बायोमैकेनिक्स और खेल (CH-8) Notes in Hindi || Class 12 Physical Education Chapter 8 in Hindi ||

पाठ – 8

बायोमैकेनिक्स और खेल

In this post, we have given the detailed notes of class 12 Physical Education chapter 8 बायोमैकेनिक्स और खेल (Biomechanics and Sports) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के शारीरिक शिक्षा के पाठ 8 बायोमैकेनिक्स और खेल (Biomechanics and Sports) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं शारीरिक शिक्षा विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPhysical Education
Chapter no.Chapter 8
Chapter Nameबायोमैकेनिक्स और खेल (Biomechanics and Sports)
CategoryClass 12 Physical Education Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Physical Education Chapter 8 बायोमैकेनिक्स और खेल(Biomechanics and Sports) in Hindi

Chapter – 8 जीव यांत्रिकी एवं खेलकूद

जीव :-

  • जीवित प्राणी

यान्त्रिकी :-

  • भौतिक एक शाखा है जिसके अन्तर्गत किसी वस्तु पर स्थिर अवस्था में अथवा गतिशील अवस्था में कार्य करने वाली शक्तियों का अध्ययन किया जाता है।

जीव यान्त्रिकी :-

  • वह विषय है जिसके अन्तर्गत स्थिर अवस्था अथवा गतिशील अवस्था में मानव शरीर पर कार्य करने वाली शक्तियों का अध्ययन किया जाता है।

जीव यान्त्रिकी का महत्त्व :-

  • एवंम महत्त्व तकनीक का चयन एवमं उसका विकास।
  • आधुनिक उपकरणों को बनाने में।
  • नयी प्रशिक्षण विधियों को बनाने में।
  • पुनशक्ति प्राप्ति प्रक्रिया को तेज बनाने में।
  • खेल चोटों बचाने में खेल कौशलों के विकास में।
  • क्रियाओं के उचित संचालन में सहायक
  • खेल प्रदर्शन को बढ़ाने में सहायक।

जीव यान्त्रिकी के खेलकूद के लाभ :-

तकनीक में सुधार में सहायता :- जीव यान्त्रिकी तकनीक के सुधार में मदद करती है जीवयान्त्रिकी तकनीक को संचालित करने की उचित विधि को बताती है। उदाहरण के लिये गोला फेंक खेल में पहले परम्परागत तकनीक का इस्तेमाल होता था परंतु बाद में जीव यान्त्रिकी की सहायता से दूसरी तकनीक डिस्को पट का प्रतिपादन हुआ।

खेल उपकरण में सुधार में सहायता :- जीव यान्त्रिकी की सहायता से उपकरणों को विकसित किया जाता है उपकरणों को खेल को अनुरुप इस प्रकार से विकसित किया जाता है कि वे खेल प्रदर्शन को बढ़ाये तथा उनसे लगने वाली खेल चोटों की सम्भावना कम हो जाये। उदाहरण के लिये ऊँची कूद में जीव यान्त्रिकी के सुझावनुसार लेडिंग रेत पर न कर के गद्दे पर की जाती है। जिससे चोट लगने की सम्भावना कम हो जाती है।

खेल प्रशिक्षण सुधार में :- जीव यान्त्रिकी के नये तथा प्रभावशाली खेल प्रशिक्षण विधियों को प्रतिपादित करने में मदद करती है उदाहरण के लिये शक्ति बढ़ाने के लिये जीव यान्त्रिकी के सुझावनुसार आइसोटोनिक पद्धति को विकसित किया गया जो कि शक्ति बढ़ाने में सबसे प्रभावशाली पद्धति है।

खेल कौशलों के विकास में :- जीव यान्त्रिकी खेल कौशलों के स्तर को बढ़ाने तथा समझने में मदद करती है उदाहरण के लिये क्रिकेट खेल में फिलडिंग के कौशलों में आया परिवर्तन।

गति के प्रकार :-

फ्लेक्शन :-

  • कोण में कमी
  • सेजीटल प्लेन तथा अक्ष फ्रन्टल

एक्सटे :-

  • कोण में बढ़ोतरी
  • सेजीटल प्लेन तथा फ्रन्टल अक्ष

एबडेक्शन :-

  • शरीर की मध्य रेखा से दूर
  • फ्रन्टल प्लेन एवम सेजीटल अक्ष

एडडेक्शन :-

  • शरीर की मध्य रेखा की ओर
  • फ्रन्टल प्लेन एवम सेजीटल अक्ष

एबडेक्शन :-

इस क्रिया में हमारे शरीर शरीर का क्रियाशील भाग शरीर की मध्यरेखा से दूर जाता है यह क्रिया हमेशा फ्रन्टल प्लेन तथा सेजिटल अ होती है उदाहरण के लिये हाथ की बराबर में इस प्रकार से खोखला की हाथ शरीर की मध्य रेखा से दूर जा रहे है।

एडडेक्शन :-

उस क्रिया में हमारे शरीर का क्रियाशील भाग शरीर की मध्य रेखा की ओर जाता है। यह क्रिया भी हमेशा फ्रन्टल प्लेन तथा सेजिटल अक्ष पर होती है। उदाहरण के लिये हाथ को बराबर से खुली हुई अवस्था से सावधान की स्थिति में लाना।

फ्लेक्शन :-

यह वह क्रिया है जिसमें क्रिया में शामिल जोड़ से संबंधि अस्थियों के बीच का कोण कम होता है यह क्रिया हमेशा सेजिटल प्लेन तथा फ्रन्टल अक्ष पर होती है उदाहरण के लिये कोहनी तथा घुटने का मोड़ना।

