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Home » Class 12 Political Science Notes in Hindi » कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन (CH-5) Notes in Hindi || Class 12 Political Science Book 2 Chapter 5 in Hindi ||

Class 12 Political Science Book 2 Ch 5 in hindi

कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन (CH-5) Notes in Hindi || Class 12 Political Science Book 2 Chapter 5 in Hindi ||

Posted on July 7, 2020December 23, 2021 by Anshul Gupta

पाठ – 5

कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन

In this post we have given the detailed notes of class 12 Political Science Chapter 5 Congress Pranali: Chunotiyan or Punarsthapana (challenges to and restoration of the congress system) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के राजनीति विज्ञान के पाठ 5 भारत के विदेशी सम्बन्ध (India’s external relations) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं राजनीति विज्ञान विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPolitical Science
Chapter no.Chapter 5
Chapter Nameकांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन (challenges to and restoration of the congress system)
CategoryClass 12 Political Science Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Political Science Chapter 5 Congress pranali: chunotiyan or punarsthapana in Hindi
Class 12th (Pol Science) Ch 5 (challenges to and restoration of the congress system) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन | Book – 2 | Part – 1 |
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पाठ – 5
कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन
भारत में चुनाव
भारत का पहला आम चुनाव – 1952
1952 के चुनाव के परिणाम
दूसरा आम चुनाव 1957
तीसरा आम चुनाव 1962
कांग्रेस का प्रभुत्व
कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति
जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु
कौन थे लाल बहादुर शास्त्री ?
लाल बहादुर शास्त्री का शासन काल
खाद्यान संकट
पाकिस्तान युद्ध (1965)
इंदिरा गाँधी
लाल बहादुर शास्त्री के बाद
मोरार जी देसाई
इंदिरा को चुने जाने का मुख्य कारण
चौथा आम चुनाव (1967)
चौथे आम चुनाव के समय देश की स्थिति
दो युद्धों का सामना
दो बड़े नेताओ की मृत्यु
चौथा आम चुनाव (1967)
1967 के चुनाव के बाद
1969 का राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस का विभाजन
राष्ट्रपति पद के चुनावो का परिणाम
विभाजन के बाद
पांचवा आम चुनाव (1971)
चुनावी प्रचार की प्रक्रिया शुरू हुई
चुनाव के परिणाम
कांग्रेस (ओ ) की जीत के कारण
कांग्रेस का पुनर्स्थापन
अन्य मुख्य बिंदु
सिंडिकेट
दल बदल
गठबंधन
1960 का खतरनाक दशक

भारत में चुनाव

  • देश में चुनाव करवाना किसी चुनौती से कम नहीं था।  ऐसा इसीलिए था क्योकि
  • देश में केवल 16 प्रतिशत लोग ही पढ़े लिखे थे ।
  • देश की अधिकांश जनसख्या गरीबी से जूझ रही थी
  • संचार के साधनो एवं प्रौद्योगिकी का आभाव
  • 17 करोड़ मतदाताओं द्वारा 3200 विधायक और 489 सांसद चुने जाने थे ।
  • चुनाव क्षेत्रों का निर्धारण किया जाना था ।

भारत का पहला आम चुनाव – 1952

  • देश में पहले आम चुनाव करवाने के लिए –
  • लगभग 3 लाख लोगो को प्रशिक्षित किया गया
  • चुनाव क्षेत्रों का सीमांकन किया गया
  • मतदाता सूची बनाई गई (प्रत्येक व्यक्ति जो 21 वर्ष से अधिक आयु का था)
  • देश में चुनाव प्रचार शुरू हुआ ।

 

