पाठ – 17
शेर, पहचान, चार हाथ, साँझा
In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साँझा These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams
इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 17 शेर, पहचान, चार हाथ, साँझा के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi (अंतरा) |
Chapter no. | Chapter 17 |
Chapter Name | शेर, पहचान, चार हाथ, साँझा |
Category | Class 12 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
शेर, पहचान, चार हाथ, साँझा – असगर वजाहत
असगर वजाहत का जन्म 5 जुलाई 1946 को फतेहपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने लगभग दस साल की उम्र में लिखना शुरू कर दिया था। प्रारंभ में विभिन्न पत्रिकाओं में लिखने के बाद, उन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया विश्वविद्यालय में पढ़ाना शुरू किया।
शिक्षा: –
इनकी प्रारंभिक शिक्षा फतेहपुर में हुई। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से MA और PhD पूरी की।
कार्य: –
इन्होने सन 1955-56 से लिखना शुरू किया था। प्रारंभ में उन्होंने विभिन्न पत्रिकाओं में लेखन कार्य किया, बाद में उन्होंने दिल्ली में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में अध्यापन कार्य शुरू किया।
रचनाएं: –
असगर वजाहत ने लघु कथाएँ, उपन्यास, नाटक और लघु कथाएँ लिखीं। उन्होंने फिल्मों और धारावाहिकों के लिए पटकथाएं भी लिखीं। उनकी प्रमुख कृतियाँ हैं-
कहानी संग्रह: –
सब कहां कुछ, दिल्ली पहुंचना है, आधी बानी, स्विमिंग पूल, सब कहां कुछ, मैं हिंदू हूं।
नाटक: –
जिन लाहौर, नई देख्या, फिरंगी लौट आए, इन्ना की आवाज, जिन लाहौर, नई देख्या, वीरगति, समिधा, अकी।
नुक्कड़ नाटक: –
सबसे सस्ता गोश्त (संग्रह)
उपन्यास: –
पहर दोपहर, रात में जागने वाले, सात आसमान, कैसी आगि लगाई।
पुरस्कार: –
- साहित्यिक सम्मान हिंदी अकादमी से सन 2000 में सृजनात्मक लेखन के लिए संस्कृति पुरस्कार।
- सर्वश्रेष्ठ नाटककार पुरस्कार (हिंदी अकादमी द्वारा), आचार्य निरंजनाथ पुरस्कार, संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार, हिंदी अकादमी का सर्वोच्च पुरस्कार, ‘महाबली’ के लिए वर्ष 2021 का व्यास सम्मान।
साहित्यिक विशेषताएं: –
इन्होंने अपने लेखन में समाज के यथार्थ को जगह दी है, मजदूरों, आम जनता के शोषण को और शोषक के अत्याचार को दर्शाया है। इन्होंने कहानी, उपन्यास, नाटक तथा लघु कथा तो लिखी ही है, साथ ही फिल्मों एवं धारावाहिकों के लिए पटकथा लेखन का कार्य भी किया है।
भाषा शैली: –
भाषा में व्यंग्य की तीक्षणता के साथ-साथ गंभीरता और सहजता के दर्शन होते हैं। मुहावरों और तद्भव शब्दों के प्रयोग के कारण सहज और सादगी से परिपूर्ण है। व्यंग्य का सहारा लेते हुए समाज राजनीति और अव्यवस्था की सत्यता को उद्घाटित किया है।
शेर , पहचान , चार हाथ , साझा ( असगर वजाहत अन्तरा भाग 2 लघु कथाएं )
विधा: – लघु कथाएं
पाठ की मूल संवेदना: –
इन चार लघु कथाओं में लेखक ने व्यवस्था, शासन तंत्र, शोषण और मजदूरों किसानों की समस्या पर करारी चोट की है।
1. शेर (व्यवस्था का प्रतीक)
