एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर (CH-7) Notes in Hindi || Class 12 History Chapter 7 in Hindi ||

पाठ – 7

एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

In this post we have given the detailed notes of class 12 History Chapter 7 Ek Samrajaya Ki Rajdhani: Vijayanagara (An Imperial Captial Vijayanagara) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के इतिहास के पाठ 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर (An Imperial Captial Vijayanagara) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं इतिहास विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHistory
Chapter no.Chapter 7
Chapter Nameएक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर (An Imperial Captial Vijayanagara)
CategoryClass 12 History Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 History Chapter 7 Ek samrajaya ki rajdhani: vijayanagara in Hindi
Class 12th (History) Ch 7 (An Imperial Captial Vijayanagara) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर | Part – 1 |
Class 12th (History) Ch 7 (An Imperial Captial Vijayanagara) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर | Part – 2 |
Table of Content
2. एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर

विजयनगर साम्राज्य

  • विजयनगर का शाब्दिक अर्थ विजय का नगर यानि जीत का शहर होता है।
  • विजयनगर दक्षिण भारत में फैला एक विशाल हिन्दू साम्राज्य था।
  • यह 1336 से 1565 तक अस्तित्व में रहा।
  • विजयनगर की राजधानी का नाम हम्पी था इसीलिए इसे हम्पी के नाम से भी जाना जाता है।

स्थापना

  • इसकी स्थापना 1336 में दो भाइयों हरिहर और बुक्का द्वारा की गई ।
  • ऐसा की जाता है की हरिहर और बुक्का हो दिल्ली सल्तनत के उस समय के सुल्तान द्वारा दक्षिण भारत के क्षेत्र पर कब्ज़ा करने के लिए भेजा गया था।
  • जीत के बाद हरिहर और बुक्का ने विजयनगर की स्थापना की।

भौगोलिक स्तिथि

  • यह क्षेत्र कृष्णा नदी से लेकर सुदूर दक्षिण भारत तक फैला हुआ था।
  • पड़ोसी राज्य

    • विजयनगर के उत्तर में ढक्कन के सुल्तानों का शासन था। इन शासको को अश्वपति कहा जाता था क्योकि इनके पास बड़ी संख्या में अश्व थे।।
    • इस के उत्तरी पूर्वी हिस्से यानी वर्तमान के उड़ीसा वाले क्षेत्र में गजपति शासक शासन किया करते थे। इन्हें गजपति कहा जाता था। क्योंकि इनके पास बहुत सारे हाथी हुआ करते थे।
    • इन सभी शासकों के साथ विजयनगर का संघर्ष चलता रहता था।
    • यह संघर्ष उपजाऊ नदी घाटी एवं विदेशी व्यापार से उत्पन्न संपदा पर अधिकार करने के लिए होता था।

विजयनगर (हंपी) की खोज

  • हंपी के भग्नावशेष खंडहर 1800 ईस्वी में कर्नल कोलिन मैकेंजी द्वारा खोजे गए ।
  • कर्नल कोलिन मैकेंजी एक इतिहासकार एवं मानचित्रकार थे और ईस्ट इंडिया कंपनी में कार्यरत थे।
  • विजयनगर के बारे में और अधिक जानने के लिए उन्होंने विरुपाक्ष मंदिर और पंपा देवी के पूजा स्थलों के पुरोहितों से बातचीत की और उनकी स्मृति (यादों)के आधार पर जानकारी इकट्ठा की।
  • इन सब जानकारियों के आधार पर मैकेंजी ने क्षेत्र का पहला सर्वेक्षण मानचित्र बनाया ।
  • 1826 में अभिलेख कर्ताओं ने इस क्षेत्र के कई मंदिरों से अनेकों अभिलेख इकट्ठे किए ।
  • 1856 में यहां के भवनों के चित्र इकट्ठे करने आरंभ किए गए और शोधकर्ताओं ने इन चित्रों का अध्ययन किया ।
  • विजयनगर के इतिहास को समझने के लिए इन सभी जानकारियों के अलावा इतिहास कर्ताओं ने विदेशी यात्राओं के वृतांत एवं तमिल, कन्नड़ और संस्कृत में लिखे गए साहित्य का सहारा भी लिया ।
  • इस तरह से विजय नगर के बारे में जानकारियां इकट्ठी की गई।

