पाठ – 10
परिवहन और संचार
In this post we have given the detailed notes of class 12 Geography Chapter 10 Parivahan aur Sanchaar (Transport and Communication) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 10 परिवहन तथा संचार (Transport and Communication) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 10 |
Chapter Name | परिवहन तथा संचार (Transport and Communication) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
परिवहन
मनुष्यों, जानवरों और विभिन्न प्रकार के वाहनों का उपयोग करके व्यक्तियों और वस्तुओ को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने की सेवा या सुविधा परिवहन कहलाती है।
परिवहन के साधन
परिवहन के प्रमुख साधन भूमि, जल, वायु और पाइपलाइन हैं।
स्थल परिवहन: –
- सड़क परिवहन कम दूरी पर घर-घर सेवाओं और वस्तुओ को पहुंचने के लिए उपयोग किया जाता है क्योकि यह सस्ता और तेज है।
- किसी देश के भीतर लंबी दूरी पर अधिक मात्रा में भारी सामग्री के लिए रेलवे का उपयोग किया जाता है।
जल परिवहन: –
- समुद्र एवं महासागरों द्वारा बड़े मालवाहक एवं यात्री जहाजों का प्रयोग करके माल एवं यात्रियों के परिवहन को नियंत्रित किया जाता है।
वायु परिवहन: –
- उच्च मूल्य, हल्के और खराब होने वाले सामान के परिवहन के लिए वायु परिवहन का उपयोग किया जाता है।
पाइपलाइन: –
- निर्बाध प्रवाह के लिए पानी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे तरल पदार्थ एवं गैसों के परिवहन के लिए पाइपलाइनों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
सड़क परिवहन
- व्यक्ति और वस्तुओं की आवाजाही के लिए प्राचीन काल से ही बड़े स्तर पर सड़क परिवहन का उपयोग किया जा रहा है
- सड़क परिवहन के अलवाला स्थल परिवहन के अंतर्गत रेलवे, केबलवे और पाइपलाइन को भी शामिल किया जाता हैं।
भारत में सड़क परिवहन
- भारत का सड़क नेटवर्क विश्व के कुछ सबसे बड़े सड़क नेटवर्को में से एक है जिसकी कुल लंबाई लगभग 42.3 लाख किमी है।
- भारत में सड़क परिवहन द्वारा हर साल लगभग 85% यात्री और 70% माल का परिवहन किया जाता है।
- कम दूरी की यात्रा के लिए सड़क परिवहन सबसे बेहतरीन साधन है।
भारत में सड़क परिवहन का विकास
- सड़कों के नेटवर्क में सुधार और आधुनिकीकरण का पहला प्रयास नागपुर योजना के साथ 1943 में किया गया। परंतु देशी रियासतों और ब्रिटिश भारत के बीच समन्वय ना होने की वजह से यह ठीक प्रकार से लागू नहीं हो सका।
- स्वतंत्रता के बाद भारत में सड़कों की स्थिति में सुधार के लिए बीस वर्षीय सड़क योजना (1961) का निर्माण किया गया।
- निर्माण और रखरखाव के उद्देश्य से भारत में सड़कों को निम्नलिखित भागों में बांटा जाता है
- राष्ट्रीय राजमार्ग (NH – National Highway)
- राज्य राजमार्ग (SH – State Highway)
- जिला सड़के (District Roads)
- ग्रामीण सड़कें (Rural Roads)
- अन्य सड़के (Other Roads)
- सीमा सड़के (Border Roads)
- अंतर्राष्ट्रीय राजमार्ग (International Roads)
राष्ट्रीय राजमार्ग
- वह सड़के जिन का रखरखाव केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है उन्हें राष्ट्रीय राजमार्ग (NH – National Highway) कहते हैं।
- राष्ट्रीय राजमार्गों का उपयोग मुख्य रूप से अंतर राज्य परिवहन, रक्षा कर्मियों और रक्षा सामग्रियों के परिवहन के लिए किया जाता है।
- 1951 में राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 19700 किलोमीटर थी जो कि 2008 – 09 में बढ़कर 70934 किलोमीटर हो गई।
