था और यह झंडा सभी जुलूस में थामे चलना शासन के प्रति एक अवज्ञा का संकेत था
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