विशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल (CH-4) Notes in Hindi || Class 12 Physical Education Chapter 4 in Hindi ||

पाठ – 4

विशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल

In this post, we have given the detailed notes of class 12 Physical Education chapter 4 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल (Physical Education and Sports for CWSN (Children with Special Needs-Divyang) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के शारीरिक शिक्षा के पाठ 4 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल (Physical Education and Sports for CWSN (Children with Special Needs-Divyang) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं शारीरिक शिक्षा विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPhysical Education
Chapter no.Chapter 4
Chapter Nameविशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल (Physical Education and Sports for CWSN (Children with Special Needs-Divyang)
CategoryClass 12 Physical Education Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Physical Education Chapter 4 विशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल (Physical Education and Sports for CWSN (Children with Special Needs-Divyang) in Hindi
Table of Content
2. विशेष आवश्यकता वाले बच्चों ( दिव्यांगों ) के लिए शारीरिक शिक्षा एवं खेल

दिव्यांगता या असमर्थता का अर्थ:-

  • दिव्यांगता या असमर्थता एक क्षति या हानि है जो ज्ञानात्मक या ज्ञान संबंधी विकासात्मक, बौद्धिक, मानसिक ,शारीरिक आदि हो सकती है।
  • यह व्यक्ति के दैनिक गतिविधियों को काफी सीमा तक प्रभावित करती है। यह व्यक्ति में जन्म से भी हो सकती है या व्यक्ति की जीवन अवधि के दौरान भी घटित हो सकती है।
  • असमर्थता का अर्थ, कार्य करने की अयोग्यता होता है। वास्तव में, यह व्यक्ति की वह दशा होती है जब वह कार्य को कुशलतापूर्वक नहीं कर सकता।
  • असमर्थता की परिभाषाएं :-
    • असमर्थता, दैनिक आनंदमय जीवन को व्यतीत करने में क्रियात्मक योग्यता की कमी होती है।
    • असमर्थता, एक व्यक्ति की किसी क्रिया को करने की योग्यता पर अंकुश या क्रियात्मक सीमा होती है।
    • असमर्थता, एक मनुष्य के लिए सामान्य सीमा के अंतर्गत सोची जाने वाली या तरीके के एक गतिविधि को करने की योग्यता में प्रतिबंध या कमी होती है।

दिव्यांगता या असमर्थता के प्रकार

मुख्यतया असमर्थताएं तीन प्रकार की होती हैं जिनका वर्णन नीचे दिया गया है –

1) ज्ञानात्मक या ज्ञान संबंधी असमर्थता (Cognitive Disability)

  • वास्तव में, यह एक स्नायु तंत्र संबंधी विकार होता है जो व्यक्ति को सूचनाओं का भंडारण करने, संशोधित करने व उत्पन्न करने के लिए रुकावट या अवरोध को उत्पन्न करता है। यह असमर्थता व्यक्ति की पढ़ने, बोलने, लिखने व संगणना करने की योग्यता या क्षमता को प्रभावित कर सकती है। सामान्यतया, जिन व्यक्तियों को इस प्रकार की असमर्थता होती है उनमें निम्नलिखित लक्षण होते हैं;

(i) स्मरण शक्ति विकार (Memory Disorder) :- एक व्यक्ति जिसको श्रवण संबंधी समस्याएं हैं या उसने जो कुछ समय पूर्व सुनी है, कही है या देखी है उसे उसके बारे में याद रखने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, तो स्मरण शक्ति विकार होता है।

(ii) अति सक्रियता (Hyperactivity) :- ज्ञान संबंधी का ज्ञानात्मक असमर्थता वाला व्यक्ति लंबी अवधि तक अपना ध्यान एक जगह केंद्रित नहीं कर सकता। उसे एक ही स्थान पर ठहरने में मुश्किल होने लगती है। वास्तव में, वह प्रायः अपनी एकाग्रता खोने लगता है।

(iii) पठन अक्षमता (Dyslexia) :- ज्ञान संबंधी असमर्थता वाले व्यक्ति को पठन अक्षमता की समस्या प्रतीत होने लगती है। इसका अर्थ यह है कि ऐसे व्यक्ति को पढ़ने, लिखने व बोलने में मुश्किल आने लगती है।

 

2) बौद्धिक असमर्थता या अक्षमता (Intellectual Disability)

