पाठ – 11
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार
In this post we have given the detailed notes of class 12 Geography Chapter 11 Antarastriya Vyapaar (International Trade) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 11 अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार (International Trade) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 11 |
Chapter Name | अंतराष्ट्रीय व्यापार (International Trade) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
व्यापार
- वस्तुओं और सेवाओं के लेनदेन को व्यापार कहा जाता है।
- मुख्य रूप से व्यापार दो स्तरों पर किया जाता है: –
राष्ट्रीय व्यापार: –
- एक देश के भीतर होने वाले व्यापार को राष्ट्रीय व्यापार कहा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार: –
- राष्ट्रीय सीमाओं के पार के देशों के बीच वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कहते हैं।
- एक देश के द्वारा उन वस्तुओं का व्यापार अन्य देशों से किया जाता है जिन्हें खुद उत्पादित नहीं कर सकते या फिर जिन्हें वह दूसरे देशों से कम कीमत में खरीद सकते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के महत्वपूर्ण पहलू
व्यापार की मात्रा: –
- व्यापार की गई वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को व्यापार की मात्रा कहा जाता है।
- विश्व व्यापार की कुल मात्रा पिछले दशकों में लगातार बढ़ रही है।
व्यापार की संरचना: –
- व्यापार संरचना से अभिप्राय व्यापार की जाने वाली वस्तुओं के प्रकार से है।
- पिछली शताब्दी में मुख्य रूप से देशों द्वारा प्राथमिक वस्तुओं का आयात निर्यात किया जाता था।
- समय के साथ साथ इस में परिवर्तन आया और निर्मित वस्तुओं का आयात निर्यात बढ़ा है।
- वर्तमान दौर में मुख्य रूप से निर्मित वस्तुओं और सेवाओं का आयात निर्यात किया जाता है।
व्यापार की दिशा: –
- प्राचीन समय में वर्तमान के विकासशील देश मूल्यवान वस्तुओं और कलाकृतियों आदि का निर्यात करते थे, जिनका निर्यात यूरोपीय देशों को किया जाता था।
- 20 वीं सदी के उत्तरार्ध के दौरान विश्व व्यापार की दिशा में भारी बदलाव आया। यूरोप ने अपने उपनिवेश खो दिए जबकि भारत, चीन और अन्य विकासशील देशों ने विकसित देशों के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर दिया।
व्यापार का संतुलन: –
- एक देश द्वारा दूसरे देशों को आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की मात्रा के रिकॉर्ड को व्यापार संतुलन कहा जाता है।
- यदि आयात का मूल्य किसी देश के निर्यात के मूल्य से अधिक है, तो देश का व्यापार संतुलन नकारात्मक या प्रतिकूल है। यदि निर्यात का मूल्य आयात के मूल्य से अधिक है, तो देश में व्यापार का सकारात्मक या अनुकूल संतुलन है।
- नकारात्मक शेष एक देश के विदेशी मुद्रा भंडार को समाप्त कर देता है।
भारतीय व्यापार की संरचना
- व्यापार संरचना से अभिप्राय आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के प्रकार से है।
- वर्ष 1950 – 51 में भारत के विदेशी व्यापार का मूल्य लगभग 1214 करोड रुपए के आसपास था, जबकि 2016 – 17 में बढ़कर यह 4429762 करोड रुपए हो चुका है।
भारत के निर्यात की संरचना
- औपनिवेशिक काल के दौरान भारत द्वारा मुख्य रूप से कृषि संबंधित उत्पादों का निर्यात किया जाता था एवं उत्पादित वस्तुओं का आयात किया जाता था।
- हाल के वर्षों में यह व्यवस्था बदली है एवं आयात और निर्यात की जाने वाली वस्तुओं के प्रकार में परिवर्तन आया है।
