पाठ – 5
प्राथमिक क्रियाएँ
In this post we have given the detailed notes of class 12 Geography Chapter 5 Prathamik Kriyaein (Primary Activities) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 5 प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 5 |
Chapter Name | प्राथमिक क्रियाएँ (Primary Activities) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
आर्थिक क्रियाएं
- वह सभी कार्य जिससे मनुष्य को आय प्राप्त होती है आर्थिक क्रियाएं कहलाते हैं
- आर्थिक क्रिया में मुख्य रूप से चार होती है
प्राथमिक क्रिया
- यह वह क्रियाएं होती है जिनमें प्रकृति से प्राप्त संसाधनों का प्रयोग किया जाता है उदाहरण के लिए कृषि पशुपालन खनन आदि
द्वितीय क्रियाएं
- यह वह क्रियाएं होती है जिनमें प्रकृति से प्राप्त संसाधनों मैं परिवर्तन करके उपयोगी वस्तुओं का निर्माण किया जाता है इसमें मुख्य रूप से उत्पादन संबंधी क्रियाएं आती है
तृतीय क्रियाएं
- सेवा क्षेत्र से संबंधित सभी क्रियाओं को तृतीयक क्रिया कहा जाता है उदाहरण के लिए अध्यापक डॉक्टर आदि
चतुर्थ क्रियाएं
- सभी अनुसंधान (Research) संबंधी क्रियाओं को चतुर्थ क्रिया में शामिल किया जाता है
प्राथमिक क्रियाएं
प्राथमिक क्रियाएं :- वह क्रियाएं होती है जिनमें प्रत्यक्ष रूप से प्रकृति से प्राप्त संसाधनों का प्रयोग किया जाता है
- प्राथमिक क्रियाओं में निम्नलिखित क्रियाएं शामिल होती है
- आखेट (शिकार) एवं भोजन संग्रहण
पशुपालन
- चलवासी पशुचारण
- वाणिज्य पशुपालन
कृषि
- निर्वाह कृषि
- रोपण कृषि
- वाणिज्य अनाज कृषि
- मिश्रित कृषि आदि
खनन
आखेट एवं भोजन संग्रहण
- आखेट का अर्थ होता है शिकार करना
- भोजन संग्रहण का अर्थ होता है अपनी जरूरत के लिए भोजन इकट्ठा करना
- भोजन संग्रहण के आधार पर विश्व को दो अलग-अलग भागों में बांटा जाता है
- उच्च अक्षांश के क्षेत्र उत्तरी कनाडा, उत्तरी यूरेशिया, दक्षिण चिली आदि
- निम्न अक्षांश के क्षेत्र ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण पूर्वी एशिया आदि
- यह विभाजन भोजन संग्रहण के तरीकों के आधार पर किया जाता है
वर्तमान में भोजन संग्रहण
- वर्तमान में भोजन संग्रहण का व्यापारीकरण हो गया है
- वर्तमान में सभी प्रकार के फूलों, फलों आदि का संग्रहण उन्हें दोबारा बेचने के लिए किया जाता है
पशु चारण /पशुपालन
- पशु चारण या पशुपालन का संबंध पशुओं को पालने से है
- पशुओं को दो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए पाला जाता है
- पहला है जीवन निर्वाह
- दूसरा है वाणिज्यिक उद्देश्य
- इसी आधार पर इसे दो भागों में बांटा जाता है
- वाणिचलवासी पशु चारण
- ज्यिक पशु चारण
चलवासी पशु चारण
- यह एक प्राचीन जीवन निर्वाह का तरीका है
- इसमें एक साथ बहुत सारे पशुओं को पाला जाता है
- यह सभी पशु प्राकृतिक चारे पर निर्भर रहते हैं
- इन पशुओं की कोई विशेष देखभाल नहीं की जाती
- पशुपालक अपने पशुओं को लेकर एक जगह से दूसरी जगह चारे की खोज में घूमता रहता है
- इस प्रकार के पशु चारण का मुख्य उद्देश्य जीवन निर्वाह होता है
- विश्व के अलग-अलग देशों में अलग-अलग प्रकार के पशुओं को पाला जाता है
- वर्तमान में चलवासी पशुपालकों की संख्या घट रही है
- ऐसा राजनीतिक सीमाओं एवं बस्ती निर्माण के कारण हुआ है
वाणिज्यिक पशु चारण
- यह पशुपालन का एक व्यवस्थित तरीका है
- इसमें अधिक पूंजी का प्रयोग किया जाता है
- इसमें केवल एक प्रकार के पशुओं को पाला जाता है