1952 के चुनाव के परिणाम

  • भारत में लोकतंत्र सफल रहा ।
  • लोगो ने बढ़ चढ़ कर चुनाव में हिस्सा लिया ।
  • चुनाव में उम्मीदवारों के बीच कड़ा मुक़ाबला हुआ और हारने वाले उम्मीदवारों में भी परिणाम को सही बताया
  • भारत जनता ने चुनावी प्रयोग की बखूबी अंजाम दिया और सभी आलोचकों के मुँह बंद हो गए ।
  • चुनावो में कांग्रेस ने 364 सीट जीती और सबसे बड़ी पार्टी बन कर उभरी ।
  • दूसरी सबसे बड़ी पार्टी रही कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया जिसने 16 सीटे जीती
  • जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री ।

दूसरा आम चुनाव 1957

  • 1957 में भारत में दूसरे आम चुनाव हुए इस बार भी स्तिथि पिछली बार की तरह ही रही और कांग्रेस ने लगभग सभी जगह आराम से चुनाव जीत लिए लोक सभा में कांग्रेस को 371 सीटे  मिली और जवाहर लाल नेहरू दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बने पर केरल में कम्युनिस्ट पार्टी का प्रभाव दिखा और कांग्रेस केरल में सरकार नहीं बना पाई ।
  • 1957 में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया ने सरकार बनाई और ई एस नम्बूरीपाद मुख्यमंत्री बने पर 1959 में केंद्र सरकार (कांग्रेस ) ने संविधान के आर्टिकल 356 का प्रयोग करके इनकी सरकार को बर्खास्त कर दिया । इस फैसले पर भविष्य में बहुत विवाद भी हुआ

तीसरा आम चुनाव 1962

  • 1962 में भारत में तीसरा आम चुनाव हुआ जिसमे फिर से कांग्रेस बड़े आराम से ही लगभग सभी जगहों पर चुनाव जीत गई । इस चुनाव में कांग्रेस ने लोक सभा में  361 सीटे जीती और जवाहर लाल नेहरु तीसरी बार प्रधानमंत्री बने।
  • कांग्रेस का प्रदर्शन पुराने चुनावो की तरह ही रहा और कोई भी विपक्षी पार्टी कांग्रेस को  टक्कर नहीं दे पाई ।

कांग्रेस का प्रभुत्व

  • 1952 के चुनावो में जहा एक तरफ कांग्रेस को 364 सीटे मिली वही दूसरी सबसे बड़ी पार्टी यानि कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया सिर्फ 16 सीटे ही जीत सकी । यह संख्याएँ साफ़ साफ़ कांग्रेस के प्रभुत्व को दर्शाती है। पर ऐसा हुआ क्यों ?
  • ऐसा हुआ क्योकि –
    • सबसे बड़ी एवं सबसे पुरानी पार्टी
    • कांग्रेस एक मात्र ऐसी पार्टी थी जिसका संगठन पुरे देश में फैला हुआ था ।
    • स्वतंत्रता संग्राम की विरासत
    • बड़े एवं करिश्माई नेताओ की अगुवाई
    • सभी वर्गो का समर्थन और सभी विचारधाराओ का समावेश

कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति

  • भारत  में कांग्रेस का शासन एक दल के प्रभुत्व जैसा ही था
  • इसकी विशेषता
    • यह लोकतान्त्रिक परिस्थितियो में  स्थापित हुआ था यानि की लोगो ने कांग्रेस को अपने मर्ज़ी से चुनकर इतने सालो तक शासन करने का मौका दिया था ।
    • यह अन्य देशो से पूरी तरह अलग था। अन्य देशो जैसे की क्यूबा,चीन और सीरिया के संविधान में केवल एक ही पार्टी के शासन की व्यवस्था है और दूसरी तरफ म्यांमार और बेलारूस जैसे देशो में एक पार्टी का शासन सैन्य कारणों से हुआ ।
    • भारत में परिस्तिथि इससे अलग थी भारत में लोकतांत्रिक शासन के द्वारा ही कांग्रेस का प्रभुत्व स्थापित हुआ जो की भारत में कांग्रेस की लोकप्रियता को दर्शाता है ।

जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु

  • 1964 में हार्ट अटैक के कारण जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु हो गई ।
  • जवाहर लाल नेहरू की मृत्यु के बाद राजनीतिक उत्तराधिकारी की चर्चा शुरू हुई यानि की अब नेहरू के बाद कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा और प्रधानमंत्री का पद कौन संभालेगा ।
  • पर इस समस्या को बड़े ही आराम से सुलझा लिया गया ।
  • पार्टी के सभी बड़े नेताओ ने  सलाह मशवरा करके लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला किया ।

कौन थे लाल बहादुर शास्त्री ?