एक्सटेंशन :-

यह वह क्रिया है जिसमें जोड़ में शामिल अस्थियों के बीच का कोण बढ़ता है। यह क्रिया हमेशा सेजिटल प्लेन तथा फ्रन्टल अक्ष पर होती है। उदाहरण कोहनी को मुड़ी हुई स्थिति से वापस सीधा करता, घुटने को मुड़ी हुई स्थिति में सीधा करना। लैंग प्रैस व्यायाम क्रिया में घुटने में फ्लेक्शन तथा एक्सटेशन क्रिया होती है।

न्यूटन के गति के नियम :-

  • गति का प्रथम नियम जड़ता का नियम
  • गति का दूसरा नियम त्वरण का नियम
  • गति का तीसरा नियम क्रिया प्रतिक्रिया का वियम

न्यूटन के गति के नियम :-

  • न्यूटन का प्रथम नियम (जड़ता का नियम) :- कोई भी वस्तु तब तक अपनी स्थिति नहीं बदलती है जब तक उस पर कोई बाहरी बल न लगाया जाये।
  • न्यूटन का दूसरा नियम :- (त्वरण का नियम) किसी भी वस्तु में उप्तन्न होने वाले त्वरण की दर वस्तु पर लगने वाले बल को समानुपाती तथा उसके द्रव्यमान के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
  • न्यूटन का तीसरा नियम :- प्रत्येक क्रिया की हमेशा बराबर तथा विपरीत प्रतिक्रिया होती है।

खेल कूद में गति के नियमों का प्रयोग :-

प्रथम नियम :- स्थिर स्थिति से गतिशील अवस्था में लाना तथा गतिशील से स्थिर स्थिति में लाना

दूसरा नियम :- किसी भी वस्तु में त्वरण उत्पन्न करना जैसे क्रिकेट बाल, हॉकी की बाल

  • कैच करना
  • हाईजम्पर के द्वारा गद्देदार गिरना

तीसरा नियम :-

  • तैराकी की शुरुआत में
  • लम्बी कूद
  • ऊँची कूद
  • जूड़ो के गड्डों पर गिरना

घर्षण

घर्षण वह बल है जो तब पैदा होता है जब दो वस्तुओं की सतह आपस में संपर्क में आते है और उनके बीच या तो सापेक्ष गति हो रही है या होने का प्रयास हो रहा होता है घर्षण बल हमेशा क्रिया की विपरीत दिशा में कार्य करता है।

घर्षण के प्रकार :-

  • यान्त्रिक घर्षण
  • स्थिर घर्षण
  • गतिशील घर्षण
  • स्लाइडिंग घर्षण
  • रोलिंग घर्षण
  • द्रव घर्षण

यान्त्रिक घर्षण के प्रकार :-

  • स्थिर घर्षण :- जब एक वस्तु दूसरी वस्तु की सतह पर बढ़ना शुरू करती है लेकिन वास्तविक गति अभी प्रारंभ न हुई हो, इसे स्थिर घर्षण कहा जाता है। उदाहरण – दौड़ने की प्रारंभिक स्थिति।
  • गतिशील घर्षण :- जब एक वस्तु दूसरी वस्तु की सतह पर वास्तविक रूप में चलना शुरू कर देती हैं तो उसे गतिशील घर्षण कहते हैं। उदाहरण – गेंद लुढककर रूक जाने तक जो घर्षण बल लगा वह गतिशील घर्षण बल है।

गतिशील घर्षण के प्रकार

गतिशील घर्षण भी दो प्रकार का है।

  • स्लाइडिंग घर्षण :- जब एक वस्तु वास्तव में दूसरी वस्तु की सतह पर सरकने लगती है तो उसे स्लाइडिंग घर्षण कहा जाता है। उदाहरण :- डिब्बे को गाड़ी पर चढ़ाना।
  • रोलिंग घर्षण :- जब एक वस्तु दूसरी वस्तु की सतह पर लुढकने लगती हैं तो उसे रोलिंग घर्षण कहते हैं।

घर्षण के लाभ :-

  • वस्तु के स्थिति को बनाए रखना :- घर्षण किसी भी वस्तु की स्थिति तथा उसका आकार को स्थिर रखती है।
  • गति में सहायता करना :- घर्षण के कारण हम आराम से चल व दौंड़ पाते है। धावक गति में तेजी लाने के लिए घर्षण को बढ़ाता है जैसे स्पाइक्स (Spikes) का प्रयोग धावक – द्वारा करना।
  • पकड़ को मजबूत बनाना :- घर्षण के कारण खिलाड़ी अपने हाथों से वस्तु को बहुत अच्छी तरह से पकड़ लेता है। बैडमिन्टन खिलाड़ी राकेट में पकड़ को मजबूत करने के लिए घर्षण को बढ़ाते है।
  • ताप को बढ़ाना :- घर्षण के कारण तापमान में वृद्धि होती है।

घर्षण के हानि :-

  • वस्तु में टूट – फूट होना :- घर्षण के कारण वस्तु में हमेशा टूट – फूट होती रहती है, इस से बचाने के लिए हमें वस्तुओं, तेल या चिकनाई आदि का प्रयोग करना चाहिए।
  • ऊर्जा का नुकसान :- घर्षण ऊर्जा को खत्म कर देता है।
  • हानि गति को कम करना :- रोलर स्केटिंग जैसे खेल में घर्षण क्रिया की गति को कम कर देते है। इस के लिए सतह को चिकना बनाया जाता है।
  • गति को मुश्किल बनाना :- कठिन व अधिक घर्षण भी क्रियाओं में गतिविधि को मुश्किल कर देता है।

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