सत्य (CH- 5) Detailed Summary || Class 12 Hindi अंतरा (CH- 5) ||

पाठ – 5

सत्य 

In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 5th सत्य. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams

इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 5 सत्य के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHindi (अंतरा)
Chapter no.Chapter 5
Chapter Nameसत्य
CategoryClass 12 Hindi Notes
MediumHindi
Class 12 Hindi Chapter 5 सत्य
Class

 

 

सत्य कविता का सारांश

  • सत्य कविता में कवि विष्णु खरे ने महाभारत के दो पात्रों युधिष्ठिर एवं विदुर के द्वारा जीवन में सत्य के महत्व को दर्शाया है
  • जिस दौर में विष्णु खरे द्वारा यह कविता लिखी गई है वह दौर सत्य का दौर नहीं है और एक कवि का उद्देश्य होता है कि वह अपने समाज को अपनी कविताओं द्वारा शिक्षा दें इसीलिए विष्णु खरे ने इस कविता में सत्य के महत्व को दर्शाया है
  • कवि के अनुसार सत्य ढूंढने से कभी नहीं मिलता वह हर व्यक्ति के अंदर समाया होता है जिसे पहचानने की आवश्यकता होती है यदि हम सत्य को ढूंढने का प्रयास करते हैं तो वह हमसे दूर जाता रहता है परंतु अगर एक व्यक्ति में निष्ठा है तो  उसे सत्य की प्राप्ति अवश्य होती है

सत्य कविता की व्याख्या

जब हम सत्‍य को पुकारते हैं

तो वह हमसे हटते जाता है

जैसे गुहारते हुए युदिष्ठिर के सामने से

भागे थे विदुर और भी घने जंगलों में

  • शुरुआती लाइनों में कवि कहते हैं कि सत्य की प्राप्ति सिर्फ उसे पुकारने से नहीं होती सत्य को पाने के लिए हमें कठोर तप और परिश्रम करना पड़ता है जिस तरह सोना तप कर और चमक उठता है उसी तरह से सत्य को पाने के लिए भी एक व्यक्ति को तपना पड़ता है
  • आगे कवि महाभारत के दो पात्रों युधिष्ठिर और विदुर का उदाहरण देते हुए सत्य और उसे चाहने वाले के बीच के संबंध को दर्शाते हैं
  • यहां पर विदुर सत्य का रूप है जबकि युधिष्ठिर को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जो सत्य को प्राप्त करना चाहता है
  • महाभारत में विदुर एक ऐसे पात्र थे जो सदैव सच बोला करते थे परंतु जब युधिष्ठिर उनके पास जाकर पांडवों के साथ हुए अन्याय के बारे में उनसे पूछता है तो विदुर कुछ नहीं कहते और उनसे दूर जंगलों की तरफ भाग जाते हैं

सत्‍य शायद जानना चाहता है

कि उनके पिछे हम कितनी दूर तक भटक सकते हैं

कभी दिखता है सत्‍य

और कभी ओझल हो जाता है

और हम कहते रह जाते हैं कि रुको यह हमको हैं

जैसे धर्मराज के बार-बार दुहाई देने पर

कि ठहरिए स्‍वामी विदुर

यह मैं हूँ आपका सेवक कुंतीनंदन युदिष्ठिर

वे नहीं ठिठकते

  • आगे कवि कहते हैं कि शायद विदुर जानना चाहते थे कि युधिष्ठिर  सच की खोज में कितना परिश्रम करने के लिए तैयार हैं  और इसी वजह से वह जंगल में भाग जाते हैं और बार-बार युधिष्ठिर के रोकने पर भी नहीं रुकते  जंगलों की तरफ भागते हुए विदुर युधिष्ठिर को कभी दिखाई देते हैं तो कभी उनकी आंखों से ओझल हो जाते हैं
  • ऐसा ही एक व्यक्ति के जीवन में भी होता है यदि वह सत्य की तलाश में लगा रहे तो सत्य हमेशा उससे दूर भागता रहता है  कभी व्यक्ति को वह सत्य दिखाई देता है और कभी एकदम से वह उसकी आंखों से ओझल हो जाता है
  • युधिष्ठिर के बार-बार कहने और विनती करने पर भी विदुर  नहीं रुकते युधिष्ठिर  कहते हैं कि विदुर  रुकिए यह मैं हूं कुंती का पुत्र और आपका सेवक परंतु विदुर नहीं रुकते
  • ऐसा ही एक व्यक्ति के जीवन में होता है वह सत्य को बार-बार पुकार कर, दुहाई  देकर उसे रोकने की और उसे पाने की कोशिश करता है परंतु सत्य उसे प्राप्त नहीं होता
  • सत्य हमारी परिक्षा लेता है कि हम किस हद तक सत्य के पीछे भाग सकते हैं और उसको पाने के लिए कितना तप कर सकते हैं