  • लाल बहादुर शास्त्री कांग्रेस के कुछ जाने माने एवं लोकप्रिय नेताओ में से एक थे ।
  • नेहरू की सरकार में लाल बहादुर शास्त्री मंत्री रह चुके थे ।
  • एक बार रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए शास्त्री जी ने अपने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था जो उनकी अपने पद के प्रति निष्ठा और जिम्मेदारी भरे भाव का दर्शाता था ।
  • इसी वजह से लाल बहादुर शास्त्री को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया ।
  • इस तरह नेहरू जी के बाद आये लाल बहादुर शास्त्री ।

लाल बहादुर शास्त्री  का शासन काल

लाल बहादुर शास्त्री  का शासन काल समस्याओ से भरा रहा इस दौरान सबसे बड़ी दो समस्याएँ थी ।

खाद्यान संकट

  • 1960 के दशक के शुरूआती दौर में देश के कई क्षेत्रों में ठीक से बारिश ना होने के कारण देश के कई हिस्सों में सूखा पड़ा । इसका सीधा असर कृषि पर पड़ा और देश में खाद्यान संकट की स्तिथि उत्पन्न हो गई । जिस वजह से देश में खाद्यान उत्पादन बढ़ाना ज़रूरी हो गया ।

पाकिस्तान युद्ध (1965)

  • 1962 में हुए चीन युद्ध के बाद भारत की समस्याएँ समाप्त नहीं हुई और 1965 में जल विभाजन की समस्या को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया ।
  • लाल बहादुर शास्त्री के शासन काल की दो सबसे बड़ी समस्याएं यही थी । परिस्थिति को देखते हुए लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान जय किसान का नारा दिया ।
  • 1965 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध को समाप्त करने और शांति बहाली के समझौता करने के लिए 1966 में लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद गए । 10 जनवरी 1966 को अचानक से लाल बहादुर शास्त्री का देहांत हो गया ।
  • लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद फिर से अगले नेता के चुनाव की समस्या खड़ी हो गई ।
  • इस बार 2 नेताओ के नाम सामने आये

इंदिरा गाँधी

    • कांग्रेस की अध्यक्ष यह चुकी थी
    • जवाहर लाल नेहरू की बेटी
    • लाल बहादुर शास्त्री के शासन के दौरान मंत्री

लाल बहादुर शास्त्री के बाद

मोरार जी देसाई

  • बम्बई (महाराष्ट्र) के मुख्यमंत्री रह चुके थे ।
  • केंद्र सरकार में मंत्री के पद पर भी रह चुके थे ।
  • इस बार दो लोगो के बीच में प्रतियोगिता होने के कारण गुप्त मतदान करवाया गया ।
  • इंदिरा गाँधी ने बड़े ही आराम से मोरारजी देसाई को हरा दिया और प्रधानमंत्री पद के लिए चुनी गई ।
  • लाल बहादुर शास्त्री के बाद देश की प्रधानमंत्री बनी इंदिरा गाँधी

इंदिरा को चुने जाने का मुख्य कारण

  • उस समय कांग्रेस के अंदर उपस्थित बड़े नेताओ को सिंडिकेट कहा जाता था ।
  • प्रधानमंत्री के चुनाव के समय सिंडिकेट ने इंदिरा गाँधी को समर्थन देने का फैसला यह सोच कर किया की इंदिरा गाँधी को इतना अनुभव नहीं है इसी वजह से सिंडिकेट पर निर्भर रहेंगी ।

चौथा आम चुनाव (1967)

