खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (CH-6) Notes in Hindi || Class 12 Home Science Chapter 6 in Hindi ||

पाठ – 6

खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा

In this post we have given the detailed notes of class 12 Home Science Chapter 6 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety ) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के गृह विज्ञान के पाठ 6 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety ) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं गृह विज्ञान विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectHome Science
Chapter no.Chapter 6
Chapter Nameखाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा (Food Quality and Food Safety )
CategoryClass 12 Home Science Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Home Science Chapter 6 खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा in Hindi
Table of Content
3. Chapter – 6: खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा

Chapter – 6: खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा

खाद्य गुणवत्ता और खाद्य सुरक्षा को पढ़ने की आवश्यकता क्यों?

  • वर्ष 2005 में दस्त जैसे रोगों से 18 लाख लोगों की मृत्यु हुई । भारत में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने सितंबर 2010 में बताया कि 5 वर्ष से कम आयु वाले बच्चों में प्रतिवर्ष गंभीर दस्त के 30 करोड़ से अधिक मामले सामने आए है ।
  • इस तरह की घटनाएं यह दिखाती हैं कि खाद्य सुरक्षा एक गंभीर मुद्दा है साथ ही खाद्य पदार्थों के अच्छी गुणवत्ता के होने की बहुत आवश्यकता है खाद्य पदार्थों से होने वाले रोग ना केवल मृत्यु के लिए उत्तरदाई हैं बल्कि इनसे व्यापार और पर्यटन को भी क्षति पहुंचती है इस कारण धनार्जन में हानि , बेरोजगारी और मुकदमेबाजी बढ़ती है । आर्थिक विकास में रुकावट आती है और इन कारणों से पूरे विश्व में खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता के महत्व में वृद्धि हुई है ।

बड़े पैमाने पर खाद्य उत्पादन और संसाधन के कारक

  • उपभोक्ता की बेहतर क्रय क्षमता
  • प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि
  • उपभोक्ता की बढ़ती मांग
  • प्रौद्योगिकी और संसाधन में प्रगति

खाद्य सुरक्षा का महत्व

  • संसाधित खाद्य पदार्थों का बड़े पैमाने पर उत्पादन एवं बढ़ता हुआ बाजार ।
  • जीवनशैली और खानपान की आदतों के तेजी से बदलने के कारण ।
  • घर से बाहर खाना खाने की बढ़ती हुई आदते ।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार बढ़ाने के लिए प्रभावी खाद्य मानकों व नियंत्रण कारी प्रणालियों की आवश्यकता ।
  • मसालों और तिलहन एवं वर्धक मिश्रण की बढ़ती हुई मांग ।
  • वायुमंडल मृदा और जल के प्रदूषण कीटनाशकों के उपयोग से कृषि उत्पाद में इनका संदूषण ।
  • अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए आवश्यक समझौतों की स्वीकार्यता ।
  • अधिक दूरी का परिवहन एवं अधिक समय का भंडारण ।
  • खाद्य जनित सूक्ष्म जैविक रोगों के मामलों में वृद्धि ।

खाद्य सुरक्षा एवं गुणवत्ता से जुड़ी मूलभूत संकल्पनाऐं

खाद्य सुरक्षा :- खाद्य सुरक्षा का अर्थ यह सुनिश्चित करना है । कि यह खाद्य पदार्थ उपभोक्ता के लिए किसी भी प्रकार से हानिकारक नहीं है ।

आविषालुता / आविषता :- इस का अर्थ है कोई पदार्थ किस सीमा तक किसी जीव को हानि पहुंचा सकता है इसकी मात्रा को आविषता या आविषालुता कहते हैं । यह खतरा तब पैदा हो सकता है जब उस खाद्य पदार्थ को बताए गए तरीके और मात्रा में प्रयोग ना किया जाए । यह संकट भौतिक रसायनिक अथवा जैविक हो सकता है ।

