मुद्रा एवं मुद्रा की पूर्ति
In this post we have given the detailed notes of class 12 Economics Chapter 3 मुद्रा एवं मुद्रा की पूर्ति (Macro Economics Introduction) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के अर्थशास्त्र के पाठ 3 मुद्रा एवं मुद्रा कीपूर्ति (Macro Economics Introduction) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं अर्थशास्त्र विषय पढ़ रहे है।
मुद्रा एवं मुद्रा की पूर्ति
विनिमय
समाज में कोई भी व्यक्ति अपनी सभी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन स्वयं नहीं करता इसीलिए उसे अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समाज के अन्य लोगों पर निर्भर रहना पड़ता है और अन्य वर्गों से लेन देन करना पड़ता है इसी लेन देन को विनिमय कहते हैं
वस्तु विनिमय प्रणाली
- वस्तु विनिमय प्रणाली उस प्रणाली को कहते हैं जिसमें वस्तु का विनिमय वस्तु से किया जाता है यानी वस्तु के बदले वस्तु का ही लेन देन होता है।
प्राचीन समय में विनिमय
- प्राचीन समय में मुख्य रूप से विनिमय वस्तु द्वारा किया जाता था अर्थात एक वस्तु के बदले दूसरी वस्तु का लेन देन किया जाता था
- पुराने समय में लोगों की आवश्यकताएं कम थी इसी वजह से वस्तु विनिमय प्रणाली कारगर थी परंतु जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था का आकार बड़ा होने लगा और समाज की आवश्यकताओं में वृद्धि होने लगी तो वस्तु विनिमय प्रणाली में कई कमियाँ सामने आई
वस्तु विनिमय प्रणाली की कमियाँ
आवश्यकताओं का दोहरा सहयोग
- आवश्यकताओं के दोहरे सहयोग का अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें पहले व्यक्ति के पास उपलब्ध वस्तु दूसरे व्यक्ति की आवश्यकता पूरी करती हो और दूसरे व्यक्ति के पास उपलब्ध वस्तु पहले व्यक्ति की आवश्यकता पूरी करें
- उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति के पास गेहूं है और उसे चावल की आवश्यकता है तो उसे किसी ऐसे व्यक्ति को ढूंढना होगा जिसके पास चावल हो और उसे गेहूं की आवश्यकता हो
मूल्य की सामान्य इकाई का अभाव
- वस्तु विनिमय प्रणाली में किसी वस्तु का किसी अन्य वस्तु के आधार पर मूल्य निर्धारित करना मुश्किल होता था क्योंकि मूल्य की सामान्य इकाई का अभाव था
- उदाहरण के लिए यदि आपको कार खरीदनी है और आपके पास गेहूं है तो इस बात का अंदाजा लगाना मुश्किल है कि एक कार के बदले आपको कितने गेहूं देने चाहिए और दूसरी स्थिति में यदि किसी के पास चावल है तो वह इस कार के बदले कितने चावल देगा
मूल्य संचय की समस्या
- वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य संचय करने के लिए व्यक्ति को वस्तुओं को इकट्ठा करके रखना पड़ता था
- जिससे उसे वस्तुओं के खराब होने से होने वाली हानि और उसे लंबे दौर तक रखने के लिए व्यवस्था भी करनी पड़ता थी
हस्तांतरण प्रणाली का अभाव
- वस्तु विनिमय प्रणाली में मूल्य का हस्तांतरण करना कठिन कार्य होता था क्योंकि ऐसे में व्यक्ति को वस्तुओं को हस्तांतरित करना पड़ता था
भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों का अभाव
- वस्तु विनिमय प्रणाली में भविष्य में किए जाने वाले भुगतानों के मूल्य को निर्धारित करना मुश्किल होता था क्योंकि वस्तु के रूप में भविष्य में भुगतान करना कठिन कार्य था
मुद्रा
- वस्तु विनिमय प्रणाली में अनेकों कमियां होने के कारण मुद्रा को विनिमय के रूप में प्रयोग किया जाने लगा
- मुद्रा वह वस्तु है जिसे विनिमय के माध्यम के रूप में सामान्य रूप से स्वीकार किया जाता है।
मुद्रा के प्रकार
आदेश मुद्रा
- आदेश मुद्रा वह मुद्रा होती है जिसे सरकार के आदेश द्वारा जारी किया जाता है
- इसमें सभी नोट तथा सिक्के शामिल किए जाते हैं
न्यास मुद्रा
- न्यास मुद्रा वह मुद्रा होती है जो प्राप्तकर्ता और अदाकर्ता के बीच परस्पर विश्वास पर आधारित होती है
