यह दंतुरहित मुस्कान और फसल (CH- 6) Detailed Summary || Class 10 Hindi क्षितिज (CH- 6) ||

पाठ – 6

यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

In this post we have given the detailed notes of class 10 Hindi chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल These notes are useful for the students who are going to appear in class 10 board exams

इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी के पाठ 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 10
SubjectHindi (क्षितिज)
Chapter no.Chapter 6
Chapter Nameयह दंतुरहित मुस्कान और फसल
CategoryClass 10 Hindi Notes
MediumHindi
Class 10 Hindi Chapter 6 यह दंतुरहित मुस्कान और फसल

Chapter 6 यह दंतुरित  मुस्कान और फसल 

-नागार्जुन

यह दंतुरित मुस्कान

इस कविता में कवि ने नवजात शिशु के मुस्कान के सौंदर्य के बारे में बताया है। कवि कहते हैं की शिशु की मुस्कान इतनी मनमोहक और आकर्षक होती है की किसी मृतक में भी जान डाल दे। खेलने के बाद धूल से भरा तुम्हारा शरीर देखकर ऐसा लगता है मानो कमल का फूल तालाब छोड़कर मेरी झोपड़ी में आकर खिल गए हों। तुम्हारे स्पर्श को पाकर पत्थर भी मानो पिघलकर जल हो गया हो यानी तुम्हारे जैसे शिशु की कोमल स्पर्श पाकर किसी भी पत्थर-हृदय व्यक्ति का दिल पिघल जाएगा। कवि कहते हैं की उनका मन बांस और बबूल की भांति नीरस और ठूँठ हो गया था परन्तु तुम्हारे कोमलता का स्पर्श मात्र पड़ते ही हृदय भी शेफालिका के फूलों की भांति झड़ने लगा। कवि के हृदय में वात्सल्य की धारा बह निकली और वे अपने शिशु से कहते हैं की तुमने मुझे आज से पूर्व नहीं देखा है इसलिए मुझे पहचान नही रहे। वे कहते हैं की तुम्हे थकान से उबारने के लिए मैं अपनी आँखे फेर लेता हूँ ताकि तुम भी मुझे एकटक देखने के श्रम से बच सको। कवि कहते हैं की क्या हुआ यदि तुम मुझे पहचान नही पाए। यदि आज तुम्हारी माँ न होती तो आज मैं तुम्हारी यह मुस्कान भी ना देख पाता। वे अपनी पत्नी का आभार जताते हुए की तुम्हारा मेरा क्या सम्बन्ध यह तुम इसलिए नही जानते क्योंकि मैं इधर उधर भटकता रहा, तुम्हारी ओर ध्यान ना दिया। तुम्हारी माँ ने ही सदा तुम्हें स्नेह-प्रेम दिया और देखभाल किया। पर जब भी हम दोनों की निगाहें मिलती हैं तब तुम्हारी यह मुस्कान मुझे आकर्षित कर लेती हैं।

फ़सल

इस कविता में कवि ने फसल क्या है साथ ही इसे पैदा करने में  किनका योगदान रहता है उसे स्पष्ट किया है। वे कहते हैं की इसे पैदा करने में एक नदी या दो नदी का पानी नही होता बल्कि ढेर सारी नदियों का पानी का योगदान होता है अर्थात जब सारी नदियों का पानी भाप बनकर उड़ जाता है तब सब बादल बनकर बरसते हैं जो की फसल उपजाने में सहायक होता है। वे किसानों का महत्व स्पष्ट करते हुए कहते हैं की फसल तैयार करने में असंख्य लोगों के हाथों की मेहनत होती है। कवि बताते हैं की हर मिटटी की अलग अलग विशेषता होती है, उनके रूप, गुण, रंग एक सामान नही होते। सबका योगदान फसल को तैयार करने में है।

कवि ने बताया है की फसल बहुत चीज़ों का सम्मिलित रूप है जैसे नदियों का पानी, हाथों की मेहनत, भिन्न मिट्टियों का गुण तथा सूर्य की किरणों का प्रभाव तथा मंद हवाओं का स्पर्श। इन सब के मिलने से ही हमारी फसल तैयार होती है।

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