पाठ – 6
द्वितीयक क्रियाएं
In this post we have given the detailed notes of class 12 Geography Chapter 6 Dwitiyak Kriyaein (Secondary Activities) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भूगोल के पाठ 6 द्वितीयक क्रियाएं (Secondary Activities) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं भूगोल विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Geography |
Chapter no. | Chapter 6 |
Chapter Name | द्वितीयक क्रियाएं (Secondary Activities) |
Category | Class 12 Geography Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
द्वितीयक क्रियाएं
- वह क्रियाएं जिनके द्वारा प्राथमिक क्षेत्र से प्राप्त वस्तुओं को परिवर्तित करके उपयोगी वस्तुओं में बदला जाता है द्वितीयक क्रिया कहलाती है
उदाहरण के लिए
- मान लीजिए एक किसान गेहूं उगाता है
- वह उसे बेचता है और फिर उसे पीसकर आटा बनाया जाता है
- इसके बाद इस पीसे हुए आटे से ब्रेड बनाई जाती है और फिर उसे बाजार में बेचा जाता है
- इस स्थिति में किसान द्वारा गेहूं का उगाया जाना प्राथमिक क्रिया है
- उस गेहूं से आटा बनाना एवं आटे से ब्रेड बनाने की प्रक्रिया द्वितीयक क्रिया है
- इसे द्वितीयक क्रिया इसीलिए कहा जाता है क्योकि किसान द्वारा उगाई गई गेहूं की उपयोगिता में वृद्धि करके उसे ब्रेड में बदला गया है
विनिर्माण
- द्वितीयक क्रियाएं मुख्य रूप से विनिर्माण की क्रियाएं होती
- विनिर्माण का अर्थ होता है कच्चे माल को परिवर्तित करके उपयोगी वस्तुएं बनाना
- आसान शब्दों में समझें तो विनिर्माण का अर्थ होता है उत्पादन करना
- इस उत्पादन की प्रक्रिया द्वारा वस्तु की कीमत बढ़ जाती है वस्तु के उपयोग में वृद्धि होती है
- उदाहरण के लिए
- प्राथमिक क्रिया में प्राप्त लोहे के अत्याधिक उपयोग नहीं हो सकते परंतु उसे इस्पात(Steel) में परिवर्तित करके उसे अनेकों कार्यों में उपयोग किया जा सकता हैं
उद्योगों का वर्गीकरण
उद्योगों का वर्गीकरण मुख्य रूप से पांच आधारों पर किया जाता है
आकार के आधार पर
- कुटीर उद्योग
- छोटे पैमाने के उद्योग
- बड़े पैमाने के उद्योग
कच्चे माल के आधार पर
- कृषि आधारित
- खनिज आधारित
- धात्विक खनिज उद्योग
- अधात्विक खनिज उद्योग
- रसायन आधारित
- पशु आधारित
- वन आधारित
उत्पाद के आधार पर
- आधारभूत उद्योग
- उपभोक्ता वस्तु उद्योग
स्वामित्व के आधार पर
- सार्वजानिक उद्योग
- निजी उद्योग
- संयुक्त क्षेत्र के उद्योग
उत्पादन की प्रक्रिया के आधार पर
- परंपरागत उद्योग
- उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग
आकार के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
- आकार के आधार पर उद्योगों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है
कुटीर उद्योग
- ऐसे छोटे-छोटे उद्योग जिनका संचालन बहुत छोटे स्तर पर किया जाता है कुटीर उद्योग कहलाते हैं
- यह निर्माण की सबसे छोटी इकाई है
- स्थानीय कच्चे माल का प्रयोग
- स्थानीय बाजारों तक पहुंच
- कम पूंजी और परिवहन की आवश्यकता
- रोजमर्रा के जीवन की छोटी छोटी वस्तुओं का उत्पादन
- उदाहरण मिट्टी के बर्तन, चटाई आदि
छोटे पैमाने के उद्योग
- कम पूंजी की आवश्यकता
- स्थानीय बाजार तक पहुंच
- स्थानीय कच्चे माल का उपयोग
- कम श्रमिकों की आवश्यकता
- प्रौद्योगिकी का कम प्रयोग
- निम्न शक्ति साधनों की आवश्यकता
- छोटी मशीनों द्वारा कार्य
- उदाहरण कुर्सी उद्योग, कपड़ा उद्योग आदि
बड़े पैमाने के उद्योग
- अधिक पूंजी की आवश्यकता
- उत्पादित वस्तु बेचने के लिए विशाल बाजार की आवश्यकता
- कच्चे माल का विभिन्न जगहों से आयात