खाद्य पदार्थों से संबंधित भौतिक संकट

कोई भी ऐसा पदार्थ जो सामान्यत उस खाद्य पदार्थ में नहीं पाया जाता और भौतिक प्रकृति का होता है । खाद्य पदार्थ के साथ गृहण करने से रोग उत्पन्न कर सकता है या आघात पहुंचा सकता है जैसे कि लकड़ी , पत्थर , कीट के अंश , बाल , जुट , सिगरेट के टुकड़े , कील , बटन , पँख , आभूषण आदि ।

खाद्य पदार्थों से संबंधित रसायनिक संकट

रासायनिक संकट में रसायनिक अथवा हानिकारक पदार्थ होते हैं जो खाद्य पदार्थों में प्राकृतिक रूप से पाए जाते हैं अथवा खाद्य पदार्थों में जाने या अनजाने मिला दिए जाते हैं इस वर्ग में कीटनाशक , रसायन , कृषि अवशेष , विषैली धातुएं , परिरक्षक , खाद्य रंग और अन्य मिलावटी पदार्थ सम्मिलित हैं ।

खाद्य पदार्थों से संबंधित जैविक एवं सूक्ष्म जैविक संकट

  • जैविक संकट में विभिन्न जीवधारी शामिल हैं । जैविक संकट में दिखाई देने वाले जीव एवं सूक्ष्म जीव सम्मिलित हैं । जीव धारियों में कृमि , घुन , मक्खी , मच्छर , तिल्ली , कीड़े आदि आते हैं ।
  • सूक्ष्म जीव जो खाद्य से संबंधित होते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं । खाद्य जनित रोगाणु कहलाते है सूक्ष्म जीवी रोगाणुओं से दो प्रकार के खाद्य जनित रोग उत्पन्न होते हैं :-
    • संक्रमण
    • विषाक्तता
  • सूक्ष्म जीव में सम्मिलित है । फंगस , विषाणु एवं यीस्ट जीवाणु , प्रोटोजोआ ।

संक्रमण :- खाद्य संक्रमण रोगाणु जीवों के शरीर में प्रवेश से उत्पन्न होता है , जो वहां पहुँच कर संख्या में बढ़ते हैं और रोग उत्पन्न करते हैं । साल्मोनेला इसका एक आदर्श उदाहरण है । कच्चा दूध और अंडे भी इसके स्रोत हैं । गर्म करने पर साल्मोनेला नष्ट हो जाता है । अपर्याप्त पाकक्रिया से कुछ जीव जीवित बचे रहते हैं । अक्सर साल्मोनेला पारसंदूषन से फैलते हैं ।

खाद्य विषाक्तता :-

  • खाद्य पदार्थ से रोगाणों के नष्ट हो जाने पर भी कुछ जीवाणु जीवित रहते हैं । ये तभी आविष उत्पन्न करते हैं जब खाद्य पदार्थ अधिक गर्म या अधिक ठंडे नहीं रहते ।
  • खाद्य पदार्थों में आविष गंध , दिखावट अथवा स्वाद से नहीं पहचाने जा सकते हैं ऐसे पदार्थ सुगंध और रूप में ठीक लगते हैं जरूरी नहीं कि सुरक्षित ही हों । स्टाफीलोकोकस ऑरियस इसी का उदाहरण है ।
  • विभिन्न परजीवी भी रोग का कारण हो सकते हैं । जैसे सूअर के मांस में फीता कृमि द्वारा संक्रमण । इसी प्रकार के जीव वायु धूल और जल में पाए जाते हैं यह 50 % स्वस्थ व्यक्तियों के नासिका मार्ग , गले और त्वचा तथा बालों में पाए जाते हैं । खाद्य पदार्थ में पीड़क एवं कीतकीट भी पाए जा सकते हैं ।

