भक्तिन (CH- 11) Detailed Summary || Class 12 Hindi आरोह (CH- 11) ||

पाठ – 11

भक्तिन

In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 11 भक्तिन These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams

इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 11 भक्तिन के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHindi (आरोह)
Chapter no.Chapter 11
Chapter Nameभक्तिन
CategoryClass 12 Hindi Notes
MediumHindi
Class 12 Hindi Chapter 11 भक्तिन

Chapter – 11 भक्तिन

 

भक्तिन महादेवी वर्मा जी का प्रसिद्ध संस्मळणात्मक रेखाचित्र है जो ‘स्मृति की रेखाओं में संकलित है। इसमें महादेवी जी ने अपनी सेविका। भक्तिन के अतीत एवं वर्तमान का परिचय देते हुए उसके व्यक्तित्व का चित्रण किया है। लेखिका के घर में काम करने से पहले भक्तिन । ने कैसे एक संघर्षशील, स्वाभिमानी और कर्मशील जीवनयापन किया। वह कैसे पितृसत्तात्मक मान्यताओं और उसके छल-छद्मपूर्ण समाज में अपने और अपनी बेटियों की हक की लड़ाई लड़ती रही तथा हार कर कैसे जिंदगी की राह पूरी तरह बदल लेने के निर्णय तक पहुंची। इन सबका इस पाठ में अत्यंत संवेदनशील चित्रण हुआ है।

लेखिका ने इस पाठ में आत्मीयता से परिपूर्ण भक्तिन के द्वारा स्त्री-अस्मिता की संघर्षपूर्ण आवाज उठाने का भी प्रयास किया है। भक्तिन का शरीर दुबला-पतला है। उसका कद छोटा है। बह ऐतिहासिक सी गाँव के प्रसिद्ध अहीर सूरमा की इकलौती बेटी है। उसकी माता का नाम धन्या गोपालिका है। उसका वास्तविक नाम लछमिन अर्थात लक्ष्मी है। भक्तिन नाम तो बाद में लेखिका ने अपने घर में नौकरानी रखने के बाद रखा था। भक्तिन एक दृढ़ संकल्प, ईमानदार, जिज्ञासु और बहुत समझदार महिला है। वह विमाता की ममता की। छाया में पली-बढ़ी। पाँच वर्ष की छोटी-सी आयु में उसके पिता ने इसका विवाह हँडिया ग्राम के एक संपन्न गोपालक के छोटे बेटे के।

साथ कर दिया। नौ वर्ष की आयु में सौतेली माँ ने इसका गौना कर ससुराल भेज दिया। भक्तिन अपने पिता से बहुत प्रेम करती थी लेकिन उसकी विमाता उससे ईर्ष्या किया करती थी। उसके पिता की मृत्यु का समाचार उसकी विमाता ने बहुत दिनों के बाद भेजा फिर उसकी सास ने भी रोने-पीटने को अपशकुन समझ कुछ नहीं बताया। अपने मायके जाने पर उसे अपने पिता की दुखद मृत्यु का समाचार मिला।

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