पाठ – 11
विद्रोही और राज (1857)
In this post we have given the detailed notes of class 12 History Chapter 11 Vidrohi or Raj (Rebels and the Raj) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के इतिहास के पाठ 11 विद्रोही और राज (Rebels and the Raj) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं इतिहास विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | History |
Chapter no. | Chapter 11 |
Chapter Name | विद्रोही और राज (1857) (Rebels and the Raj) |
Category | Class 12 History Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
1857 का विद्रोह
- 1857 के विद्रोह की शुरुआत मंगल पांडे नामक एक सैनिक के विद्रोह से हुई
- ईस्ट इंडिया कंपनी की 34 वी बंगाल इन्फेंट्री के सिपाही थे
- यह यह बंगाल में स्थित बैरकपुर में तैनात थे
- इन्होंने रेजिमेंट के अफसर लेफ्टिनेंट बाग पर हमला कर उसे घायल कर दिया
- इन्हें गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया परंतु उनके साथी सिपाहियों ने इन्हें गिरफ्तार करने से मना कर दिया
- मंगल पांडे ने अपने साथियों से विद्रोह करने के लिए कहा पर किसी ने भी उनकी बात नहीं मानी अंत में मंगल पांडे ने अपनी बंदूक से अपने प्राण लेने के प्रयास किए परंतु इस प्रयास में वह केवल घायल ही हो सके
- इसके बाद अंग्रेजों द्वारा उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 8 अप्रैल 1857 को इन्हें फांसी दे दी गई
- इन्हें ही 1857 के विद्रोह का पहला क्रांतिकारी कहा गया
मेरठ में बगावत
- मंगल पांडे की मृत्यु के बाद भी विद्रोह शांत नहीं हुआ
- 10 मई 1857 को मेरठ की छावनी में उपस्थित सिपाहियों ने विद्रोह कर दिया
- भारतीय सैनिकों से बनी पैदल सेना ने इस विद्रोह की शुरुआत की और जल्दी ही इस में घुड़सवार फ़ौज भी शामिल हो गई
- धीरे धीरे ही यह विद्रोह पूरे मेरठ शहर में फैल गया
- सिपाहियों ने सबसे पहले शस्त्रागार (हथियार और गोला बारूद रखने की जगह) पर कब्जा किया ताकि वह विद्रोह के लिए जरूरी शस्त्र इकट्ठा कर सके
- धीरे-धीरे शहर के आसपास के लोग भी विद्रोह में शामिल हो गए
- इसके बाद उन्होंने अंग्रेजों के बंगलों पर हमला किया बहुत सारे अंग्रेजो को मार दिया और उनके बंगलों को लूट लिया
- सभी सरकारी इमारतों जैसे कि रिकॉर्ड दफ्तर, डाकखाने, सरकारी खजाने, अदालत आदि को लूटा गया और अंत में तबाह कर दिया गया
दिल्ली में बगावत
- इन सिपाहियों का मुख्य उद्देश्य केवल मेरठ में विद्रोह करना नहीं था
- यह इस विद्रोह को पूरे देश में फैलाना चाहते थे इसीलिए इस विद्रोह को आगे बढ़ाने और पूरे देश में फैलाने के लिए सिपाहियों का एक गुट 10 मई की रात को मेरठ से रवाना हुआ ताकि वह दिल्ली में जाकर बादशाह बहादुर शाह जफर को इस विद्रोह में शामिल कर सकें
- सिपाहियों का यह गुट अगली सुबह 11 मई को दिल्ली में स्थित लाल किले पहुंचा और उन्होंने बहादुर शाह जफर से बात करने की आज्ञा मांगी
- सिपाहियों ने बहादुरशाह जफर को बताया कि वह मेरठ में अंग्रेजो को मार कर आए हैं और वह इस अंग्रेजी शासन के खिलाफ विरोध करना चाहते हैं
- इसके लिए उन्हें बादशाह के आशीर्वाद यानी उनके साथ की जरूरत है
- ऐसी स्थिति में बादशाह के पास समर्थन करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था क्योंकि वह पहले ही अपनी सारी सत्ता अंग्रेजों के हाथों खो चुके थे और उनकी सेना एवं शक्ति भी सीमित ही थी इसीलिए उन्होंने इन सिपाहियों के विद्रोह को वैधता दी और धीरे-धीरे यह विद्रोह एक बड़े क्षेत्र में फैल गया
