पाठ – 1
परिचय
In this post we have given the detailed notes of class 11 Economics chapter 1 परिचय (Introduction) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 11 के अर्थशास्त्र के पाठ 1 परिचय (Introduction) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं अर्थशास्त्र विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Economics |
Chapter no. | Chapter 1 |
Chapter Name | परिचय (Introduction) |
Category | Class 11 Economics Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 1 परिचय
अर्थशास्त्र
र्थशास्त्र मानवीय व्यवहार का अध्ययन कराता है जिससे मनुष्य कि आर्थिक क्रियाओं से उत्पन्न होने वाली समस्याओं को समझने एवं विश्लेषण में लाभदायक होता है|
अर्थशास्त्र की अवधारणा (Concept of Economic)
अर्थशास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है, जो मनुष्य के आर्थिक व्यवहार का अध्ययन कराता है|
उत्पादन इकाइयाँ (Production Units)
वे सभी साधन जहाँ से धन उपार्जन किया जाता है उत्पादन इकाइयाँ कहलाती है| जैसे- ऑफिस, दुकान, फैक्ट्री, कृषि आदि|
अर्थव्यवस्था (Economy): अर्थव्यवस्था आजीविका कमाने का एक महत्वपूर्ण साधन है|सभी उत्पादन इकाइयाँ मिलकर अर्थव्यवस्था का निर्माण करती हैं| रोटी, कपड़ा और मकान इन्ही तीन कारकों के लिए मनुष्य अपनी आजीविका कमाता है एवं सभी प्रकार की आर्थिक क्रियाएँ करता है|
हम अपने दैनिक जीवन में बहुत सी क्रियाएँ करते रहते है जिनमें से कई धन-उपार्जन से उदेश्य से की जाती है तो कई बिना किसी स्वार्थ एवं धन-उपार्जन के उदेश्य के बिना ही की जाती हैं|
आर्थिक क्रियाएँ (Economical Activities):
- वे क्रियाएँ जिनसे व्यक्ति धन व संपति प्राप्त कर अपनी इच्छा-पूर्ति कर सकता है अर्थात धन उपार्जन के उद्देश्य से कि गयी सभी क्रियाएँ आर्थिक क्रियाएँ है|
- जैसे – कपडे बेचना, नौकरी करना, मजदूरी करना, व्यवसाय करना आदि|
- संसार के सभी व्यक्ति उपभोक्ता हैं हम अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि के लिए विभिन्न वस्तुओं अथवा सेवाओं का उपभोग करते है|
1. उपभोग (consumption) : उपभोग एक क्रिया है जिसके अंतर्गत हम अपनी आवश्यकताओं की प्रत्यक्ष संतुष्टि के लिए वस्तुओं एवं सेवाओं के उपयोगिता मूल्य का प्रयोग करते है|
जैसे –
- वस्तुओं का उपभोग (The consumption of Articles) : भोजन लेना, चाय पीना, दूध पीना, कपडे पहना, जूते पहनना, कार चलाना, पुस्तकें पढ़ना आदि वस्तुओं का उपभोग है|
- सेवाओं का उपभोग (The consumption of services): डॉक्टर से ईलाज करवाना, दरजी से कपडे सिलवाना, मोची से जूते पॉलिश करवाना, शिक्षक से शिक्षा लेना, वकील से केस लड़वाना आदि सेवाओं का उपभोग है|
- यदि हम वस्तुओं या सेवाओं का उपभोग नहीं करे तो इन वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन भी नहीं होगा|
