पाठ – 4
निर्धनता
In this post we have given the detailed notes of class 12 Indian Economics Chapter 4 निर्धनता (Poverty) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के भारतीय अर्थशास्त्र के पाठ 4 निर्धनता (Poverty) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं अर्थशास्त्र विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Indian Economics (भारतीय अर्थशास्त्र) |
Chapter no. | Chapter 4 |
Chapter Name | निर्धनता (Poverty) |
Category | Class 12 Economics Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
निर्धनता
- निर्धनता एक ऐसी स्थिति है जिसमें एक व्यक्ति अपने जीवन की न्यूनतम आवश्यकताओं को पूरा करने में असमर्थ रहता है
- यहां पर न्यूनतम आवश्यकताओं से अभिप्राय भोजन वस्त्र मकान शिक्षा स्वास्थ्य संबंधी सुविधाएं आदि से हैं
निर्धनता के प्रभाव
- निर्धनता के कारण व्यक्ति अपने जीवन के न्यूनतम आवश्यकताएं जैसे की रोटी, कपडा और मकान भी पूरी नहीं कर पाता
- कुपोषण और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ
- कार्य कुशलता पर प्रभाव
- अवसरों में कमी
- जीवन में बुरी आदतों के प्रवेश करने की अधिक संभावना
निर्धन व्यक्ति
- ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में निर्धनों की पहचान मुख्य रूप से उनके व्यवसाय और संपत्ति के आधार पर की जाती है
ग्रामीण निर्धन
- गांव में निर्धन मुख्य रूप से गैर भूमि श्रमिक या ऐसे किसान होते हैं जिनके पास छोटे खेत होते हैं
- यह मुख्य रूप से कच्चे घरों किराए के घरों में रहते हैं जबकि कई ग्रामीण निर्धन लोगों के पास रहने के लिए घर भी नहीं होते
शहरी निर्धन
- शहरी क्षेत्रों के निर्धन मुख्य रूप से वह लोग होते हैं जो गांव से रोज़गार की तलाश में शहर की ओर पलायन करते हैं
- यह मुख्य रूप से अनियमित नौकरियों में लगे होते हैं उदाहरण के लिए सड़कों और गलियों में सामान बेचने वाले, कूड़ा उठाने वाले आदि
निर्धनता की श्रेणियां
चिरकालिक निर्धन
- चिरकालिक निर्धन वह निर्धन होते हैं जो सदैव निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं
अल्पकालिक निर्धन
- अल्पकालिक निर्धन निर्धन होते हैं जो कभी निर्धनता रेखा से ऊपर तो कभी निर्धनता रेखा से नीचे रहते हैं
गैर निर्धन
- गैर निर्धन व्यक्ति है जो कभी निर्धन नहीं होते
निर्धनता के प्रकार
सापेक्ष निर्धनता
- सापेक्ष निर्धनता से अभिप्राय दूसरे देशो, लोगो या व्यक्तियों की तुलना में पाई जाने निर्धनता से है
निरपेक्ष निर्धनता
- निरपेक्ष निर्धनता से अभिप्राय निर्धनता रेखा से नीचे के व्यक्तियों की संख्या से है
भारत में निर्धनता रेखा का निर्धारण
- भारत में पहली बार निर्धनता रेखा की चर्चा दादा भाई नौरोजी ने की
- भारत में निर्धनता रेखा की अवधारणा सबसे पहले 1979 में शुरू की गई
- इसके अंतर्गत ग्राम में निर्धनता रेखा ₹49.04 पैसे प्रति व्यक्ति प्रति माह तथा शहरी निर्धनता रेखा ₹56.64 प्रति व्यक्ति प्रति माह पर निर्धारित की गई थी
- 2004-05 तक भारत में इस माप का प्रयोग किया गया
- इसके बाद तेंदुलकर कमेटी द्वारा निर्धारित मानदंडों को भारत में निर्धनता रेखा के रुप में मान्यता मिली
- इसके बाद ग्रामीण क्षेत्र में 2400 कैलोरी तथा शहरी क्षेत्र में 2100 कैलोरी के अनुमानित उपभोग को मान्यता दी गई
- ग्रामीण क्षेत्र में ₹816 प्रति व्यक्ति प्रतिमाह तथा शहरी क्षेत्र में 1000 रुपए प्रति व्यक्ति प्रतिमाह की सीमा निर्धारित की गई
निर्धनता रेखा की सीमाएं
निर्धनों के मध्य कोई अंतर नहीं
- वर्तमान निर्धनता रेखा निर्धन और गैर निर्धनों के बीच तो अंतर करती है परंतु निर्धनों की विभिन्न श्रेणियों के बीच में कोई अंतर नहीं किया जाता
सामाजिक कार्य को किया अवहेलना
- निर्धनता रेखा के अंतर्गत महत्वपूर्ण सामाजिक कारको जैसे कि निरक्षरता, खराब स्वास्थ्य, संसाधनों की अनुपलब्धता आदि की अवहेलना की जाती है
निर्धनता के कारण
- राष्ट्रीय उत्पाद का निम्न स्तर
- विकास की निम्न दर
- अधिक जनसंख्या दबाव
- स्फीतिकारी जाल
- चिरकालिक बेरोजगारी
- अल्परोजगार
- पूंजी की कमी
- निपुण उद्यमकर्ताओं का अभाव
- आधारिक संरचना का आभाव
- ग्रामीण ऋणग्रस्तता
- अशिक्षा