विद्रोह के कारण
तात्कालिक कारण
गाय और सुअर की चर्बी वाला कारतूस
- पहले अंग्रेजी सेना में ब्राउन बेस राइफल का प्रयोग किया जाता था परंतु वह राइफल बहुत ज्यादा पुरानी थी
- इसी वजह से अंग्रेजों ने इस राइफल की जगह एनफील्ड राइफल के प्रयोग की शुरुआत की
- इस राइफल के कारतूस में ऊपर की ओर एक ग्रीस लगाई जाती थी ताकि वह कारतूस लिक ना हो और पानी से सुरक्षित रहे परंतु और इस कारतूस को मुँह से छीलना पड़ता था
- यह अफवाह फैल गई कि कारतूस पर लगा हुआ गीरीस गाय और सुअर की चर्बी से बना हुआ है और अंग्रेजों ने ऐसा भारतीय हिंदू और मुस्लिमों का धर्म भ्रष्ट करने के लिए किया है
राजनीतिक कारण
डलहौजी और वेलेजली की विस्तार वादी नीति
- अंग्रेज़ो ने हड़प की नीति को लागु किया और दत्तकता को अवैध घोषित किया
- हड़प की नीति के अंतर्गत अंग्रेजों ने कानून बनाया कि कोई भी ऐसा शासक जिसकी स्वयं के संतान नहीं है वह किसी भी बच्चे को गोद नहीं ले सकता और उसकी मृत्यु के बाद क्योंकि उसका कोई वंशज नहीं है इसीलिए सारा शासन अंग्रेजों के अधीन चला जाएगा
सहायक संधि
- इसे 1798 में लागू किया गया था इसके अंतर्गत अंग्रेजों द्वारा शासकों से एक सहायक संधि की जाती थी इस सहायक संधि के अंतर्गत कुछ शर्ते हुआ करती थी
- राजा अपनी स्वयं की सेना नहीं रख सकते
- अंग्रेजों की सेना को राजा के क्षेत्र में नियुक्त किया जाएगा
- इस सेना का सभी खर्चा राजा द्वारा उठाया जाएगा
- अंग्रेजों की आज्ञा के बिना राजा किसी से भी युद्ध या कोई संधि नहीं कर सकते
- इन सभी शर्तों की वजह से राजा की शक्ति कमजोर हो जाती थी और धीरे-धीरे अंग्रेज उसके क्षेत्र पर कब्जा कर लिया करते थे
आर्थिक कारण
- इंग्लैंड में औद्योगिक क्रांति के कारण मशीनों से बना माल सस्ता हो गया
- इसे भारत में लाकर बेचा जाने लगा जिससे भारत में स्थित उद्योगों को बड़ा नुकसान हुआ
- इन उद्योगों में काम करने वाले कारीगरों और इन उद्योगों के मालिकों को हुई हानि के कारण यह सब भी अंग्रेजों के खिलाफ हो गए
- अंग्रेजों की व्यापारिक नीति के कारण भारत का विदेशी व्यापार लगभग समाप्त हो गया जिससे भारतीय व्यापारियों को बहुत नुकसान हुआ
- अंग्रेजों द्वारा लागू की गई जमीदारी व्यवस्था के कारण किसानों का शोषण हो रहा था और किसानों ने भी इस विद्रोह में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया
- अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीय लोगों पर बड़ी मात्रा में कर लगाए गए जिस वजह से लोगों का जीना भी मुश्किल हो गया और इसी वजह से इन सब ने मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ विद्रोह में हिस्सा लिया
सामाजिक और धार्मिक कारण
- ईसाई पादरियों द्वारा भारत के लोगों को लालच देकर उन्हें जबरदस्ती ईसाई बनाया जा रहा था इस वजह से भारतीय लोग अंग्रेजों के खिलाफ थे
- अंग्रेजों द्वारा भारत में स्थित कई मान्यताओं जैसे कि सती प्रथा और बाल विवाह पर रोक लगा दी गई इसे हिंदुओं ने अपनी आस्था के विरुद्ध माना और अंग्रेजों का विरोध किया
- अंग्रेजों ने भारत में अंग्रेजी शिक्षा का प्रसार करने की कोशिश की जिस वजह से लोगों का असंतोष बड़ा
सैन्य कारण
- परेड के समय भारतीय सैनिकों से बुरा व्यवहार किया जाता था और भारतीय सैनिक इस अपमान का बदला लेना चाहते थे