  • बौद्धिक असमर्थता या अक्षमता वह समझता होती है जो बौद्धिक कार्यों में व अनुकूल व्यवहार में महत्वपूर्ण सीमाओं द्वारा चरित्र चित्रण करती है।
  • वास्तव में यह असमर्थता व्यक्ति की विचार प्रक्रियाओं, सूचनाओं के आदान-प्रदान, धन, सीखने, समस्याओं का समाधान व निर्णय करने की क्षमता आदि संबंधित है।
  • इसमें मनोचिकित्सीय असमर्थता भी शामिल होती है, जो व्यक्ति की सामाजिक असमर्थताओं जैसे व्यवहार, संवेगों या भावनाओं व विचारों से संबंधित होती है ।
  • वास्तव में बौद्धिक असमर्थता या अक्षमता का तात्पर्य व्यक्ति के व्यवहारात्मक या मनोवैज्ञानिक कार्यों में पाई जाने वाली गड़बड़ियों या बाधाओं से होता है, जो व्यक्ति के सामाजिक – सांस्कृतिक पहलू से मेल नहीं खाता तथा जिसके कारण व्यक्ति में तनाव, व्यवहारात्मक अक्षमता तथा सर्वांगीण क्रियाओं में असंतुलन उत्पन्न हो जाता है।

3) शारीरिक असमर्थता (Physical Disability) :-

  • शारीरिक असमर्थता व्यक्ति की शारीरिक क्रिया, गतिशीलता, दक्षता या सहन क्षमता की कमी होती है।
  • दूसरी अक्षमताओं या क्षतियों जैसे फेफड़े संबंधी विकार, अंधापन, मिर्गी व निंद्रा संबंधी विकार जो दैनिक जीवन के दूसरे पहलुओं को सीमित करते हैं इन्हें भी शारीरिक असमर्थताओं में शामिल किया जाता है।
  • शारीरिक असमर्थता या तो गति संबंधी कमी या फिर इंद्रिय – संबंधी अक्षमता हो सकती है । गति संबंधी कमी , मेरु रज्जु से संबंधित होती है जिससे कुछ अंगों या सारे अंगों को लकवा (Paralysis) हो सकता है , जैसे – हाथ और पैर आदि । यह मस्तिष्क की क्षति से भी संबंधित हो सकती है जो जन्म से पूर्व जन्म के दौरान व जन्म के बाद भी घटित हो सकती है । इसके साथ – साथ यह स्ट्रोक के बाद भी हो सकती है ।
  • इन्द्रिय संबंधी असमर्थता , व्यक्ति की दृष्टि क्षति (Visual impairment) या श्रवण क्षति (Hearing impairment) से संबंधित होती है । साधारण शब्दों में , शारीरिक असमर्थता वह असमर्थता होती है जो व्यक्ति की गतिशीलता या दक्षता को प्रभावित करती है ।

असमर्थता के कारण (Causes of Disability)

1) दुर्घटनाएँ (Accidents)

  • आजकल जीवन की गति इतनी तेज हो चुकी है कि दुर्घटनाएँ कहीं भी कभी भी तथा किसी के साथ भी घटित हो सकती हैं । ये दुर्घटनाएँ कार्य स्थल , सड़कों पर या हवा में घटित हो सकती हैं । ये दुर्घटनाएँ असमर्थता की ओर अग्रसर कर सकती हैं ।

2) मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ ( Mental Health Problems )

  • मानसिक स्वास्थ्य समस्याएँ जैसे अवसाद ( Depression ) द्विध्रुवी विकार ( Bipolar disorder ) आदि असमर्थता की ओर अग्रसर कर सकती हैं । वास्तव में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का निदान करना बहुत कठिन होता है । ये समस्याएँ बहुत गलतफहमी वाली असमर्थताएँ होती हैं ।

3) आनुवंशिक कारण ( Genetic Causes )

  • कुछ असमर्थताएँ , जैसे मेरुदंडीय मांसपेशीय इस ( pinal muscular ( atrophy ) व कुपोषण से होने वाला मांसपेशीय विकार ( Muscular dystrophy ) , आनुवशिक भी होती है । बच्चों में जींस में असमानताएँ व जीन संबंधी आनुवंशिकता , बौद्धिक असमर्थता का कारण होती है । कभी – कभी बीमारियों रोग व एक्सरेज का अति अनावरण , जीन संबंधी विकार का कारण हो सकते हैं ।

4) अन्तःस्रावी ग्रंथियों में गड़बड़ी ( Disturbance in Endocrine Glands )

