पाठ – 3
निर्धनता एक चुनौती
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 3 Poverty as a Challenge in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 3 निर्धनता एक चुनौती के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (Economics) |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | निर्धनता एक चुनौती (Poverty as a Challenge) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 3 निर्धनता एक चुनौती
गरीबी क्या है?
- गरीबी सिर्फ़ पैसे की कमी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जैसे कि भूख, बेघर होना, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच की कमी, और नौकरी की कमी।
- गरीब लोग अक्सर बेबसी और लाचारी का अनुभव करते हैं, और उन्हें कई जगहों पर दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है।
- गरीबी का मतलब है कि लोगों के पास अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, और वे जीवन में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी अवसरों से वंचित रह जाते हैं।
गरीबी के दो उदाहरण:
- शहरी: राम सरन, एक दिहाड़ी मजदूर, जो झारखंड में रहता है। उसकी आमदनी बहुत कम है, और उसका परिवार बड़ा है, जिससे वह अपने बच्चों को स्कूल नहीं भेज पाता, उनके स्वास्थ्य का ध्यान नहीं रख पाता, और उन्हें पर्याप्त भोजन भी नहीं दे पाता।
- ग्रामीण: लक्खा सिंह, उत्तर प्रदेश के एक गाँव में रहने वाला एक भूमिहीन मजदूर। उसके परिवार को दो वक्त की रोटी भी मुश्किल से मिलती है, और उनके पास स्वास्थ्य सेवाओं और शिक्षा का अभाव है।
सामाजिक वैज्ञानिक गरीबी को कैसे देखते हैं?
- सामाजिक वैज्ञानिक गरीबी को सिर्फ़ आय और उपभोग के स्तर से नहीं मापते, बल्कि वे निरक्षरता, कुपोषण, स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, बेरोजगारी, और साफ़ पानी की कमी जैसे कई अन्य कारकों को भी ध्यान में रखते हैं।
- वे सामाजिक बहिष्कार और भेद्यता जैसे पहलुओं को भी गरीबी के महत्वपूर्ण हिस्से मानते हैं।
सामाजिक बहिष्कार:
- यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें गरीब लोगों को बेहतर लोगों के साथ रहने, उनके साथ समानता का व्यवहार पाने, और समाज के मुख्यधारा में शामिल होने से वंचित रखा जाता है।
- यह गरीबी का कारण और परिणाम दोनों हो सकता है।
- उदाहरण के लिए, भारत में जाति व्यवस्था, जिसमें कुछ जातियों के लोगों को समान अवसरों से वंचित रखा जाता है, सामाजिक बहिष्कार का एक बड़ा उदाहरण है।
भेद्यता:
- यह कुछ समुदायों या लोगों के गरीब होने या बने रहने की संभावना को दर्शाता है।
- यह इस बात पर निर्भर करता है कि उनके पास जीवन में आगे बढ़ने के लिए क्या विकल्प उपलब्ध हैं (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी), और प्राकृतिक आपदाओं या आतंकवाद जैसे जोखिमों का सामना करने की उनकी क्षमता कितनी है।
गरीबी रेखा:
- यह एक काल्पनिक रेखा है जो यह तय करती है कि कोई व्यक्ति गरीब है या नहीं।
- यह मूलभूत ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक न्यूनतम आय या उपभोग स्तर पर आधारित होती है।
- यह समय और स्थान के साथ बदलता रहता है, क्योंकि अलग-अलग देशों में और अलग-अलग समय पर लोगों की ज़रूरतें अलग-अलग होती हैं।
- भारत में, गरीबी रेखा तय करते समय कैलोरी की ज़रूरतों, कपड़े, जूते, ईंधन, शिक्षा, और स्वास्थ्य सेवाओं को ध्यान में रखा जाता है।
- 2011-12 में, ग्रामीण क्षेत्रों में 816 रुपये प्रति माह और शहरी क्षेत्रों में 1000 रुपये प्रति माह गरीबी रेखा तय की गई थी।
गरीबी का अनुमान:
- भारत में गरीबी 1993-94 में 45% से घटकर 2011-12 में 22% हो गई है।
- यह अनुमान राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण संगठन (NSSO) द्वारा किए गए सर्वेक्षणों के आधार पर लगाया जाता है।
कमजोर समूह:
- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, ग्रामीण खेतिहर मजदूर, और शहरी अनियमित मजदूर गरीबी के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
- गरीब परिवारों में, महिलाओं, बुजुर्गों, और बच्चियों को अक्सर कम संसाधन मिलते हैं, जिससे उनकी स्थिति और भी खराब हो जाती है।
राज्यों के बीच असमानता:
- भारत के अलग-अलग राज्यों में गरीबी का स्तर अलग-अलग है।
- बिहार और ओडिशा जैसे राज्यों में गरीबी का स्तर राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जबकि केरल, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, और पश्चिम बंगाल में गरीबी में कमी आई है।