- इस प्रकार के पशुपालन में मुख्य रूप से भेड़ बकरी गाय बैल एवं घोड़ों को पाला जाता
- इसमें पशुओं की विशेष देखभाल की जाती है उन्हें एक बड़े फार्म में बाढ़ लगा कर रखा जाता है
- इस प्रकार के पशुपालन में वैज्ञानिक तरीकों के आधार पर पशुओं को पाला जाता है
- इस प्रकार के पशुपालन का मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है
- विश्व में न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना और संयुक्त राज्य अमेरिका में वाणिज्य पशुपालन किया जाता है
खनन
- जमीन से महत्वपूर्ण संसाधनों को निकालने की विधि को खनन कहा जाता है
- खनन मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं
धरातलीय खनन
- धरातलीय खनन में धरातल के ऊपर स्थित संसाधनों को निकाला जाता है
- यह खनन करने का सबसे सरल तरीका है
- इसमें लागत कम आती है इस प्रकार के खनन में खास सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता नहीं होती
भूमिगत खनन
- इस प्रकार के खनन को कूपकी खनन भी कहा जाता है
- इस प्रकार के खनन में भूमि के अंदर से गरीबों को निकाला जाता है
- यह अधिक जोखिम भरा होता है साथ ही साथ इसमें अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है
- यह महंगा होता है
- इसमें श्रम एवं जोखिम दोनों अधिक होते हैं
खनन को प्रभावित करने वाले कारक
भौतिक
- खनिज निक्षेप का आकार
- खनिज निक्षेप का प्रकार और उसकी स्थिति
आर्थिक
- आर्थिक वर्तमान में उपलब्ध तकनीक
- श्रमिक
- यातायात व्यवस्था
कृषि
विश्व के हर देश में अलग-अलग प्रकार की स्थिति होने के कारण कृषि के भी अनेकों प्रकार है
निर्वाह कृषि
- इस प्रकार की कृषि निर्वाह के लिए की जाती है
- इसे मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है
आदिकालीन निर्वाह कृषि
- इस प्रकार की कृषि में भूमि के छोटे-छोटे टुकड़ों पर पुराने कृषि औजारों जैसे की लकड़ी के हल और खुदाई करने वाले औजारों के द्वारा कृषि की जाती है
- इसमें जमीन के एक छोटे से टुकड़े को साफ करके उस पर अनाज उगाया जाता है
- जब उस जमीन के टुकड़े की उर्वरता खत्म हो जाती है तो उसे छोड़कर दूसरी जगह जमीन साफ करके वहां पर खेती की जाती है
- इस खेती की प्रक्रिया में पूरा परिवार काम करता है
- इस प्रकार की खेती का मुख्य उद्देश्य परिवार की जरूरतों को पूरा करना होता है
- इस प्रकार की कृषि में किसी भी प्रकार के उर्वरकों का प्रयोग नहीं किया जाता इसीलिए उत्पादकता कम होती है
गहन निर्वाह कृषि
- गहन निर्वाह कृषि के मुख्य दो प्रकार हैं
चावल प्रधान गहन निर्वाह कृषि
- चावल प्रधान के निर्वाह कृषि में मुख्य फसल चावल होती है
- खेतों का आकार छोटा होता है
- कृषको का पूरा परिवार कृषि कार्य में लगा रहता है
- यंत्रों की अपेक्षा श्रम का अधिक प्रयोग किया जाता है
- गोबर का प्रयोग उत्पादकता बढ़ाने के लिए किया जाता है
चावल रहित गहन निर्वाह कृषि
- यह ऐसे क्षेत्रों में की जाती है जहां पर चावल उगाना संभव नहीं होता
- इस प्रकार की कृषि में मुख्य रूप से ज्वार, बाजरा उगाया जाता है
- इसकी लगभग सभी विशेषताएं चावल प्रधान गहन कृषि जैसी ही होती है
- दोनों में अंतर केवल यह है कि इसमें सिंचाई व्यवस्था का प्रयोग किया जाता है
रोपण कृषि
- इस प्रकार की कृषि की शुरुआत यूरोपीय लोगों ने की
- यह किसी बड़े क्षेत्र में की जाती है और इसका मुख्य उद्देश्य लाभ कमाना होता है
- इसमें मुख्य रूप से चाय, कॉफी, कोको, गन्ना, कपास आदि की कृषि की जाती है
विशेषताएं
- अत्याधिक तकनीक का प्रयोग
- वैज्ञानिक पद्धति का प्रयोग
- केवल एक फसल का उत्पादन