- यदि कोई समाचार पत्र ही नहीं पढ़े तो अख़बार क्यों छपेंगे ? एक अन्य उदाहरण है लोगों ने ब्लैक एंड व्हाईट टेलीविज़न को देखना बंद कर दिया अर्थात उपभोग बंद कर किया तो इन टेलीविज़नों का उत्पादन लगभग समाप्त हो चूका है|
2. उत्पादन (Production) : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा कच्चे माल को उपयोगी वस्तुओं में परिवर्तित कर उपभोग लायक बनाया जाता है ताकि वस्तु की उपयोगिता तथा सेवाओं में वृद्धि की जा सके, उत्पादन कहलाता है|
जैसे- गेंहु एवं चीनी जैसे कच्चे माल के उपयोग से बिस्कुट बनना एक उत्पादन क्रिया है| मेडिकल कॉलेज द्वारा छात्रों को डॉक्टर बनाना, लॉ कॉलेज द्वारा छात्रों को वकील बनाना आदि सेवा क्षेत्र में उत्पादन के उदाहरण हैं|
3. उत्पादक (Manufacture): वह व्यक्ति जो आय अर्जित करने के उदेश्य से वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करता है, एवं उससे लाभ कमाता है उत्पादक कहलाता है|
जैसे – किसान, बढाई, लोहार, सुनार, वस्तुएँ बनाने वाली कंपनियाँ, सरकार आदि| कई क्षेत्रों में सरकार भी उत्पादन का कार्य करती है, इसलिए वह भी एक उत्पादक है|
4. आय (Income) : हम अपनी सेवाओं या वस्तुओं के बदले कुछ धन प्राप्त करते हैं इसे ही आय कहते हैं|
आय को दैनिक, मासिक अथवा वार्षिक रूप में मापते है|
5. बचत (Saving): आय का वह भाग जिसका उपभोग नहीं कर पाते है बचत कहलाता है|
व्यय: आय का वह भाग जिसका हम उपभोग करते है व्यय कहलाता है|
6. निवेश (Investment) : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा भविष्य में अधिक से अधिक वस्तुओं का उत्पादन एवं सेवाओं में वृद्धि करने के उद्देश्य से नए परिसम्पतियों (Assets) का निर्माण किया जाता है, निवेश कहलाता है|
7. वितरण (Distribution): वितरण एक क्रिया है जिसमें उत्पादन के कारकों जैसे – भूमि, श्रम, पूँजी एवं उद्यम के बीच आय का सही प्रकार से वितरण, ताकि अधिक से अधिक लाभ अर्जित किया जा सके| यह एक अध्ययन का विषय है जिसे वितरण का सिद्धांत कहा जाता है|
उत्पादन के चार कारक (साधन) हैं एवं जिनके मूल्य निम्नलिखित हैं:
- भूमि : भूमि से प्राप्त होता है – किराया|
- श्रम : श्रम से प्राप्त होता है – मजदूरी|
- पूँजी : पूँजी से प्राप्त होता है – ब्याज|
- उद्यम : उद्यम से प्राप्त होता है – लाभ|
उपभोग, उत्पादन एवं वितरण ये तीन अर्थशास्त्र के मुख्य घटक भी हैं|
8. विनिमय (Exchange) : विनिमय एक आर्थिक क्रिया है जिसमें वस्तुओं एवं सेवाओं की खरीद-बिक्री से सम्बंधित है| आजकल विनिमय की क्रिया मुद्रा के द्वारा की जाती है|
2. गैर–आर्थिक क्रियाएँ (Non-Economical Activities) :
- वे सभी क्रियाएँ जो बिना धन-उपार्जन के उदेश्य से की जाती हैं गैर-आर्थिक क्रियाएँ कहलाती हैं| जैसे –
- सामाजिक कार्य, धार्मिक कार्य, मनोरंजन करना, संगीत सुनना, माता-पिता एवं भाई-बहन की सेवा आदि| सभी गैर-आर्थिक क्रियाएँ प्यार, सहानुभूति, कर्तव्य एवं देशप्रेम के उदेश्य से की जाती है|