- अंग्रेजी सैनिकों के मुकाबले भारतीय सैनिकों को काफी कम वेतन दिया जाता था जिस वजह से वह नाखुश थे
अन्य कारण
- अंग्रेजों द्वारा पेशवा बाजीराव के द्वितीय उत्तराधिकारी नाना साहेब की पेंशन बंद कर दी गई जिस वजह से वह अंग्रेजों के विरोध में थे
- झांसी की रानी को दत्तक पुत्र लेने की आज्ञा नहीं मिली जिस वजह से वह अंग्रेजों के विरोध में थी
- सातारा और नागपुर जैसी रियासतों को जबरदस्ती अंग्रेजों के साम्राज्य में मिला लिया गया था जिस वजह से वहां के शासक अंग्रेजों के विरोध में थे
- अन्य क्षेत्रों में स्थित जमीदार एवं सरदार भी अंग्रेजों के विरोध में थे क्योंकि जबरदस्ती उनकी जमीनों को छीन लिया गया था
अफवाहें और भविष्यवाणियां
एनफील्ड राइफल का कारतूस
- एक अंग्रेजी अधिकारी के अनुसार इस अफवाह की शुरुआत दमदम स्थित शस्त्रागार (शस्त्र रखने की जगह) से हुई थी
- यहां पर एक नीची जाति के व्यक्ति द्वारा एक ब्राह्मण सिपाही से पानी पिलाने को कहा गया परंतु उस ब्राह्मण सिपाही ने उस नीची जाति के व्यक्ति को पानी पिलाने से मना कर दिया क्योंकि उसका मानना था कि अगर वह नीची जाति का व्यक्ति उसके लोटे से पानी पिएगा तो उसका लोटा अपवित्र हो जाएगा
- जब उस ब्राह्मण सिपाही ने उस नीची जाति के व्यक्ति को पवित्रता की बात कहकर पानी पिलाने से मना किया तो उस नीची जाति के व्यक्ति ने जवाब दिया कि जल्दी ही तुम्हारी जाति भी भ्रष्ट होने वाली है क्योंकि अब तुम्हें भी गाय और सुअर की चर्बी लगे कारतूस को मुंह से खींचना पड़ेगा
- ऐसा माना जाता है कि यहीं से इस अफवाह की शुरुआत हुई
आटे में गाय और सुअर की हड्डियों का चूरा
- उस दौर में एक अफवाह फैली कि अंग्रेजों ने बाजार में मिलने वाले आटे में गाय और सुअर की हड्डियों का चूरा मिलवा दिया है ऐसा उन्होंने इसीलिए किया है ताकि वह भारत में स्थित लोगों का धर्म भ्रष्ट कर सकें इस अफवाह के बाद कई क्षेत्रों में अनेकों लोगों ने आटा खाने से मना कर दिया
100 साल बाद शासन की समाप्ति
- प्लासी की जंग के बाद एक भविष्यवाणी की गई थी की प्लासी की जंग के 100 साल बाद अंग्रेजी शासन समाप्त हो जाएगा और देश आजाद हो जाएगा इसी भविष्यवाणी के कारण भी विद्रोह को बल मिला
सामूहिक रसोई
- अंग्रेजों द्वारा सामूहिक रसोई की व्यवस्था की गई थी सभी सैनिकों का खाना एक ही रसोई में बनाया जाता था परंतु भारत में जातिवाद होने के कारण कई लोग इससे नाराज थे
विद्रोह और नेता
- धीरे-धीरे यह विद्रोह पूरे देश में फैलने लगा सभी विद्रोहियों ने इस विद्रोह को पूरे देश में फैलाने के लिए एक अच्छे संगठन का निर्माण किया
- ऐसे लोगों को अपना नेता बनाया जो अंग्रेजों से पहले मुख्य नेता हुआ करते थे
उदाहरण के लिए
- दिल्ली में मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर को इस विद्रोह का नेता बनाया गया
- कानपुर में नाना साहेब ने इस विद्रोह का नेतृत्व किया
- बिहार में जमीदार कुंवर सिंह ने विद्रोह को संभाला
- अवध में नवाब वाजिद अली शाह द्वारा विद्रोह का नेतृत्व किया गया
- कई क्षेत्रों में कुछ स्थानीय नेता भी सामने आए जिन्होंने विद्रोह में आसपास के लोगों को शामिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और धीरे-धीरे यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया
विद्रोह के नेतृत्व के लिए विद्रोही पुराने नेताओं के पास क्यों गए?