‘शेर’ असगर वजाहत की एक प्रतीकात्मक और व्यंग्यपूर्ण लघुकथा है। शेर – व्यवस्था का प्रतीक है, जो अभी भी मौन रहती है। जब तक पूरी जनता उसके खिलाफ नहीं बोलती। जैसे ही व्यवस्था के खिलाफ उंगली उठाई जाती है, सत्ता उसे कुचलने की कोशिश करती है। सत्ता में बैठे लोग तरह-तरह के प्रलोभन देकर जनता को लुभाने की कोशिश करते हैं, जबकि सच तो यह है कि वे अपने उल्लू को सीधा ही कर रहे होते हैं। शेर के प्रलोभन के कारण गधों, लोमड़ियों, उल्लुओं और कुत्तों का एक समूह बिना किसी हिचकिचाहट के उसके मुँह में जा रहा था।
प्रमाण से अधिक महत्वपूर्ण है विश्वास: –
भोली-भाली जनता सबूतों को ज्यादा महत्व न देकर आस्था के आधार पर शासक वर्ग की बात मानती है। यह जानते हुए कि शेर एक मांसाहारी प्राणी है, जो सबको खाता है। सभी जानवरों को यह विश्वास दिलाया जाता है कि अब शेर अहिंसा और अस्तित्ववादी का समर्थक बन गया है और जानवरों का शिकार नहीं करेगा। इसलिए जानवर उनकी बात मानते हैं और अपने आप ही सिंह के मुंह में प्रवेश कर जाते हैं। लेकिन लेखक की तरह कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो सबूतों को ज्यादा महत्वपूर्ण मानते हैं, जिन्हें सत्ता कुचलने की कोशिश करती है।
2. पहचान
राजा द्वारा दिए गए हुकुम: –
राजा ने अपने राज्य में उत्पादन बढ़ाने के लिए आम जनता जैसे खैरती, रामू, छिद्दू आदि को आंखें बंद करके काम करने का आदेश दिया। अपने अपने कानों में पिघला हुआ शीशा डलवा ले, अपने होठों को सिलवाओ, क्योंकि बोलना हमेशा से ही उत्पादन में बाधक रहा है, फिर उन्हें कई चीजों को काटने और जोड़ने का आदेश दिया गया।
जिससे राजा आश्चर्यजनक रूप से दिन-रात उन्नति करने लगा।
राजा की निरंकुशता का परिणाम: –
यह कहानी राज्य की तानाशाही और लालच को दर्शाती है। यदि लोग राज्य की स्थिति की अनदेखा करती हैं तो शासक वर्ग निरंकुश हो जाता है। उन्नति के नाम पर वह सारे साधन हड़प लेता है और अपना भला करता है, ऐसा शासक वर्ग बहरे, गूंगे और अंधे लोगों को पसंद करते है जो केवल उसके आदेशों का पालन करें। खैराती, रामू और छिद्दू ऐसे लोगों के प्रतीक हैं जो अपने राजा पर आँख बंद करके विश्वास करते हैं, लेकिन जब तक उन्होंने अपनी आँखें खोलीं, राजा बहुत मजबूत हो गया।
उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं हुई।
3. चार हाथ
‘चार हाथ’ पूंजीवादी व्यवस्था में मजदूरों के शोषण को उजागर करता है। मिल मालिकों का लालच मजदूरों का शोषण करता है। मिल मालिक मजदूरों को केवल एक कलपुर्जे (स्पेयर पार्ट) के रूप में लेता है जिससे उन्हें लाभ होगा। वह हर संभव प्रयास करते है कि उन मजदूरों का अस्तित्व समाप्त हो जाए और वे विरोध की स्थिति में न रहें ताकि वे उसके कहने पर दोगुना काम कर सकें। अधिक उत्पादन की चाह में वह मजदूरों पर लोहे का हाथ लगाते है, जिससे सभी मजदूरों की मौत हो जाती है। अंत में वह समझते है कि अगर उसे अधिक उत्पादन और लाभ चाहिए, तो मजदूरी आधी कर दें और श्रमिकों को दोगुना रख दें।
4. साझा
साझा में आजादी के बाद किसानों की दुर्दशा का वर्णन किया गया है। पूँजीपतियों और गाँव के प्रभुत्वशाली वर्ग की नज़र किसान की जमीन और उत्पाद पर है, वह हर संभव प्रयास से इसे हासिल करना चाहते है। हाथी समाज के धनी और प्रभुत्वशाली वर्ग का प्रतीक है, जो किसानों की सारी मेहनत और कमाई को धोखे से हड़प लेते है और किसानों को यह पता भी नहीं चलता। किसान सक्षम होते हुए भी असहाय रहता है।
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