योग (CH-5) Notes in Hindi || Class 11 Physical Education Chapter 5 in Hindi ||

पाठ – 5

योग

In this post we have given the detailed notes of class 11 Physical Education chapter 5 योग (Yoga) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams.

इस पोस्ट में कक्षा 11 के शारीरिक शिक्षा के पाठ 5 योग (Yoga) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं शारीरिक शिक्षा विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectPhysical Education
Chapter no.Chapter 5
Chapter Nameयोग (Yoga)
CategoryClass 11 Physical Education Notes in Hindi
MediumHindi
Class 11 Physical Education Chapter 5 योग (Yoga) in Hindi
Table of Content
3. Chapter – 5 योग

Chapter – 5 योग

योग का अर्थ

‘योग‘ शब्द की उत्पति संस्कृत के मूल शब्द ‘ युज ‘ से हुई है, जिसका अर्थ है। जोड़ना या मिलाना अर्थात् आत्मा का परमात्मा से मिलना योग कहलाता है।

  • पतंजलि के अनुसार योग:- ” योग चित्तवृति निरोध है।
  • महर्षि वेद व्यास के अनुसार योग:- ” योग समाधि है।
  • भगवत गीता में श्री कृष्ण ने कहा है कि ” योग कर्मसु कौशलम्।

योग का महत्त्व

शारीरिक रूप में योग का महत्त्व

  • शारीरिक स्वच्छता हेतु।
  • रोगो से बचाव शरीर को सौंदर्य बनाने हेतु।
  • शरीर की सही मुद्रा हेतु।
  • माँसपेशियों को विकसित करने के लिए।
  • हृदय व फेफड़ों की कार्यक्षमता बढ़ाने में सहायक।
  • लचक विकास में सहायक।

सामाजिक रूप में योग का महत्त्व

  • सामाजिक गुणों को विकसित करने में सहायक।
  • सामाजिक रिश्ते विकसित करने में सहायक।

मानसिक रूप में योग का महत्त्व

  • तनाव से मुक्ति।
  • तनाव रहित जीवन।
  • एकाग्रता बढ़ाने में सहायक।
  • याददाश्त बढ़ाने में सहायक।
  • सहनशक्ति बढ़ाने में सहायक।

आध्यात्मिक रूप में योग का महत्त्व

  • अध्यात्मिक गुणों का विकास।
  • ध्यान बढ़ाने में सहायक।
  • नैतिक गुणों को विकसित करने में सहायक।

योग के तत्व /अंग

  • यम
  • नियम
  • आसन
  • प्राणायाम
  • प्रत्याहार
  • धारणा
  • ध्यान
  • समाधि

आसन

  • पंतजलि के अनुसार आसन का अर्थ ” स्थिर सुखं आसनम् ” है। अर्थात् लम्बे समय तक सुखपूर्वक बैठने की स्थिति को आसन कहते हैं।

प्राणायाम

प्राणायान दो शब्दों से मिलकर बना है एक है – प्राण और दूसरा आयाम। प्राण का अर्थ है जीवन ऊर्जा और आयाम का अर्थ है नियंत्रण श्वास व प्रश्वास पर नियंत्रण करना ही प्राणायाम है।

आसन का वर्गीकरण कीजिए

ध्यानात्मक आसन :- पद्मासन, सिद्धासन, गोमुखासन आदि इन्हें शांत वातावरण में स्थिर होकर किया जाता है। व्यक्ति की ध्यान करने की शक्ति बढ़ती है।

विश्रामात्मक आसन :- शशांकासन, शवासन, मकरासन आदि इन्हें करने से शारीरिक व मानसिक थकावट दूर होती है। पूर्ण विश्राम मिलता है।

संवर्धनात्मक आसन :- सिंहासन, हलासन, मयूरासन यह शारीरिक विकास के लिए लाभदायक है। यह प्राणायाम, प्रत्याहार धारणा को सामर्थ्य देते हैं।

प्राणायाम की प्रक्रिया के चरण

प्राणायाम की प्रक्रिया के तीन चरण होते हैं:-

  • पूरक (श्वास लेना)
  • रेचक (श्वास बाहर निकालना)
  • कुम्भक (श्वास रोकना)

प्राणायाम के प्रकार

प्राणायाम आठ प्रकार के हैं।

  • सूर्य भेदी
  • उज्जयी
  • शीतली
  • शीतकारी
  • भस्तिका
  • भ्रामरी
  • प्लाविन
  • मूर्छा

ध्यान

  • ध्यान मस्तिष्क की एकागता की एक प्रक्रिया हैं। ध्यान समाधि से पूर्व की एक अवस्था है।
  • ध्यान एक ऐसी क्रिया है जिसमें बिना किसी विषयातर के एक समय के दौरान मस्तिष्क की पूर्ण एकाग्रता हो जाती है। ध्यान मस्तिष्क की पूर्ण स्थिरता की एक प्रक्रिया है जो समाधि से पूर्व की स्थिति होती है।

यौगिक क्रिया (शुद्धि क्रिया)