- कृषि संबंधी उत्पादों के निर्यात में गिरावट आई है, जबकि पेट्रोलियम एवं कच्चे माल का आयात बड़ा है।
- कृषि उत्पादों के अंतर्गत कॉफी, काजू एवं दालों जैसी परंपरागत वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई, जबकि ताजे फलों, समुद्री उत्पादों तथा चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि हुई है।
- 2016 – 17 के आंकड़ों के अनुसार भारतीय निर्यात में निर्मित वस्तुओं का 73.6 % हिस्से के आसपास है।
- इसी के साथ साथ रत्न और आभूषण आदि का भी भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक बड़ा हिस्सा है।
- वर्तमान दौर में भारत के मुख्य प्रतियोगी चीन एवं अन्य पूर्वी एशियाई देश हैं।
भारतीय आयात की संरचना
- 1950 – 60 के दशक में गंभीर खाद्य कमी का सामना करने के कारण भारत द्वारा बड़े पैमाने पर खाद्यान्न, पूंजीगत सामान और मशीनरी आदि का आयात किया जाता था।
- लेकिन 1970 के दशक के दौरान हरित क्रांति की सफलता के कारण खाद्यान्न आयात में भारी गिरावट आई।
- 1973 में ऊर्जा संकट के कारण उर्वरकों एवं पेट्रोलियम के आयात में वृद्धि हुई।
- 2011 – 12 के आंकड़ों के अनुसार पेट्रोलियम उत्पादों के आयात में तेजी से वृद्धि हुई है जिसका मुख्य कारण बढ़ता औद्योगिकरण एवं ऊर्जा की बढ़ती मांग है।
- मोती और अर्ध – कीमती पत्थर, सोना और चांदी, धातु के अयस्क और धातु स्क्रैप, अलौह धातु, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि भारत के आयात की अन्य महत्वपूर्ण वस्तुएं हैं।
व्यापार की दिशा
- भारत विश्व के मुख्य व्यापारिक संगठनों का एक मुख्य व्यापारिक भागीदार है, भारत का लक्ष्य अगले 5 वर्षों के दौरान अपने अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को दुगना करना है।
- इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत ने आयात उदारीकरण, आयात शुल्क में कमी लाइसेंस उन्मूलन आदि कार्य किए हैं।
- भारतीय व्यापार की दिशा के विकास के कारण विभिन्न देशों के साथ भारत का व्यापारिक हिस्सा बदला है।
- उदाहरण के लिए: –
- 2003 – 04 के दौरान अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था, जबकि 2010-11 में संयुक्त अरब अमीरात भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- मुख्य रूप से भारत का विदेशी व्यापार समुद्री और हवाई मार्ग द्वारा होता है।
- भूमि मार्ग के माध्यम से भारत आसपास के पड़ोसी देशों जैसे कि नेपाल, भूटान, बांग्लादेश और पाकिस्तान आदि से विदेशी व्यापार किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में समुद्री बंदरगाह
बंदरगाह
- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का एक बहुत बड़ा हिस्सा बंदरगाहों द्वारा नियंत्रित किया जाता है, इसीलिए इन्हें अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का प्रवेश द्वार कहा जाता है।
- लंबी तट रेखा एवं तीन तरफ से समुद्र से घिरे होने के कारण भारत का समुद्री बंदरगाह के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय व्यापार करने का एक लंबा इतिहास रहा है।
- इसी कारणवश भारत के तटों पर अन्य बंदरगाह विकसित हुए हैं जो अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार के रूप में कार्य करते हैं।
- भारत के पूर्वी तट की तुलना में उसके पश्चिमी तट पर अधिक समुद्री बंदरगाह है ऐसा मुख्य रूप से यूरोपीय व्यापारियों एवं अंग्रेजों द्वारा उपनिवेशीकरण के कारण हुआ।
प्रमुख और लघु बंदरगाह
- वर्तमान में भारत में 12 प्रमुख एवं 185 छोटे एवं मध्यम दर्जे के बंदरगाह है।