- ये राजमार्ग प्रमुख बंदरगाहों, राज्य की राजधानियों, प्रमुख शहरों, रेलवे जंक्शनों और महत्वपूर्ण केंद्रों को आपस में एक साथ जोड़ते हैं।
- भारत की कुल सड़क लंबाई में से केवल 1.67 प्रतिशत राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई है परंतु फिर भी इनके द्वारा 40% के आसपास परिवहन को संचालित किया जाता है।
- भारत में राष्ट्रीय राजमार्गों के विकास रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI – National Highways Authority of India) को सौंपी गई है।
राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजनाएं
स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral)
- स्वर्णिम चतुर्भुज (Golden Quadrilateral) का निर्माण भारत के 4 बड़े मेट्रो शहरों दिल्ली मुंबई, चेन्नई और कोलकाता को जोड़ने के लिए किया गया है ।
- इसकी लंबाई लगभग 5846 किलोमीटर है।
- इसके अंतर्गत उच्च घनत्व वाले चार से छह लेन के राष्ट्रीय राजमार्गो का निर्माण किया गया है।
- इसका मुख्य उद्देश्य भारत के मेगा शहरों के बीच समय, दूरी और लागत को कम करना है।
उत्तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम गलियारे (North – South and East – West Corridor)
- उत्तर-दक्षिण गलियारा (North – South Corridor)
- उत्तर-दक्षिण गलियारे की लंबाई लगभग 4076 किलोमीटर है।
- यह जम्मू कश्मीर में स्थित श्रीनगर को तमिलनाडु में स्थित कन्याकुमारी से जोड़ता है।
- पूर्व पश्चिम गलियारा ( East – West Corridor )
- इस गलियारे की लंबाई लगभग 3640 किलोमीटर है।
- यह गुजरात के बंदरगाह शहर पोरबंदर को असम में सिलचर से जोड़ता है।
- उत्तर-दक्षिण गलियारा (North – South Corridor)
राज्य राजमार्ग
- राज्य राजमार्ग वह सड़के हैं जो राष्ट्रीय राजमार्गों से जुड़ी होती है और राज्य की राजधानियों को जिला मुख्यालय और अन्य महत्वपूर्ण शहरों से जोड़ती हैं।
- भारत की सड़कों की कुल लंबाई में इनका हिस्सा लगभग 4% है।
- इनके रखरखाव और निर्माण की जिम्मेदारी राज्य सरकार के हाथों में होती है।
जिला सड़कें
- यह सड़के जिला मुख्यालयों को जिले के अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों से जोड़ती है।
- देश की कुल सड़कों में से 60.83% हिस्सा जिला सड़कों का है।
ग्रामीण सड़कें
- यह सड़के ग्रामीण क्षेत्रों को एक दूसरे से एवं अन्य शहरों से जोड़ती है।
- भारत की कुल सड़क लंबाई का लगभग 33.86% हिस्सा ग्रामीण सड़कों का है।
अन्य सड़कें
अन्य सड़कों के अंदर मुख्य रूप से सीमा सड़कों एवं अंतर्राष्ट्रीय राजमार्गों को शामिल किया जाता है।
सीमा सड़कें
- यह सड़के देश की सीमा पर स्थित होती है और देश की सेना के परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराती हैं।
- देश की सीमाओं की रक्षा में यह सड़के महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- भारत में इन सड़कों के निर्माण और रखरखाव की जिम्मेदारी सीमा सड़क संगठन (BRO) को सौंपी गई है।
सीमा सड़क संगठन (BRO)
- सीमा सड़क संगठन (BRO) की स्थापना मई 1960 में सीमा सड़कों के तेजी से विकास और सुधार केउद्देश्य से की गई थी।
- 2005 के आंकड़ों के अनुसार सीमावर्ती सड़कों की कुल लंबाई 40450 किलोमीटर थी जिसका निर्माण BRO द्वारा किया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय राजमार्ग
