स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था (CH-1) Notes in Hindi|| Class 12 Indian Economics Chapter-1 in Hindi ||

 

पाठ – 1

स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

In this post we have given the detailed notes of class 12 Indian Economics Chapter 1 स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy on the Eve of Independence) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के भारतीय अर्थशास्त्र के पाठ 1 स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy on the Eve of Independence) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं अर्थशास्त्र विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectIndian Economics (भारतीय अर्थशास्त्र)
Chapter no.Chapter 1
Chapter Nameस्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy on the Eve of Independence)
CategoryClass 12 Economics Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Indian Economics Chapter 1 स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy on the Eve of Independence) in Hindi
Table of Content
2. स्वतंत्रता की पूर्व संध्या पर भारतीय अर्थव्यवस्था

 

स्वतंत्रता के समय भारतीय अर्थव्यवस्था

आजादी के समय भारत की अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी ऐसा अंग्रेजों की विभेदकारी कर नीति एवं अपने लाभ के लिए भारत का इस्तेमाल करने की वजह से हुआ था 

 आज़ादी के समय भारत की स्थिति 

  • कृषि पर निर्भरता ।

    • आजादी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर थी क्योंकि अंग्रेजी शासन के दौरान उद्योगों को प्रोत्साहन नहीं दिया गया था
    • भारत का इस्तेमाल केवल कच्चा माल निर्यात करने के लिए किया जाता था
    • इस वजह से कृषि पूरे देश में फैली हुई थी
  • उद्योगों का निराशाजनक विकास ।

    • आजादी के समय भारत में उद्योगों की स्थिति काफी खराब थी ऐसा अंग्रेजी शासन की नीतियों की वजह से हुआ था क्योंकि अंग्रेजी शासन द्वारा कभी भी भारत में उद्योगों को प्रोत्साहित नहीं किया गया था
  • आधारिक संरचना का आभाव ।

    • आजादी के बाद भारत में आधारिक संरचना जैसे कि बिजली, सड़क, बाजार आदि का अभाव था और इन्हें विकसित करना अर्थव्यवस्था के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक था
  • अधिकांश जनसँख्या गरीब ।

    • आजादी के समय भारत की अधिकांश जनसंख्या गरीब थी
    • देश में गरीबी का स्तर बहुत ज्यादा था और देश के लोगों को इस गरीबी की खाई से बाहर निकालना जरूरी था
  • मूलभूत सुविधाओं का आभाव ।

    • आजादी के समय भारत में मूलभूत सुविधाओं जैसे की शिक्षा, स्वास्थ्य व्यवस्था, स्वच्छ जल की उपलब्धता आदि का अभाव था 
  • उच्च शिशु मृत्यु दर:-

    • स्वतंत्रता के समय भारत में शिशु मृत्यु दर लगभग 218 प्रति हजार थी
  • व्यापक निरक्षरता:-

    • स्वतंत्रता के समय भारत की साक्षरता दर लगभग 16% के आसपास थी एवं केवल 7% महिलाएं ही साक्षर थी
  • निम्न जीवन प्रत्याशा

    • भारत में औसत जीवन प्रत्याशा केवल 32 वर्ष थी जो भारत की पिछड़ी हुई स्वास्थ्य व्यवस्था को दर्शाता है
  • व्यापक गरीबी तथा निम्न जीवन स्तर:-

    • आजादी के समय भारत के लगभग 52% लोग गरीबी रेखा के नीचे थे और अधिकांश लोगों का 80 से 90% आय का हिस्सा अपनी आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने में खर्च हो जाता था

आजादी के समय भारत में कृषि की स्थिति

कृषि की मुख्य समस्याएं

  • जमींदारी व्यवस्था।

    • आजादी के दौर में भारत में जमींदारी व्यवस्था प्रचलित थी जिस वजह से किसानों का शोषण हो रहा था 
    • इस व्यवस्था के अंतर्गत जमीदार कृषको से मनचाहा कर वसूला करते थे जबकि उन्हें अंग्रेजों को एक निश्चित संख्या में कर देना होता था
    • जमीदार जानबूझकर कृषक को से अधिक कर वसूलते थे और उस अधिक पैसे का उपयोग अपने भोग विलास में किया करते थे जिस वजह से भारत में कृषि का विकास नहीं हो पाया
  • सिचाई की सुविधा का आभाव।