- अत्याधिक एवं कुशल श्रमिकों की आवश्यकता
- उच्च प्रौद्योगिकी का प्रयोग
- अत्याधिक शक्ति साधनों की आवश्यकता
- बड़ी-बड़ी मशीनों द्वारा कार्य
- उदाहरण लोहा इस्पात, उद्योग कार उद्योग
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
कच्चे माल के आधार पर उद्योगों को मुख्य रूप से पांच भागों में बांटा जाता है
कृषि आधारित उद्योग
- वह उद्योग जो कृषि द्वारा उत्पादित कच्चे माल पर निर्भर होते हैं कृषि आधारित उद्योग कहलाते हैं
- उदाहरण के लिए शक्कर उद्योग, आचार उद्योग, मसाले एवं तेल उद्योग आदि
- इन उद्योगों में कृषि से प्राप्त कच्चे माल को तैयार माल में बदलकर ग्रामीण एवं नगरीय भागों में बेचने के लिए भेजा जाता है
रसायन आधारित उद्योग
- इस प्रकार के उद्योगों में प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रासायनिक खनिजों का उपयोग होता है
- जैसे कि पेट्रो रसायन उद्योग, प्लास्टिक उद्योग आदि
वनों पर आधारित उद्योग
- वे उद्योग जो कच्चे माल के लिए वनों पर निर्भर होते हैं वन आधारित उद्योग के लाते हैं
- उदाहरण के लिए फर्नीचर उद्योग, कागज उद्योग आदि
पशु आधारित उद्योग
- वह उद्योग जिन में पशुओं से प्राप्त वस्तुओं का उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता है पशु आधारित उद्योग कहलाते हैं
- उदाहरण के लिए चमड़ा उद्योग, ऊनी वस्त्र उद्योग आदि
खनिज आधारित उद्योग
- वे उद्योग जिनमें खनिजों का उपयोग कच्चे माल के रूप में किया जाता है खनिज आधारित उद्योग कहलाते हैं
- उदाहरण के लिए लोहा उद्योग
- इन्हे मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है
धात्विक खनिज उद्योग
- इसमें वे उद्योग आते हैं जो धात्विक खनिजों जैसे कि लोहा, एलुमिनियम, तांबा आदि का उपयोग करते हैं
अधात्विक खनिज उद्योग
- इसमें वे उद्योग आते हैं जो मुख्य रूप से अधात्विक खनिज जैसे कि सीमेंट आदि का उपयोग करते है उद्योग
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
स्वामित्व के आधार पर उद्योगों को मुख्य रूप से तीन भागों में बांटा जाता है
सार्वजनिक उद्योग
- यह वह उद्योग होते हैं जो सरकार के अधीन होते
- दूसरे शब्दों में सरकारी कंपनियों को ही सार्वजनिक उद्योग कहा जाता है
- इन पर मुख्य रूप से सरकार का स्वामित्व होता है और इन्हें सरकार द्वारा ही चलाया जाता है
निजी उद्योग
- वह उद्योग जिन पर एक या अनेक व्यक्तियों का स्वामित्व होता है उन्हें निजी उद्योग कहा जाता है
- आसान शब्दों में समझें तो प्राइवेट कम्पनियाँ ही निजी उद्योग होती हैं
- इन पर मुख्य रूप से एक व्यक्ति या अनेकों व्यक्तियों का स्वामित्व होता है
संयुक्त क्षेत्र के उद्योग
- यह व उद्योग है जिनमें सरकार एवं निजी दोनों क्षेत्रों का स्वामित्व होता है यानी कि कंपनी का कुछ हिस्सा सरकार के पास होता है और कुछ हिस्सा निजी हाथों में होता है
- इस तरह से दोनों द्वारा कंपनी का संचालन किया जाता है
उत्पाद के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
उत्पाद के आधार पर उद्योगों को मुख्य रूप से दो भागों में बांटा जाता है
आधारभूत उद्योग
- वह उद्योग जो दूसरे उद्योगों के लिए आवश्यकता की वस्तुएं बनाते हैं उन्हें आधारभूत उद्योग कहा जाता है उदाहरण के लिए मशीन बनाने वाले उद्योग, लोहा और इस्पात उद्योग
- दूसरे शब्दों में मैं उद्योग जिनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं का उपयोग अन्य उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है उन्हें आधारभूत उद्योग कहते हैं
उपभोक्ता उद्योग
- उपभोक्ता उद्योग जिनके द्वारा बनाई गई वस्तुओं का उपभोग प्रत्यक्ष रूप से उपभोक्ता द्वारा कर लिया जाता है उन्हें उपभोक्ता उद्योग कहते हैं उदाहरण के लिए बिस्कुट, चाय, साबुन उद्योग आदि