भारत में चौथा आम चुनाव 1967 में हुआ। देश की स्थिति पहले से अलग थी और इस बार कांग्रेस के सामने गैर कांग्रेस वाद के रूप में एक नई चुनौती थी ।

चौथे आम चुनाव के समय देश की स्थिति

  • दो युद्धों का सामना

    • चीन (1962 )
    • पाकिस्तान (1965 )
  • दो बड़े नेताओ की मृत्यु

    • जवाहर लाल नेहरू
    • लाल बहादुर शास्त्री
      • आर्थिक समस्या
      • खाद्यान संकट
      • विदेशी मुद्रा में कमी
      • सैन्य खर्चो में वृद्धि
      • अनुभवहीन प्रधानमंत्री

चौथा आम चुनाव (1967)

  • देश की ख़राब स्तिथि और अनुभवहीन नेता होने के कारण विपक्ष को कांग्रेस को सत्ता से हटाने का एक मौका मिला ।
  • राम मनोहर लोहिया ने कांग्रेस की सरकार को अलोकतांत्रिक और गरीबो के विरोध में बता कर विपक्ष से साथ आने को कहा ताकि देश में व्यवस्था वापस ले जा सके ।
  • राम मनोहर लोहिया ने इसे गैर कांग्रेसवाद का नाम दिया और विपक्ष से एक साथ चुनाव लड़ने का आवाहन किया ।
  • देश में चुनाव हमेशा की तरह ही आराम से हो गए पर उनके नतीजों ने सबको चौका दिया
  • कांग्रेस को केंद्र और राज्य दोनों जगह ही गहरा धक्का लगा ।
  • कांग्रेस किसी तरह से लोकसभा में सरकार बनाने में सफल रही पर सीटों और मतों की संख्या दोनों में ही भरी गिरावट आई ।
  • कांग्रेस के कई बड़े नेता चुनाव हार गए ।
  • कांग्रेस 9 राज्यों में सरकार नहीं बना सकी
    • 7 राज्यों में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिला
    • 2 राज्यों में दल बदल के कारण कांग्रेस सरकार नहीं बना पाई
  • गठबंधन की परिघटना सामने आई

1967 के चुनाव के बाद

  • 1967 के चुनाव में ख़राब प्रदर्शन ही के बाद कांग्रेस के अंदर भी कुछ समस्याए उभरने लगी ।
  • इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस में अपनी जगह बनानी शुरू कर दी जिस वजह से सिंडिकेट और इंदिरा के बीच मतभेद बढ़ने लगे ।
  • इंदिरा गाँधी ने कांग्रेस को अपने अनुसार चलाना शुरू कर दिया और सिंडिकेट को यह बात पसंद नहीं आई ।
  • वैसे तो यह सब पार्टी के अंदर ही चल रहा था और इतनी बड़ी समस्या नहीं लग रही थी पर यह समस्या देश के सामने तब
  • खुल कर सामने आई 1969 में उस समय के राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु हो गई ।

1969 का राष्ट्रपति चुनाव और कांग्रेस का विभाजन

  • 1969 में राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु हो गई और नए राष्ट्रपति के चुनाव हुए
  • एक तरफ जहा सिंडिकेट ने उस समय के लोकसभा अध्यक्ष एन संजीव रेड्डी को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए चुना वही दूसरी तरफ इंदिरा गाँधी ने संजीव रेड्डी से अनबन होने के कारण वी वी गिरी को बढ़ावा दिया ।
  • एन निजलिंगप्पा जो की उस समय पार्टी के अध्यक्ष थे उन्होंने कहा की सभी सांसद पार्टी के उम्मीदवार संजीव रेड्डी को वोट दे। जबकि इंदिरा गाँधी ने सभी से अपने मन की आवाज़ को सुन कर वोट डालने को कहा ।

