पाठ – 11
कवित्त, सवैया
In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 11 कवित्त, सवैया These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams
इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 11 कवित्त, सवैया के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi (अंतरा) |
Chapter no. | Chapter 11 |
Chapter Name | कवित्त, सवैया |
Category | Class 12 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
कवित्त
बहुत दिनान के अवधि-आस-पास परे,
खरे अरबरनि भरे हैं उठि जान को।
कहि कहि आवन छबीले मनभावन को,
गहि गहि राखति ही दै दै सनमान कौ।।
झूठी बतियानि की पत्यानि तें उदास ह्वै कै,
अब न घिरत घन आनंद निदान को।
अधर लगै हैं आनि करि कै पयान प्रान,
चाहत चलन ये सँदेसौ लै सुजान को॥
- उपरोक्त पंक्तियों मे कवि ने अपने मन की व्याकुलता को दर्शाया है। कवि घनानंद अपनी प्रेमिका सुजान से मिलना चाहते थे पर न मिल पाने के कारण जो उनके मन मे दर्द है, उस दर्द को कवि ने इन पंक्तियों मे व्यक्त किया है
- घनानंद अपनी प्रेमिका सुजान से दूर है और उससे दूर होने के कारण उनके मन में बार बार उनसे मिलने की इच्छा जाग रही है
- कवि ने अपनी प्रेमिका को कई पत्र लिखे परंतु उनकी प्रेमिका सुजान उनके पत्रों का जवाब नहीं दे रही है। जिस वजह से वह बहुत ज्यादा उदास है।
- कवि कहते है की वह कई दिनों से उसके पत्र की प्रतीक्षा कर रहे है परंतु कवि से मिलने आना तो दूर वह उनके पत्रों का जवाब भी नहीं दे रही है। वह कहते है की मेरी प्रेमिका सुजान ने मेरे सारे पत्रों को अपने पास रख लिया है। न तो वह उनका जवाब दे रही है और न ही मेरे पास आ रही है
- वह कहते है की मुझे ऐसा एहसास हो रहा है की वह उनसे मिलना ही नहीं चाहती। सुजान ने कहा थी की वह उनसे मिलने आएगी पर सुजान अपने सारे सारे वादे भूल गई है
- आगे कवि कहते है की बादल भी अब घीर नहीं रहे, घिरे हुए बादलों को देख कर कवि को सुख की प्राप्ति होती थी परंतु आज वह भी उसका साथ नहीं दे रहे।
आनाकानी आरसी निहारिबो करौगे कौलौं?
कहा मो चकित दसा त्यों न दीठि डोलिहै?
मौन हू सों देखिहौं कितेक पन पालिहौ जू,
कूकभरी मूकता बुलाय आप बोलिहै।
जान घनआनंद यों मोहिं तुम्हैं पैज परी,
जानियैगो टेक टरें कौन धौं मलोलिहै।।
रुई दिए रहौगे कहाँ लौ बहरायबे की?
कबहूँ तौ मेरियै पुकार कान खोलिहै।
- उपरोक्त पंक्तियों मे कवि ने अपनी प्रेमिका के कठोर मन की आलोचना की है क्योंकि उनकी प्रेमिका ने उनके किसी भी पत्र का जवाब नहीं दिया। कवि कहते हैं कि तुम अपने हाथ मे पहनी आरसी (अंगूठी ) को बार बार देख रही हो उसे देखने का तुम्हारे पास समय है। मगर मुझे देखने का तुम्हारे पास समय नहीं है। आगे कवि कहते है की क्या मैं तुम्हारे लिए मायने नहीं रखता। आखिर कब तक तुम मुझसे नहीं मिलोगी।
- सुजान के इस व्यवहार के कारण कवि बहुत ज्यादा परेशान हो चुके है और वह मौन होने का फैसला करते हैं। वह कहते हैं कि अब मैं तब तक मौन रहूंगा जब तक तुम मुझसे ना मिलने का प्रण नहीं तोड़ोगी। वह कहते है की अब मेरी ये चुप रहने की जिद ही तुम्हें मुझसे बात करने और मिलने के लिए मजबूर करेगी।
- वह कहते है की मै समझ गया हु की तुमने एक जंग छेड़ी है की हम दोनों मे से कौन पहले बात करेगा इसीलिए अब मे कुछ नहीं बोलूँगा और परेशान हो कर तुम्हें ही मुझसे पहले बात करनी पड़ेगी
- कवि सुजान से कहते हैं कि तुमने तो अपने कानों में रुई डाल रखी है जिस वजह से तुम्हें मेरी पुकार नहीं सुनाई दे रही है। तुम्हें उस दिन मेरे मौन और मेरे दर्द का एहसास होगा जब तुम अपने कानों मे लगी रूई निकलोगी और मेरी पुकार सुनोगी।