भारत में निर्धनता को दूर करने के लिए बनाई गई नीतियां/कार्यक्रम
- भारत में उपस्थित निर्धनता की समस्या के समाधान के लिए भारतीय सरकार ने तीसरी पंचवर्षीय योजना (1961 – 1966 ) के दौरान निर्धनता उन्मूलन कार्यक्रमों की शुरुआत की
- तब से अब तक भारतीय सरकार द्वारा कई कार्यक्रमों को शुरू किया गया जिसमें से कुछ मुख्य कार्यक्रम नीचे दिए गए हैं
प्रधानमंत्री रोजगार योजना
- इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में स्वरोजगार सृजित करना था
- इस योजना के अंतर्गत एक व्यक्ति को अपना उद्यम स्थापित करने के लिए एक लाख तथा अन्य क्रियाओं के लिए 2 लाख तक का ऋण प्रदान किया जाता है
स्वर्ण जयंती शहरी रोजगार योजना
- इस योजना का आरंभ 1 दिसंबर 1997 से हुआ
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य शायरी बेरोजगार तथा अल्प रोजगार वाले लोगों को स्वरोजगार अथवा मजदूरी रोजगार प्रदान करना है
- इसके अंतर्गत मुख्य रूप से दो योजनाएं शामिल हैं
- शहरी स्वरोजगार कार्यक्रम
- शहरी वेतन रोजगार कार्यक्रम
ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम
- इस योजना की शुरुआत 1 अप्रैल 1995 से की गई
- इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण शिल्पकार और उद्यमियों को अपने उद्यम स्थापित करने के लिए 25 लाख तक का ऋण प्रदान किया जाता है
प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना
- इस योजना की शुरूआत 2008 में हुई
- इस योजना के अंतर्गत विनिर्माण उद्योग स्थापित करने के लिए 25 लाख तथा सेवा क्षेत्र में उद्यम स्थापित करने के लिए 10 लाख का ऋण प्रदान किया जाता है
स्वर्ण जयंती ग्राम स्वरोजगार योजना
- अप्रैल 1999 में इस योजना की शुरूआत कि गई
- इस योजना के अंतर्गत स्वरोजगार के लिए पहले से लागू सभी योजनाओं को शामिल कर लिया गया
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भारी संख्या में छोटे छोटे उद्यमों की स्थापना करना था
- 2011-12 में इसका नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना कर दिया गया
राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन
- इस योजना को 2013 में लागू किया गया
- इसका मुख्य उद्देश्य शहरी क्षेत्र में निर्धन लोगों को उद्यम स्थापित करने के लिए प्रेरित करना था
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम – मनरेगा
- इसका आरंभ 2005 में हुआ
- इस योजना के अंतर्गत सभी व्यक्ति जो न्यूनतम मजदूरी दर पर अकुशल हाथ संबंधी काम करने के इच्छुक है उन्हें 100 दिनों की न्यूनतम अवधि के लिए रोजगार दिया जाएगा
सार्वजनिक वितरण प्रणाली
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य रियायती दरों पर खाद्यान्नों की पूर्ति करना है
- इस योजना के अंतर्गत 2020 तक 5 लाख से अधिक उचित मूल्य की दुकानों की स्थापना की जा चुकी है जिन से लगभग 77 करोड लोगों को खाद्यान्न की पूर्ति की जाती है
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना
- इस योजना को दिसंबर 2000 में आरंभ किया गया
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश भर में हर मौसम में उपयुक्त सड़कों का निर्माण करना था
दोपहर का भोजन योजना
- इस योजना की शुरूआत 1995 में की गई
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय स्तर पर विद्यालयों में छात्रों को पोषक भोजन उपलब्ध कराना था
एकीकृत बाल विकास सेवाएं
- इस योजना की शुरूआत 1975 में की गई
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य जीरो से 6 वर्ष की आयु समूह के बच्चों के पोषण तथा स्वास्थ्य स्तर में सुधार करना था
वाल्मिकी अंबेडकर आवास योजना
- इस योजना की शुरूआत 2001 में की गई
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य झुग्गियों में रहने वाले लोगों के लिए घरों का निर्माण करना था
राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम
- इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा पेंशन के रूप में बुजुर्गों विधवाओं तथा अक्षम लोगों की सहायता की जाती है
प्रधानमंत्री जन धन योजना
- इस योजना के अंतर्गत देश के गरीब लोगों को बैंक में खाता खोलने के लिए प्रोत्साहित किया गया
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