खाद्य विषाक्तता फैलाने वाले कुछ जीवो के उदाहरण

  • उदाहरण हैं :- नोरोवायरस , रोटावायरस , हेपेटाइटस E जिनका लगभग 70 प्रतिशत मामलों में योगदान रहता है । नए रोगाणु उत्पन्न होते रहेंगे और इसलिए उन्हें पहचानने , नियंत्रित करने और खाद्य पदार्थों में उनकी उपस्थिति पता लगाने के लिए विधियों को विकसित करने की आवश्यकता है ।
  • खाद्य सुरक्षा के संदर्भ में संदूषण और अपमिश्रण जैसे शब्दों को समझना महत्वपूर्ण है ।

संदूषण

संसाधन अथवा भंडारण के समय / पहले / बाद में खाद्य पदार्थ में हानिकारक , अखाद्य अथवा आपत्तिजनक बाहरी पदार्थों जैसे- रसायन , सूक्ष्मजीव , तनुकारी पदार्थों की उपस्थिति संदूषण कहलाती है ।

खाद्य अपमिश्रण

वह प्रक्रिया है जिसमें भोजन की गुणवत्ता या तो खराब गुणवत्ता वाली सामग्री के अतिरिक्त या मूल्यवान घटक के निष्कर्षण से कम हो जाती है । इसमें खाद्य पदार्थों के विकास भंडारण , प्रसंस्करण , परिवहन और वितरण की अवधि के दौरान न केवल पदार्थों का जानबूझकर जोड़ या प्रतिस्थापन शामिल है बल्कि जैविक और रासायनिक संदूषण भी शामिल है , जो खाद्य उत्पादों की गुणवत्ता में गिरावट के लिए भी ज़िम्मेदार है । मिलावट वे पदार्थ हैं जिनका उपयोग मानव उपभोग के लिए खाद्य उत्पादों को असुरक्षित बनाने के लिए किया जाता है ।

खाद्य गुणवतत्ता

  • खाद्य गुणवत्ता उन गुणों की ओर संकेत है जो उपभोक्ताओं के लिए उत्पादों के गुणों को प्रभावित करती है । इसमें नकारात्मक गुण भी शामिल हैं , जैसे- सड़ना , संदूषण , अपमिश्रण , खाद्य सुरक्षा खतरे और साथ ही सकारात्मक गुण भी शामिल हैं , जैसे- रंग , सुगंध , बनावट ।
  • यह एक परिपूर्ण संकल्पना है जो पोषक विशेषताओं , संवेदनशील गुणों ( रंग , बनावट , आकार , रूप / स्वाद , सुरुचि , गंध ) सामाजिक सोच विचार और सुरक्षा जैसे कारकों को जोड़ती है । सुरक्षा , गुणवत्ता का प्राथमिक और सबसे महत्वपूर्ण गुण है ।

खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण :-

  • पूरे विश्व में विभिन्न सरकारों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने खाद्य मानक तय किए हैं जो यह सुनिश्चित करने के लिए हैं कि खाद्य पदार्थ सुरक्षित हैं और अच्छी गुणवत्ता के हैं । निर्माता / सप्लायरों से इन मानकों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है ।
  • अत : सभी खाद्य सेवा उपलब्ध कराने वालों ( वे सभी सेवाएँ जो पूर्व तैयारी और पकाना / संसाधन , पैक करने और सेवा देने हेतु शामिल हैं ) को चाहिए कि वे बेहतर निर्माण विधियों को अपनाएँ और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करें । ध्यान में रखने योग्य महत्वपूर्ण बातें हैं :-
    • कच्चे माल और जल की गुणवत्ता ।
    • परिसर , कर्मचारियों , उपकरणों , खाद्य निर्माण और भंडारण क्षेत्रों की स्वच्छता ।
    • उपयुक्त ताप पर खाद्य का भंडारण ।
    • खाद्य स्वास्थ्य विज्ञान ।
    • बेहतर सेवा के तरीके ।

खाद्य मानक

खाद्य पदार्थों से संबंधित प्रत्येक पहलू में एक जैसी गुणवत्ता , स्वच्छता और खाद्य स्तर को सुनिश्चित करने के लिए चार स्तरों पर खाद्यान्न मानकों और नियंत्रण प्रणालियों की आवश्यकता होती है :-

