पाठ – 5
आधुनिक विश्व में चरवाहे
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 5 Pastoralists in the Modern World in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (History) |
Chapter no. | Chapter 5 |
Chapter Name | आधुनिक विश्व में चरवाहे (Pastoralists in the Modern World) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 5 आधुनिक विश्व में चरवाहे
घुमंतू चरवाहे और उनकी आवाजाही:
1.1 पहाड़ों में:
- जम्मू-कश्मीर के गुज्जर-बकरवाल और हिमाचल प्रदेश के गद्दी समुदाय भेड़-बकरियों के साथ मौसमी चरागाहों की तलाश में घूमते हैं।
- सर्दियों में, वे शिवालिक की निचली पहाड़ियों में रहते हैं और गर्मियों में, ऊँचे पहाड़ी चरागाहों (बुग्याल) में चले जाते हैं।
- वे मौसम के अनुसार अपने मार्ग और ठिकाने बदलते हैं।
- गढ़वाल और कुमाऊँ के गुज्जर चरवाहे भी इसी तरह की जीवनशैली अपनाते हैं, सर्दियों में भाबर के जंगलों और गर्मियों में बुग्याल में जाते हैं।
- बुग्याल ऊँचे पहाड़ों में स्थित विशाल चरागाह होते हैं जो गर्मियों में हरे-भरे हो जाते हैं।
- भाबर गढ़वाल और कुमाऊँ में पहाड़ियों के निचले हिस्से में स्थित सूखे जंगलों का क्षेत्र है।
- ये सभी समुदाय मौसमी बदलावों के साथ तालमेल बिठाते हुए विभिन्न चरागाहों का उपयोग करते हैं, जिससे चरागाहों का अत्यधिक दोहन नहीं होता और वे पुनर्जीवित होते रहते हैं।
1.2 पठारों, मैदानों और रेगिस्तानों में:
- महाराष्ट्र के धंगर समुदाय के लोग बरसात में मध्य पठारों में रहते हैं और अक्टूबर में कोंकण की ओर चले जाते हैं।
- कोंकण में, उनके जानवर खेतों में बचे ठूंठ खाते हैं और खाद प्रदान करते हैं, जिसके बदले में उन्हें चावल मिलता है।
- कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के चरवाहे भी मौसम के अनुसार चरागाह बदलते हैं।
- बंजारे विभिन्न क्षेत्रों में घूमते हुए व्यापार और कृषि का काम करते हैं, साथ ही चरागाहों की तलाश भी करते हैं।
- राजस्थान के राइका समुदाय ऊँट और भेड़-बकरियाँ पालते हैं, और अकाल से बचने के लिए चरागाहों की तलाश में घूमते हैं।
- खरीफ की फसल सितंबर-अक्टूबर में काटी जाती है, जबकि रबी की फसल मार्च के बाद काटी जाती है।
औपनिवेशिक शासन और चरवाहों का जीवन:
- अंग्रेज़ों के शासनकाल में चरवाहों के जीवन में बड़े बदलाव आए, जैसे चरागाहों का सिमटना, आवाजाही पर रोक, लगान में वृद्धि, और पारंपरिक कौशल का ह्रास।
- चार मुख्य कारण:
- चरागाहों को कृषि भूमि में बदलना: अंग्रेज़ों ने लगान बढ़ाने और कच्चे माल के उत्पादन के लिए चरागाहों को खेतों में बदल दिया, जिससे चरवाहों के लिए समस्याएँ पैदा हुईं।
- वन अधिनियम: सरकार ने कीमती लकड़ी वाले जंगलों को आरक्षित घोषित कर दिया, जिससे चरवाहों की आवाजाही सीमित हो गई और उन्हें परमिट लेने पड़े।
- अपराधी जनजाति अधिनियम: घुमंतू समुदायों को अपराधी घोषित कर दिया गया और उन्हें निश्चित बस्तियों में रहने के लिए मजबूर किया गया, जिससे उनकी आजादी छिन गई।
- चराई कर: आमदनी बढ़ाने के लिए, अंग्रेज़ों ने मवेशियों पर कर लगाया, जिससे चरवाहों पर आर्थिक बोझ बढ़ गया।
- इन परिवर्तनों का प्रभाव:
- चरागाहों की कमी और अत्यधिक चराई के कारण चारे की कमी हो गई, जिससे जानवरों की सेहत और संख्या घट गई।
- अकाल के समय, आवाजाही पर रोक के कारण चरवाहे अपने जानवरों को हरे-भरे इलाकों में नहीं ले जा सके, जिससे जानवरों की मौत हुई।
- चरवाहों का प्रतिरोध:
- चरवाहों ने जानवरों की संख्या कम करके, नए चरागाह ढूंढकर, कृषि और व्यापार अपनाकर, और शहरों में मजदूरी करके इन बदलावों का सामना किया।
अफ्रीका में चरवाहा जीवन:
- अफ्रीका में दुनिया की आधी से ज्यादा चरवाहा आबादी रहती है, जिनमें मासाई, बेडुईन्स, सोमाली आदि समुदाय शामिल हैं।
- मासाई समुदाय:
- पूर्वी अफ्रीका में रहने वाले मासाई लोगों के जीवन पर औपनिवेशिक कानूनों और सीमाओं का गहरा असर पड़ा।
- चरागाहों का सिमटना: यूरोपीय उपनिवेशवाद के कारण मासाई लोगों को सूखे इलाकों में धकेल दिया गया और उनके चरागाहों को खेतों और शिकारगाहों में बदल दिया गया।
- आवाजाही पर रोक: नए कानूनों ने मासाई लोगों की आवाजाही को सीमित कर दिया, जिससे सूखे के समय उन्हें नए चरागाह नहीं मिल पाए और उनके जानवर मर गए।
- सामाजिक बदलाव: अंग्रेज़ों ने मासाई मुखियाओं को नियुक्त किया, जिससे पारंपरिक शक्ति कमजोर हुई और अमीर-गरीब के बीच अंतर बढ़ गया।
निष्कर्ष:
- आधुनिक दुनिया में, नए कानूनों, सीमाओं, और चरागाहों के ह्रास ने चरवाहों के जीवन को मुश्किल बना दिया है।
- फिर भी, चरवाहे बदलते समय के साथ खुद को ढाल रहे हैं, नए रास्ते खोज रहे हैं, और अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं।
- पर्यावरणविद और अर्थशास्त्री अब मानते हैं कि घुमंतू जीवनशैली कई क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
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