- आर्थिक समस्या (Economical Problems): आर्थिक समस्या एक चयन की समस्या है जो यह बतलाते हैं कि हमारी आवश्यकताओं की तुलना में संसाधन दुर्लभ है और इनके वैकल्पिक उपयोग है|
सांख्यिकी
सांख्यिकी (Statistics): ऐसे वक्तव्य (statements) जिनमें संख्या संबंधी तथ्य हो, सांख्यिकी या समंक कहलाता है|
- अर्थात सांख्यिकी संख्यात्मक सूचनाओं का भंडार है|
- वह विज्ञान जिसमें संख्यात्मक विश्लेषण की विभिन्न विधियों का अध्ययन करते हैं, सांख्यिकी कहा जाता है|
जैसे –
- सांख्यिकी में केवल संख्यात्मक तथ्यों का अध्यनन किया जाता है|
- इसमें गुणात्मक तथ्यों का अध्ययन नहीं किया जाता है|
- सांख्यिकी संख्यात्मक सूचनाओं का भंडार है|
सांख्यिकी के जन्मदाता: जर्मनी के एक प्रसिद्ध विद्वान गाटफ्रायड ओकेनवाल (Gottfried Achenwall) 1749 में|
सांख्यिकी को दो प्रकार से परिभाषित किया जाता है|
- बहुवचन सांख्यिकी के रूप में
- एकवचन सांख्यिकी के रूप में
1. बहुवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी :
बहुवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी से अभिप्राय है अंकों में व्यक्त की गयी सूचनाओं अथवा आँकड़ों से जिनका हम सांख्यिकी के विभिन्न विधियों में प्रयोग करते है|
बहुवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी:
- बहुवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी संख्यात्मक तथ्यों का समूह होता है जिनमें सभी समंकों को संख्या के रूप में प्रकट किया जाता है|
- कोई भी statements जिसमें संख्यात्मक विवरण हो सांख्यिकी नहीं कहा जा सकता, अर्थात सभी संख्यात्मक सूचनाएँ सांख्यिकी नहीं होती है|
सांख्यिकी की विशेषतायें:
वे सभी संख्यात्मक सूचनाएँ सांख्यिकी हो सकती है जिनमें निम्नलिखित गुण हो|
- सूचनाएँ तथ्यों के समूह के रूप में हो ताकि तुलनात्मक अध्ययन किया जा सके|
- सूचनाएँ एक कारण से प्रभावित न होकर अनेक कारणों से प्रभावित होते हो|
- एक दुसरे से सम्बंधित हो|
- संख्यात्मक रूप में व्यक्त हो गुणात्मक रूप में नहीं|
- उनका संकलन एक निश्चित उदेश्य से हुआ हो|
- सभी सूचनाएँ समान प्रवृति के हो|
- अनुसन्धान के उदेश्य, उसकी प्रकृति एवं आकार के आधार पर यें उचित मात्रा में परिशुद्ध हो|
वे सभी संख्यात्मक सूचनाएँ सांख्यिकी नहीं हो सकती जिनमें निम्नलिखित गुण न हो|
- यदि तुलनात्मक अध्ययन संभव नहीं है|
- संख्यात्मक समूह में न हो|
- एक दुसरे से संबंधित न हो|
- समान प्रवृति के न हो|
- अनेक कारणों से प्रभावित न हो|
- अकेली संख्यात्मक विवरण न हो|
सांख्यिकी नहीं है :
- राम की आयु मोहन की आयु से दुगुनी है|
- अमेरिका की अर्थव्यस्था भारत की अर्थव्यस्था से आधी है|
- सचिन बड़ा है और गोपी छोटा है|
- करीम की उम्र 32 वर्ष है|
- मोहन गरीब है और सोहन अमीर है|
- हमारे विद्यालय में 40 शिक्षक हैं|
सांख्यिकी है :
- भारत में मृत्यु-दर 15 प्रति हजार है|
- 2015 में सीबीएसई के परीक्षा में 97 प्रतिशत विद्यार्थी सफल रहे हैं|