    • भारतीय कृषि मुख्य रूप से सिंचाई साधनों पर निर्भर थी परंतु देश में खेतो की सिंचाई के लिए पर्याप्त व्यवस्था का अभाव था  
  • वर्षा पर निर्भरता।

    • सिंचाई व्यवस्था का अभाव होने के कारण भारत में कृषि मुख्य रूप से वर्षा पर निर्भर थी जिस वजह से पर्याप्त वर्षा ना होने पर फसलें खराब हो जाती थी
  • निम्न उत्पादकता।

    • जानकारी का अभाव होने एवं पर्याप्त साधन न होने के कारण भारत में फसलों में निम्न उत्पादकता थी यानी जितना उत्पादन संभव था उतना नहीं हो पाता था
  • खंडित जोते।

    • देश में खेत छोटे-छोटे भागों में बटे हुए थे जिस वजह से कृषि करना और मुश्किल हो जाता था
  • निर्वाह कृषि

    • अंग्रेजों के दौर में भारत में मुख्य रूप से निर्वाह कृषि की जाती थी  इस प्रकार की कृषि में मुख्य रूप से गेहूं, चावल, धान, मक्का आदि की कृषि की जाती थी ताकि इनका उपयोग करके कृषक अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें

भारत में कृषि के पिछड़ेपन के मुख्य कारण

  • जमीदारी व्यवस्था

    • इस व्यवस्था के अंतर्गत अंग्रेजों ने जमीदारों को भूमि का स्वामी बना दिया और वह किसानों से कर वसूला करते थे
    • कर की एक निश्चित राशि जमीदारों को अंग्रेजों को जमा करानी होती थी जबकि वह किसानों से मनचाहा कर वसूल सकते थे 
    •  इस प्रकार जमीदारों ने किसानों से अत्याधिक कर वसूलना शुरू किया जिस वजह से किसानों का शोषण हुआ
  •  कृषि का व्यापारीकरण

    • भारत के किसान मुख्य रूप से निर्वाह कृषि किया करते थे जिसके अंतर्गत वह ऐसी फसलें उगाया करते थे जिनका वह स्वयं उपभोग कर सकें जैसे कि चना, दाल, बाजरा, ज्वार आदि
    • परंतु लाभ कमाने के उद्देश्य से अंग्रेजों ने भारत में ऐसी फसलों के उत्पादन पर जोर दिया जिनका व्यापार किया जा सके उदाहरण के लिए नील
    • परंतु इसका किसानों को कोई फायदा नहीं हुआ  एवं उपयोगी फसलों की कमी भी होने लगी
  • ब्रिटिश शासन  द्वारा किसानों का शोषण

    • ब्रिटिश शासन ने अपनी नीतियों द्वारा बड़े स्तर पर किसानों का शोषण किया जिसका प्रभाव भारतीय कृषि पर पड़ा 

औद्योगिक क्षेत्र

अंग्रेजों के दौर में भारतीय औद्योगिक क्षेत्र को गहरा धक्का लगा ऐसा अंग्रेजों की विभेदकारी आर्थिक नीतियों की वजह से हुआ