- अच्छी छवि
- सम्मान
- जोश में वृद्धि
- अनुभव
- नेतृत्व की क्षमता
अवध में विद्रोह
- पूरे देश में सबसे गंभीर और बड़ा विद्रोह अवध में हुआ
- 1801 में अंग्रेजों द्वारा अवैध पर सहायक संधि थोप दी गई
- इसके अंतर्गत अवध की सेना को समाप्त कर दिया गया अंग्रेजों ने अवध में अपनी सेना को स्थापित किया और पूरा सैन्य नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया
- धीरे-धीरे अंग्रेजों ने अवध पर अपना प्रभाव बढ़ाया और 1856 में वहां नवाब वाजिद अली शाह को यह कहकर शासन से हटा दिया की राजा ठीक प्रकार से शासन नहीं कर पा रहे हैं और सामान्य जनता उन्हें पसंद नहीं करती
- परंतु यह बात बिल्कुल गलत थी नवाब वाजिद अली शाह एक अत्यंत लोकप्रिय नवाब थे और सामान्य जनता द्वारा उन्हें बहुत पसंद किया जाता था
- लॉर्ड डलहौजी द्वारा जबरदस्ती अवध पर कब्जा किए जाने के कारण अवध के लगभग सभी लोग बहुत नाराज थे जब नवाब अवध से विदा ले रहे थे तो बहुत सारे लोग रोते हुए कानपुर तक उनके पीछे तक गए
- कई लेखकों ने लिखा कि ऐसा लग रहा है कि नवाब के जाने के बाद देह से जान जा चुकी है और शहर की पूरी काया बेजान हो गई है
अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा क्यों किया?
- अंग्रेज भारत में केवल लाभ कमाने के लिए आए थे
- उस दौर में अवध की मिट्टी नील और कपास की खेती के लिए बहुत अच्छी थी जिस वजह से अंग्रेजों ने अवध पर अधिग्रहण किया ताकि वह वहां पर नील और कपास की खेती करवाकर अधिक से अधिक लाभ कमा सकें
- साथ ही साथ इस क्षेत्र को उत्तरी भारत के बड़े बाजार के रूप में विकसित किया जा सकता था जिस वजह से अंग्रेजों ने अवध का अधिग्रहण किया
अंग्रेजी राज और अवध
- अंग्रेजों के जबरदस्ती अवध पर अधिग्रहण करने के कारण अवध में स्थिति बहुत खराब हो गई
- अंग्रेजों ने नवाब वाजिद अली शाह को गद्दी से हटा दिया नवाब को हटाए जाने के कारण दरबार में उपस्थित संगीतकार, कारीगर, बावर्ची और कर्मचारी आदि की स्थिति खराब हो गई
- ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि राजा को गद्दी से हटाए जाने के बाद दरबार को समाप्त कर दिया गया जिस वजह से यह सभी लोग बेरोजगार हो गए
- यह सभी लोग अंग्रेजों के गुलाम बन कर रह गए
- अंग्रेजी शासन के अंदर तलुकदारो की स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो गई
- तालुकदार वह व्यक्ति हुआ करते थे जो मुगल शासन के दौरान किसानों से कर वसूला करते थे
- अवध पर अंग्रेजों के अधिग्रहण के बाद इन तलुकदारो हटा दिया गया
- इनके सभी किले गिरा दिए गए और इनकी सेना को भी समाप्त कर दिया गया
- अंग्रेजी शासन ने सोचा कि तलुकदारो को हटाकर जमीन सीधा किसानों को सौंप दी जाएगी जिससे किसानों के शोषण में कमी आएगी