उत्पादन प्रक्रिया के आधार पर उद्योगों का वर्गीकरण
उत्पादन प्रक्रिया के आधार पर मुख्य रूप से दो प्रकार के उद्योग होते हैं परंपरागत उद्योग एवं उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग
परंपरागत उद्योग
- यह वह उद्योग हैं जो लंबे समय से चल रहे हैं एवं वर्तमान समय में भी पुराने तरीकों से ही उत्पादन कर रहे हैं परम्परागत उद्योग कहलाते है
- इन उद्योगों में रोजगार का अनुपात ऊंचा होता है
- आसपास का वातावरण अस्वच्छ होता है
- प्रदूषण की अत्याधिक समस्या होती है
- साफ सफाई का विशेष ध्यान नहीं रखा जाता
- श्रमिकों को चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में काम करना पड़ता है
उच्च प्रौद्योगिकी उद्योग
- यह नए प्रकार के उद्योग है
- इन उद्योगों में उत्पादन हेतु उच्च प्रौद्योगिकी(Technology) का प्रयोग किया जाता है
- इन उद्योगों में यंत्रमानव (Robot) का प्रयोग भी किया जाता है
- कार्य स्वचालित (Automatic) होते हैं
- सफाई का विशेष ध्यान रखा जाता है
- प्रदूषण की समस्या ना के बराबर होती है
- वस्तुओं का उत्पादन गहन शोध के बाद किया जाता है
उद्योगों को प्रभावित करने वाले कारक
पूंजी की उपलब्धता
- किसी विशेष क्षेत्र में उपलब्ध पूंजी उस क्षेत्र में उद्योगों को प्रभावित करती हैं
- उदाहरण के लिए एक अल्प विकसित क्षेत्र में बड़े उद्योग लगाना मुश्किल होगा जबकि एक विकसित क्षेत्र में यह कार्य आसान होगा
बाजार तक पहुंच
- उत्पादन करने के बाद प्रत्येक उद्योग को अपना सामान बाजार में बेचना होता है इसीलिए किसी भी उद्योग की बाजार तक पहुंच होना अत्यंत आवश्यक होता है
- यहां पर बाजार से मतलब ग्राहकों तक पहुंच से हैं
श्रम की उपलब्धता
- उत्पादन प्रक्रिया में श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है इसीलिए एक उद्योग श्रम पर निर्भर होता है
- सस्ता एवं उचित मात्रा में मिलने वाला श्रम उद्योगों के विकास में मदद करता है जबकि महंगा एवं कम मात्रा में श्रम की उपलब्धता उद्योगों के विकास में बाधा डालते हैं
शक्ति के संसाधनों ( बिजली और संचार आदि) की स्थिति
- उद्योगों में बड़े स्तर पर उत्पादन किया जाता है एवं बड़ी-बड़ी मशीनों का प्रयोग किया जाता है इसीलिए शक्ति संसाधन ( बिजली और संचार आदि) अत्यंत जरूरी होते हैं
- शक्ति संसाधनों की उच्च उपलब्धता के कारण उद्योगों का विकास होता है जबकि शक्ति संसाधन उपलब्ध ना होने पर औद्योगिक विकास में कमी आती है
परिवहन की सुविधा
- कच्चा माल लाने एवं उत्पादित वस्तु ले जाने के लिए परिवहन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है इसीलिए पर्याप्त परिवहन एवं संचार के साधनों का होना आवश्यक होता है
कच्चे माल की उपलब्धता
- उद्योगों में वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए कच्चा माल सबसे महत्वपूर्ण होता है इसीलिए कच्चे माल की उपलब्धता उद्योगों के विकास को प्रभावित करती है
सरकारी नीति
- प्रत्येक उद्योग सरकारी नीतियों के अनुसार कार्य करता है इसीलिए सरकार द्वारा औद्योगिक पक्ष में बनाई गई नीतियों के कारण उद्योगों को फायदा होता है और उद्योगों के विकास में मदद मिलती है
बड़े उद्योगों की विशेषताएं
कौशल का विशिष्टीकरण
- कौशल के विशिष्टीकरण से अभिप्राय किसी एक व्यक्ति का किसी एक कार्य में कुशल हो जाना है
- बड़े उद्योगों मैं कार्य का विभाजन किया जाता है जिस वजह से एक व्यक्ति अपने कार्य में निपुण हो जाता है और वह सामान समय में अन्य लोगों से ज्यादा उत्पादन कर पाता है इस कारणवश उत्पादन की प्रक्रिया मे तेजी आती है
