पाठ – 10
छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams
इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi (आरोह) |
Chapter no. | Chapter 10 |
Chapter Name | रुबाइयाँ, गज़ल |
Category | Class 12 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
Chapter – 10 छोटा मेरा खेत, बगुलों के पंख
छोटा मेरा खेत’ कविता उमाशंकर जोशी द्वारा रचित उनके काव्य-संग्रह ‘निशीथ’ से संकलित है। प्रस्तुत कविता में कवि ने कवि-कर्म को खेती के रूप में प्रस्तुत किया है। कागज़ का चौकोर पन्ना कवि को एक चौकोर खेत के समान प्रतीत होता है। इस खेत में किसी अंधड़ अर्थात भावनात्मक आँधी के आने से किसी क्षण एक बीज बोया जाता है। यह बीज रचना, विचार और अभिव्यंजना का हो सकता है जो मूलरूप कल्पना का सहारा लेकर विकसित होता है और इस प्रक्रिया में स्वयं गल जाता है।
उससे शब्दों के अंकुर निकलते हैं और अंतत: कृति एक । पूर्ण स्वरूप ग्रहण करती है। साहित्यिक कृति से जो अलौकिक रस-धारा प्रस्फुटित होती है, वह उस क्षण में होने वाली रोपाई का परिणाम है लेकिन उससे प्रस्फुटित रस-धारा अनंतकाल तक चलने वाली कटाई से कम नहीं होती है। कवि स्पष्ट कहता है कि खेत में पैदा अन्न तो । कुछ समय पश्चात समाप्त हो सकता है, लेकिन साहित्य से जिस रस-धारा की प्राप्ति होती है, वह अनंतकाल तक समाप्त नहीं होती।
बगुलों के पंख कविता का सारांश
‘बगुलों के पंख’ कविता ‘उमाशंकर जोशी’ द्वारा रचित उनके सुप्रसिद्ध काव्य-संग्रह ‘निशीथ’ से संग्रहित है। यह प्रकृति-सौंदर्य से परिपूर्ण कविता है। इस कविता में कवि ने सौंदर्य का अपेक्षित प्रभाव उत्पन्न करने के लिए एक युक्ति का सहारा लिया है और सौंदर्य के चित्रात्मक वर्णन के साथ-साथ अपने मन पर पड़ने वाले उसके प्रभाव का भी सुंदर चित्रण किया है। कवि आकाश में छाए काले-काले बादलों में पंक्ति बनाकर उड़ते हुए सुंदर-सुंदर बगुलों के पंखों को देखता है। वे कजरारे बादलों के ऊपर तैरती संध्या की उज्ज्वल सफ़ेद काया के समान प्रतीत होते हैं। कवि का मन इस अत्यंत सुंदर तथा नयनाभिराम दृश्य को देखकर उसी में डूब जाता है। वह इस माया से अपने को बचाने की सिफारिश करता है। लेकिन वह दृश्य इतना सुंदर है कि उसकी आत्मा तक को अपने अंदर समेट लेता है। कवि उससे चाहकर भी बच नहीं पाता।
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