पाठ – 1
भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर
In this post we have given the detailed notes of class 11 Hindi chapter 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams
इस पोस्ट में क्लास 11 के हिंदी के पाठ 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Hindi (वितान) |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ : लता मंगेशकर |
Category | Class 11 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
Chapter – 1 भारतीय गायिकाओं में बेजोड़ –
लता मंगेशकर
– कुमार गंधर्व
सारांश
प्रस्तुत पाठ में लेखक कुमार गंधर्व ने सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर के अद्भुत गायकी पर प्रकाश डाला है| उन्होंने लता मंगेशकर के गायन के विशेषताओं को उजागर किया है| उनके अनुसार चित्रपट संगीत में लता जैसी अन्य गायिका नहीं हुई| उनसे पहले प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ का चित्रपट संगीत में अपना जमाना था| लेकिन लता मंगेशकर उनसे भी आगे निकल गई| उन्होंने चित्रपट संगीत अत्यधिक लोकप्रिय बनाया| चित्रपट संगीत के कारण लोगों को स्वर के सुरीलेपन की समझ हो रही है| लता मंगेशकर का सामान्य मनुष्य में संगीत विषयक अभिरुचि पैदा करने में बहुत बड़ा योगदान है|
एक सामान्य श्रोता शास्त्रीय गान और लता के गान में से लता का गान ही पसंद करते हैं| इसका कारण है लता के गानों में गानपन का होना| गानपन का आशय है गाने की वह मिठास, जिसे सुनकर श्रोता मस्त हो जाए| लेखक के अनुसार उनके स्वर में निर्मलता उनके गानों की विशेषता है| जहाँ प्रसिद्ध गायिका नूरजहाँ के गाने में एक मादक उत्तान दीखता था, वहीँ लता मंगेशकर के स्वरों में कोमलता और मुग्धता है| उनके गानों की एक और विशेषता है, उसका नादमय उच्चार| उनके गीत के किन्हीं दो शब्दों का अंतर स्वरों के आलाप द्वारा बड़ी सुंदर रीति से भरा रहता है| लेखक के अनुसार लता मंगेशकर ने करूण रस के गाने इतनी अच्छी तरह नहीं गाए हैं| उन्होंने मुग्ध श्रृंगार की अभिव्यक्ति करने वाले मध्य या द्रुतलय के गाने बड़ी उत्कटता से गाए हैं| लता का ऊँचे स्वर में गाना भी लेखक को उनके गायन की कमी लगती है| इसका दोष वह संगीत दिग्दर्शक को देते हैं जिन्होंने उनसे ऊँची पट्टी के गाने गवाए हैं|
चित्रपट संगीत गाने वाले को शास्त्रीय संगीत की उत्तम जानकारी होना आवश्यक है और यह लता मंगेशकर के पास निःसंशय है| शास्त्रीय संगीत और चित्रपट संगीत की तुलना नहीं की जा सकती है| शास्त्रीय संगीत की विशेषता उसकी गंभीरता है तथा चपलता चित्रपट संगीत का मुख्य गुणधर्म है| चित्रपट संगीत का ताल प्राथमिक अवस्था का ताल होता है, जबकि शास्त्रीय संगीत में ताल अपने परिष्कृत रूप में पाया जाता है| चित्रपट संगीत की विशेषता उसकी सुलभता और लोचता है| लता मंगेशकर का एक-एक गाना संपूर्ण कलाकृति होता है| उनके गानों में स्वर, लय और शब्दार्थ का त्रिवेणी संगम होता है| चाहे वह चित्रपट संगीत हो या शास्त्रीय संगीत, अंत में उसी का अधिक महत्त्व है जिसमें रसिक को आनंद देने का सामर्थ्य अधिक है| गाने की सारी ताकत उसकी रंजकता पर मुख्यतः अवलंबित रहती है|
संगीत के क्षेत्र में लता मंगेशकर का स्थान अव्वल दर्जे के खानदानी गायक के समान है| खानदानी गवैयों का दावा है कि चित्रपट संगीत ने लोगों के कान बिगाड़ दिए हैं| लेकिन लेखक का मानना है कि चित्रपट संगीत के कारण लोगों को संगीत की अधिक समझ हो गई है| लेखक के अनुसार शास्त्रीय गायकों ने संगीत के क्षेत्र में अपनी हुकुमशाही स्थापित कर रखी है| उन्होंने शास्त्र-शुद्धता के कर्मकांड को आवश्यकता से अधिक महत्त्व दे रखा है| आज लोगों को शास्त्र-शुद्ध और नीरस गाना नहीं, बल्कि सुरीला और भावपूर्ण गाना चाहिए| चित्रपट संगीत के कारण यह संभव हो पाया है| इसमें नवनिर्मिति की बहुत गुंजाइश है| बड़े-बड़े संगीतकार लोकगीत, पहाड़ी गीत तथा खेती के विविध कामों का हिसाब लेने वाले कृषिगीतों का भी अच्छा प्रयोग कर रहे हैं| इस प्रकार चित्रपट संगीत दिनोंदिन अधिकाधिक विकसित होता जा रहा है और इस संगीत की अनभिषिक्त साम्राज्ञी लता मंगेशकर हैं|
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