यौगिक क्रिया शरीर की आंतरिक व बाहरी शुद्धिकरण की एक प्रक्रिया है जिन्हें हम षटकर्म क्रियाएँ भी कहते हैं।

यौगिक क्रियाएँ

  • नेति क्रिया
  • धौति क्रिया
  • बस्ति क्रिया
  • नौलिक्रिया
  • त्राटक क्रिया
  • कपाल भाति क्रिया

आसन व प्राणायाम के लाभ

  • एकाग्रता शक्ति में सुधार।
  • सम्पूर्ण स्वास्थ्य में सुधार।
  • लचक में सुधार।
  • शरीर मुद्रा में सुधार।
  • श्वसन संस्थान की कार्य क्षमता में सुधार।
  • थकान से मुक्ति।
  • चोटों से बचाव।
  • हृदय व फेफड़ों की कार्य क्षमता में सुधार।
  • सम्पूर्ण शरीर संस्थान में सक्रियता।

ध्यान के लिए योग और सम्बन्धित आसन

सुखासन

सुखासन में कैसे बैठें

  • सुखासन मुद्रा में बैठने के लिए अपने पैरों को बारी-बारी क्रॉस करते हुए घुटनों से अंदर की तरफ मोड़ें।
  • घुटने बाहर की तरफ हों । कुल मिलाकर पालथी मारकर बैठ जाएं। …
  • आप चाहें, तो अब अपनी हथेलियों को अपनी गोद में या फिर घुटनों पर रख सकते हैं।
  • फर्श पर बैठकर भोजन करते समय हर दिन पैर का क्रॉस बदलें।

ताड़ासन

ताड़ासन करने का तरीका इस प्रकार है:

  • दोनो पंजों को मिलाकर या उनके बीच 10 सेंटीमीटर की जगह छोड़ कर खड़े हो जायें, और बाज़ुओं को बगल में रखें।
  • शरीर को स्थिर करें और शरीर का वजन दोनों पैरों पर समान रूप से वितरित करें।
  • भुजाओं को सिर के उपर उठाएं। …
  • सिर के स्तर से थोड़ा ऊपर दीवार पर एक बिंदु पर आँखें टीका करें रखें।

पदमासन

पद्मासन करने का तरीका – Padmasana karne ka tarika

  • दंडासन में बैठ जायें। …
  • श्वास अंदर लें और अपनी दाईं टाँग को उठा कर दायें पैर को बाईं जाँघ पे ले आयें।
  • और फिर दूसरे पैर के साथ भी ऐसा करें।
  • अब आप पद्मासन में हैं।
  • इस मुद्रा में आपके दायें कूल्हे और घुटने पर खिचाव आएगा।
  • जितनी देर आराम से बैठ सकें उतनी देर इस आसान में बैठें।

शंशाकासन

शशांकासन की विधि

  • सबसे पहले एक स्वच्छ और समतल जगह पर एक दरी \चटाई या योग मैट बिछा दे।
  • अब वज्रासन में बैठ जाये।
  • वज्रासन में बैठने के बाद श्वास लेते हुए दोनों हाथों को सिर के ऊपर सीधा ऊपर उठाये।
  • अब धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए हाथों को बिना मोड़े आगे की ओर तब तक झुके जब तक की आपका मस्तक (फॉरहेड ) जमीन को स्पर्श न करे।

नौकासन

नौकासन करने की विधि (Step by Step Instructions)

  • नौकासन के लिए योग मैट पर सीधे बैठ जाएं।
  • टांगें आपके सामने स्ट्रेच करके रखें।
  • दोनों हाथों को हिप्स से थोड़ा पीछे की तरफ फर्श पर रखें।
  • शरीर को ऊपर की तरफ उठाएं।
  • रीढ़ की हड्डी को एकदम सीधा रखें।
  • सांस को बाहर की तरफ छोड़ें।
  • पैरों को फर्श से 45 डिग्री के कोण पर उठाएं।

वृक्षासन

वृक्षासन करने का सही तरीका

  • जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं और अपने हाथों को अपने शरीर के दोनों ओर रखें।
  • अपने दाहिने (right) घुटने को मोड़ें और दाएं पैर को अपनी बाईं (left) जांघ पर रखें। …
  • इस दौरान आपका बायां पैर सीधा होना चाहिए ताकि आप शरीर का संतुलन बनाए रख पाएं।
  • जब आप इस मुद्रा में होंगे तो गहरी सांस लेते रहें।

गरूड़ासन

गरुड़ासन करने की विधि (Step by Step Instructions)

  • योग मैट पर सीधे खड़े हो जाएं।
  • धीरे-धीरे दाएं घुटने को नीचे की तरफ झुकाएं।
  • बाएं पैर को दाएं पैर के चारों तरफ लपेटने की कोशिश करें।
  • पैरों की एड़ियां एक-दूसरे के ऊपर आ जाएंगी।
  • आपका बायां पैर दाहिनी पिंडली के निचले हिस्से को छूना चाहिए।
  • दोनों हाथों को कंधे की ऊंचाई तक उठाएं।