कर्नल कोलिन मैकेंजी

  • मैकेंजी का जन्म 1754 ईस्वी में हुआ था।
  • यह इतिहासकार मानचित्रकार और सर्वेक्षक के रूप में प्रसिद्ध थे।
  • 1815 में इन्हें भारत का पहला सर्वेयर जनरल बनाया गया और 1821 में अपनी मृत्यु तक वह इस पद पर बने रहे ।

विजयनगर में शासन

  • विजयनगर के शासकों को राय कहा जाता था।
  • विजयनगर के सेना प्रमुख को नायक कहते थे।

संगम वंश

  • जैसा कि हमने पढ़ा कि विजयनगर की स्थापना हरिहर और बुक्का द्वारा 1336 में की गई ।
  • इनके पिता जी का नाम संगम था और इन्हीं के नाम पर इन्होंने अपने वंश की स्थापना की ।
  • इस तरह विजयनगर पर सबसे पहले संगम वंश ने शासन किया ।
  • इनके अंतिम शासक विरुपाक्ष द्वितीय थे।

सुलुव वंश

  • सुलुव लोग संगम वंश के दौरान सैनिक कमांडर थे।
  • संगम वंश के अंतिम शासक विरुपाक्ष द्वितीय को हराकर नरसिंह ने अपने शासन की स्थापना की
  • यहीं से सुलुव वंश की शुरुआत हुई।

तुलुव वंश

  • तुलुव के प्रथम शासक वीर नरसिंह द्वारा सुलुव वंश के अंतिम शासक को हराकर तुलुव वंश की स्थापना की गई ।
  • इसी वंश के दौरान कृष्णदेव राय राजा बने ।
  • इन्हें विजयनगर का सबसे प्रतापी राजा माना जाता है।
  • तुलुव वंश के आखिरी शासक सदाशिव थे।

अराविंदु वंश

  • तिरुमल द्वारा तुलुव वंश के आखिरी शासक को हराकर अराविंदु वंश की स्थापना की गई
  • अराविंदु वंश के अंतिम शासक श्रीरंग तृतीय थे।

विजयनगर के प्रतापी शासक कृष्णदेव राय

  • 1509 में कृष्ण देव राय ने शासन संभाला ।
  • इस दौर को विजयनगर का सबसे समृद्ध एवं खुशहाल दौर माना जाता है।
  • शासन व्यवस्था

    • कृष्णदेव राय ने विजयनगर की शासन व्यवस्था को मजबूत बनाया और कई प्रभावशाली क्षेत्रों को जीत कर हासिल
      • उदाहरण के लिए
        • 1512 में रायचूर दोआब (तुंगभद्रा और कृष्णा नदियों के बीच उपजाऊ क्षेत्र) को हासिल किया ।
        • 1514 में उड़ीसा के शासकों को हराया ।
        • 1520 में बीजापुर के सुल्तान को भी बुरी तरह से पराजित किया
      • कृष्णदेव राय के दौर में राज्य सदैव युद्ध के लिए तैयार रहा ।
      • इन्हें आंध्र भोज यानि पूरे आंध्र का राजा की उपाधि भी दी गई थी ।
  • कला और साहित्य

    • प्रतापी राजा होने के साथ-साथ यह एक अच्छे लेखक भी थे।
    • इन्होंने मुख्य रूप से दो पुस्तकों की रचना की ।
      • अमुक्तमल्यद (तेलुगु भाषा)
      • जामवंती कल्याण (संस्कृत भाषा)
    • कई बड़े-बड़े मंदिरों का निर्माण कृष्ण देव द्वारा करवाया गया ।
    • इन बड़े विशाल मंदिरों में गोपुरम (विशाल प्रवेशद्वार) लगवाने का श्रेय भी कृष्णदेव राय को जाता है।
  • अन्य कार्य