- अंतर्राष्ट्रीय राजमार्ग वह राजमार्ग हैं जो एक देश से दूसरे देश में परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराते हैं।
- इनका निर्माण मुख्य रूप से पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करने और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है।
भारत में सड़कों का घनत्व
- भारत में सड़कों का वितरण एक समान नहीं है इसका मुख्य कारण असमान आर्थिक विकास, भू आकृतियां विषम मौसमी दशाएं आदि है।
- भारत का राष्ट्रीय औसत सड़क घनत्व 125.02 किमी (2008) है।
- मैदानी क्षेत्रों में, उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों एवं वर्षा वनों की तुलना में सड़कों की गुणवत्ता एवं घनत्व अधिक बेहतर है।
रेल परिवहन
- भारत में रेलवे महत्वपूर्ण परिवहन साधनों में से एक है।
- भारत का रेल नेटवर्क विश्व का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है एवं 2011 के आंकड़ों के अनुसार इसकी लंबाई लगभग 64460 किलोमीटर है।
- भारत का रेल नेटवर्क व्यक्तियों एवं माल का परिवहन सुगम बनाता है।
- बड़ी मात्रा में माल एवं व्यक्तियों के परिवहन के कारण यह अर्थव्यवस्था के विकास में महत्वपूर्ण योगदान भी देता है।
भारत में रेल की शुरुआत
- भारत में पहली रेल 1853 में बॉम्बे से ठाणे तक 34 किमी की दूरी तक चलाई गई।
- समय के साथ-साथ भारतीय रेल का विकास हुआ और आज यह विश्व के सबसे बड़े रेल नेटवर्को में से एक है।
- इतने बड़े रेलवे नेटवर्क को संचालित करने के लिए इसे मुख्य रूप से सत्रह क्षेत्रों में विभाजित किया गया है।
रेलवे जोन एवं उनके मुख्यालय
1. | केंद्रीय | मुंबई सीएसटी |
---|---|---|
2. | पूर्व का | कोलकाता |
3. | पूर्व मध्य | हाजीपुर |
4. | पूर्वी तट | भुवनेश्वर |
5. | उत्तरी | नई दिल्ली |
6. | उत्तर मध्य | इलाहाबाद |
7. | उत्तर-ईस्टर्न | गोरखपुर |
8. | नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर | मालीगांव (गुवाहाटी) |
9. | उत्तरी-पश्चिमी | जयपुर |
10. | दक्षिण | चेन्नई |
11. | दक्षिण केन्द्रीय | सिकंदराबाद |
12. | दक्षिण-पूर्व | कोलकाता |
13. | दक्षिण पूर्व मध्य | बिलासपुर |
14. | दक्षिण पश्चिमी | हुबली |
15. | वेस्टर्न | मुंबई (चर्च गेट) |
16. | पश्चिम मध्य | जबलपुर |
17. | मेट्रो | कोलकाता |
भारतीय रेलवे में गेज
- किसी रेलवे लाइन की समांतर पटरियों के बीच की दूरी को रेलवे गेज कहा जाता है।
- भारतीय रेलवे में रेलवे गेज को तीन भागों में बांटा गया है।
ब्रॉड गेज
- वह रेलवे लाइन जिसमें रेल की समांतर पटरियों के बीच की दूरी 1.676 मीटर होती है, ब्रॉडगेज रेलवे लाइन कहलाती है।
- 2011 के आंकड़ों के अनुसार भारत में ब्रॉड गेज लाइनों की कुल लंबाई 55,188 किमी है।
मीटर गेज
- वह रेलवे लाइन जिसमें रेल की समांतर पटरियों के बीच की दूरी 1 मीटर होती है, मीटर गेज रेलवे लाइन कहलाती है।
- 2011 के आकड़ो के अनुसार भारत में मीटर गेज की कुल लंबाई 6809 किमी है।
नैरो गेज
- वह रेलवे लाइन जिसमें रेल की समांतर पटरियों के बीच की दूरी 0.762 मीटर या 0.610 मीटर होती है, नेरो गेज रेलवे लाइन कहलाती है।
- 2011 के आकड़ो के अनुसार भारत में नैरो गेज लाइन की कुल लंबाई 2463 किमी है।
- गेज की इस श्रेणी का प्रयोग मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है।
भारतीय रेलवे में हुए सुधार
- भाप इंजन को डीजल और इलेक्ट्रिक इंजन से बदलना।
- मीटर और नैरो गेज लाइन को ब्रॉड गेज में बदलना।
- कई बड़े नगरों जैसे की कोलकाता और दिल्ली आदि में मेट्रो रेल की शुरूआत।
