प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (CH-7) Notes in Hindi || Class 12 Home Science Chapter 7 in Hindi ||

पाठ – 7

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा

In this post we have given the detailed notes of class 12 Home Science Chapter 7 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education ) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के गृह विज्ञान के पाठ 7 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education ) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं गृह विज्ञान विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHome Science
Chapter no.Chapter 7
Chapter Nameप्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा (Early Childhood Care and Education )
CategoryClass 12 Home Science Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Home Science Chapter 7 प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा in Hindi

Chapter – 7: प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा

प्रारम्भिक बाल्यावस्था

जन्म से लेकर 8 वर्ष तक की अवधि को ” प्रारंभिक बाल्यावस्था ” कहते हैं इस अवस्था में मस्तिष्क के विकास के साथ साथ शारीरिक वृद्धि भी तेजी से होती है। इस अवस्था में बच्चे पर्यावरण और अपने आसपास के लोगों से अत्यधिक प्रभावित होते हैं यह अवस्था दो भागों में विभाजित है।

  • 0-3 years
  • 3-8 years

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा की मूलभूत संकल्पनाएँ

  • प्रारम्भिक बाल्यावस्था, जीवन की जन्म से लेकर आठ वर्ष तक की आयु की अवस्था है, जिसे दो भागों मे जन्म से 3 वर्ष तक तथा 3 से 8 तक विभाजित किया गया है।
  • शैशवावस्था जन्म से लेकर एक वर्ष/दो वर्ष की आयु तक की अवधि है। जिसमे बच्चा अपनी सब जरूरतों के लिए व्यस्कों पर निर्भर करता है।
  • दिवस देखभाल केंद्र (डे केयर) ओर शिशु केंद्र सामान्यत पूरे दिन के कार्यक्रम होते है। इन कार्यक्रमों में शिक्षक और सहायकों को बहुत छोटे बच्चे
  • की देखभाल, उनकी सुरक्षा, उनके खाने – पीने, शोचलयों आदतों, भाषा विकास, सामाजिक जरूरत समझने और सिखाने के लिए प्रीशिक्षित होना चाहिए।
  • दो से तीन वर्ष के बच्चों को कभी – कभी ” टोड्लर ” कहा जाता है। इस शब्द को बच्चों के फुदक कर चलने के रूप मे समझा जाता है।
  • विद्यालय पूर्व बच्चा नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि वह बच्चा अब किसी ऐसे परिवेश में रहने के लिए तैयार होता है जो परिवार से बाहर का होता है। छोटे बच्चे के लिए कुछ विद्यालय अक्सर मॉटेसरी स्कूल कहलाते है।
  • मौंटेसरी स्कूल ऐसे विद्यालय है जो प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा के उन सिद्धांतों पर आधारित है जो शिक्षाविद मारिया मोंटेसरी द्वारा बनाई गई।
  • विकास मनोवैज्ञानिक पियाजे ने अपना जीवन यह समझने और समझाने में गुज़ार दिया कि छोटे बच्चे के दुनिया को समझने के तरीके भिन्न होते है।

उद्देशय

  • प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा के मौलिक सिद्धांत ।
  • बच्चों की आरंभिक देखभाल।
  • बच्चे कैसे खेलते और सीखते है।
  • जीविका के लिए आवश्यक जानकारी और कौशलों को समझना।

प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा का महत्व

  • नन्हें शिशु बहुत छोटी उम्र से ही सीखना शुरू कर देते है। छोटे बच्चे को अपने परिवार के सदस्यों से लगाव होने लगता है।
  • अपने परिवार के सदस्यों और नियमित मिलने वाले लोगों को पहचानने लगता है। बच्चा परिचित और अपरिचित के बीच अंतर करने लगता है।
  • 8-12 माह का बच्चा अपरिचित लोगों के प्रति भय को दर्शाता है। बच्चा अपनी माँ से अत्यधिक लगाव रखता है।
  • एक वर्ष तक बच्चा माँ या देखभाल करने वाले से चिपका रहता है।
  • जल्दी ही यह व्यवहार छूट जाता है और यह समझ विकसित हो जाती है कि माँ दूसरे कमरे मे जाने पर लुप्त नहीं होगी और उसकी अनुपस्थिति में भी सुरक्षा का बोध विकसित हो जाता है।

.सी. सी . . के मार्गदर्शी सिद्धांत

  • सीखने का आधार खेल हो।
  • शिक्षा का आधार कला हो।
  • बच्चों की विशिष्ट सोच – विशेषताओ को मान्यता देना।
  • विशेषज्ञता की बजाय अनुभव को प्रमखुता।
  • दैनिक नित्यचर्या में अच्छी जानकारी और चुनौतियों का अनुभव।
  • औपचारिक तथा अनौपचारिक दोनों प्रकार की परस्पर बातचीत।
  • पाठविषयक और सांस्कृतिक स्रोतों का मेल।
  • स्थानीय सामग्रियों, कला और ज्ञान का उपयोग।
  • विकासात्मक रूप से उपयुक्त तरीके, लचीलापन तथा अनेकता।
  • स्वास्थ्य, कल्याण और स्वस्थ आदतें।