    • जल की पूर्ति के लिए कमलपुरम जलाशय का निर्माण भी कृष्ण देव राय द्वारा करवाया गया ।
    • कृष्णदेव राय ने अपनी माता जी के नाम पर विजय नगर के पास ही एक नगलपुराम नामक उप नगर की स्थापना भी की
  • व्यापार

    • घोड़ों का व्यापार

      • विजयनगर में सेना घोड़ों पर निर्भर थी ।
      • इसीलिए विजयनगर के शासकों द्वारा मध्य एशिया एवं अरब से घोड़ों का आयात किया जाता था।
      • शुरुआत में यह व्यापार अरब के व्यापारियों द्वारा नियंत्रित किया जाता था।
      • विजयनगर में रहने वाले घोड़ों के व्यापारियों को कुदिरई चेट्टी कहा जाता था।
    • विजयनगर मसालों रत्नों और वस्त्रों के बाजार के लिए प्रसिद्ध था।
    • विजयनगर की जनता समृद्धि थी और यहां पर महंगी विदेशी वस्तुओं की मांग अधिक थी ।
    • उच्च व्यापार के कारण राज्य को उच्च राजस्व प्राप्त होता था और इसी वजह से राज्य समृद्ध थे।

विजयनगर जल प्रणाली

  • वैसे तो विजयनगर क्षेत्र चारों तरफ से नदियों से घिरा हुआ था। परंतु मुख्य राजधानी विजयनगर जल के स्त्रोतों से काफी दूर थी
  • जल की उपलब्धता
    • विजयनगर के पास स्थित तुंगभद्रा नदी से एक प्राकृतिक जल कुंड का निर्माण होता था। इसी जलकुंड से विजयनगर में पानी पहुंचाया जाता था।
  • हौज

    • तुंगभद्रा और कृष्णा नदी से कुछ छोटी-छोटी जलधाराएं निकलती थी इन जलधाराओं पर का निर्माण किया गया था।
    • इन बांधों से पानी को मानव निर्मित जलाशयों की ओर ले जाया जाता था। इन जलाशयों को हौज कहा जाता था।
    • इनमें से ही एक महत्वपूर्ण हौज (जलाशय) था। कमलपुरम जलाशय
  • नेहरे

    • इसी के साथ-साथ कुछ छोटी-छोटी नहरों का निर्माण किया गया था। जो विजयनगर के अलग-अलग क्षेत्रों में पानी की पूर्ति किया करती थी।
    • इसमें सबसे महत्वपूर्ण नहर थी हिरिया नहर
    • नेहरू द्वारा ही राज्य में खेतों की सिंचाई की जाती थी और सामान्य जानता तक पानी पहुंचाया जाता था।

विजयनगर का स्थापत्य

  • विजय नगर के सभी मुख्य प्रशासनिक केंद्र दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित थे।
  • यहीं से सभी प्रशासन संबंधी कार्य किया जाता था।
  • इस क्षेत्र में लगभग 60 से अधिक मंदिर मिले हैं जो राजाओं की धार्मिक रुचि को दिखाता है।
  • इसी क्षेत्र में एक विशाल संरचना पाई गई है। जिसे राजा का भवन कहा जाता था। यहां पर दो प्रभावशाली मंच थे।
  • जिन्हें सभा मंडप और महा नवमी डिब्बा कहां जाता है।

सभा मंडप

  • यह एक ऊंचा मंडप है। जो चारों ओर से दोहरी दीवारों से घिरा हुआ है और इसके बीच में एक गली है।
  • इसके बीच में कई स्तंभ है। और इन स्तंभों पर इस मंच की दूसरी मंजिल टिकी हुई है।
  • दूसरी मंजिल पर जाने के लिए सीढ़ियां बनी हुई है।
  • इसमें सभी स्तंभ बहुत पास पास है। इसीलिए इनके बीच में काफी कम खुला स्थान बचता है।
  • कम जगह होने की वजह से ही इतिहासकार इस मंडप का कार्य समझ नहीं पाए हैं क्योंकि इन स्तंभों के बीच की यह जगह बैठने एवं किसी भी प्रकार की सभा आयोजित करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