सवैया
तब तौ छबि पीवत जीवत हे, अब सोचन लोचन जात जरे।
हित-तोष के तोष सु प्रान पले, बिललात महा दुख दोष भरे।
घनआनंद मीत सुजान बिना, सब ही सुख-साज समाज टरे।
तब हार पहार से लागत हे, अब आनि के बीच पहार परे।।
- उपरोक्त पंक्तियों में कवि अपने दुख का वर्णन कर रहे हैं वह अपनी प्रेमिका सुजान से बिछड़ने के कारण अत्यंत दुखी हैं और अपने इसी दुख का वर्णन उन्होंने कविता के इस भाग में किया है उन्हें बार-बार अपनी प्रेमिका सुजान की याद आ रही है जिस वजह से वह और ज्यादा दुखी हो गए हैं
- कवि उन सभी पलों को याद कर रहे हैं जो उन्होंने अपनी प्रेमिका सुजान के साथ बिताए हैं उन सभी सुखी पलों को याद करते हुए वह कहते हैं कि सुजान जब तुम मेरे साथ थी जब तुम मेरे पास रहती थी तो मैं तुम्हारी छवि को देखकर मन ही मन खुश होता था और सुखी होता था परंतु जब से तुम मुझसे दूर गई हो मैं उन सभी सुखी दिनों को याद करके दिन रात आंसू बहा रहा हूं
- वे कहते हैं कि अब तुम मेरे पास नहीं तो वह आंखें जो सिर्फ तुम्हें देखकर सुख का अनुभव करती थी आज केवल आंसू बहा रही है और दुख की आग में जल रही है वह कहते हैं कि जब तुम मुझसे मिलती थी तो तुम्हारे साथ का हर एक पल मुझे यह विश्वास दिलाता था कि तुम हर पल मेरे साथ रहोगी पर क्योंकि आज तुम मुझसे बहुत दूर हो गई हो इसीलिए मैं बहुत दुखी हूं
- मेरे लिए जीवन का सारा सुख तुम ही थी और आज तुम्हारे बिना मुझे कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा है संसार का संपूर्ण सुख मेरे लिए बेकार है क्योंकि तुम मेरे साथ नहीं हो
- जब हम मिला करते थे तो तुम्हारे गले का हार पहाड़ जैसा लगता था परंतु अब तुम्हारे और मेरे बीच में अनेकों पहाड़ खड़े हो गए हैं और यह दूरी मैं सहन नहीं कर पा रहा हूं
पूरन प्रेम को मंत्र महा पन, जा मधि सोधि सुधारि है लेख्यौ।
ताही के चारु चरित्र बिचित्रनि, यों पचिकै राचि राखि बिसेख्यौ।
ऐसो हियो हितपत्र पवित्र जु, आन-कथा न कहूँ अवरेख्यौ।
सो घनआनंद जान, अजान लौं, टूक कियौ पर बाँचि न देख्यौ।।
- उपरोक्त पंक्तियों में कवि ने अपनी प्रेमिका सुजान के कठोर मन का वर्णन किया है उन्होंने अपनी प्रेमिका सुजान को अनेकों चिट्ठियां भेजी मगर उनकी प्रेमिका ने एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया
- कवि कहते हैं कि मेरे द्वारा भेजे गए हर एक पत्र में मैंने तुम्हारी सुंदरता, हमारे प्रेम और हमारे साथ में बिताए हुए पलों का वर्णन किया था परंतु तुमने उनमें से एक का भी जवाब नहीं दिया। कवि और ज्यादा दुखी हो जाते हैं जब उन्हें यह पता चलता है कि उनकी प्रेमिका सुजान ने उनके सभी पत्रों को बिना पढ़े ही फाड़ डाला है
- कविता के इस अंश में कवि घनानंद ने अपनी प्रेमिका सुजान के निष्ठुर मन का वर्णन किया है। कवि घनानंद ने अपनी प्रेमिका सुजान को बहुत सारी चिट्ठियां भेजी थी। मगर उनकी प्रेमिका सुजान ने एक भी पत्र का उत्तर नहीं दिया।
- आगे कवि कहते हैं कि सुजान मैंने हर एक पत्र में तुम्हारी सुंदरता और हमारे प्रेम का वर्णन किया था। मगर तुम एक भी पत्र का जवाब नहीं दिया।
- कवि घनानंद बहुत दुखी हो जाते हैं, जब उन्हें यह पता चलता है कि उनकी प्रेमिका सुजान ने उनके द्वारा भेजे गए पत्र को बिना पढ़े ही फाड़ डाला है।
- वह कहते हैं कि उस हर एक पत्र पर हमारे प्रेम और तुम्हारी सुंदरता की पवित्र कहानी को लिखा गया था पर तुमने उन्हें बिना पढ़े ही फाड़ डाला आखिर तुमने ऐसा क्यों किया?
- कवि अपनी प्रेमिका के इस कठोर व्यवहार की वजह से अत्यंत दुखी है।
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