यंत्रीकरण
- यंत्रीकरण का अर्थ है किसी कार्य को पूरा करने के लिए मशीनों का प्रयोग करना
- बड़े उद्योगों में मशीनों का बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता है जिससे उत्पादन लागत में कमी आती है
उच्च प्रौद्योगिकी का प्रयोग
- बड़े उद्योगों में प्रौद्योगिकी का बड़े स्तर पर प्रयोग किया जाता है जिस वजह से उत्पादन की गुणवत्ता में वृद्धि होती है
कुशल श्रमिक
- बड़े उद्योगों में मुख्य रूप से कुशल श्रमिकों द्वारा उत्पादन प्रक्रिया को पूरा किया जाता है जिससे उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में वृद्धि होती है
अधिक पूंजी
- बड़े उद्योगों में अधिक पूंजी का उपयोग किया जाता है यह उत्पादित वस्तु की गुणवत्ता को बढ़ाता है एवं उसमें लगने वाले समय को कम कर देता है
औद्योगिक प्रदेश
- औद्योगिक प्रदेश उन क्षेत्रों को कहा जाता है जहां भारी उद्योगों का विकास होता है
- लोहा उद्योग भारी इंजीनियरिंग एवं रसायन निर्माण जैसे उद्योगों को भारी उद्योग कहा जाता है
- भारी उद्योगों को धुँए की चिमनी वाला उद्योग भी कहा जाता है
- यह उद्योग मुख्य रूप से उन क्षेत्रों के आसपास विकसित होते हैं जहां कच्चा माल आसानी से उपलब्ध हो
- उदाहरण के लिए
- कोयले की खदानों के आसपास लोहा उद्योगों का विकास क्योंकि कोयला लोहा पिघलाने के कार्य में काम आता है
औद्योगिक प्रदेशों की विशेषताएं
- ऊंचा रोजगार स्तर
- निम्न जीवन स्तर
- अत्याधिक जनसंख्या घनत्व
- अपर्याप्त सेवाएं
- प्रदूषण की समस्या आदि
इन उद्योगों के आसपास जीवन स्तर काफी निम्न होता है क्योंकि क्षेत्र में मुख्य रूप से श्रमिक रहते हैं एवं उद्योग होते हैं इस वजह से सेवाओं पर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता
लोहा इस्पात उद्योग
- लोहा इस्पात उद्योग को आधारभूत उद्योग कहा जाता है क्योंकि यह सभी उद्योगों का आधार है
- अन्य उद्योगों में उपयोग होने वाली मशीनें एवं सभी प्रकार के औजार लोहा एवं इस्पात से ही बनाए जाते हैं इसीलिए इसे अन्य उद्योगों का आधार माना जाता है
- इन उद्योगों की स्थापना मुख्य रूप से कच्चे माल के स्त्रोत के पास ही की जाती है क्योंकि लोहे का परिवहन अत्याधिक महंगा पड़ता है
इस्पात कैसे बनता है?
- लोहा अयस्क को भट्टियों में कार्बन एवं चूना पत्थर के साथ पिघलाया जाता है इस पिघले हुए लोहे को कच्चा लोहा कहा जाता है
- फिर इस कच्चे लोहे में मैग्नीज मिलाकर इस्पात का निर्माण किया जाता है
सूती कपड़ा उद्योग
- इस उद्योग में सूती कपड़े का निर्माण मुख्य रूप से हथकरघा तथा बिजली करघे द्वारा किया जाता है
- इस उद्योग के संचालन के लिए कम पूंजी की आवश्यकता पड़ती है
- यह उद्योग अनेकों श्रमिकों को रोजगार प्रदान करता है
- इस उद्योग के अंतर्गत सूत की कताई, बुनाई आदि का कार्य किया जाता है
- कृत्रिम रेशे से प्रतिस्पर्धा के कारण सूती वस्त्र उद्योग को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है
We hope that Class 12 Geography Chapter 6 Dwitiyak Kriyaein (Secondary Activities) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Geography Chapter 6 Dwitiyak Kriyaein (Secondary Activities) notes in Hindi or about any other notes of class 12 geography in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…
Sir mujhe pdf chahiye lekin chapter ki expectations wali koi pdf hi nahi hai telegram app par
Pls help 😭 9354548530
Bhugol ke notes Mein Ani mahatvpurn question aur Anya bhi Vishay mein bhi
Thanks for giving all class notes.iam very happy.once again’ thanks