समाजशास्त्र एवं समाज (CH-1) Notes in Hindi || Class 11 Sociology Book 1 Chapter 1 in Hindi ||

पाठ – 1

समाजशास्त्र एवं समाज

In this post, we have given detailed notes of Class 11 Sociology Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society) in Hindi. These notes are helpful for the students who are going to appear in class 11 exams.

इस पोस्ट में कक्षा 11 के समाजशास्त्र के पाठ 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं समाजशास्त्र विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectSociology
Chapter no.Chapter 1
Chapter Nameसमाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society)
CategoryClass 11 Sociology Notes in Hindi
MediumHindi
Class 11 Sociology Chapter 1 समाजशास्त्र एवं समाज (Sociology and Society) in Hindi
Table of Content
3. Chapter – 1 समाजशास्त्र एवं समाज

Chapter – 1 समाजशास्त्र एवं समाज

समाज

समाजशास्त्रियों के अनुसार समाज के लोगों में पाए गए संबंधों के जाल को जो कि एक दूसरे से जुड़े होते हैं वह समाज हैं और यह सम्बन्ध अमूर्त ( Abstract ) संबंध होते हैं।

समाज की प्रमुख विशेषताएँ

  • समाज अमूर्त है।
  • समाज में समानता व भिन्नता है।
  • पारस्पारिक सहयोग एंव संघर्ष है।
  • आश्रित रहने का नियम।
  • समाज परिवर्तनशील है।

व्यक्ति और समाज में समबंध

  • मनुष्य के क्रियाकलाप समाज से संबंधित हैं और समाज पर ही उसका अस्तित्व और विकास निर्भर करता है।
  • मानव शरीर को सामाजिक विशेषताओं या गुणों से व्यक्तित्व प्रदान करना समाज का ही काम है।
  • इस दृष्टि से व्यक्ति समाज पर अत्याधिक निर्भर है।
  • व्यक्तियों के बिना सामाजिक संबंधों की व्यवस्था नहीं पनप सकती और न ही सामाजिक संबंधों की व्यवस्था के बिना समाज का अस्तित्व संभव है।

मानव समाज और पशु समाज में अन्तर

मानव समाज :-

  • बोलने, सोचने समझने की शक्ति होती है।
  • अपनी एक संस्कृति होती है।
  • स्वयं को व्यक्त करने के लिए भाषा का प्रयोग करता है।
  • भविष्य की चिन्ता करता है उसके लिए योजनाएं बनाता है।

पशु समाज :-

  • बोलने सोचने, समझने की शक्ति नहीं होती है।
  • संस्कृति नहीं होती है।
  • स्वयं के व्यक्त करने के लिए भाषा नहीं होती है।
  • वर्तमान में जीता है।

समाजों में बहुलताएँ एंव असमानताएँ

  • एक समाज दूसरे समाज से भिन्न होता है।
  • हम एक से अधिक समाज के सदस्य बनते जा रहे हैं।
  • दूसरे समाजों से अंतः क्रिया करते हैं, उनकी संस्कृति को ग्रहण करते हैं।
  • इस प्रकार आज हमारी संस्कृति एक मिश्रित संस्कृति तथा हमारा समाज एक बहुलवादी समाज (एक से ज्यादा समाज) में परिवर्तित होता जा रहा है।
  • हमारे समाज में असमानता समाजों के बीच केन्द्रीय बिंदु है।
  • उदहारण :- अमीर व गरीब

समाजशास्त्र

सामाजिक संबंधों का व्यवस्थित व क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करने वाला विज्ञान ही समाजशास्त्र है।

समाजशास्त्र के प्रकार

  • समष्टि समाज शास्त्र :- बड़े समूहों, संगठनों तथा सामाजिक व्यवस्थाओं का अध्ययन करना।
  • व्यष्टि समाज शास्त्र :- आमने – सामने की अन्तः क्रिया के संदर्भ में मनुष्यों के व्यवहार अध्ययन।

समाजशास्त्र की उत्पत्ति

  • समाजशास्त्र का जन्म 19 वीं शताब्दी में हुआ।
  • समूह के क्रिया – कलापों में भाग लेने के लिए आवश्यक है कि समस्याओं को सुलझाया जाए। इन्हीं प्रयत्नों के परिणामस्वरूप ही समाजशास्त्र की उत्पत्ति हुई है।