राष्ट्रपति पद के चुनावो का परिणाम

  • इंदिरा द्वारा समर्थित वी वी गिरी चुनाव जीत गए और राष्ट्रपति बने पर और सिंडिकेट के उम्मीदवार संजीव रेड्डी को हार का मुँह देखना पड़ा
  • यह हार सिंडिकेट से बर्दाश्त नहीं हुई और उन्होंने प्रधानमंत्री यानि इंदिरा गाँधी को पार्टी से बाहर निकाल दिया और इस तरह कांग्रेस का विभाजन हुआ ।
  • इंदिरा गाँधी का समर्थन करने वाले कई सांसदों ने भी सिंडिकेट की कांग्रेस को छोड़ दिया और इंदिरा गाँधी की कांग्रेस में शामिल हो गए ।
  • इस तरह कांग्रेस का विभाजन हुआ और दो कांग्रेस बनी
    • कांग्रेस (ओ – आर्गेनाईजेशन) सिंडिकेट 
    • कांग्रेस (आर – रिक्विजिनिस्ट) इंदिरा गाँधी
  • विभाजन के कारण कांग्रेस अल्पमत में आ गई क्योकि सांसदों का विभाजन हो गया ।
  • इसी बीच CPI और DMK ने कांग्रेस को समर्थन दिया और केंद्र में सरकार बनी ।

विभाजन के बाद

  • अब इंदिरा गाँधी ने समाजवादी नीतियों को अपनाया यानि की गरीबो की और ध्यान देने का फैसला किया ।
  • इंदिरा गाँधी द्वारा उठाये गए कदम
    • 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण
    • प्रिवी पर्स की समाप्ति
    • भूमि सुधारो को बढ़ावा दिया
    • देश में गरीबो के हित के लिए नीतिया बनाई ।

1970 में इंदिरा गाँधी ने इस समर्थन वाली सरकार को गिरने का फैसला लिया । यह एक साहसिक कदम था पर इसके परिणाम सकारात्मक रहे ।

1970 में सरकार गिराए जाने के कारण देश फरवरी 1971 मे हुए पांचवे आम चुनाव

 

पांचवा आम चुनाव (1971)

  • फरवरी 1971 में देश में पांचवे आम चुनाव हुए ।
  • इस बार मुक़ाबला था कांग्रेस (ओ) और कांग्रेस (आर )के बीच में
  • सभी का मानना था की कांग्रेस की असली ताक़त कांग्रेस (ओ ) के हाथो में है ।
  • इसी बीच सभी गैर कांग्रेसी और गैर साम्यवादी पार्टियों ने एक गठबंधन बनाया जिसे ग्रैंड अलायन्स (महाजोट) कहा गया ।

चुनावी प्रचार की प्रक्रिया शुरू हुई

  • इंदिरा ने गरीबी हटाओ को नारा दिया
  • विपक्ष ने इंदिरा हटाओ का नारा दिया

चुनाव के परिणाम

  • देश में चुनाव हुए और चुनावो के परिणामो ने एक बार फिर से सबको चौका दिया ।
  • इस चुनाव में कांग्रेस (आर ) ने CPI के साथ गठबंधन बनाया था और इन दोनों के गठबंधन ने देश में सबसेज़्यादा सीट हासिल की
  • गठबंधन को कुल मिलकर 375 सीटे मिली जिसमे से सिर्फ कांग्रेस (आर) को ही 352 सीट मिली ।
  • दूसरी तरफ कांग्रेस (ओ) और महाजोट का पूरी तरह सफाया हो गया ।
  • कांग्रेस (ओ ) को केवल 16 सीट मिली
  • महाजोट सिर्फ 40 सीटे ही जीत सका ।
  • इस तरह से कांग्रेस (ओ ) और इंदिरा गाँधी ने वापसी की ।

कांग्रेस (ओ ) की जीत के कारण

  • 14 बैंको का राष्ट्रीयकरण
  • प्रिवी पर्स की समाप्ति
  • भूमि सुधारो को बढ़ावा दिया
  • देश में गरीबो के हित के लिए नीतिया बनाई ।
  • समाजवादी नीतिया
  • गरीबी हटाओ का नारा
  • इंदिरा गाँधी की लोकप्रियता