जल परिवहन
- भारी सामग्री और यात्रियों को लंबी दूरी तक ले जाने का सबसे कुशल एवं सस्ता साधन जल परिवहन है
- जल परिवहन एक इंधन कुशल एवं पर्यावरण के अनुकूल साधन है
- जल मार्गो को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है
- अंतर्देशीय जलमार्ग
- समुद्री जलमार्ग
अंतर्देशीय जलमार्ग
- वह जलमार्ग जो एक देश की सीमा के भीतर उपस्थित होते हैं अंतर्देशीय जलमार्ग कहलाते हैं
- रेलवे की शुरुआत से पहले भारत में अंतर्देशीय जलमार्ग परिवहन का एक मुख्य साधन थे परंतु समय के साथ-साथ उनका महत्व कम होता गया। ऐसा रेलवे एवं सड़कों के साथ प्रतियोगिता के कारण हुआ और
- इसका एक अन्य मुख्य कारण सिंचाई परियोजनाओं के कारण नदियों की जल धाराओं को मोड़ना था जिस वजह से नदी की मुख्यधारा के प्रवाह में कमी आई और वह नौकायान के लिए उपयुक्त नहीं रही
- वर्तमान दौर में भारत में लगभग 14,500 किलोमीटर नौगम्य जलमार्ग हैं जो देश के परिवहन का लगभग 1% नियंत्रित करता है
- इसमें नदियां, नेहरे एवं कई खाड़िया शामिल है
- भारत द्वारा 1986 में जलमार्ग प्राधिकरण को स्थापित किया गया जिसका मुख्य उद्देश्य देश के राष्ट्रीय जलमार्ग का विकास एवं रखरखाव करना है
भारत के राष्ट्रीय जलमार्ग
जलमार्ग खिंचाव | विनिर्देश | घोषणा की तिथि |
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NW1 Allahabad- Stretch Haldia | यह भारत में सबसे महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है जो पटना तक यांत्रिक नौकाओं और हरिद्वार तक सामान्य नौकाओं द्वारा नौगम्य है। इसे विकासात्मक उद्देश्यों के लिए तीन भागों में विभाजित किया गया है:
(i) हल्दिया फरक्का (560 किमी) (ii) फरक्का पटना (460 किमी) (iii) पटना-इलाहाबाद (600 किमी) | 27.10.1986 |
NW2 Sadiya- Dhubri Stretch (891 km) | ब्रह्मपुत्र डिब्रूगढ़ (1384 किमी) तक स्टीमर द्वारा नौवहन योग्य है, जिसे भारत और बांग्लादेश द्वारा साझा किया जाता है। | 26.10.1988 |
NW3 Sadiya-Dhubri Stretch (891 km) | इसमें चंपकारा नहर (23 किमी) और उद्योगमंडल नहर (14 किमी) के साथ पश्चिमी तट नहर की 168 किमी शामिल है। | 01.02.1991
|
NW 4 Kakinanda Puduchery (1995 km) | गोदावरी और कृष्णा नदी के नहर और कलुरली तालाब के हिस्सों का विस्तार | 2008 |
NW 5 Talcher Dhamra (623 km) | ब्राह्मणी नदी का विस्तार पूर्वी तट नहर का चेरलाटिया खंड, चेर्टेक्टिया धर्म, महानंदी डेल्टा नदी प्रणाली के साथ मटई नदी का विस्तार | 2008 |
समुद्री मार्ग
- महासागर बिना किसी रखरखाव लागत के साथ सभी दिशाओं में चलने योग्य एक सुगम राजमार्ग प्रदान करते हैं।
- विश्व के लगभग सभी बड़े देशो में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए समुद्री मार्ग का प्रयोग किया जाता है।
- भारत में समुद्री मार्गों का महत्व
- भारतीय परिवहन प्रणाली में समुद्री मार्ग एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं
- भारत की तट रेखा लगभग 7517 किलोमीटर लंबी है जिस पर मुख्य रुप से 12 प्रमुख और 185 से छोटे बंदरगाह उपस्थित है
- मात्रा के अनुसार 95% एवं मूल्य के अनुसार 70% भारतीय विदेशी व्यापार समुद्री मार्गो द्वारा संचालित किया जाता है
हवाई परिवहन
- हवाई परिवहन, परिवहन का सबसे तेज़ साधन है, लेकिन यह बहुत महंगा है, इसलिए यात्रियों द्वारा केवल लंबी दूरी की यात्रा के लिए इसे प्राथमिकता दी जाती है।
- दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचने का यही एकमात्र साधन है।