ECCE के अध्ययन का महत्व

  • यह वह समय है जब बच्चा अपने आस पास के पर्यावरण को जानना शुरु करता है, नई चीजे सीखता है और अपने आस – पास के संसार को खोजना चाहता है।
  • बच्चों के समग्र विकास को जानना जैसे सामाजिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक, शारीरिक आवश्यकता।
  • प्राथमिक स्कूल में प्रवेश से पहले ECCE बच्चों को विभिन्न क्रियाओं के द्वारा सीखने के लिए अनुभव कराता है ताकि उनहे प्राथमिक स्कूल में बैठना और सीखना आ जाए।
  • बच्चे की जिज्ञासा को पूरा करने के लिए उनेह सही माहोल दिआ जाए बिना किसी बोझ के।
  • बच्चे साथियों के साथ बहुत जल्दी सीखते हैं, इसलिए इस वजह से व अन्य कारणों से इस उम्र के बच्चों के लिए स्कूली पूर्व शिक्षा का अनुभव जरुरी हो जाता है।

विधालय पूर्व (Preschool education)

  • विधालय पूर्व (Preschool education) एक ऐसा कार्यक्रम है जो बाल केन्द्रित (child centered) और अनोपचारिक (informal) होता है तथा बच्चे को सीखने का अनूकूल परिवेश (environment) प्रदान करता है, जो घर मे सीखने के अच्छे परिवेश के लाभों का पूरक होता है।
  • ऐसी स्थितियों में जहाँ घर के परिवेश मे कोई कमी हो, वहाँ विद्यालय पूर्व केंद्र बच्चे की घर के बाहर वृद्धि और विकास में सहायता करने में मुख्य भूमिका निभाते है। प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा और देखभाल एक ऐसी गतिविधि है जो विभिन्न स्थितियों में बाल्यावस्था को लाभ पहुंचाने के साथ इन मूलभूत कामों में माता – पिता और समाज की सहायता करके परिवारों का लाभ पहुंचाती है।

विधालय पूर्व के मूल उद्देशय

इसके मूल उद्देशय निम्न है ;

  • बच्चे का समग्र विकास जिससे वह अपनी क्षमता पहचान सके।
  • विद्यालय की तैयारी।
  • महिलायों और बच्चों के लिए सहायक सेवाएँ प्रदान करना।

जीविका के लिए तैयारी

  • 6 वर्ष से कम आयु के बच्चों की दुनिया और संबंधों को समझने के विशिष्ट तरीके होते है, उनकी विकासात्मक जरूरतें भिन्न होती है। अतः बच्चों के लिए काम करने वाले वयस्क का प्रारम्भिक बाल विकास और देखभाल के क्षेत्र मे सुशिक्षित होना आवश्यक है।
  • शिक्षक और देखभाल करने वाले पर उन बच्चों की देखभाल का दायित्व जो उनकी संतान नहीं होते है। साथ ही शिक्षक जिस संस्थान में काम करते है उसकी और समाज की ज़िम्मेदारी उन पर होती है।
  • प्रारम्भिक बाल्यावस्था देखभाल और शिक्षा व्यावसायिक को बच्चों, उनके कल्याण, जरूरतों ओर चुनोतियों की जानकारी और ज्ञान होना चाहिए जिससे वे उनकी वृद्धि और विकास के अवसर प्रदान कर सकें।
  • विधालय पूर्व बच्चों की शारीरिक देखभाल जैसे – सफाई, खान – पान, शोच आदि की निगरानी करने की कम आवश्यकता होती है, क्योंकि बच्चा बोलने, मल और मूत्र विसर्जन और स्वयं के खाने – पीने की क्षमता विकसित कर लेता है।
  • शिक्षक को बच्चों को नयी चीजों को सीखने, प्रकृतिक घटनायों का अनुभव करने और अनेक प्रकार के अनुभवों के दिलचस्प अवसर प्रदान करने पर अधिक ध्यान देना चाहिए। इस समय उसकी रचनात्मक अभिव्यक्ति और खोज बीन करने की प्रवृति को बढ़ावा दिया जाता है।

कुछ कौशल जो प्रारम्भिक बाल्यावस्था के व्यवसायी मे होने चाहिए, वे इस प्रकार है

  • बच्चों और उनके विकास मे रुचि।
  • छोटे बच्चों की आवश्यकताओं और क्षमताओं के बारे में जानकारी।
  • बच्चों से बातचीत करने की क्षमता और प्रेरणा।
  • रचनात्मक और रोचक गतिविधियों के लिए कोशल।
  • कहानी सुनाने, खोज बीन करने जैसे कार्यों के लिए उत्साह।
  • बच्चों की शंकाओ के उत्तर देने की इच्छा और रुचि।
  • लंबे समय तक शारीरिक गतिविधियों और सक्रियता के लिए तत्पर रहना।

कार्यक्षेत्र

  • सरकारी और गैरसरकारी बच्चों के लिए अभियान मे।
  • उधमी के रूप में अपना बाल देखभाल केंद्र।
  • नर्सरी स्कूल के शिक्षक।
  • शिशुकेन्द्र मे देखभालकर्ता।
  • दिवस देखभाल केंद्र।
  • समेकित बाल विकास सेवाएँ।

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