कांग्रेस का पुनर्स्थापन

कांग्रेस के पुनर्स्थापन से मतलब का अर्थ है कांग्रेस को उसकी पुरानी स्तिथि में ले जाना।  जैसा की हमने पढ़ा की 1967 में कांग्रेस को काफी कम वोट और सीटे मिली पर 1971 में इंदिरा गाँधी के नेतृत्व ने कांग्रेस अपनी पुरानी स्तिथि में वापस आई और अपना वही पुराना स्थान प्राप्त किया।  इसे ही कांग्रेस का पुनर्स्थापन कहा गया ।

कांग्रेस के पुनर्स्थापन की विशेषताएं ।

  • इंदिरा की लोकप्रियता पर निर्भर
  • पार्टी में उपस्थित अलग अलग गुटों की समाप्ति
  • समाजवादी विचारधारा
  • गरीबो का कल्याण मुख्य मुद्दा
  • पहले से अधिक व्यवस्थित और शक्तिशाली

अन्य मुख्य बिंदु

सिंडिकेट

  • कांग्रेस के अंदर मौजूद बड़े बड़े नेताओ को समूह को सिंडिकेट कहा जाता था ।

दल बदल

  • दल बदल उस स्तिथि को कहते जब कोई नेता किसी एक पार्टी का चुनाव चिन्ह लेकर चुनाव लड़ता है पर जीतने के बाद उस पार्टी को छोड़ कर किसी अन्य पार्टी में शामिल हो जाता
  • उदाहरण के लिए मान लीजिये कोई एक नेता है जो की कांग्रेस के चुनाव चिन्ह के साथ चुनाव लड़ता है पर जितने के बाद किसी और पार्टी मन लीजिये बीजेपी में शामिल हो जाता है तो इसे ही दल बदल कहेंगे ।

गठबंधन

गठबंधन उस स्तिथि को कहते जब दो या दो से ज़्यादा पार्टिया साथ में मिल कर सरकार बनती है।  ऐसा इसीलिए किया जाता है क्योकि किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला होता, यानि की किसी भी पार्टी को इतनी सीटे नहीं मिली होती की वह अकेले सरकार बना सके ।

1960 का खतरनाक दशक

  • 1960 का दशक
    • 1960 का दशक भारत के लिए समस्याओ से भरा रहा।
    • उस दशक की मुख्य समस्याए थी
  • दो युद्धों का सामना
  • चीन (1962 )
  • पाकिस्तान (1965 )
  • दो बड़े नेताओ की मृत्यु
  • जवाहर लाल नेहरू
  • लाल बहादुर शास्त्री
  • आर्थिक समस्या
  • खाद्यान संकट
  • विदेशी मुद्रा में कमी
  • सैन्य खर्चो में वृद्धि

We hope that class 12 Political Science Chapter 5 Congress Pranali: Chunotiyan or Punarsthapana (challenges to and restoration of the congress system) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Political Science Chapter 5 Congress Pranali: Chunotiyan or Punarsthapana (challenges to and restoration of the congress system) notes in Hindi or about any other notes of class 12 political science in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible… 

 

Category: Class 12 Political Science Notes in Hindi

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4 thoughts on “कांग्रेस प्रणाली : चुनौतियां और पुनर्स्थापन (CH-5) Notes in Hindi || Class 12 Political Science Book 2 Chapter 5 in Hindi ||”

  1. Unknown says:
    October 29, 2020 at 6:20 am

    Thanks a lot sir.

    Reply
    1. Maviya says:
      December 20, 2022 at 6:31 pm

      Nice

      Reply
  2. Saraswati nishad says:
    February 15, 2021 at 7:48 pm

    Notes ko pdf banana tha samajhne me aasani hogo

    Reply
  3. Divya Varshney says:
    February 20, 2025 at 10:02 pm

    It’s really helpful 😊 thanks teacher 🙏☺️

    Reply

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