पाठ – 6
तोड़ो
In this post we have given the detailed notes of class 12 Hindi chapter 6th तोड़ो . These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams
इस पोस्ट में क्लास 12 के हिंदी के पाठ 6 तोड़ो के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Hindi (अंतरा) |
Chapter no. | Chapter 6 |
Chapter Name | तोड़ो |
Category | Class 12 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
तोड़ो कविता का सारांश
तोड़ो कविता की रचना कवि रघुवीर सहाय द्वारा की गई है। जिस प्रकार भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए उसमें उपस्थित चट्टानों को तोड़ना पड़ता है और उस भूमि को समतल बनाना पड़ता है उसी प्रकार कवि भी एक मनुष्य के मन में व्याप्त चट्टानों जैसे की उदासी, शंका और आलस्य को तोड़कर हटाने की बात कहते है ताकि एक व्यक्ति खुद को समझ सके और नया सृजन कर सके।
तोड़ो कविता भावार्थ
तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये पत्थर ये चट्टानें
ये झूठे बंधन टूटें
तो धरती का हम जानें
सुनते हैं मिट्टी में रस है जिससे उगती दूब है
अपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब है
आधे आधे गाने
- इन पंक्तियों में कवि ने मनुष्य के मन की तुलना भूमि से की है
- कवि कहते हैं कि जिस प्रकार एक बंजर भूमि को उपजाऊ बनाने के लिए उस भूमि में मौजूद चट्टानों और पत्थरों को तोड़ने की आवश्यकता होती है। ठीक उसी प्रकार एक व्यक्ति को सृजनशील बनाने के लिए उस व्यक्ति के मन में मौजूद चट्टानों यानी कि उदासी, शंका और आलस को तोड़ने अर्थात इन्हें दूर भगाने की जरूरत होती है
- जब एक व्यक्ति के मन में व्याप्त शंकाये, उदासी और आलस दूर हो जाता है तो वह व्यक्ति खुद को और अपनी क्षमताओं को पहचान पाता है और अपनी क्षमताओं अनुसार समाज में योगदान दे पाता है।
- इसी वजह से कवि आवाहन करते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन में व्याप्त उन चट्टानों को तोड़ना चाहिए और अपने मन को उस भूमि की तरह उपजाऊ बनाना चाहिए जो नई फसल को जन्म देती है ताकि वह भी उस खुश मन के साथ संसार में नई चीजों का सृजन कर सके
- कवि कहते हैं की उदास मन के साथ भी कोई व्यक्ति ठीक प्रकार से एक गाना भी नहीं गा सकता अगर मनुष्य का मन प्रसन्न ना हो तो उसके लिए कोई भी कार्य करना अत्यंत कठिन हो जाता है इसी वजह से कवि कहते है की सभी मनुष्यो को अपने मन में व्याप्त चिंताओं, शंकाओं और समस्याओं को दूर करके अपनी क्षमताओं को पहचानने और समाज कल्याण के लिए अपनी क्षमताओं का इस्तेमाल करने की आवश्यता है।
तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये ऊसर बंजर तोड़ो
ये चरती परती तोड़ो
सब खेत बनाकर छोड़ो
मिट्टी में रस होगा ही जब वह पोसेगी बीज को
हम इसको क्या कर डालें इस अपने मन की खीज को?
गोड़ो गोड़ो गोड़ो
- इन पंक्तियों में कवि मन में व्याप्त उस बंजर को खत्म करने की बात करते हैं जो एक व्यक्ति को उसकी क्षमतायें पहचानने से रोकता है
- धरती का उदाहरण देते हुए कवि कहते हैं कि जिस प्रकार बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़ने के कारण एक धरती में रस यानी उपजाऊपन उत्पन्न होता है और वह एक बीच को पौधा बनाने योग्य बन पाती है। उसी प्रकार एक व्यक्ति के मन में व्याप्त उदासी, चिंता और शंकाओं की चट्टानों को हटाने के पश्चात ही वह व्यक्ति अपनी क्षमताओं और खुद को पहचान पाता है और फिर उन क्षमताओं का इस्तेमाल करके समाज के कल्याण में योगदान दे पाता है
- इसी वजह से कवि प्रत्येक व्यक्ति से मन में उपस्थित चिंता और उदासी को दूर करने की बात कहते हैं ताकि वह भी अपनी क्षमताओं को पहचान कर समाज के कल्याण में योगदान दे सकें
विशेष
- प्रकृति की तुलना मन से की गई है
- खड़ी बोली का प्रयोग किया गया है
- छंद मुक्त कविता है
- व्यक्ति को सशक्त बनाने की बात की गई है
- यह एक लयात्मक कविता है
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