पाठ – 2
गीत गाने दो मुझे
In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 2 Geet Gane Do Mujhe. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 2 गीत गाने दो मुझे के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi (अंतरा) |
Chapter no. | Chapter 2 |
Chapter Name | गीत गाने दो मुझे |
Category | Class 12 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
जीवन परिचय
सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
जन्म
बंगाल के मेदिनीपुर गांव 1898 में हुआ
शिक्षा
नौवीं कक्षा तक
रचनाएँ
रेखाचित्र: कुलीभाट
निबंध संग्रह: प्रबंध पदम्, प्रबंध प्रतिमा, चाबुक, चयन
समीक्षा: रविंद्र कविता, कानन, पंत और पल्लव
उपन्यास: उपसार, अलका. प्रभावती, गीतिका, अनामिका, बेला, अर्चना, आराधना
कहानी संग्रह: लिली, चतुर चमार, सुकुल क बीबी, सखी, देवी
भाषा शैली
छंदोबद्ध और छंदमुक्त कविता
तत्सम प्रधान भाषा, खड़ी बोली
चित्रात्मक बिम्ब योजना
भाषा का कसाव, मितव्ययिता और अर्थ की प्रधानता
मृत्यु
सन 1961 इलाहबाद
पाठ का परिचय
गीत गाने दो मुझे
कवि: – सूर्यकांत त्रिपाठी निराला
- गीत गाने दो मुझे इस कविता के माध्यम से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने मनुष्य को यह संदेश दिया है कि मनुष्य को जीवन में कभी भी रुकना नहीं चाहिए उन्हें सदैव संघर्ष करते रहना चाहिए
- इस कविता में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला बहुत उदास हैं क्योंकि उन्होंने जीवन में अनेकों दुख देखे हैं जिस वजह से वह अपने होशो हवास खो बैठे हैं और इन्हीं सब वजहों से सूर्यकांत त्रिपाठी निराला को ऐसा लगता है कि उनके जीवन का अंतिम समय अब आ चुका है
गीत गाने दो मुझे तो,
बेदना को रोकने को।
- पहली दो पंक्तियों में कवि कहता है कि वह अपने जीवन में अनेकों समस्याओं का सामना अर्थात संघर्ष करते-करते थक चूका है इन्हीं सब वजहों से वह कह रहा है कि गीत गाने दो मुझे अर्थात वह अपने दुखों को “गीत गाने दो मुझे” कविता के माध्यम से दर्शा रहा है
चोट खाकर राह चलते
होश के भी होश छूटे,
हाथ जो पाथेय थे, ठग-
ठाकुरों ने रात लूटे,
- उन्होंने अपने जीवन में जितनी भी समस्याएं देखी है वह उन सभी समस्याओं से बहुत दुखी हैं और वह अपने होशो हवास खो बैठे हैं
- कवि कहता है कि जब जीवन में ऐसा पड़ाव आता है तो चारो और हमें अंधेरा ही अंधेरा दिखाई देता है इस बुरे समय में कवि का जो भी सहारा था उन सभी को अमीर (ब्रिटिश सरकार) लोगों ने लूट लिया
कंठ रुकता जा रहा है,
आ रहा है काल देखों।
- कवि कहते हैं कि अब जीवन जीना मेरे लिए बहुत ही कठिन हो गया है इन सभी समस्याओं का सामना करते- करते मैं थक चूका हूँ उन्हें ऐसा लगने लगा है कि यह जो सांस है अब किसी भी वक्त रुक सकती है
- उनकी पत्नी मर गई, उनके घरवाले मर गए और उनकी कविताओं को किसी ने अपनाया नहीं इन्ही दुखों के कारण वह कहते है के किसी भी वक्त मर सकता हूँ
भर गया है जहर से
संसार जेसे हार खाकर,
देखते हैं लोग लोगों को;
सही परिचय -न-पाकर,
- उनका कहना है कि आज का जो संसार है वह जहर से भर चुका है इन निराशा भरे लोगों की वजह से इस संसार ने भी हार मान ली है वह कहते हैं कि अब संसार में एकता नहीं दिखाई देती अपने ही एक दूसरे को अनजान निगाहों से देखते हैं
बुझ गई है लौ पृथा की,
जल उठो फिर सींचने को।
- अगली लाइन में वह कहते हैं कि इस संसार में प्रेम और एकता को लोग भूल चुके है कवि का मानना है कि अगर इस संसार से दुख और निराशा को दूर करना है तो प्रत्येक मनुष्य को उठना होगा और संघर्ष करना होगा अर्थात अपने भविष्य को सुधारने के लिए सकारात्मक सोच के साथ जीवन जीना होगा
विशेष
- इस कविता में सूर्यकांत त्रिपाठी निराला के जीवन में आए दुखों का वर्णन किया गया है
- इस कविता में खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है
- यह कविता छंद मुक्त है
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