समाजशास्त्र का जनक

  • 19 वीं शताब्दी के प्रारंभ में फ्रांस के विचारक अगस्त कॉम्ट ने समाजशास्त्र का नाम सामाजिक भौतिकी रखा और 1838 में बदलकर समाजशास्त्र रखा। इस कारण से कॉम्ट को ” समाजशास्त्र का जनक ” कहा जाता है।
  • समाजशास्त्र को एक विषय के रूप में विकसित करने में दुर्खीम, स्पेंसर तथा मैक्स वेबर आदि विद्वानों के विचारों का काफी रहा है।

भारत में समाजशास्त्र

भारत में समाजशास्त्र के उदभव का विकास का इतिहास प्राचीन है। भारत में समाजशास्त्र विभाग 1919 में मुम्बई विश्वविद्यालय में शुरू हुआ तथा औपचारिक अध्ययन शुरू हुआ।

भारत में समाजशास्त्र के अध्ययन की आवश्यकता

  • भारत में व्याप्त क्षेत्रवाद, भाषावाद, सम्प्रदायवाद, जातिवाद आदि समस्याओं को व्यवस्थित ढंग से सुलझाने के लिए समाजशास्त्रीय अध्ययन आवश्यक है।
  • इसी कारण, भारत में विभिन्न समस्याओं के समाधान हेतु समाजशास्त्र का अध्ययन अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है।
  • दूसरे समाजों के साथ तुलनात्मक अध्ययन होता है। सामाजिक गतिशीलता के बारे में पता चलता है।

समाजशास्त्र की प्रकृति की मुख्य विशेषताएँ

  • समाजशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, न कि प्राकृतिक विज्ञान।
  • समाजशास्त्र एक निरपेक्ष विज्ञान है, न कि आदर्शात्मक विज्ञान।
  • समाजशास्त्र अपेक्षाकृत एक अमूर्त विज्ञान है, न कि मूर्त विज्ञान।
  • समाजशास्त्र एक सामान्य विज्ञान है, न कि विशेष विज्ञान।

बौद्धिक विचार जिनकी समाजशास्त्र की रचना में भूमिका है

प्राकृतिक विकास के वैज्ञानिक सिद्धांतो और प्राचीन यात्रियों द्वारा पूर्व आधुनिक सभ्यताओं की खोज से प्रभावित होकर उपनिवेशी प्रशासकों, समाजशास्त्रियों एंव सामाजिक मानवविज्ञानियों ने समाजों के बारें में इस दृष्टिकोण से विचार किया कि उनका विभिन्न प्रकारों में वर्गीकरण किया जाए ताकि सामाजिक विकास के विभिन्न चरणों को पहचाना जा सके।

सरल समाज एंव जटिल समाज :-

  • भारत स्वयं परंपरा और आधुनिकता का, गाँव और शहर का, जाति और जनजाति का, वर्ग एंव समुदाय का एक जटिल मिश्रण है। 19 वी शताब्दी में समाजों का वर्गीकरण किया गया है।
  • आधुनिक काल से पहले के समाजों के प्रकार जैसे – शिकारी टोलियाँ एंव संग्रहकर्ता, चरवाहे एंव कृषक, कृषक एंव गैर औद्योगिक सभ्यताएँ ( सरल समाज )
  • आधुनिक समाजों के प्रकार, जैसे- औद्योगिक समाज ( जटिल समाज )
  • डार्विन के जीव विकास के विचारों का आरंभिक समाजशास्त्रीय विचारों पर दढ प्रभाव था।
  • ज्ञानोदय, एक यूरोपीय बौद्धिक आंदोलन जो सत्रहवीं शताब्दी के अंतिम वर्षो एंव अट्ठारहवीं शताब्दी में चला, कारण और व्यक्तिवाद पर बल देता है।
  • सरल समाज में श्रम विभाजन नही होता जबकि जटिल समाज देखने को मिलता है।

