एक कम (CH- 5) Detailed Summary || Class 12 Hindi अंतरा (CH- 5) ||

पाठ – 5

एक कम

In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 5th Ek Kam. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams

इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 5 एक कम के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHindi (अंतरा)
Chapter no.Chapter 5
Chapter Nameएक कम
CategoryClass 12 Hindi Notes
MediumHindi
Class 12 Hindi Chapter 5 एक कम

विष्णु खरे (जीवन परिचय)

जन्म 

  • विष्णु खरे का जन्म सन 1940 में छिंदवाड़ा मध्य प्रदेश में हुआ

शिक्षा

  • क्रिश्चियन कॉलेज इंदौर से 1963 में विष्णु खरे ने अंग्रेजी साहित्य में M. A. किया

कार्य

  • 1962 से 1963 तक इंदौर समाचार में उप संपादक रहे
  • 1963 से मध्य प्रदेश और दिल्ली के महाविद्यालयों में अध्यापन का कार्य किया
  • 1985 में नवभारत टाइम्स में प्रभारी कार्यकारी संपादक के पद पर कार्य किया
  • साथ ही साथ अंग्रेजी के टाइम्स ऑफ इंडिया में भी  संपादन का कार्य किया
  • विष्णु खरे कवि के साथ-साथ एक अनुवादक साहित्यकार फिल्म समीक्षक एवं पत्रकार के रूप में भी जाने जाते हैं 
  •  

रचनाएं

  •  1960 में टी एस इलियट का अनुवाद मरू प्रदेश और अन्य कविताएं प्रकाशित की
  • दूसरा कविता संग्रह एक गैर रूमानी समय में 1970 में प्रकाशित किया
  • खुद अपनी आंख से 1978 में,  सब की आवाज के पर्दे में 1994 में,  पिछला बाकी एवं काल और अवधि के दरमियान  इनकी मुख्य रचनाएं हैं
  •  

एक कम कविता का सारांश

  • एक कम कविता में कवि विष्णु खरे ने आजाद भारत का चित्रण किया है
  • उस दौर में सभी को ऐसा लग रहा था कि जब भारत आजाद हो जाएगा तो भारत में सब कुछ अच्छा हो जाएगा मगर आजादी के बाद ऐसा कुछ हुआ नहीं कवि के अनुसार आजादी के बाद कुछ लोग अमीर हो गए जबकि कुछ लोग और ज्यादा गरीब हो गए
  • मतभेद के कारण अमीरी और गरीबी का फासला दिन प्रतिदिन बढ़ता चला गया
  • आगे कभी कहते हैं कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजाद कराने और समानता लाने के लिए किसी चीज की परवाह नहीं की उन्होंने अपनी जान तक न्योछावर कर दी पर आजादी के बाद का मंजर कुछ अलग ही था
  • आजादी के बाद लोगों के मन में लोभ और लालच बड़ा जिस वजह से अमीर बनने के लिए वह किसी भी हद तक गिरने के लिए तैयार हो गए लोगों में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की भावना बढ़ी और वह अपने अंदर के मानवीय मूल्यों को भूलते चले गए
  • आजादी के बाद भारत में एक ऐसी प्रतिस्पर्धा की शुरुआत हुई जिसमें हर व्यक्ति एक दूसरे से आगे निकलना चाहता था
  • इस स्थिति में जो सबसे परेशान हुआ वह एक आम आदमी था जो भले ही गरीब रहा पर उसने कभी बेईमानी नहीं कि वह अपने नैतिक मूल्यों को अपने साथ लेकर चला और कभी किसी से धोखाधड़ी नहीं की

एक कम कविता की व्याख्या

1947 के बाद से

इतने लोगों को इतने तरीकों से

आत्मनिर्भर मालामाल और गतिशील होते देखा है

कि अब जब आगे कोई हाथ फैलाता है

पच्चीस पैसे एक चाय या दो रोटी के लिए

तो जान लेता हूं

मेरे सामने एक इमानदार आदमी, औरत या बच्चा खड़ा है

  • कभी कहते हैं कि आजादी के बाद लोग आगे बढ़ने की होड़ में लग गए हैं और इस होड़ में अपना ईमान खोते जा रहे हैं उनका मुख्य उद्देश्य जीवन में ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा कर अमीर होना है चाहे उसके लिए उन्हें अपना ईमान क्यों ना खोना पड़े
  • वही कभी कहते हैं कि उन्हें कुछ ऐसे लोग भी मिले हैं जो 25 पैसे की एक चाय और दो रोटी के लिए बिना किसी शर्म के लोगों के सामने हाथ फैलाते हैं ऐसे लोगों को देखकर कभी समझ जाते हैं ईमानदार है क्योंकि वह बेईमानी द्वारा  पैसा कमाने से बेहतर बिना शर्म किए पैसा मांगना समझते हैं
  • इन पंक्तियों में मुख्य रूप से कवि ने उन लोगों पर कटाक्ष किया है जो गलत तरीके से पैसा कमा कर खुद को बड़ा और धनवान समझते हैं

मानता हुआ कि हां मैं लाचार हूं कंगाल या कोढ़ी

या मैं भला चंगा हूं और कामचोर और

एक मामूली धोखेबाज़

लेकिन पूरी तरह तुम्हारे संकोच लज्जा परेशानी

या गुस्से पर आश्रित

तुम्हारे सामने बिल्कुल नंगा निर्लज्ज और निरंकांक्षी

मैंने अपने को हटा लिया है हर होड़ से

मैं तुम्हारा विरोधी प्रतिद्वंदी या हिस्सेदार नहीं

मुझे कुछ देकर या ना देकर भी तुम

कम से कम एक आदमी से तो निश्चित रह सकते हो

  • आगे कभी कहते हैं कि अगर मैं भी इस आगे बढ़ने की होड़ में रहता और बहुत सारे पैसे कमाता तो शायद मैं आज इन लोगों की मदद कर पाता लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया वे कहते हैं कि उन्हें  इस बात का अफसोस है
  • एक तरफ  कवि को उन लोगों पर शर्म आ रही है जो बेईमानी करके पैसा कमाते हैं वहीं दूसरी तरफ कभी को उन लोगों से सहानुभूति है जो इमानदारी के पथ पर चलते हैं और किसी तरह अपना पेट भरते हैं
  •  कवि को इस बात का अफसोस है कि वह इन लोगों की मदद नहीं कर पा रहे क्योंकि इस वक्त वह खुद इतने अमीर नहीं है

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