बादल राग (CH- 7) Detailed Summary || Class 12 Hindi आरोह (CH- 7) ||

पाठ – 7

बादल राग

In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 7 बादल राग These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams

इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 7 बादल राग के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHindi (आरोह)
Chapter no.Chapter 7
Chapter Nameबादल राग
CategoryClass 12 Hindi Notes
MediumHindi
Class 12 Hindi Chapter 7 बादल राग

Chapter – 7 बादल राग

 

बादल राग’ सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की ओजपूर्ण कविता है जो उनके सुप्रसिद्ध काव्य-संग्रह अनामिका से संकलित है। निराला जी साम्यवादी चेतना से प्रेरित कवि माने जाते हैं। उन्होंने अपने काव्य में शोषक वर्ग के प्रति घृणा, शोषित वर्ग के प्रति गहन सहानुभूति । और करुणा के भाव अभिव्यक्त किए हैं। इस कविता में कवि ने बादल को क्रांति और विप्लव का प्रतीक मानकर उसका आहवान किया – है। किसान और जनसामान्य की आकांक्षाएँ बादल को नव-निर्माण के राग के रूप में पुकार रही हैं।

बादल पृथ्वी पर मँडरा रहे हैं। वायु रूपी सागर पर इनकी छाया वैसे ही तैर रही है जैसे अस्थिर सुखों पर दुखों की छाया मँडराती रहती – है। वे पूँजीपति अर्थात शोषक वर्ग के लिए दुख का कारण हैं। कवि बादलों को संबोधित करते हुए कहता है कि वे शोषण करनेवालों । के हृदयों पर क्रूर विनाश का कारण बनकर बरसते हैं। उनके भीतर भीषण क्रांति और विनाश की माया भरी हुई है। युद्ध रूपी नौका के – समान बादलों में गरजने-बरसने की आकांक्षा है, उमंग है।

युद्ध के समान उनकी भयंकर नगाड़ों रूपी गर्जना को सुनकर मिट्टी में दबे हुए बीज अंकुरित होने की इच्छा से मस्ती में भरकर सिर उठाने लगते हैं। बादलों के क्रांतिपूर्ण उद्घोष में ही अंकुरों अर्थात निम्न वर्ग । का उद्धार संभव है। इसलिए कवि उनका बार-बार गरजने और बरसने का आह्वान करता है। बादलों के बार-बार बरसने तथा उनकी । बज्र रूपी तेज हुँकार को सुनकर समस्त संसार भयभीत हो जाता है। लोग घनघोर गर्जना से आतंकित हो उठते हैं। बादलों की वन रूपी

हुँकार से उन्नति के शिखर पर पहुँचे सैकड़ों-सैकड़ों वीर पृथ्वी पर गिरकर नष्ट हो जाते हैं। गगन को छूने की प्रतियोगिता रखने वाले लोग अर्थात सुविधाभोगी पूँजीपति वर्ग के लोग नष्ट हो जाते हैं। लेकिन उसी बादल की वज्र रूपी हुँकार से मुक्त विनाशलीला में छोटेछोटे पौधों के समान जनसामान्य वर्ग के लोग प्रसन्नता से भरकर मुसकराते हैं। वे क्रांति रूपी बादलों से नवीन जीवन प्राप्त करते हैं। शस्य-श्यामल हो उठते हैं। वे छोटे-छोटे पौधे हरे-भरे होकर हिल-हिलकर, खिल-खिलकर हाथ हिलाते हुए अनेक प्रकार के संकेतों से बादलों को बुलाते रहते हैं। क्रांति रूपी स्वरों से छोटे पौधे अर्थात निम्न वर्ग का जनसामान्य ही शोभा प्राप्त करता है। समाज के ऊँचे-ऊँचे भवन महान नहीं होते। वे तो वास्तव में आतंक और भय के निवास होते हैं।

ऊँचे भवनों में रहनेवाले पूँजीपति वर्ग के ऊँचे लोग सदा : भयभीत रहते हैं। जैसे बाढ़ का प्रभाव कीचड़ पर होता है। वैसे ही क्रांति का अधिकांश प्रभाव बुराई रूपी कीचड़ या शोषक वर्ग पर ही – होता है। निम्न वर्ग के प्रतीक छोटे पौधे रोग-शोक में सदा मुसकराते रहते हैं। इन पर क्रांति का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। शोषक वर्ग ने निम्न वर्ग का शोषण करके अपने खजाने भरे हैं लेकिन उन्हें फिर भी संतोष नहीं आता।

उनकी इच्छाएँ कभी पूर्ण नहीं होती लेकिन वे – क्रांति से गर्जना सुनकर अपनी प्रेमिकाओं की गोद में भय से काँपते रहते हैं। कवि क्रांति के दूत बादलों का आह्वान करता है कि वह जर्जर और शक्तिहीन गरीब किसानों व जनसामान्य की रक्षा करें। पूँजीपतियों ने इनका सारा खून निचोड़ लिया है। अब उनका शरीर हाड़ मात्र ही रह गया है। इसलिए कवि ने बादलों को ही क्रांति के द्वारा उन्हें नवजीवन प्रदान करने का आह्वान किया है।

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