  • अन्तःस्रावी ग्रंथियों में गड़बड़ी के कारण भी असमर्थता हो सकती है । ऐसी गड़बड़ी के कारण एक बच्चा विभिन्न प्रकार की शारीरिक व मानसिक कमियों या क्षतियों से ग्रस्त हो सकता है ।

5) कुपोषण ( Malnutrition )

  • विशेष रूप से हमारे देश में कुपोषण , असमर्थता का अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कारण है । यदि एक बच्चे को उपयुक्त पोषण नहीं मिलता तो वह बच्चा शारीरिक रूप से काफी कमजोर हो जाता है । यहाँ तक की कैल्शियम की कमी से भी अस्थियाँ विकृत होने लगती हैं एवं उनकी बनावट ठीक नहीं रहती।

6) नशीले पदार्थों व नशीली दवाओं का प्रयोग ( Use of Intoxicants and Drugs )

  • मंदिरा , ब्राउन शुगर , एल ० एस ० डी ० व अफीम के प्रयोग के कारण भी असमर्थता हो सकती है । यदि एक बार एक व्यक्ति इन पदार्थों का आदी हो जाए तो वह व्यक्ति हमेशा के लिए इन पदार्थों व नशीली दवाओं के जाल में फंस जाता है जिसके परिणामस्वरूप वह असमर्थता की ओर अग्रसर हो जाता है।

7) रोग ( Illnesses )

  • कैंसर , हृदयाघात ( Heart attack ) मधुमेह आदि रोग लंबी अवधि की अनेक असमर्थताओं का असमर्थताओं के महत्त्वपूर्ण कारण है । कारण होते हैं । आर्थराइटिस , पीठ दर्द , मांसपेशीय कंकाल संबंधी विकार ( Muscular skeletal disorders ) आदि भी असमर्थताओं के महत्वपूर्ण कारण हैं।

विकार का अर्थ

  • विकार प्रायः मानसिक असमर्थताओं के लिए प्रयोग किया जाता है ।
  • विकार एक प्रकार की बीमारी है, जो व्यक्ति के स्वास्थ्य को बाधित करती है।
  • विकार, प्रायः व्यक्ति के प्रदर्शन में बाधा उत्पन्न करते हैं तथा उसकी कार्यकुशलता में कमी करते हैं।
  • प्रारंभ में विकार साधारण प्रतीत होते हैं परंतु बाद में यह व्यक्ति में हानिकारक रूप में बढ़ता फैलते हैं।
  • विकार का पता प्रारंभ में ही नहीं लग पाता जिसके परिणामस्वरूप साधारण सा विकार असमर्थता में बदल जाता है।

विकार के प्रकार और कारण

(Types of Disorder and it’s Causes)

1) ए. डी.एच.डी. (Attention Deficit Hyperactivity Disorder)

  • ए. डी.एच.डी. आचरणगत या चरित्रगत लक्षणों का एक समूह है जिसमें असतर्कता, अतिसक्रियता व आवेगशीलता शामिल होती हैं।
  • यह एक ऐसा विकार है जिसमें प्रभावित व्यक्ति के लिए किसी कार्य पर ध्यान देना व आवेगी व्यवहार को नियंत्रित करना अत्यंत कठिन होता है। वास्तव में यह एक चिकित्सीय दशा बैठने , फोकस करने व ध्यान देने को प्रभावित करती है ।
  • सामान्यतया ए. डी. एच. डी. से प्रभावित बच्चों के मस्तिष्कों के भागों में अंतर क्रियाओं होते हैं जो को नियंत्रित करते हैं । इसका अर्थ यह है कि ऐसे व्यक्तियों को कुछ क्रियाओं में ध्यान केन्द्रित करने में कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है ।

ए. डी.एच.डी. के कारण (Causes of ADHD)