- बड़े बंदरगाहों के रखरखाव एवं विकास संबंधी जिम्मेदारी केंद्र सरकार जबकि छोटे एवं मध्यम दर्जे के बंदरगाहों के रखरखाव एवं विकास की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी गई है।
- भारत के कुल समुद्री परिवहन का एक बड़ा हिस्सा भारत के प्रमुख 12 बंदरगाहों द्वारा नियंत्रित किया जाता है उदाहरण के लिए सन दो हजार आठ और नौ के दौरान भारत के कुल समुद्री परिवहन का 71% भारत के प्रमुख 12 बंदर गांव द्वारा नियंत्रित किया गया था।
- अंग्रेजों द्वारा इन बंदरगाह का उपयोग मुख्य रूप से भारत के प्राकृतिक संसाधनों का निर्यात करने के लिए किया जाता था परंतु 1947 के बाद ऐसी स्थिति में परिवर्तन आया।
- विभाजन के कारण भारत ने अपने दो महत्वपूर्ण बंदरगाह हो यानी कि कराची बंदरगाह (पाकिस्तान ) और चटगांव बंदरगाह (बांग्लादेश ) को खो दिया था।
- इस नुकसान की भरपाई करने के लिए भारत ने पश्चिम में कांडला बंदरगाह एवं पूर्व में हुगली नदी पर डायमंड हार्बर बंदरगाह की शुरुआत की।
- आजादी के बाद से भारतीय बंदरगाहों में तेजी से विकास हुआ है उदाहरण के लिए 1951 में भारतीय बंदरगाहों की कार्गो हैंडलिंग क्षमता 20 मिलियन टन थी जो कि वर्तमान में बढ़कर 600 बिलियन टन से अधिक हो गई है।
भारत के महत्वपूर्ण बंदरगाह
कांडला पोर्ट: –
- यह कब बंदरगाह पश्चिम भारत में कच्छ की खाड़ी पर स्थित है।
- इसका मुख्य कार्य पश्चिमी एवं उत्तर पश्चिमी बंदरगाह की जरूरतों को पूरा करना एवं मुंबई बंदरगाह पर दबाव को कम करना है।
- यह बंदर का मुख्य रूप से पेट्रोलियम एवं पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन को नियंत्रित करता है।
मुंबई पोर्ट: –
- मुंबई बंदरगाह एक प्राकृतिक एवं भारत का सबसे बड़ा बंदरगाह है।
- इस बंदरगाह का स्थान मध्य पूर्व, भूमध्यसागरीय देशों, उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और यूरोप के देशों से सामान्य मार्गों के करीब है।
- इस बंदरगाह द्वारा भारतीय विदेशी व्यापार का एक बड़ा हिस्सा नियंत्रित किया जाता है।
- 54 वर्षों के साथ यह बंदरगाह 20 किलोमीटर की लंबाई एवं छह से 10 किलो मीटर की चौड़ाई वाले एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है और देश का सबसे बड़ा तेल टर्मिनल है
जवाहरलाल नेहरू पोर्ट: –
- यह सैटेलाइट पोर्ट न्हावा शेवा में स्थित है।
- इसे मुंबई बंदरगाह पर दबाव कम करने के लिए विकसित किया गया था।
- यह भारत का सबसे बड़ा कंटेनर पोर्ट है।
मर्मगाओ पोर्ट: –
- यह बंदरगाह गोवा का एक प्राकृतिक बंदरगाह है जो जुआरी मुहाना के प्रवेश द्वार पर स्थित है।
- कोंकण रेलवे के निर्माण के बाद इसके भीतरी इलाके का विस्तार हुआ।
न्यू मैंगलोर पोर्ट: –
- इसका उपयोग मुख्य रूप से लौह-अयस्क और लौह सांद्रण, और अन्य वस्तुओं जैसे उर्वरक, पेट्रोलियम उत्पाद, खाद्य तेल, कॉफी, चाय, लकड़ी का गूदा, रतालू, ग्रेनाइट पत्थर, गुड़, आदि के निर्यात के लिए किया जाता है।
- यह कर्नाटक में स्थित है जो इसका प्रमुख भीतरी भाग है।
कोच्चि पोर्ट: –
- यह एक प्राकृतिक बंदरगाह है जो कि बेंवानद कायल के शीर्ष पर स्थित है और अरब सागर की रानी के नाम से भी जाना जाता है।
- यह बंदरगाह स्वेज कोलंबो मार्ग के पास एक महत्वपूर्ण स्थान पर स्थित है।
- इस बंदरगाह द्वारा मुख्य रूप से केरल दक्षिणी कर्नाटक तथा दक्षिण पश्चिमी तमिलनाडु की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है।
कोलकाता पोर्ट: –
- यह बंदरगाह हुगली नदी पर है जो कि बंगाल की खाड़ी से 128 किलोमीटर अंदर स्थित है।