- अधिक पूंजी की आवश्यकता
- विशाल खेत
- बाजार तक पहुंच
वाणिज्य अनाज कृषि
- मुख्य फसल गेहूं है पर साथ ही साथ मक्का, जौ , राई भी बोई जाती है
- खेतों का आकार बहुत विशाल होता है
- खेत जोतने से लेकर फसल काटने तक के सभी कार्य यंत्रों द्वारा किए जाते हैं
- इस प्रकार की कृषि यूरेशिया के स्टेपीज , उत्तरी अमेरिका के प्रेयरी और न्यूजीलैंड के कैंटरबरी मैदानों में की जाती है
मिश्रित कृषि
- मिश्रित कृषि में पशुपालन और कृषि दोनों की जाती है
- इस कृषि खेतों का आकार मध्यम होता है
- मुख्य रूप से गेहूं, राई, मक्का और चारे की फसलें उगाई जाती
- पशुपालन में मुख्य रूप से मवेशी, भेड़, सूअर आदि को पाला जाता है
- पशुपालन एवं उत्पादन के लिए उच्च तकनीक का प्रयोग किया जाता है
- उत्पादकता को बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद का प्रयोग किया जाता है
- इस प्रकार की कृषि कुशल कृषको द्वारा की जाती है
- यह कृषि विश्व के अत्याधिक विकसित भागों में की जाती है
उद्यान कृषि
- उद्यान कृषि में महंगी फसलों का उत्पादन किया जाता है
- यह ऐसी फसलें होती है जिनकी मांग नगरीय क्षेत्रों में ज्यादा होती है
- उदाहरण के लिए सब्जी, फल, फूलआदि
- इस प्रकार की कृषि में खेतों का आकार छोटा होता है
- अधिक पूंजी की आवश्यकता होती है
- अच्छे बीज, सिंचाई, उर्वरक एवं कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है
- बाजार तक पहुंच सरल बनाने के लिए अच्छी यातायात व्यवस्था होती है
- इस कृषि को ट्रक कृषि भी कहा जाता है
- यह मुख्य रूप से यूरोप और यूएसए के कुछ हिस्सों में की जाती है
डेरी कृषि
- दुधारू पशुओं के पालन पोषण की उन्नत वृद्धि को डेरी कृषि कहा जाता है
- इस कृषि का मुख्य उद्देश्य डेरी उत्पादों का उत्पादन कर लाभ कमाना होता है
- इसमें दुधारू पशुओं का पालन पोषण उन्नत विधि एवं वैज्ञानिक पद्धति द्वारा किया जाता है
- डेरी उत्पादों की मांग अधिक होने के कारण इस प्रकार की व्यवस्था बनाई जाती है
- यह मुख्य रूप से नगरों के आसपास विकसित किए जाते हैं ताकि आसानी से लाया ले जाया जा सके
- डेरी कृषि के तीन प्रमुख क्षेत्र है
- उत्तरी पश्चिमी यूरोप
- कनाडा
- दक्षिण पूर्वी ऑस्ट्रेलिया
भूमध्यसागरीय कृषि
- यह एक विशिष्ट प्रकार की कृषि है
- यह भूमध्य सागर के आसपास के क्षेत्रों में की जाती है
- इसमें मुख्य रूप से अंगूरों का उत्पादन किया जाता है
- उच्च गुणवत्ता के अंगूरों से मदिरा बनाई जाती है एवं निम्न गुणवत्ता के अंगूरों से किशमिश या मुनक्का आदि बनाया जाता
- शीत ऋतु में यूरोप एवं अमेरिका में फलों एवं सब्जियों की मांग यहीं से पूरी होती है
सामूहिक कृषि
- इस प्रकार की कृषि में संसाधनों पर नियंत्रण सरकार का होता है
- सभी साथ में मिलकर खेती करते है
- इस प्रकार की कृषि की शुरुआत मुख्य रूप से सोवियत संघ में हुई वहां इसे कोलखहोज कहां जाता था
सहकारी कृषि
- जब कृषकोका एक समूह कृषि में अधिक लाभ कमाने की इच्छा से एक संस्था बनाकर कृषि कार्य करता है तो इसे सहकारी कृषि कहा जाता है
- आसान शब्दों में समझें तो जब किसानों का एक समूह एक संस्था बनाकर साथ में कृषि करता है ताकि उसका लाभ बढ़ सके तो उसे सहकारी कृषि कहते हैं
- यह सहकारी संस्था किसानों की हर प्रकार से मदद करती है
- उदाहरण के लिए कृषि संबंधी चीजों को खरीदना, उत्पादन को उच्च कीमतों पर बेचना आदि
- सहकारी कृषि का मुख्य उद्देश्य सहयोग द्वारा लाभ बढ़ाना होता है
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