- भारत में 65 प्रतिशत आबादी युवा है|
- मोहन ने रमेश से 25 % अधिक अंक प्राप्त किये|
- ग्यारहवीं कक्षा के विद्यार्थियों का औसत जेब खर्च 250 रुपयें प्रतिमाह है|
- कोई अकेली संख्यात्मक सूचना सांख्यिकी नहीं होती – कोई अकेली संख्यात्मक सूचना सांख्यिकी नहीं होती क्योंकि इसका तुलनात्मक विश्लेषण नहीं किया जा सकता है| और नहीं इन पर कोई प्रकाश डाला जा सकता है|
2. एकवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी :
एकवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी का अभिप्राय है सांख्यिकी की उन विधियों से जिनमें हम सांख्यिकी के संख्यात्मक आंकड़ों का संग्रह करना, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण, तथा उनका निर्वचन आदि अध्ययन करते है|
एकवचन संज्ञा के रूप में सांख्यिकी:
- वह विधि जो संख्यात्मक आंकड़ों का संकलन, वर्गीकरण, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण एवं निर्वचन का अध्यनन करती एकवचन सांख्यिकी कहते हैं|
सांख्यिकी अध्ययन की अवस्थाएँ अथवा विधियाँ :
- आँकड़ों का संकलन (Collection of Data) : जब कोई अन्वेषक (Investigator) अपने अध्ययन के लिए आँकड़ों को स्वयं अथवा अन्य प्रकाशित या अप्रकाशित विश्वस्त सूत्रों से प्राप्त करता है तो इस प्रक्रिया को आँकड़ों का संकलन कहा जाता है|
- आँकड़ों का व्यवस्थितिकरण (Organisation of Data): जब इन संकलित आँकड़ों को क्रमानुसार व्यवस्थित करते है, वर्गीकरण करते है या संपादन करते है तो इस प्रक्रिया को आँकड़ों का व्यवस्थितिकरण कहा जाता है|
- आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण (Presentation of Data) : इन व्यवस्थित आँकड़ों को जब अन्वेषक के द्वारा सारणियन, आरेखीय प्रस्तुतीकरण या चित्रमय प्रस्तुतीकरण किया जाता है, तो इस प्रक्रिया को आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण कहाँ जाता है|
- आँकड़ों का विश्लेषण (Analysis of Data) : आँकड़ों को उपयुक्त विधि द्वारा प्रस्तुतीकरण के बाद इनका विश्लेषण अनेक विधियाँ जैसे – माध्य, माध्यक, अपकिरण अथवा सहसंबंध आदि से प्रयोग से किया जाता है, इस प्रक्रिया को आँकड़ों का विश्लेषण कहा जाता है|
- आँकड़ों का निर्वचन (Interpretation of Data): जब कोई अन्वेषक विश्लेषित आँकड़ों के आधार पर कोई निष्कर्ष निकालता है तो इस प्रक्रिया को आँकड़ों का निर्वचन कहा जाता है|
सांख्यिकी विज्ञान एवं कला दोनों है :
सांख्यिकी एक विज्ञान : विज्ञान की भांति ही इसमें पूर्वानुमान लगाये जा सकते हैं, इससे निष्कर्ष निकाला जा सकता है, इसमें शोध (experiment) संभव है तथा इसकी सभी विधियाँ वैज्ञानिक मतों पर आधारित, व्यवस्थित एवं क्रमबद्ध होती है|
सांख्यिकी विज्ञान के रूप में विशेषताएँ :
- इसमें ज्ञान का क्रमबद्ध समूह और अध्ययन हो|
- इसकी विधियाँ क्रमानुसार हों|
- इसके नियम सार्वभौमिक हों|
- इसमें पूर्वानुमान लगाने की क्षमता हों|
- इसमें गतिशीलता का गुण हों|