- इस बंदरगाह का विकास अंग्रेजों द्वारा किया गया था क्योंकि उस समय कोलकाता ब्रिटिश भारत की राजधानी थी।
- विशाखापट्टनम एवं हल्दिया जैसे पत्रों के विकास के कारण इस पतन ने अपना विशेष महत्व खो दिया है।
- इस पतन द्वारा मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल सिक्किम आदि राज्यों को सेवाएं प्रदान की जाती है।
- साथ ही साथ यह पतन हमारे पड़ोसी देशों जैसे कि नेपाल एवं भूटान को भी बंदरगाह सेवाएं प्रदान करता है।
हल्दिया पोर्ट: –
- हल्दिया पतन कोलकाता से 105 किलोमीटर नीचे की ओर अवस्थित है इसमें मुख्य रूप से कोलकाता बंदरगाह पर दबाव कम करने के लिए बनाया गया था।
- इस पतन द्वारा मुख्य रूप से पेट्रोलियम पेट्रोलियम उत्पादों को हिला लो आया स्कोर उर्वरा झूठ झूठ उत्पादों का पास सूती धागे आदि वस्तुओं का परिवहन किया जाता है।
पारादीप पोर्ट: –
- पारदीप बंदरगाह महानदी डेल्टा में स्थित है और यह कटक से लगभग 100 किलोमीटर दूर है।
- पारदीप बंदरगाह सबसे गहरा बंदरगाह में से एक है इसी वजह से यह बड़े-बड़े जहाजों को संभालने के लिए सबसे उपयुक्त पतन है।
- इस पतन द्वारा मुख्य रूप से लोयस का बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है।
- इस पतन द्वारा उड़ीसा छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों को सेवा प्रदान की जाती है।
विशाखापट्टनम बंदरगाह: –
- विशाखापट्टनम बंदरगाह आंध्र प्रदेश में स्थित है और यह एक भूमि बंदरगाह है।
- इस चट्टान एवं बालू को काटकर नहर द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है।
- इस बंदरगाह द्वारा मुख्य रूप से लौह अयस्क पेट्रोलियम एवं कई अन्य वस्तुओं का परिवहन किया जाता है।
- इस पतन द्वारा आंध्र प्रदेश को सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
चेन्नई पोर्ट: –
- चेन्नई बंदरगाह पूर्वी तट के सबसे पुराने बंदरगाहों में से एक है जिसे अट्ठारह सौ उनसठ में बनाया गया था।
- तट के पास ज्यादा गहरा पानी ना होने के कारण यह बड़े जहाजों के लिए उपयुक्त नहीं है एवं इस पतन द्वारा तमिलनाडु और पांडिचेरी को सेवाएं प्रदान की जाती हैं।
एन्नोर पोर्ट: –
- यह पतन तमिलनाडु का एक नव विकसित पतन है जो चेन्नई से 25 किलोमीटर उत्तर में स्थित है।
- इस पतन का निर्माण चेन्नई बंदरगाह पर दबाव कम करने के लिए किया गया है।
तूतीकोरिन पोर्ट: –
- एन्नोर पोर्ट के अलावा तूतीकोरिन पोर्ट का निर्माण भी चेन्नई बंदरगाह पर दबाव कम करने के लिए किया गया है।
- इस बंदरगाह द्वारा मुख्य रूप से कोयला नमक चीनी रसायन पेट्रोलियम उत्पाद खाद्य तेल आदि के परिवहन को नियंत्रित किया जाता है।
हवाई अड्डे
- हवाई परिवहन एक राष्ट्र के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- मुख्य रूप से हवाई परिवहन द्वारा उच्च मूल्य एवं जल्दी खराब होने वाली वस्तुओं का परिवहन किया जाता है परंतु बाहरी वस्तुओं का परिवहन करने में असमर्थ एवं महंगा होने के कारण हवाई परिवहन का प्रयोग अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के लिए कम किया जाता है।
- वर्तमान में भारत में 25 निम्नलिखित अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं
- अहमदाबाद
- बेंगलुरु
- चेन्नई
- दिल्ली
- गोवा
- गुवाहाटी
- हैदराबाद
- कोच्चि
- कोलकाता
- मुंबई
- थिरुवनन्थपुरम
- श्रीनगर
- जयपुर
- कालीकट
- नागपुर
- कोयंबटूर
- लखनऊ
- पुणे
- चंडीगढ़
- मंगलुरू
- विशाखापट्टनम
- इंदौर
- पटना
- भुवनेश्वर
- कन्नूर
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