समाजशास्त्र की अन्य सामाजिक विज्ञानों के मध्य स्थिति एक दृष्टि में

  • सभी सामाजिक विज्ञान समाजशास्त्र से किसी रूप से संबंधित है और दूसरी और भिन्न भी है।
  • इनके आपसी सहयोग के द्वारा ही विभिन्न क्षेत्रों का अध्ययन सुचारू रूप से संभव है।
  • सभी सामाजिक विज्ञानों का क्षेत्र अलग – अलग है, और इन सभी का केंद्र बिंदु सामाजिक प्राणी मानव है।
  • समाजशास्त्र एक सहयोगी व्यवस्था का निर्माण करता है और सभी विज्ञानों को एक सामान्य पटल पर ले आता है।
  • इस प्रकार सामाजिक जीवन को जटिलताओं का अध्ययन व विश्लेषण सरलता से संभव है।

समाजशास्त्र और मनोविज्ञान में संबंध

समाजशास्त्र

मनोविज्ञान

1. समाजशास्त्र मानव व्यवहार सीखने से संबधित हैं।

1. मनोविज्ञान मानव मस्तिष्क के अध्ययन से संबंधित है।

2. समाजशास्त्र एक बड़े समूह या समाज के साथ सौदा करता है।

2. मनोविज्ञान व्यक्तियों या छोटे समूहों से संबंधित है।

3. समाजशास्त्र एक अवलोकन प्रक्रिया के रूप में किया जा सकता है।

3. मनोविज्ञान को एक प्रयोगात्मक प्रक्रिया के रूप में जाना जा सकता है।

4. समाजशास्त्र लोगों के संपर्क से संबधित है।

4. मनोविज्ञान मानव भावनाओं से संबंधित है।

5. समाजशास्त्र लोगों के संपर्क से संबधित है।

5. मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में, यह माना जाता है।

6. समाजशास्त्र में यह एक व्यक्तिगत कार्य नहीं है। समाजशास्त्र मानता है कि एक व्यक्ति का कार्य उसके आस – पास या समूह से प्रभावित होता है।

6. मनोवैज्ञानिक अध्ययनों में यह माना जाता है कि व्यक्ति सभी गतिविधियों के लिए अकेले जिम्मेदार है।

समाजशास्त्र और अर्थशास्त्र में संबंध :-

समाजशास्त्र

अर्थशास्त्र

1. समाजशास्त्र एक सामान्यीकृत विज्ञान है।

1. अर्थशास्त्र एक विशेष विज्ञान है। 

2. समाजशास्त्र सभी प्रकार के रिश्तों का अध्ययन करता है।

2. अर्थशास्त्र केवल उन समबंध से संबंधित है जो चरित्र में आर्थिक है। 

3. समाजशास्त्र प्रकृति में सार और कम सटीक है।

3. अर्थशास्त्र प्रकृति में ठोस है, और अधिक सटीक है। 

4. समाजशास्त्र में, सामाजिक चर मापने बहुत मुश्किल है।

4. अर्थशास्त्र में, आर्थिक चर को स्टीक रूप से मापा सकता है और इसे मात्रा में किया जा सकता है।

समाजशास्त्र और राजनीति विज्ञान में संबंध

समाजशास्त्र

राजनीति विज्ञान

1. समाजशास्त्र समाज का विज्ञान है।

1. राजनीतिक विज्ञान राज्य और सरकार का विज्ञान है।

2. समाजशास्त्र दोनों असंगठित समाजों का अध्ययन करते है।

2. राजनीतिक विज्ञान केवल राजनीतिक रूप से संगठित समाजों का अध्ययन करता है।

3. समाजशास्त्रों का व्यापक दायरा है।

3. राजनीतिक विज्ञान एक संकीर्ण क्षेत्र वाला विज्ञान है।

4. अध्ययन समाजशास्त्र मूल रूप से व्यक्ति का एक सामाजिक पशु के रूप करता है।

4. राजनीतिक विज्ञान एक राजनीतिक पशु के रूप में मनुष्य का अध्ययन करता है।

5. समाजशास्त्र के लिए दृष्टिकोण सामाजिक है।

5. यहाँ वैज्ञानिक का दृष्टिकोण राजनीतिक है।

6. समाजशास्त्र एक सामान्य सामाजिक विज्ञान है, इसलिए यह सामान्य तरीके के अलावा अपने स्वंय के तरीकों का पालन करता है।