महानवमी डिब्बा

  • महानवमी डिब्बा एक विशालकाय मंच है।
  • यह 11000 वर्ग फीट के क्षेत्र में फैला हुआ है एवं इसकी ऊंचाई लगभग 40 फीट तक है।
  • इस मंच के आधार पर कुछ बहुत ही सुंदर चित्र मिले हैं।
  • उपयोग

    • इस पर बड़े बड़े मेलों का आयोजन किया जाता था।
    • मुख्य रूप से हिंदू त्योहारों जैसे दशहरा दुर्गा पूजा आदि पर इन मेलों का आयोजन किया जाता था।
    • इस अवसर पर धर्म अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता था। जिनमें मूर्तियों की पूजा की जाती थी जानवरों की बलि दी जाती थी और राज्य के अश्व की पूजा आदि की जाती थी
    • इसी दौरान नृत्य कुश्ती प्रतिस्पर्धा और शोभा यात्राओं का आयोजन किया जाता था।
    • त्योहारों के अंतिम दिनों में राजा अपने नायकों की सेना का निरीक्षण करता था।

कमल महल

  • कमल महल कमरे के आकार का एक महल है।
  • इसका यह नाम अंग्रेजों द्वारा इसकी आकृति की वजह से रखा गया था।
  • यहां पर राजा अपने मंत्रियों के साथ बैठकर सलाह मशवरा किया करता था।

मंदिर

  • हजार राम मंदिर

    • हजार राम मंदिर विजयनगर के कुछ मुख्य मंदिरों में से एक है।
    • एक विशालकाय मंदिर है और इसकी दीवारों पर रामायण की कथाओं को चित्रों के रूप में उकेरा गया है।
    • इसी वजह से इसे हजार राम मंदिर कहा जाता है।
  • विरुपाक्ष मंदिर

    • विजय नगर के वासियों द्वारा भगवान विरुपाक्ष की आराधना की जाती थी और वह इन्हे शिव जी का रूप मानते थे।
    • इन्हीं के लिए विरुपाक्ष मंदिर की रचना की गई थी।
    • यह एक बहुत ही विशाल एवं सुंदर मंदिर है।
    • इसके गोपुरम (प्रवेशद्वार) अत्यंत विशाल एवं सुंदर है।
    • इसी में पंपा देवी की आराधना भी की जाती थी जिन्हें शिव की पत्नी पार्वती का रूप माना जाता था।
  • विट्ठल मंदिर

    • विजय नगर के वासियों द्वारा भगवान विट्ठल की आराधना की जाती थी और वह इसे भगवान विष्णु का अवतार मानते थे।
    • इस मंदिर को रथ के आकार में काट कर बनाया गया है इसीलिए यह अत्यंत ही सुंदर संरचना है।

विजयनगर और किलेबंदी

  • विजयनगर में स्थित किलेबंदी के बारे में जानकारी हमें फारस से आए एक दूत अब्दुर रज़्ज़ाक विवरण से प्राप्त होती है।
  • वह विजयनगर में स्थित किलाबंदी को देखकर अत्यंत प्रभावित हुआ।
  • उसके विवरण के अनुसार विजयनगर में 7 स्तरों पर घेराबंदी की गई थी।
  • इस किले बंदी के अंदर मुख्य शहरों के साथ-साथ सामान्य स्थानों, खेतों और पहाड़ियों को भी घेरा गया था।
  • किलेबंदी के स्तर