  • हस्तशिल्प उद्योग का पतन

    • अंग्रेजों के भारत में आने से पहले भारत का हस्तशिल्प उद्योग सबसे विकसित उद्योगों में से एक था परंतु अंग्रेजों ने धीरे-धीरे इस उद्योग का विनाश  किया
    • इसी दौर में ब्रिटेन में औद्योगिक क्रांति की शुरुआत हुई और बड़े बड़े उद्योगों का विकास हुआ 
    • इन बड़े बड़े उद्योगों को बड़े स्तर पर कच्चे माल की आवश्यकता थी 
    • अंग्रेजों ने भारत को कच्चा माल की पूर्ति करने वाले क्षेत्र के रूप में स्थापित किया 
    • यहां से कच्चा माल ले जाकर वह ब्रिटेन में बने उद्योगों में वस्तुओं का उत्पादन करके उसे विश्व भर में बेचा करते थे
    • इसी दौरान अंग्रेजों ने कच्चे माल के निर्यात पर कर कम कर दिया जब की बनी हुई वस्तुओं के निर्यात पर कर को बढ़ा दिया 
    • जिस वजह से अंग्रेजों को सस्ते दामों पर कच्चा माल उपलब्ध हो सका परंतु भारतीय उद्योगों  द्वारा उत्पादित वस्तुओं की कीमत बड़ी और मांग में कमी आई और धीरे-धीरे उद्योगों का पतन  हो गया

भारतीय हस्तशिल्प उद्योग के पतन के मुख्य कारण

  • अंग्रेजों की  विभेदकारी कर नीति 
  • उद्योगों में बनी वस्तुओं की कम कीमत
  • भारतीय उपभोक्ताओं की बदलती मांग
  • आधुनिक प्रौद्योगिकी का आभाव 
  • ब्रिटेन में बनी उच्च गुणवत्ता की वस्तुओं से प्रतिस्पर्धा

अन्य उद्योग

  • अंग्रेजों ने भारत में औद्योगिक विकास पर खासा ध्यान नहीं दिया क्योंकि उनका मुख्य उद्देश्य भारत से कच्चा माल ले जाकर बनी हुई वस्तुओं को वापस भारत में लाकर बेचना था 
  • जिस वजह से  भारत में उद्योगों का विकास नहीं हो सका
  • आधारिक संरचना का  अभाव

    • अंग्रेजों ने भारत में आधारिक संरचना के विकास पर कोई खास ध्यान नहीं दिया जिस वजह से भारत में उद्योग विकसित नहीं हो सके
  •  प्रौद्योगिकी का अभाव

    • आधुनिक उद्योगों का विकास करने के लिए प्रौद्योगिकी की आवश्यकता थी परंतु भारत में इस प्रकार की  प्रौद्योगिकी ना होने  की वजह से भारत में बड़े-बड़े उद्योग विकसित नहीं हो सके

सेवा क्षेत्र

  • आजादी के समय भारत के सेवा क्षेत्र की स्थिति बहुत खराब थी
  • सेवा क्षेत्र में मुख्य रूप से रेल, बंदरगाह, संचार साधन आदि ही विकसित थे
  • उच्च प्रशासनिक पदों पर मुख्य रूप से ब्रिटिश लोग हुआ करते थे और भारतीयों को इन पदों पर नौकरी करने की अनुमति नहीं थी
  •  शिक्षा एवं स्वास्थ्य क्षेत्र की स्थिति बहुत खराब थी 

व्यापार की स्थिति 

  • 1869 में स्वेज नहर के खोले जाने के बाद भारत और ब्रिटेन के बीच वस्तुओं के परिवहन की लागत कम हो गई
  • भारत से मुख्य रूप से कच्चा माल जैसे कि कपास, रेशमी कपड़ा, लोहे से बनी वस्तुएं, हाथी दांत  मसाले इत्यादि का निर्यात किया जाता था
  • जबकि ब्रिटेन द्वारा भारत में उत्पादित वस्तुओं का आयात किया जाता था

ब्रिटिश शासन का भारतीय व्यवस्था में सकारात्मक योगदान

अपने लाभ कमाने के उद्देश्य के कारण ब्रिटिश शासन ने भारतीय अर्थव्यवस्था का भरपूर शोषण किया परंतु इसी दौर में उनके द्वारा कुछ सकारात्मक प्रभाव भी छोड़े गए

  • व्यापारिक कृषि का विकास
  • खाद्यान्न उत्पादन में भारत का आत्मनिर्भर बनना
  • रेलवे तथा सड़कों का विकास
  • मुद्रा विनिमय प्रणाली का विकास
  • संचार साधनों का विकास
  • बंदरगाहों का विकास

 

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