कंपनी खाद्य मानक :- यह कंपनी द्वारा अपने स्वयं के उपयोग के लिए बनाए जाते हैं सामान्यतय ये राष्ट्रीय मानकों की नकल होते हैं ।

भारतीय खाद्य मानक :- यह राष्ट्रीय मानक सरकार द्वारा बनाए जाते हैं ।

क्षेत्रीय खाद्य मानक :- समान भौगोलिक जलवायु इत्यादि वाले क्षेत्रीय समूहों के कानूनी मानकीकरण संगठन होते हैं ।

अंतरराष्ट्रीय खाद्य मानक :- अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (ISO) कोडेक्स अलीमेंटोरियस कमिशन (CAC) अंतर्राष्ट्रीय मानक प्रकाशित करते है ।

भारत में खाद्य मानक नियमन :-

  • भारत में खाद्य मानक नियमन 1954 में पीएफए के रूप में शुरू हुआ । इसका नाम खाद्य अपमिश्रण अधिनियम 1954 था । यह अधिनियम आवश्यकतानुसार कई बार संशोधित हो चुका है । भारत में बड़े पैमाने पर बनने वाले अथवा आयात किए और भारत में बेचे जाने वाले सभी उत्पादों को इस अधिनियम के अनुसार वर्णित सभी आवश्यकताएं पूरी करनी पड़ती हैं ।
  • PFA के अतिरिक्त अन्य आदेश या अधिनियम भी हैं जो विशिष्ट खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता को सुनिश्चित करते हैं : –
    • फल और सब्जी उत्पाद आदेश
    • माँस खाद्य उत्पादन आदेश
    • वनस्पति तेल उत्पाद आदेश

स्वैच्छिक उत्पादन प्रमाणीकरण

  • बीआईएस अर्थात भारतीय मानक ब्यूरो एवं एगमार्क विभिन्न उपभोक्ता सामग्री के मानकीकरण से संबंधित है । बीआईएस संसाधित खाद्य पदार्थों के लिए ISI के नाम से जानी जाने वाली स्वैच्छिक प्रमाणीकरण योजना चलाता है ।
  • 8 मार्च कच्चे और संसाधित कृषि उत्पादों की प्रमाणीकरण के लिए लागू एक सच्चीं की योजना है । एगमार्क कच्चे और संसाधित कृषि उत्पादों की प्रमाणीकरण के लिए लागू एक स्वैच्छिक योजना है ।

खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2006 (FSSAI)

  • खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता नियमन के सभी नियमों का एकीकरण करके खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 बनाया गया । इस अधिनियम का उद्देश्य खाद्य से संबंधित नियमों को समेकित करना है ।
  • खाद्य के लिए विज्ञान आधारित मानक निर्धारित करने और उनके निर्माण , भंडारण , वितरण , विक्रय और आयत के नियमन के लिए की गई थी ताकि मानव उपयोग के लिए सुरक्षित और पौष्टिक खाद्य की उपलब्धता को सुनिश्चित किया जा सके ।
  • अधिनियम में निर्माण परिसर और उसके चारों और स्वास्थ्य जनक परिस्थितियां बनाए रखने , वैज्ञानिक तरीके से मानव स्वास्थ्य के खतरों के कारकों का आकलन और प्रबंधन का प्रावधान है ।

खाद्य सुरक्षा के अंतर्राष्ट्रीय मानक एवं समझौते

बहुत से अंतरराष्ट्रीय संस्थान और समझौते हैं जिन्होंने खाद्य सुरक्षा गुणवत्ता और बचाव को बढ वाशोध और व्यापार को सुसाध्य करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है । प्रमुख भूमिका निभाने वाले मुख्य संस्थान हैं :-