- इससे कारण और प्रभाव का सम्बन्ध स्पष्ट हों|
सांख्यिकी एक कला : कला का संबंध कार्य से है, कार्य करने की क्रिया को कला कहते हैं| जिससे हमें कार्य करने का ढंग, कौशल, निपुणता, परिणाम तथा अनुभव प्राप्त होता है| यही कारण है कि सांख्यिकी को कला भी कहा जाता है|
सांख्यिकी कला के रूप में विशेषताएं :
- यह कार्य करने के व्यवस्थित ढंग को सिखाता है|
- कला लक्ष्य की ओर पहुँचाता है|
- कला से आत्मसंयम एवं अनुभव की प्राप्ति होती है|
- कला से समस्याओं का समाधान मिलता है|
- कला से कौशल, निपुणता के साथ-साथ परिणाम प्राप्त होते हैं|
सांख्यिकी के कार्य :
- सांख्यिकी जटिल सूचनाओं को सरल बनाती है|
- यह जटिल सूचनाओं को विश्लेषण एवं निर्वचन योग्य बनाती है|
- सांख्यिकी तथ्यों को संख्या के रूप में प्रस्तुत करती है|
- सांख्यिकी ज्ञान एवं कला दोनों रूपों में कार्य करती है|
- सांख्यिकी विभिन्न मदों के बीच तुलनात्मक अध्ययन कराती है|
- यह निति निर्धारण एवं पूर्वानुमान में सहायक है|
सांख्यिकी की सीमा :
- सांख्यिकी व्यक्तिगत इकाईयों का अध्ययन नहीं करती है|
- सांख्यिकीय निष्कर्ष भ्रम पैदा कर देते है|
- सांख्यिकी सिर्फ संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन कराती है|
- सांख्यिकी नियम केवल औसत पर ही सत्य उतरते हैं|
- इसका उपयोग केवल विशेषज्ञों द्वरा ही संभव है|
- इसका दुरूपयोग संभव है|
सांख्यिकी की सीमाएँ :
- सांख्यिकी व्यक्तिगत इकाईयों का अध्ययन नहीं करती है|
- सांख्यिकीय निष्कर्ष भ्रम पैदा कर देते है|
- सांख्यिकी सिर्फ संख्यात्मक तथ्यों का अध्ययन कराती है|
- सांख्यिकी नियम केवल औसत पर ही सत्य उतरते हैं|
- इसका उपयोग केवल विशेषज्ञों द्वरा ही संभव है|
- इसका दुरूपयोग संभव है|
सांख्यिकी का अर्थशास्त्र में महत्त्व
सांख्यिकी उपभोग संबंधित आंकड़ों का अध्ययन कराता है|
- यह आर्थिक नियोजन के लिए ढाँचा प्रदान करता है|
- व्यापार एवं उत्पादन में सांख्यिकी व्यापार का आकार बढ़ने पर मांग एवं पूर्ति में सामंजस्य स्थापित करने में सहायता करता है|
- सांख्यिकी आंकड़ों के द्वारा विनिमय संबंधित अध्ययन आसानी से किया जा सकता है, जो राष्ट्रिय एवं अन्तराष्ट्रीय आवश्यकताओं के लिए आवश्यक है|
कुछ लोग सांख्यिकी पर अविश्वास करते हैं, उनके अविश्वास करने के निम्न कारण हैं:
- अधिकांश लोग आँकड़ों पर विश्वास कर लेते है, चाहे वह झूठी ही क्यों न हो| इसलिए कुछ संस्थाएँ इस विश्वास का फायदा उठाकर सही चीज को झूठी तथा झूठी चीज को सही साबित करने के लिए गलत आँकड़ें प्रस्तुत कर देते है|
- एक ही समस्या से सम्बंधित अनेक आँकड़ें होते है|
- पूर्व निर्धारित आँकड़ों को सिद्ध करने के लिए आँकड़ों को बदला जा सकता है|
- सही आंकड़ों को भी इस प्रकार प्रस्तुत किया जा सकता है जिससे भ्रम की स्थिति पैदा हो|
- आँकड़ों का संकलन पक्षपातपूर्ण ढंग से किया जा सकता है जिससे गलत निष्कर्ष निकलते है|
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