  • मस्तिष्क की चोटे ( Brain Injuries )
    • जब जन्म से पहले या बाद में बच्चे का मस्तिष्क चोट ग्रस्त या विग्रस्त हो जाता है तो भविष्य में ए.डी.एच.डी. होने की संभावना बढ़ जाती है ।
  • जन्म के समय भार में कमी ( Low Birth Weight )
    • अनुसंधानों के आधार पर देखा गया है कि जिन बच्चों का जन्म के समय भार कम होता है उन्हें ए . डी . एच . डी . होने की संभावना अधिक होती है ।
  • आघात व मस्तिष्क के रोग ( Trauma and Brain Diseases )
    • जन्म के दौरान आघात होने व मस्तिष्क के रोगों के परिणामस्वरूप ए.डी.एच.डी. की आशंका बढ़ जाती है।
  • आनुवंशिक कारक ( Genetic Factor )
    • अनुसंधान अध्ययन यह संकेत करते हैं कि ए.डी.एच.डी. का आनुवंशिक कारक के साथ गहरा संबंध है । यह ऐसा विकार नहीं है जो सामाजिक रूप से आगे बढ़ता है । अनुसंधान अध्ययन यह बताते हैं कि वे व्यक्ति जो इस विकार से ग्रसित होते हैं उनके भाई – बहनों व बच्चों को ए.डी.एच.डी. होने का खतरा पाँच गुणा अधिक होता है , अपेक्षाकृत उन व्यक्तियों के जो इस विकार से ग्रसित नहीं होते ।
  • आहार ( Diet )
    • ऐसे अनेक तथ्य सामने आए हैं जो यह दर्शाते हैं कि केवल एक विशेष प्रकार का आहार लेने से या एक ही प्रकार के आहार के आदी होने से ए.डी.एच.डी. होने की आशंका बढ़ जाती है ।

2) संवेदी प्रसंस्करण विकार [Sensory Processing Disorder (SPD)]

  • संवेदी प्रसंस्करण विकार एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क को जानकारी प्राप्त करने में परेशानी होती है जो इंद्रियों के माध्यम से आती है।
  • इस प्रकार के विकार से ग्रस्त लोग अपने वातावरण चीजों के लिए अति संवेदनशील होते हैं । सामान्य सी प्रतीक होने वाली आवाजें भी उनके लिए दर्दनाक या भारी हो सकती है।
  • पीड़ित को किया गया हल्का सा स्पर्श भी उसकी त्वचा को दबा सकता है । इस प्रकार का विकार आमतौर पर बच्चों में अधिक पाया जाता है हालांकि कई बार वयस्क व्यक्ति भी इस समस्या से पीड़ित हो सकता है।

संवेदी प्रसंस्करण विकार के कारण:-

  • 1) आनुवंशिक कारण ( Genetic reasons )
    • विभिन्न शोधों से यह पता चलता है कि ऐसे माता – पिता जो Autism Spectrum disorder ( ASD ) से ग्रसित होते हैं उनके बच्चों को संवेदी प्रसंस्करण विकार ( एस.पी.डी. ) होने की संभावना अधिक होती है।
  • 2) जन्म के समय कम भार ( Low birth weight )
    • जिन बच्चों का शारीरिक भार जन्म के समय कम होता है उनमें संवेदी प्रसंस्करण विकार होने का खतरा अधिक होता है।
  • 3) पर्यावरणीय कारण ( Environmental reasons )
    • ऐसे बच्चे जिनका बचपन में पालन – पोषण पर ठीक ढंग न किया गया हो तथा बड़े होने पर उसके साथ अत्यधिक सख्ती से बर्ताव किया जाता है उनमें संवेदी प्रसंस्करण विकार होने का खतरा अधिक हो जाता है।

3) आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार (Autism Spectrum Disorder – ASD)

  • ए . एस . डी एक ऐसी बीमारी है जिसमें व्यक्ति को सामाजिक संपर्क स्थापित करने में कठिनाई आती है । उसे लोगों के बीच उठने बैठने में हिचक महसूस होती है।
  • ये समस्या बचपन में शुरू होती है और जीवन के अंत तक रहती है। इस बीमारी के कई रूप है , इसलिए बच्चों में भी इसके अलग – अलग लक्षण पाए जाते है।
  • अगर इसके संकेत और लक्षणों का समय रहते पता चल जाए तो प्रभावी ढंग से इस विकार का उपचार किया जा सकता है। सामान्य : 14 साल में बच्चों में इस बीमारी को ज्यादा देखा गया है।

आत्मकेंद्रित स्पेक्ट्रम विकार के कारण:-

  • 1) आनुवंशिक कारक ( Genetic factors )
    • यह विकार अधिकतर आनुवंशिक समस्याओं के कारण होता है । यदि माता – पिता में से कोई भी इस समस्या से ग्रस्त हो तो ए . एस . डी . से ग्रसित जीन / जीन्स वंशानुक्रम के माध्यम से बच्चे में पहुँच जाते है । इसके कारण Syndrome ) के कारण भी हो सकता है। बच्चे को भी ए.एस.डी. विकार होने का खतरा बढ़ जाता है।
  • 2) पर्यावरणीय कारक ( Environmental factors )
    • कई बार गलत आहार , इग्स का सेवन या विषैले पदार्थों से संपर्क में रहने से व्यक्ति इस समस्या से ग्रसित हो सकता है। विभिन्न पर्यावरणीय कारक जैसे कि अधिक प्रदूषित वातावरण में रहने से भी व्यक्ति को इस रोग से ग्रसित होने की संभावना बढ़ जाती है।