  • कोडेक्स अलीमेंटोरियस कमिशन (CAC)
  • अंतर्राष्ट्रीय मानक संस्थान (ISO)
  • विश्व व्यापार संगठन (World Trade Organization)

कोडेक्स अलीमेंटोरियस कमिशन (Codex Alimentarius Commission)

1961 में इसकी स्थापना हुई । 166 सदस्य देश और एक सदस्य संगठन यूरोपियन समुदाय बना । भारत स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से इसका सदस्य है । सीएसई खाद्य मांगों से संबंधित विकास कार्यों के लिए एकमात्र सबसे अधिक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय संदर्भ केंद्र है जिसका अर्थ खाद्य नियमावली है और यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनाए गए खाद्य मानकों का एक संग्रह है । देश अपने राष्ट्रीय मानकों के विकास के लिए कोडेक्स मानकों उपयोग करते हैं ।

NATIONAL CODEX CONTACT POINT = NCCP

” कोडेक्स इंडिया ” भारत के लिए राष्ट्रीय कोडेक्स संपर्क केंद्र (एन . सी . सी .) है । यह भारत सरकार के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (डी . जी . एच . एस .) में स्थित है । यह राष्ट्रीय कोडेक्स समिति के सहयोग से भारत में कोडेक्स गतिविधियों को समन्वित और प्रोत्साहित करता है ।

अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन

  • ISO , राष्ट्रीय मानक संस्थाओं का विश्वव्यापी गैर सरकारी संगठन है । आईएसओ का मिशन वस्तु के अंतरराष्ट्रीय विनिमय को सु बनाने और बुद्धिजीवी वैज्ञानिक प्रौद्योगिकी और आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्रों में सहयोग विकसित करने के दृष्टिकोण से विश्व में मानकीकरण और संबंधित गतिविधियों के विकास को प्रोत्साहन देना है । आईएसओ द्वारा किया गया कार्य अंतरराष्ट्रीय समझौतों में परिणित हो जाता है जो अंतरराष्ट्रीय मानकों के रूप में प्रकाशित होते हैं ।
  • ISO 9000 गुणवत्ता आवश्यकताओं का एक ऐसा ही अंतर्राष्ट्रीय संकेत चिह है ।

विश्व व्यापार संगठन

  • स्थापना :- विश्व व्यापार संगठन की स्थापना वर्ष 1955 में की गई थी ।
  • स्थित :- Geneva, Switzerland

विश्व व्यापार संगठन का उद्देश्य :-

WTO का मुख्य उद्देश्य :-

  • व्यापार के समझौतों को लागू करके ।
  • व्यापार के झगड़ों को निपटाकर ।
  • देशों की व्यापार नीति के मुद्दों में सहायता सहजता पूर्वक स्वतंत्रता पूर्वक ।
  • निष्कपटता पूर्वक और पूर्वानुमान के साथ व्यापार को चलाने में सहायता करना है ।
  • WTO में वस्तुएं , सेवाएं और बौद्धिक सम्पदा शामिल है ।

प्रभावी खाद्य नियंत्रण प्रणाली के आवश्यक तत्व :-

खाद्य निरीक्षण :-

  • निरीक्षण द्वारा उत्पाद की मानक के साथ समरूपता स्थापित करना ।
  • यह सुनिश्चित करना कि सभी खाद्य पदार्थों का उत्पादन , हस्तन , संसाधन , भंडारण और वितरण नियम और कानून के अनुपालन के के साथ होता है ।
  • निरीक्षण के लिए सरकार और नगर परिषदों के द्वारा खाद्य निरीक्षकों की नियुक्ति खाद्य निरीक्षक द्वारा गुणवत्ता समरूपता की स्थिति का निर्धारण द्वारा गुणवत्ता समरूपता की स्थिति का निर्धारण ।