ध्यान के लिए योग

  • ध्यान, योग में ईश्वर प्राप्ति का साधन माना गया है। ध्यान योग का सांतवा अंग हैं जो समाधि से पूर्व की अवस्था है। आध्यात्मिक विकास के लिए ध्यान का प्रयोग किया जाता है ध्यान करने के लिए सुरवासन, ताड़ासन, पदमासन का प्रयोग किया जाता है।
  • इस प्रकार के आसन शांत वातावरण में किये जाएं तो मनुष्य का मन शुद्ध एवं स्वच्छ होता है और वह समाधि की स्थिति में पहुँच सकता है तथा वह स्वंय को भूल जाता है और ईश्वर में लीन हो जाता है।

सुखासन

  • सुखासन दो शब्दों से मिलकर बना है – सुख + आसन = सुखासन। यहाँ पर सुरवासन का शाब्दिक अर्थ होता है सुख को देने वाला आसन। इस आसन को करने से हमारी आत्मा को सुख और शांति प्राप्त होती है। इसलिए इस आसन को सुरवासन कहा जाता है। यह ध्यान और श्वसन के लिए लाभदायक है।

ताड़ासन

  • ताड़ासन को करते समय व्यक्ति की मुद्रा एक ताड़ के वृक्ष के समान होती है। इसीलिए इस आसन का नाम ताड़ासन है। यह एक बहुत ही सरल आसन है इसीलिए इस आसन को सभी आयु वर्ग के व्यक्ति आसानी से कर सकते है। अगर इस आसन को नियमित रूप से किया जाए तो इससे आपके शरीर की लम्बाई आसानी से बढ़ जाती है।

पद्मासन

  • पद्मासन संस्कृत शब्द पद्य से निकला है जिसका अर्थ होता है – कमल। इस आसन में शरीर बहुत हद तक कमल जैसा प्रतीत होता है इसीलिए इसको Lotus Pose भी कहते है।
  • पदमासन बैठकर किया जाने वाला एक ऐसा योगाभ्यास है जिसके बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यह आसन अकेले ही शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक रूप में आपको सुख एवं शांति देने में सक्षम है। इस आसन में शारीरिक गतिविधियाँ बहुत कम हो जाती हैं और आप धीरे – धीरे आध्यात्म की ओर अग्रसर होते जाते है तभी तो इस आसन को ध्यान के लिए सर्वश्रेष्ठ योगाभ्यास माना गया है।

शंशांकासन

  • शंशक का अर्थ होता है – खरगोश। इस आसन को करते वक्त व्यक्ति की खरगोश जैसी आकृति बन जाती है इसीलिए इसे शशांकासन कहते हैं। हृदय रोगियों के लिए यह आसन लाभदायक है।

नौकासन

  • इस आसन में नौका के समान आकार धारण किया जाता है इसीलिए इसे नौकासन कहते हैं। कमर व पेट की माँसपेशियों के लिए अच्छा आसन है तथा हर्निया के रोगियों के लिए लाभकारी है। अस्थमा व दिल के मरीज यह आसन न करें। पीठ से सम्बन्धित कोई भी समस्या हुई हो तो यह आसन न करें।

 वृक्षासन

  • वृक्षासन दो शब्द से मिलकर बना है ‘ वृक्ष ‘ का अर्थ पेड़ होता है और आसन योगमुद्रा की ओर दर्शाता है। इस आसन की अंतिम मुद्रा एकदम अटल होती है, जो वृक्ष की आकृति की लगती है, इसीलिए इसे यह नाम दिया गया है। यह बहुत हद तक ध्यानात्मक आसन है। यह आपके स्वास्थ्य के लिए ही अच्छा नहीं है बल्कि मानसिक संतुलन भी बनाए रखने में सहायक है गठिया के दर्द में विशेष लाभकारी आसन है।

गरूड़ासन

  • गुरूड़ासन योग खड़े होकर करने वाले योग में एक महत्त्वपूर्ण योगाभ्यास है। यह अंडकोष एवं मुद्रा के लिए बहुत लाभकारी योगाभ्यास है। इस आसन में हाथ एक – दूसरे में गूंथ लिए जाते है और छाती के सामने इस प्रकार रखे जाते हैं जैसे गरूड़ की चोंच होती है, इसीलिए इस आसन को गरूड़ासन कहा जाता है। इस आसन के बारे में कहा जाता है कि गरूड़ पक्षी में बैठकर भगवान विष्णु दिव्य लौकों की सैर किये हैं। घुटनों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है।

योगनिद्रा का अर्थ

  • आध्यात्मिक नींद। यह वह नींद है, जिसमें जागते हुए सोना है। सोने व जागने के बीच की स्थिति है योगनिद्रा। इसे स्वपन और जागरण के बीच की ही स्थिति मान सकते हैं। यह झपकी जैसा है या कहें कि अर्धचेतन जैसा है।
  • ईश्वर का अनासक्त भाव को संसार की रचना, पालन और संहार का कार्य योग निद्रा कहा जाता है। मनुष्य के संदर्भ में अनासक्त हो संसार में व्यवहार करना योगनिद्रा है।

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