जैसे शमी वृक्ष के तने से टिककर

न पहचानने में पहचानते हुए विदुर ने धर्मराज को

निर्निमेष देखा था अंतिम बार

और उनमें से उनका आलोक धीरे-धीरे आगे बढ़कर

मिल गया था युदिष्ठिर में

सिर झुकाए निराश लौटते हैं हम

कि सत्‍य अंत तक हमसे कुछ नहीं बोला

हाँ हमने उसके आकार से निकलता वह प्रकाश-पुंज देखा था

हम तक आता हुया

वह हममें विलीन हुया या हमसे होता हुया आगे बढ़ गया

  • उस समय तक भागने के बाद विदुर को यह एहसास होता है कि अब उनका अंतिम समय निकट आ चुका है और वह किसी भी पल अपनी देह त्याग कर सकते हैं विदुर अपनी उर्जा किसी श्रेष्ठ व्यक्ति को देना चाहते थे और युधिष्ठिर से बेहतर विकल्प उन्हें कोई और दिखाई नहीं देता अंत में जाकर वह  एक शमी के पेड़ के सहारे खड़े हो जाते हैं  और उनकी सारी शक्तियां युधिष्ठिर में समा जाती हैं
  • इस प्रकार यह दिखाया गया है कि अगर एक व्यक्ति सत्य के पीछे निरंतरता और दृढ़ता से  भागता रहे तो एक दिन उसे सत्य की प्राप्ति अवश्य होती है और वह सत्य उसमें समा जाता है जिससे उसे सत्य का ज्ञान तो होता ही है साथ ही साथ उसकी शक्तियां और ऊर्जा भी बढ़ती है

हम कह नहीं सकते

न तो हममें कोई स्‍फुरण हुया और न ही कोई ज्‍वर

किंतु शेष सारे जीवन हम सोचते रह जाते हैं

कैसे जानें कि सत्‍य का वह प्रतिबिंब हममें समाया या नहीं

हमारी आत्‍मा में जो कभी-कभी दमक उठता है

क्‍या वह उसी का छुअन है

  • इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जब सत्य एक व्यक्ति में समाहित होता है यानी उसमें मिल जाता है तो उसे इस बात का एहसास नहीं होता ना ही तो उसके शरीर में कोई हलचल होती है और ना ही कोई कंपन महसूस होता है और ना ही उसे अपने शरीर में कोई बदलाव दिखाई देता है
  • यहां पर मुख्य रुप से कवि यह बताने का प्रयत्न करते हैं कि सत्य का प्रकाश हमेशा से हमारे भीतर ही समाहित होता है बस हमें उसे पहचानने की जरूरत होती है अगर हम उस सत्य को पहचान लेते हैं तो हम अपने जीवन में और ज्यादा ऊर्जावान और समझदार बन जाते हैं

विदुर कहना चाहते तो वही बात कह सकते थे

सोचा होगा माथे के साथ अपना मुकुट नीचा किए

युदिष्ठिर ने

खांडवप्रस्‍थ से इंद्रप्रस्‍थ लौटते हुए।

  • विश्व में हर व्यक्ति के लिए सच्चाई अलग-अलग होती है एक चीज जो किसी के लिए सही है वह दूसरे के लिए गलत भी हो सकती है इसी वजह से सच की प्राप्ति के पश्चात भी युधिष्ठिर के मन में यह  था कि अगर विदुर यह कह देते तो और बेहतर होता
  • अंत में यह सब देखकर युधिष्ठिर खांडवप्रस्थ से अपने घर इंद्रप्रस्थ वापस लौट जाते हैं मन में यह सोचते हुए कि शायद विदुर चाहते तो यह बात कह सकते थे 
  • इन पंक्तियों से हमें पता चलता है कि सत्य कठोर होता है और उसकी प्राप्ति के लिए निरंतर परिश्रम करना पड़ता है परन्तु फिर भी वह सत्य आपके अनुसार हो यह ज़रूरी नहीं 

विशेष 

  • महाभारत के पात्रों की कहानी के द्वारा सत्य का वर्णन किया गया है
  • खड़ी बोली का सुंदर प्रयोग किया गया है
  • तत्सम शब्दों का प्रयोग किया गया है
  • यह एक छंद मुक्त कविता है 

We hope that class 12 Hindi Chapter 5 सत्य (Satya) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Hindi Chapter 5 सत्य (Satya) notes in Hindi or about any other notes of class 12 Hindi Notes, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…

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