4) प्रतिरोधक विद्रोही विकार ( Oppositional Defiant Disorder – ODD)

  • प्रतिरोधक विद्रोह विकार का तात्पर्य ऐसे विकार से है जिसमें बच्चे मर्मस्पर्शी , क्रोधी प्रवृत्ति अथवा विवादी व्यवहार के हो जाते है । यह मानसिक विकार किशोरावस्था के दौरान अधिक पाया जाता है ।
  • इस विकार से ग्रस्त बच्चे विद्रोही प्रवृत्ति , आक्रामक , तथा दूसरों की बात न माने वाले अर्थात् जिद्दी प्रवृत्ति के होते है । प्रतिरोधक विरोधी विकार से ग्रस्त बच्चे अक्सर अपने गुस्से पर काबू नहीं कर पाते ।
  • ऐसे बच्चों हमेशा नकारात्मक सोच रखते हैं तथा गुस्सैल व चिड़चिड़े होते जाते हैं , जिसके कारण उन्हें मित्र बनाने में बहुत दिक्कत होती है।

प्रतिरोधक विद्रोही विकार के कारण

  • 1) जैविक या आनुवंशिक कारक ( Biological or Genetic Factors )
    • ऐसे बच्चों में ODD होने की संभावना अधिक होती है जिनके अभिभावक या खानदान में किसी को ODD या ADHD हुआ हो । ऐसे बच्चों को भी ODD होने का खतरा बढ़ जाता है जिनके माता – पिता को अवसाद ( Depressions ) या द्विध्रुवी ( Biopolar ) विकार रहे हो या विषैले पदार्थों से संपर्क या खराब पोषण ( Poor nutrition ) हो।
  • 2) मनोवैज्ञानिक कारक ( Psychological Factors )
    • ऐसे बच्चों को ODD होने की संभावना अधिक हो जाती है जिनके अभिभावक से अच्छे रिश्ते नहीं होते हैं या अभिभावक उन पर ध्यान नहीं देते या सामाजिक संबंधों को विकसित करने में अयोग्यता हो।
  • 3) सामाजिक कारक ( Social Factors )
    • विपरीत उद्दंड या विद्रोह विकार , असंगत अनुशासन , तलाक , गरीबी , परिवार में अस्त – व्यस्त वातावरण तथा हिंसा से संपर्क के परिणामस्वरूप भी हो सकता है।

5) भ्रामक बाध्यकारी विकार (Obsessive Compulsive Disorder -OCD)

  • ओ.सी.डी. , चिंता एवं वहम संबंधी विकार है इस समस्या से ग्रस्त व्यक्ति के दिमाग में गैर जरूरी विचार व आदते कुछ इस तरह बस जाती है कि वह व्यक्ति चाहकर भी किसी और चीज के बारे में न तो सोच पाता है न ही स्थितियों पर काबू कर पाता है।

अक्षमता शिष्टाचार (Disability Etiquettes)

  • अक्षमता शिष्टाचार का अर्थ है – ‘‘अक्षम व्यक्ति के साथ सामान्य व्यक्ति की तरह व्यवहार करना। ’’
    • विकलांग व्यक्ति के साथ बात करते समय साइन भाषा की अपेक्षा उस व्यक्ति से सीधे बात करें।
    • जब भी आप समूह में किसी अक्षम व्यक्ति के बारे में बात करें तो समूह में उस व्यक्ति का संपूर्ण परिचय सबसे से कराएं।
    • जब कोई अक्षम व्यक्ति आपसे बात करें तो उस व्यक्ति को पहले आराम से बिठाकर उससे बात करें , ताकि उसे सहज महसूस हो।
    • यदि आप को किसी अक्षम / विकलांग को उसी रूप में स्वीकार करना है , तो इसमें शर्मिंदा न हो , बल्कि पूरे सम्मान व आदर के साथ उस व्यक्ति को स्वीकारें।
    • परिवार में यदि कोई अक्षम या विकलांग हो तो परिवार के हर जरूरी निर्णय से पहले उनकी सलाह ले तथा उनकी सलाह का सम्मान करते हुए उचित निर्णय लेना चाहिए।

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