- हवाई अड्डों का निर्माण भी बहुत महंगा है और अत्यधिक औद्योगिक देशों में अधिक विकसित हुआ
- आज, 250 से अधिक वाणिज्यिक एयरलाइंस दुनिया के विभिन्न हिस्सों में नियमित सेवाएं प्रदान करती हैं।
भारत में वायु परिवहन
- भारत में हवाई परिवहन की शुरुआत इलाहाबाद से नैनी के लिए 18 फरवरी 1911 में की गई
- वर्तमान दौर में भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण भारत में हवाई यातायात एवं वैमानिकी संचार सेवाओं को नियंत्रित करता है
- भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण द्वारा कुल 126 हवाई अड्डों का प्रबंधन किया जाता है जिसमें से 11 अंतर्राष्ट्रीय, 86 घरेलू एवं 29 सिविल एंक्लेव हवाई अड्डे हैं
तेल और गैस पाइपलाइन
- निर्बाध प्रवाह के लिए पानी, पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे तरल पदार्थ और गैसों के परिवहन के लिए पाइपलाइनों का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
- भारत में कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस की खोज उत्पादन एवं परिवहन की जिम्मेदारी ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) को सौंपी गई है
- ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) की उपलब्धियां
- एशिया की पहली क्रॉस कंट्री पाइप लाइन का निर्माण
- यह पाइप लाइन असम में नहर कटिया तेल क्षेत्र से लेकर बिहार में बरौनी रिफायनरी तक 1157 किलोमीटर की दूरी तय करती है
- 1966 में इस लाइन पाइप लाइन को कानपुर उत्तर प्रदेश तक बढ़ा दिया गया
- अंकलेश्वर-कोयली, मुंबई हाई-कोयल, हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (HVJ) कुछ अन्य महत्वपूर्ण पाइप लाइन है
- हाल ही में भारतीय ऑयल लिमिटेड द्वारा सलाया (गुजरात) से मथुरा (उत्तर प्रदेश) तक एक पाइपलाइन भी बनाई गई है। इसकी लंबाई 1256 किलोमीटर है जो गुजरात से कच्चे तेल को लेकर मथुरा के रास्ते जालंधर (पंजाब) तक पहुंचाती है
- इसी के साथ साथ नुमालीगढ़ से सिलीगुड़ी तक 660 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन का निर्माण भी प्रगति पर है।
संचार नेटवर्क
- मानव ने लंबी दूरी के संचार के विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया है जिनमें टेलीग्राफ और टेलीफोन महत्वपूर्ण थे।
- आज संचार के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास ऑप्टिक फाइबर केबल्स (OFC – Optic Fibre Cable ) के उपयोग के कारण संभव हुआ है। इन केबल्स के माध्यम से बड़ी मात्रा में डेटा को तेजी एवं सुरक्षित रूप से प्रसारित किया जा सकता है।
- पैमाने और गुणवत्ता के आधार पर संचार के तरीके को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है
व्यक्तिगत संचार प्रणाली
- दो व्यक्तियों के बीच होने वाले संचार को व्यक्तिगत संचार कहा जाता है वह प्रणाली जिसके द्वारा यह संचार नियंत्रित किया जाता है व्यक्तिगत संचार प्रणाली कहलाती है
- वर्तमान दौर में व्यक्तिगत संचार के लिए अनेकों साधनों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए पत्र, टेलीफोन, फैक्स, इंटरनेट आदि
इंटरनेट
- वर्तमान दौर में सबसे उन्नत व्यक्तिगत संचार प्रणाली का साधन इंटरनेट है जो पूरे विश्व में बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता है
- इंटरनेट सूचनाओं के भंडार ग्रह के रूप में भी कार्य करता है और संचार का एक सस्ता एवं सरल तरीका है