- परंतु ऐसा नहीं हुआ अंग्रेजी शासन के दौरान किसानों की स्थिति और ज्यादा खराब हुई क्योंकि अंग्रेजी शासन ने किसानों पर बहुत ज्यादा कर लगाया जिसे चुका पाना किसानों के लिए बहुत मुश्किल हो रहा था
- इस वजह से पहले किसानों का शोषण तलुकदारो द्वारा किया जाता था और अब अंग्रेज किसानों का और भी ज्यादा शोषण करने लगे जिससे किसानों में गुस्सा बड़ा
- अवध के सिपाही भी अंग्रेजों के व्यवहार के कारण उनसे नाराज थे और उन्होंने भी 1857 के विद्रोह में बढ़ चढ़कर भाग लिया
- इस विद्रोह में नवाब की पत्नी बेगम हजरत महल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और सभी तालुकदार भी इस नेतृत्व में नवाब की पत्नी के साथ शामिल हो गए सामान्य जनता ने भी इस विद्रोह में भाग लिया और धीरे-धीरे यह विद्रोह बढ़ता गया
संचार के साधन
- 1857 का विद्रोह एक बहुत बड़े क्षेत्र में हुआ और ऐसे बड़े विद्रोह में संचार की अहम भूमिका थी
- विद्रोह में संचार से मतलब है कि किस तरीके से विद्रोहियों ने एक जगह से दूसरी जगह विद्रोह से जुड़ी खबरें पहुंचाई और तालमेल बिठाया
- भारत के अलग-अलग क्षेत्र में हुए विद्रोह की तारीखों को देखते हुए ऐसा लगता है कि जैसे – जैसे विद्रोह की खबर एक जगह से दूसरी जगह पहुंची वैसे – वैसे विद्रोह आगे बढ़ता गया
- विद्रोह की जानकारी देने के लिए कई जगहों पर शाम को तोप का गोला दागा गया और कई जगहों पर बिगुल बजाकर विद्रोह की शुरुआत का संकेत दिया गया
- कई क्षेत्रों में घुड़सवार एक जगह से दूसरी जगह जाकर विद्रोह से जुड़े संदेश पहुंचाया करते थे
- इन्हीं सब तरीकों से पूरे देश में विद्रोह की खबर फैली
विद्रोही क्या चाहते थे?
- 1857 के विद्रोह के बारे में ज्यादातर जानकारी हमें अंग्रेजी दस्तावेजों से पता चलती है
- इन दस्तावेजों को अंग्रेज अफसरों द्वारा बनाया गया था इसी वजह से इन दस्तावेजों के द्वारा अंग्रेजी लोगों की सोच के बारे में पता चलता है विद्रोहियों की मांग के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं मिलती
- 1857 के विद्रोह में शामिल ज्यादातर विद्रोही आम लोग थे और पढ़े-लिखे नहीं थे जिस वजह से उनकी मांगों के बारे में जानकारी का अभाव है
- उनसे जुड़े कुछ इश्तेहार एवं कुछ घोषणाएं ही उपलब्ध हैं जो लोगों को विद्रोह में शामिल करने के लिए जारी की गई थी इन्हीं इश्तेहार और घोषणाओं के आधार पर विद्रोह में शामिल लोगों की सोच और मांगो के बारे में पता चलता है
इश्तिहार और घोषणा
- मुख्य रूप से सभी इश्तिहार और घोषणाएं मुस्लिम नवाबों के नाम से जारी की गई थी
- इन सभी घोषणाओं में भेदभाव को समाप्त करते हुए सभी धर्म के लोगों से शामिल होने की अपील की गई थी
- 1857 की क्रांति को आजादी के युद्ध के रूप में पेश करने के प्रयास किए गए
- इन सभी इश्तिहारों और घोषणाओं का मुख्य उद्देश्य सभी लोगों को इकट्ठा करके विद्रोह में भाग लेने के लिए प्रेरित करना था
लोग विद्रोह में शामिल किए हुए?