    • सबसे पहले स्तर पर राजा के क्षेत्र को घेरा गया था।
    • दूसरे स्तर पर प्रशासनिक केंद्र को
    • तीसरे स्तर पर महत्वपूर्ण इमारतों को
    • चौथे स्तर पर सामान्य जनता के क्षेत्र को
    • पांचवें स्तर पर खेतों को
    • छठे स्तर पर फसलों को
    • और अंतिम स्तर पर सभी पहाड़ियों को इसके लिए बंदी के अंदर घेरा गया था।
  • इस दीवार को बनाने के लिए फ़नाकार पत्थरों का उपयोग किया गया था। जिस वजह से वह अपने आकृति के कारण आपस में अटक जाया करते थे और दीवार को मजबूती प्रदान किया करते थे।
  • किले बंदी के फायदे

    • बाहरी आक्रमण से सुरक्षा
    • फसलों की सुरक्षा
    • घुसपैठियों से सुरक्षा
    • इन्हीं दीवारों के अंदर अन्नागार बनाए गए थे। जहां पर अन्न को संरक्षित करके रखा जाता था।
  • किलेबंदी की हानियां

    • यह एक अत्यंत खर्चीली व्यवस्था थी
    • रखरखाव करना मुश्किल था।
  • फसलों की किलेबंदी क्यों की जाती थी?

    • फसलों की किलेबंदी करने का मुख्य कारण युद्ध की स्थिति में उन्हें दुश्मन की पहुंच से बचाना होता था।
    • किसी भी युद्ध की स्थिति में दुश्मन द्वारा सबसे पहले राज्य की फसलों पर कब्जा किया जाता था ताकि वह उस क्षेत्र में अपनी सेना का भरण पोषण कर सके।
    • इसीलिए विजय नगर द्वारा फसलों की किलेबंदी की गई थी ताकि युद्ध की स्थिति में किसी भी दुश्मन के हाथ में वह फसले ना लग सके।
    • इससे दुश्मन सेना के लिए अपना भरण-पोषण करना मुश्किल हो जाता था और विजयनगर के लोगों के लिए खाद्य संकट भी उत्पन्न नहीं जाता था।

अमर नायक प्रणाली

  • विजयनगर में प्रचलित अमर नायक प्रणाली दिल्ली सल्तनत में उपस्थित इक्ता प्रणाली से प्रभावित थी।
  • विजयनगर में स्थित सैनिक कमांडरों को अमर नायक कहा जाता था।
  • इन अमर नायकों को राजा यानी राय द्वारा प्रशासन के लिए कुछ क्षेत्र दिए जाते थे।
  • उन क्षेत्रों में स्थित किसानों और व्यापारियों से अमर नायक कर वसूला करते थे।
  • इस कर का कुछ भाग वह अपने उपयोग के लिए रखते थे। अन्य कुछ भाग से अपने घोड़ों और हाथियों का रखरखाव किया करते थे।
  • इसका कुछ हिस्सा मंदिर और सिंचाई के साधनों के रखरखाव के लिए खर्च कर दिया जाता था और बाकी का बचा हुआ राजस्व अमर नायक द्वारा राजा को भेंट के रूप में दिया जाता था।

तालीकोटा (राक्षस तागड़ी) का युद्ध और विजयनगर का पतन

  • 1565 में बीजापुर, अहमदगढ़ नगर और गोलकुंडा की संयुक्त सेना ने विजयनगर पर आक्रमण किया ।
  • इस दौरान राजा राम राय विजयनगर के शासक थे
  • यह युद्ध तालीकोटा में हुआ इसीलिए इसे तालीकोटा का युद्ध कहा जाता है।
  • साथ ही साथ इसे राक्षसी तागड़ी के युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि जहां पर यह युद्ध हुआ वहां पर राक्षसी तागड़ी नाम के छोटे-छोटे गांव थे।
  • तीनों क्षेत्रों की सेनाओं के एक साथ हमला करने के कारण विजयनगर की सेना इस युद्ध में हार गई और विजय नगर का पतन हुआ ।
  • जीते हुए क्षेत्रों की सेना ने विजयनगर को लूटा और इस तरह धीरे-धीरे विजयनगर का पतन हो गया

 

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