- इंटरनेट के अंतर्गत निम्नलिखित सेवाएं शामिल है जो व्यक्तिगत संचार को सुगम बनाती हैं
इलेक्ट्रॉनिक मेल (ई-मेल)
- ई-मेल दो व्यक्तियों के बीच ज्ञान और सूचनाओं के आदान-प्रदान करने का एक आसान एवं सामान्य रूप से उपयोग किए जाने वाला तरीका है
ई-कॉमर्स
- ऑनलाइन माध्यम से खरीददारी करना ई – कॉमर्स कहलाता है इसके अंतर्गत उपभोक्ता एवं विक्रेता ऑनलाइन माध्यम द्वारा जुड़े होते हैं और वस्तुओं एवं सेवाओं का व्यापार करते हैं
- वर्तमान दौर में बदलती हुई परिस्थितियों के कारण इंटरनेट द्वारा खरीददारी का चलन बढ़ा है
जनसंचार
- एक व्यक्ति से अनेकों व्यक्तियों के बीच होने वाला सूचना का आदान प्रदान जनसंचार कहलाता है
- वर्तमान दौर में जन संचार, संचार का एक महत्वपूर्ण प्रकार है
- इसके प्रमुख साधन रेडियो, टेलीविजन आदि हैं
रेडियो
- भारत में पहले रेडियो प्रसारण की शुरुआत मुंबई के रेडियो क्लब द्वारा 1923 में की गई
- समय के साथ-साथ जनसंचार का यह माध्यम अत्यंत लोकप्रिय हुआ और इसकी लोकप्रियता को देखते हुए भारतीय सरकार ने 1930 में भारतीय प्रसारण प्रणाली के द्वारा रेडियो को अपने नियंत्रण में ले लिया
- 1936 में इसे ऑल इंडिया रेडियो एवं 1957 में आकाशवाणी में बदल दिया गया
- वर्तमान दौर में रेडियो द्वारा विशेष सूचना, शिक्षा, मनोरंजन एवं समाचार संबंधी प्रसारण किए जाते हैं
टेलीविजन (टीवी)
- टेलीविजन प्रसारण सबसे प्रभावी श्रव्य एवं दृश्य माध्यम के रूप में समय के साथ-साथ उभरा है और वर्तमान दौर में भी इसका बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है
- भारत में पहला टेलीविजन प्रसारण दिल्ली में 1959 में शुरू किया गया और 1972 तक यह एकमात्र शहर था जहां पर टेलीविजन प्रसारण संबंधी सेवाएं उपलब्ध थी
- 1972 के बाद टेलीविजन प्रसारण के कई अन्य केंद्रों की शुरुआत की गई और 1976 में टेलीविजन प्रसारण की सेवा को ऑल इंडिया रेडियो से अलग कर दूरदर्शन के रूप में संगठित किया गया
उपग्रह संचार
- उपग्रह संचार, संचार का एक उत्तम माध्यम है
- इनके द्वारा कई अन्य संचार साधनों को नियंत्रित किया जाता है
- उपग्रह द्वारा प्राप्त किए गए चित्रों के माध्यम से कई अन्य कार्यों जैसे कि प्राकृतिक आपदाओं की स्तिथि, मौसम का पूर्वानुमान एवं सीमावर्ती क्षेत्रों के निगरानी आदि भी की जाती है
- विन्यास एवं उद्देश्यों के आधार पर भारतीय उपग्रह प्रणाली को दो भागों में बांटा जाता है
भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली (INSAT – Indian National Satellite System )
- भारतीय राष्ट्रीय उपग्रह प्रणाली को 1983 में स्थापित किया गया
- इसके द्वारा मुख्य रूप से दूरसंचार, मौसम संबंधी अवलोकन और विभिन्न प्रकार के डाटा का संकलन किया जाता है।
भारतीय सुदूर संवेदन उपग्रह प्रणाली (IRS –Indian Remote Sensing Satellite)
- भारत में IRS उपग्रह प्रणाली की शुरुआत मार्च 1988 में रूस द्वारा IRS – 1A उपग्रह के प्रक्षेपण के साथ शुरू हुई
- यह एक प्रकार का रिमोट सेंसिंग उपग्रह है जो डाटा को इकट्ठा करता हैं और उन्हें पृथ्वी पर ग्राउंड स्टेशनों तक पहुंचाते हैं
- इनका उपयोग मुख्य रूप से प्राकृतिक संसाधनों के निरक्षण और कई अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है
- हैदराबाद में स्थित राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी (NRSA – National Remote Sensing Agency) इस डाटा के अधिग्रहण और उसके प्रसंस्करण का कार्य करती है
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