6. राजनीतिक विज्ञान एक विशेष सामाजिक विज्ञान है क्योकि यह मानव संबंधों पर केंद्रित है जो चरित्र में राजनीतिक हैं।

समाजशास्त्र और इतिहास में संबंध

समाजशास्त्र

इतिहास

1. समाजशास्त्र वर्तमान सामाजिक घटनाओं के अध्ययन में रूचि रखता है।

1. इतिहास पिछले घटनाओं में रूचि रखता है।

2. समाजशास्त्र विश्लेषणात्मक और व्याख्यात्मक विज्ञान है।

2. इतिहास एक वर्णनात्मक विज्ञान है। 

3. समाजशास्त्र सामान्य विज्ञान है।

3. इतिहास एक विशिष्ट विज्ञान है। 

समाजशास्त्र प्रश्नावली, सर्वेक्षण, साक्षात्कार विधियों आदि का उपयोग करता है। 

इतिहास अज्ञात के बारे में जानने के लिए कालक्रम, सिक्के इत्यादि का उपयोग करता है। 

समाजशास्त्र द्वारा सामान्यीकृत तथ्यों के लिए परीक्षण और पुनः परीक्षण संभव है।

इतिहास में उल्लिखित घटनाओं के लिए परीक्षण और पुनः परीक्षण संभव नहीं है।

समाजशास्त्र का एक विस्तृत दायरा है। 

इतिहास का दायरा संकुचित है।

समाजशास्त्र एक युवा विज्ञान है।

इतिहास सबसे पुराना विज्ञान है।

पूँजीवाद

  • बाजार विनिमय के आधार पर आर्थिक उद्यम की एक प्रणाली।
  • पूंजी ” किसी भी परिसंपत्ति को संदर्भित करती है, जिसमें पैसा, संपत्ति, मशीन और शामिल है, जिसका उपयोग बिक्री के लिए वस्तुओं का उत्पादन करने या लाभ प्राप्त करने की आशा के साथ बाजार में निवेश करने के लिए किया जा सकता है।
  • यह संपत्ति के निजी स्वामित्व और उत्पादन के साधनों पर निर्भर है।

द्वंद्वात्मक

  • सामाजिक बलों का विरोध करने या अस्तित्व की कार्रवाई, उदाहरण के लिए सामाजिक बोध और व्यक्तिगत इच्छा।

आनुभाविक जांच

  • सामाजिक अध्ययन के किसी दिए गए क्षेत्र में एक वास्तविक जांच की गई।

तथ्यात्मक पूछताछ

  • तथ्यात्मक या वर्णनात्मक पूछताछ। इसका उद्देश्य मूल्यों मूद्दों को समझने और हल करने के लिए आवश्यक तथ्यों को प्राप्त करना है।

सामाजिक प्रतिबंध

  • समूह और समाज जिनके हम एक हिस्सा है जब वे हमारे व्यवहार पर एक अनुकूलित प्रभाव डालते है।

मूल्य

  • मानव व्यक्ति या समूहों के विचार जो वांछनीय, उचित अच्छे या बूरे के बारे में है।

नस्ल

  • नस्ल साझा सांस्कृतिक प्रथाओं, दृष्टिकोणों और भेदों को संदर्भित करता है जो लोगों के दूसरे से अलग करते है।

जातीयता

  • जातीयता एक साझा सांस्कृतिक विरासत है। विभिन्न जातीय समूहों को अलग करने वाली विशेषताएं वंश, इतिहास की भावना, भाषा, धर्म और पोशाक के रूप हैं।

उपनिवेशवाद

  • यह किसी अन्य देश पूर्ण या आंशिक राजनैतिक नियन्त्रण प्राप्त करने, इसे बसने वालों के कब्जा करने और आर्थिक रूप से इसका शोषण करने ककी नीति या अभ्यास को संदर्भित करता है।

कारखाना उत्पादन

  • एक कारखाना उत्पादन या विनिर्माण संयंत्र एक और औद्योगिक स्थल है, जिसमें आम तौर पर भवनों और मशीनरी या अधिक जटिल होते है, जिनमें कई इमारतों होते है, जहाँ श्रमिक सामान का निर्माण अधिक करते है या मशीनों को एक उत्पाद से दूसरे में संसाधित करते हैं।

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