- सभी विद्रोहियों ने अंग्रेजों द्वारा जबरदस्ती देसी रियासतों पर कब्जा करने की आलोचना की
- लोग नाराज थे क्योंकि अंग्रेजों द्वारा विदेशी व्यापार को बढ़ावा दिए जाने के कारण देश में व्यापारियों की स्थिति खराब हो रही थी
- लोगों का मानना था कि अंग्रेज भारतीय रीति-रिवाजों को खत्म करके ईसाई धर्म को भारत का मुख्य धर्म बनाना चाहते हैं
- लोग इसीलिए भी अंग्रेजों से नाराज थे क्योंकि अंग्रेजों ने भू स्वामियों से उनकी जमीन छीनकर भू राजस्व व्यवस्था को लागू किया था
- इन्हीं सब की वजह से लोग अफवाहों पर भी विश्वास करने लगे थे
नए शासन की स्थापना
- दिल्ली कानपुर और लखनऊ जैसे क्षेत्रों में ब्रिटिश शासन के बिखर जाने के बाद विद्रोहियों ने एक नए शासन की स्थापना की
- यहां के नेताओं ने पुरानी दरबारी संस्कृति के अनुसार विभिन्न पदों पर लोगों की नियुक्ति की
- भू राजस्व की व्यवस्था बनाई ताकि सैनिकों का वेतन दिया जा सके
- सभी प्रकार की लूटपाट और लड़ाई दंगों को रोकने के आदेश दिए
- परंतु यह व्यवस्था ज्यादा दिनों तक नहीं चली
अंग्रेजी शासन का पलटवार
- धीरे-धीरे उत्तरी भारत में अंग्रेजी शासन बिखरने लगा इसे देखते हुए अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचलने के लिए योजना बनाई
- फौजियों की टुकड़ी को उत्तरी भारत के क्षेत्रों में भेजने से पहले अंग्रेजों ने एक नया कानून जारी किया जिसका नाम था मार्शल लॉ
मार्शल लॉ
- इस लॉ के तहत अंग्रेजी प्रशासन ने अंग्रेजी फौजियों, अफसरों और सामान्य अंग्रेजी लोगों को ऐसे हिंदुस्तानियों पर मुकदमा चलाने और उन्हें सजा देने का अधिकार दे दिया जिन पर विद्रोह में शामिल होने का शक था
- अंग्रेजों ने विद्रोह के लिए केवल एक सजा रखी और वह थी मौत
दिल्ली पर आक्रमण
- 1857 में अंग्रेजों ने दिल्ली पर दो तरफ से आक्रमण किया
- पहली सेना टुकड़ी को पंजाब से दिल्ली की तरफ भेजा गया जबकि दूसरी सेना को कोलकाता की ओर से दिल्ली की तरफ भेजा गया
- दोनों ही पक्षों के बीच लंबे समय तक संघर्ष चला इस बार अंग्रेजों की लड़ाई केवल फौजियों से नहीं थी बल्कि अब सामान्य लोग भी अंग्रेजों के विरोध में उतर चुके थे
- कम से कम तीन चौथाई व्यस्क पुरुष आबादी इस विद्रोह में शामिल थी
- लंबी लड़ाई के बाद 1858 के मार्च में अंग्रेजों ने फिर से क्षेत्र पर अपना अधिकार स्थापित कर लिया
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Very nice
बहुत् अच्छा है
मंगल पांडे को 8 मई 1857 को फांसी दी गई
और इसमें 8 मई 1957 है तो याद रखना बाकी सब बहुत बढ़िया है सब समझ आ गया
Done
Thanks so much 🙂🙂🙂
So helpful Notes
So useful notes to learn cbse syllabus
Thanks 👍