- उदाहरण के लिए : चेक (क्योंकि इसे स्वीकार करना विश्वास पर आधारित है ना कि सरकार के आदेश पर)
पूर्ण काय मुद्रा
- वह मुद्रा जो सिक्कों के रूप में होती है और जब इसे जारी किया जाता है तो इसका वस्तु मूल्य मौद्रिक मूल्य के बराबर होता है पूर्ण काय मुद्रा कहलाती है
- उदाहरण के लिए भारत में अंग्रेजी शासन के दौरान चलने वाले एक रुपए के सिक्के चांदी के बने होते थे इनका मौद्रिक मूल्य ₹1 हुआ करता था और इन सिक्कों में लगी चांदी का बाजार मूल्य भी ₹1 हुआ करता था।
साख मुद्रा
- वह मुद्रा जिसका मौद्रिक मूल्य वस्तु मूल्य से अधिक होता है उसे साख मुद्रा कहते हैं
- उदाहरण के लिए भारत में वर्तमान दौर में चलने वाला ₹1 का सिक्का जिसका मौद्रिक मूल्य ₹1 होता है परंतु उसको बनाने के लिए प्रयोग की गई धातु का बाजार मूल्य ₹1 से कम होता है
नोट:- यदि किसी सिक्के का मौद्रिक मूल्य उस सिक्के को बनाने में प्रयोग की गई धातु के बाजार मूल्य से कम होगा तो लोग उस सिक्के को पिघलाकर उसकी धातु को बाजार में बेचने लगेंगे इसी वजह से सिक्के को बनाने के लिए प्रयोग की गई धातु का मूल्य सदैव उसके के मौद्रिक मूल्य से कम होता है
मुद्रा के कार्य
- मुद्रा के कार्यों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है
प्राथमिक अथवा मुख्य कार्य
विनिमय का माध्यम
- मुद्रा वस्तुओं और सेवाओं के विनिमय के लिए एक माध्यम के रूप में कार्य करती है
मूल्य की इकाई
- मुद्रा मूल्य की एक इकाई के रूप में कार्य करती है अर्थात सभी वस्तुओं एवं सेवाओं का मूल्य मुद्रा के आधार पर निर्धारित किया जाता है
गौण तथा सहायक कार्य
स्थगित भुगतानों का मान
- स्थगित भुगतान वह होते हैं जिनका भुगतान वर्तमान में ना करके भविष्य में किसी निर्धारित समय किया जाता है
- मुद्रा के द्वारा स्थगित भुगतानों का मान निर्धारित किया जा सकता है
मूल्य का संचय
- मुद्रा के कारण मूल्य का संचय करना आसान हो गया है क्योंकि इसमें वस्तु विनिमय प्रणाली की तरह समय के साथ होने वाली हानि या भंडारण की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता
मूल्य का हस्तांतरण
- मुद्रा के कारण मूल्य का हस्तांतरण सहज हो गया है
मुद्रा की पूर्ति
- मुद्रा की पूर्ति का अभिप्राय एक निश्चित समय पर देश में लोगों के पास उपलब्ध कुल मुद्रा के स्टॉक से है
- भारत में मुद्रा की पूर्ति के चार वैकल्पिक माप है जैसे M1, M2, M3 और M4 कक्षा 12 के पाठ्यक्रम के अनुसार हमें केवल M1 माप के बारे में चर्चा करनी है
M1 = जनता के पास करेंसी(C) + मांग जमाए (DD) + रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाए (OD)
जनता के पास करेंसी
- इसमें जनता के पास उपलब्ध सिक्के तथा कागजी नोटों को शामिल किया जाता है
जनता की मांग जमाए
- इसमें जनता की मांग जमाए शामिल की जाती है जिन्हें जनता द्वारा वाणिज्यिक बैंकों में जमा करवाया जाता है
अन्य जमाए
- इसमें निम्नलिखित जमाई शामिल होती है
- अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं जैसे IMF तथा विश्व बैंक की मांग जमाए
- RBI के पास विदेशी केंद्रीय बैंकों तथा विदेशी सरकारों की मांग जमाए
- सार्वजनिक वित्त संस्थाओं जैसे IDBI कि RBI के पास मांग जाएं
- इसमें निम्नलिखित जमाई शामिल होती है
- इसमें निम्नलिखित को शामिल नहीं किया जाता
- आरबीआई के पास देश की सरकार की मांग जमाए
- देश की बैंकिंग व्यवस्था की RBI के पास मांग जमाए
मुद्रा की पूर्ति कौन करता है?
- भारत में मुद्रा की पूर्ति भारत के केंद्रीय बैंक, वाणिज्यिक बैंकों एवं भारत सरकार द्वारा की जाती है
- भारत सरकार का वित्त मंत्रालय ₹1 के नोट तथा सभी सिक्के जारी करता है
- भारत में नोटों की पूर्ति भारत के केंद्रीय बैंक RBI द्वारा की जाती है
- वाणिज्यिक बैंको के द्वारा मुद्रा की पूर्ति करते हैं
नोट :- मांग जमाओ द्वारा जारी की गई मुद्रा को बैंक मुद्रा कहा जाता है
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