पाठ – 12
तताँरा-वामीरो कथा
In this post we have given the detailed notes of Class 10 Hindi chapter 12 तताँरा-वामीरो कथा These notes are useful for the students who are going to appear in Class 10 board exams
इस पोस्ट में कक्षा 10 के हिंदी के पाठ 12 तताँरा-वामीरो कथा के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 10 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 10 |
Subject | Hindi (स्पर्श) |
Chapter no. | Chapter 12 |
Chapter Name | तताँरा-वामीरो कथा |
Category | Class 10 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
Chapter – 12 तताँरा-वामीरो कथा
-लीलाधर मंडलोई
सारांश
यह पाठ अंदमान निकोबार द्वीपसमूह के एक प्रचलित लोककथा पर आधरित है। अंदमान निकोबार दक्षिणी द्वीप लिटिल अंदमान है जो की पोर्ट ब्लेयर से लगभग सौ किलोमीटर दूर स्थित है। इसके बाद निकोबार द्वीपसमूह का पहला प्रमुख द्वीप कार-निकोबार है जो की लिटिल अंदमान से 96 कि.मी. दूर है। पौराणिक जनश्रुति के अनुसार ये दोनों द्वीप पहले एक ही थे। इनके अलग होने के पीछे एक लोककथा आज भी प्रचलित है।
जब दोनों द्वीप एक थे तब वहां एक सुन्दर सा गाँव था जहाँ एक सुन्दर और शक्तिशाली युवक रहा करता था जिसका नाम तताँरा था। वह एक नेक और ईमानदार व्यक्ति था और सदा दूसरों की मदद के लिए तत्पर रहता था। निकोबारी उसे बेहद प्रेम करते थे। वह अपने गाँव के लोगों के साथ सारे द्वीप की भी सेवा करता था। वह पारंपरिक पोशाक में रहने के साथ अपनी कमर में सदा एक लकड़ी की तलवार बाँधे रहता था। वह कभी तलवार का उपयोग नही करता था, लोगों का मत था की तलवार में दैवीय शक्ति थी।
एक शाम तताँरा दिनभर के अथक परिश्रम के बाद समुद्र के किनारे टहलने निकल पड़ा। सूरज डूबने को था, समुद्र से ठंडी बयारें आ रहीं थीं। पक्षियाँ अपने घरों को वापस जा रहीं थीं। तताँरा सूरज की अंतिम किरणों को समुद्र पर निहारा रहा था तभी उसे कहीं पास से एक मधुर गीत गूँजता सुनाई दिया सुध-बुध खोने लगा। लहरों की एक प्रबल वेग ने उसे जगाया। वह जिधर से गीत के स्वर आ रहे थे उधर बढ़ता गया। उसकी नजर एक युवती पर पड़ी जो की वह श्रृंगार गीत गा रही थी। अचानक एक समुद्री लहर उठी और युवती को भिगों दिया जिसके हड़बड़ाहट में वह अपना गाना भूल गयी। तताँरा ने विनम्रतापूर्वक उसके मधुर गायन छोड़ने के पीछे वजह पूछी। युवती उसे देखकर चौंक गयी और ऐसे असंगत प्रश्न का कारण पूछने लगी। तताँरा उससे बार-बार गाने को बोल रहा था। अंत में तताँरा को अपनी भूल का अहसास हुआ और उसने क्षमा माँगकर उसका नाम पूछा। उसने अपना नाम वामीरो बताया। तताँरा ने उसे अपना नाम बताते हुए कल फिर आने का आग्रह किया।
वामीरो जब अपने घर लपाती पहुँची तो उसे भीतर से बैचैनी होने लगी। उसने तताँरा के व्यक्तित्व में वह सारा गुण पाया जो की वह अपने जीवन साथी के बारे में सोचती थी परन्तु उनका संबंध परंपरा के विरुद्ध था इसलिए उसने तताँरा को भूलना ही बेहतर समझा। किसी तरह दोनों की रात बीती। दूसरे दिन तताँरा लपाती के समुद्री चट्टान पर शाम में वामीरो की प्रतीक्षा करने लगा। सूरज ढलने को था सहसा तभी उसे नारियल के झुरमुठों के बीच एक आकृति दिखाई दी जो की वामीरो ही थी। अब दोनों रोज शाम में मिलते और एक दूसरे को एकटक निहारते खड़े रहते। लपाती के कुछ युवकों ने उन दोनों के इस मूक प्रेम को भाँप लिया और यह बात हवा की तरह सबको मालूम हो गयी। परन्तु दोनों का विवाह संभव ना था क्योंकि दोनों अलग-अलग गाँव से थे। सबने दोनों को समझाने का पूरा प्रयास किया किन्तु दोनों अडिग रहे और हर शाम मिलते रहे।
कुछ समय बाद तताँरा के गाँव पासा में पशु-पर्व का आयोजन था जिसमें सभी गाँव हिस्सा लिया करते। पर्व में पशुओं के प्रदर्शन के के अतिरिक्त युवकों की भी शक्ति परीक्षा होती साथ ही गीत-संगीत और भोजन का भी आयोजन होता। शाम में सभी लोग पासा आने लगे और धीरे-धीरे विभिन्न कार्यक्रम होने लगे परन्तु तताँरा का मन इनमें ना होकर वामीरो को खोजने में व्यस्त था। तभी उसे नारियल के झुंड के पीछे वामीरो दिखाई दी। वह तताँरा को देखते ही रोने लगी। तताँरा विह्वल हुआ। रुदन का स्वर सुनकर वामीरो की माँ वहां पहुँच गयीं और उसने तताँरा को बुरा-भला कहकर अपमानित किया। गाँव के लोग भी तताँरा के विरोध में आवाज उठाने लगे। यह तताँरा के लिए असहनीय था। उसे परंपरा पर क्षोभ हो रहा था और अपनी असहायता पर गुस्सा। अचानक उसका हाथ तलवार की मूठ पर जा टिका और क्रोध में उसने अपनी तलवार निकालकर धरती में घोंप दिया और अपनी पूरी ताकत लगाकर खींचने लगा। जहाँ से लकीर खींची थी वहाँ से धरती में दरार आने लगी। द्वीप के दो टुकड़े हो चुके थे एक तरफ तताँरा था और दूसरी तरफ वामीरो। दूसरा द्वीप धँसने लगा। तताँरा को जैसे ही होश आया उसने दूसरे द्वीप का कूद कर सिरा पकड़ने की कोशिश की परन्तु सफल ना हो सका और नीचे की तरफ फिसलने लगा। दोनों के मुँह से एक दूसरे के चीख निकल रही थी।
तताँरा लहूलुहान अचेत पड़ा था। बाद में उसका क्या हुआ कोई नहीं जानता। इधर वामीरो पागल हो गयी और उसने खाना-पीना छोड़ दिया। लोगों ने तताँरा को खोजने का बहुत प्रयास किया परन्तु वह नही मिला। आज ना तताँरा है ना वामीरो परन्तु उनकी प्रेमकथा घर-घर में सुनाई जाती है। इस घटना के निकोबारी एक दूसरे गाँवों में वैवाहिक संबंध स्थापित करने लगे। तताँरा की तलवार से कार-निकोबार से जो दो टुकड़े उसमें दूसरा लिटिल अंदमान है।
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