- इसके कई कारण हैं, जैसे कि अलग-अलग राज्यों में आर्थिक विकास का स्तर, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच, और सरकारी नीतियों का प्रभाव।
वैश्विक गरीबी:
- दुनिया भर में गरीबी में कमी आई है, लेकिन क्षेत्रीय अंतर बहुत ज़्यादा हैं।
- चीन और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में तेज़ आर्थिक विकास और मानव संसाधन विकास में निवेश के कारण गरीबी में काफी कमी आई है।
- उप-सहारा अफ्रीका में गरीबी अभी भी बहुत ज़्यादा है, और यह क्षेत्र दुनिया के गरीबों का सबसे बड़ा केंद्र बनता जा रहा है।
गरीबी के कारण:
- ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान कम आर्थिक विकास, जिससे उद्योगों का विकास नहीं हो पाया और लोगों के पास रोज़गार के अवसर कम थे।
- आबादी में तेज़ी से वृद्धि, जिससे संसाधनों पर दबाव बढ़ा और लोगों की प्रति व्यक्ति आय कम हुई।
- रोज़गार के सीमित अवसर, जिससे लोगों को कम वेतन पर काम करना पड़ा और वे गरीबी के चक्र में फंस गए।
- आय में असमानता, जिससे अमीर और गरीब के बीच का अंतर बढ़ता गया और गरीब लोगों के लिए जीवन में आगे बढ़ना मुश्किल हो गया।
- सामाजिक और धार्मिक कार्यों पर ज़रूरत से ज़्यादा खर्च, जिससे लोगों के पास बचत करने और निवेश करने के लिए पैसे कम बचते हैं।
गरीबी कम करने के उपाय:
- आर्थिक विकास को बढ़ावा देना, जिससे लोगों के पास रोज़गार के अवसर बढ़ें और उनकी आय में वृद्धि हो।
- गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों को लागू करना, जो गरीब लोगों को सीधे मदद पहुँचाते हैं, जैसे कि:
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): यह ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को 100 दिनों का रोज़गार प्रदान करता है, जिससे उन्हें अपनी बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने में मदद मिलती है।
- प्रधानमंत्री रोज़गार योजना (PMRY): यह शिक्षित बेरोजगार युवाओं को अपना व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- ग्रामीण रोज़गार सृजन कार्यक्रम (REGP): यह ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार के अवसर पैदा करने के लिए लोगों को प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना (SGSY): यह गरीब परिवारों को स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से संगठित करके उन्हें गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में मदद करता है।
- प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना (PMGY): यह राज्यों को प्राथमिक स्वास्थ्य, प्राथमिक शिक्षा, ग्रामीण आवास, ग्रामीण पेयजल, और ग्रामीण विद्युतीकरण जैसी बुनियादी सेवाओं के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करता है।
- अंत्योदय अन्न योजना (AAY): यह सबसे गरीब परिवारों को सस्ती दरों पर खाद्यान्न प्रदान करता है।
आगे की चुनौतियाँ:
- गरीबी में कमी के बावजूद, भारत में अभी भी बहुत ज़्यादा गरीबी है, और इसे पूरी तरह से खत्म करना एक बड़ी चुनौती है।
- शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच और विभिन्न राज्यों के बीच गरीबी में बड़ा अंतर है, जिसे कम करना ज़रूरी है।
- कुछ सामाजिक और आर्थिक समूह गरीबी के प्रति ज़्यादा संवेदनशील हैं, और उनके लिए विशेष कार्यक्रमों की ज़रूरत है।
- गरीबी की पारंपरिक परिभाषा से ज़्यादा व्यापक दृष्टिकोण अपनाने की ज़रूरत है, जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, और सम्मान जैसे मानवीय पहलुओं को भी शामिल किया जाए।
निष्कर्ष:
गरीबी एक जटिल समस्या है, जिसके कई कारण और कई पहलू हैं। इसे पूरी तरह से खत्म करने के लिए आर्थिक विकास के साथ-साथ सामाजिक न्याय और मानव विकास पर भी ध्यान देना ज़रूरी है। हमें गरीबी को सिर्फ़ एक आर्थिक समस्या के रूप में नहीं, बल्कि एक सामाजिक और मानवीय समस्या के रूप में भी देखना होगा, और इसके समाधान के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।
We hope that class 9 Social Science Chapter 3 निर्धनता एक चुनौती (Poverty as a Challenge) Notes in Hindi helped you. If you have any queries about class 9 Social Science Chapter 3 निर्धनता एक चुनौती (Poverty as a Challenge) Notes in Hindi or about any other Notes of class 9 Social Science in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…