विश्लेषण क्षमता :-

  • खाद्य विश्लेषण के लिए आवश्यक हर प्रकार से सुसज्जित एवं सरकारी मान्यता प्राप्त प्रयोगशाला की आवश्यकता प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता ।
  • प्रशिक्षित कर्मचारियों की आवश्यकता जिन्हें प्रयोगशाला प्रबंधन के सिद्धांतों और भौतिक , रासायनिक तथा सूक्ष्म जैविक विश्लेषण , खाद्य और खाद्य उत्पादन के परीक्षणों का ज्ञान हो । रसायनिक तथा सूक्ष्म जैविक विश्लेषण और खाद्य उत्पादों के परीक्षण का ज्ञान हो ।

खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ :-

खाद्य मानकों को अपनाने और उन्हें प्रभावी रूप से लागू करने के लिए एक मजबूत खाद्य नियंत्रण तंत्र की आवश्यकता होती है ।

खाद्य सुरक्षा प्रबंधन प्रणालियाँ :-

उत्तम निर्माण पद्धतियां :-

  • उत्पादनकर्ता को उत्पादन से पहले यह सुनिश्चित कि यह उत्पाद हानिकारक नहीं है ।
  • निर्माताओं द्वारा अनुपालन और निष्पादन करने में सहायता करने हेतु gmp अच्छा व्यवसायिक माध्यम है ।
  • इसके उपयोग के द्वारा गलत लेबलिंग से बचा जा सकता है ।
  • उत्पादकों द्वारा उत्तम निर्माण पद्धतियों का अनुपालन करने से उपभोक्ता के मन में उस कंपनी के प्रति विश्वसनीयता बढ़ती है ।

उत्तम हस्तन पद्धतियाँ :-

  • इस प्रक्रिया में खेत से दुकान अथवा उपभोक्ता तक पहुंचाने के दौरान खाद्य संदूषण के संभावित स्रोतों की पहचान करना और उनसे बचाव के उपाय सुझाना शामिल है ।
  • जीएचपी ( GHP ) यह सुनिश्चित करती है कि खाद्य पदार्थों का हस्तन करने वाले सभी व्यक्तियों के स्वास्थ्य संबंधी आदतें अच्छी हैं ।

संकट विश्लेषण क्रांतिक नियंत्रण बिंदु (HACCP) :-

  • खाद्य पदार्थों का उपयोग के लिए सुरक्षित होने का आश्वासन देने का एक साधन है । इसमें कच्ची सामग्री से लेकर निर्माण प्रक्रिया के प्रत्येक चरण पर विस्तार से ध्यान दिया जाता है ।
  • इसमें निम्न को सम्मिलित किया जाता है संभावित संकटों की पहचान , कच्ची सामग्री एकत्र करना , निर्माण , वितरण , खाद्य पदार्थों का उपयोग , आहार श्रृंखला के प्रत्येक चरण के समय होने वाले संकटों की संभावनाओं का आकलन और संकटों के नियंत्रण के लिए उपाय बताना ।

HACCP का महत्व / आवश्यकता :-

  • यह खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने की उपागम है ।
  • यह नियमित रूप से उत्तम गुणवत्ता वाले उत्पादों का आश्वासन देता है ।
  • खाद्य निरीक्षण एवं परीक्षण अधिक समय लेने वाली तथा महंगी प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया में समस्या तभी पकड़ में आती है जब उत्पन्न हो जाती है , जबकि HACCP में हरचरण पर सावधानी बरतने के कारण समस्या उत्पन्न होते ही पकड़ में आ जाती है और उचित कार्यवाही की जा सकती है ।
  • खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए उत्पादकों , संसाधकों , वितरकों और निर्यात करने वालों को संसाधनों का उपयोग करने में सक्षम बनाता है ।
  • खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 एच एसीसीपी , जीएमपी , जीएचपी के माध्यम से खाद्य सुरक्षा का प्राथमिक उत्तरदायित्व उत्पादकों और आपूर्ति करने वालों पर डालता है । यह उपभोक्ता संरक्षण और अंतरराष्ट्रीय खाद्य व्यापार के लिए बहुत महत्वपूर्ण है ।

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