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Home » Class 12 Political Science Notes in Hindi » दो ध्रुवीयता का अंत (CH-2) Notes in Hindi || Class 12 Political Science Chapter 2 in Hindi ||

Class 12 Political Science Book 1 Ch 2 in hindi

दो ध्रुवीयता का अंत (CH-2) Notes in Hindi || Class 12 Political Science Chapter 2 in Hindi ||

Posted on June 25, 2020May 30, 2022 by Anshul Gupta

पाठ – 2

दो ध्रुवीयता का अंत

In this post we have given the detailed notes of class 12 Political Science Chapter 2 Do Dhruviyata Ka Ant (The End of Bipolarity) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के राजनीति विज्ञान के पाठ 2 दो ध्रुवीयता का अंत (The End of Bipolarity) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं राजनीति विज्ञान विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectPolitical Science
Chapter no.Chapter 2
Chapter Nameदो ध्रुवीयता का अंत (The End of Bipolarity)
CategoryClass 12 Political Science Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Political Science Chapter 2 Do Dhruviyata Ka Ant in Hindi
Class 12th (Pol Science) Ch 2 (Do dhurviyata ka ant) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | दो ध्रुवीयता का अंत
Class 12th (Pol Science) Ch 2 (Do dhurviyata ka ant) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | दो ध्रुवीयता का अंत
Class 12th (Pol Science) Ch 2 (Do dhurviyata ka ant) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | दो ध्रुवीयता का अंत
Class 12th (Pol Science) Ch 2 (Do dhurviyata ka ant) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | दो ध्रुवीयता का अंत
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पाठ – 2
दो ध्रुवीयता का अंत
एक नज़र में
सोवियत संघ का गठन
सोवियत प्रणाली क्या थी?
सोवियत प्रणाली की आर्थिक विशेषताएँ
सोवियत प्रणाली की राजनीतिक विशेषताएं
सोवियत संघ का इतिहास
जोसेफ स्टालिन का शासन (1924-53)
सोवियत संघ और शीत युद्ध
निकिता ख्रुश्चेव
मुख्य घटनाएँ
सोवियत संघ पर शीत युद्ध का प्रभाव
मिखाइल गोर्बाचेव
सोवियत संघ का विघटन
सोवियत संघ के विघटन के कारण
सोवियत संघ के विघटन के परिणाम
शॉक थेरेपी
शॉक थेरेपी के उद्देश्य
शॉक थेरेपी के परिणाम
ऐसा क्यों हुआ ?
साम्यवादी देश और भारत
अरब क्रांति (अरब स्प्रिंग )
ट्यूनीशिया
अरब क्रांति की शुरुआत
मोहम्मद बाउजीजी जी कौन थे?
मुख्य समस्या
मोहम्मद बाउजीजी की मृत्यु के बाद
ट्यूनीशिया के लोगों ने विद्रोह क्यों किया?
अरब स्प्रिंग के परिणाम
मध्य पूर्व का संकट
अफगानिस्तान
अफगानिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था
समाजवादी हस्तक्षेप
USSR और अफगानिस्तान
अफगानिस्तान युद्ध(1979-89)
अफगानिस्तान युद्ध की समाप्ति
अफगानिस्तान युद्ध की समाप्ति के बाद
खाड़ी युद्ध

एक नज़र में

इस पाठ में सोवियत संघ के बारे में बताया गया है की किस तरह से सोवियत संघ अस्तित्व में आया, अपना विकास किया तथा अंत में उसे किस तरह से शीत युद्ध की वजह से विघटन का सामना करना पड़ा।

सोवियत संघ 1917 में बना … साम्यवादी विचारधारा से प्रेरित… द्वितीय विश्वयुद्ध में विजयी गुट  में शामिल… द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद महाशक्ति बना… अमेरिका से होड़ शुरू… सोवियत व्यवस्था का बिगड़ना… सोवियत संघ का विघटन… शॉक थेरेपी।

सोवियत संघ का गठन

  • सोवियत संघ का गठन 1917 में बोल्शेविक क्रांति के बाद हुआ
  • सोवियत संघ को अंग्रेजी में USSR (Union of Soviet Socialist Republics) कहा जाता है
  • सोवियत संघ में कुल मिलाकर 15 गणराज्य थे यानी 15 अलग-अलग देशों को मिलाकर सोवियत संघ का निर्माण किया गया था
  • सोवियत संघ का निर्माण गरीबों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया था
  • इसे समाजवाद और साम्यवादी विचारधारा के अनुसार बनाया गया

सोवियत प्रणाली क्या थी?

  • रूस में हुई 1917 की समाजवादी क्रांति के बाद समाजवादी सोवियत गणराज्य ( U.S.S.R ) का निर्माण हुआ
  • जिसका उददेश्य एक समतामूलक समाज की स्थापना करना था,
  • जिसमें पूंजीवाद व निजी संपत्ति का अंत करके समानता पर आधारित समाज की रचना करना था l
  • इसी व्यवस्था को सोवियत प्रणाली कहा गया l
  • दूसरे शब्दों में सोवियत प्रणाली वह व्यवस्था है जिसके द्वारा सोवियत संघ ने अपना विकास किया।

सोवियत प्रणाली की आर्थिक विशेषताएँ

  • सोवियत प्रणाली समाजवाद पर आधारित थी जहाँ सभी आर्थिक निर्णय सम्पूर्ण समाज को ध्यान में रखते हुए सरकार द्वारा लिए जाते थे।
  • सोवियत प्रणाली में नियोजित अर्थव्यवस्था थी (नियोजन से अभिप्राय वर्तमान में उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए भविष्य के लिए योजना बनाने से है। )
  • न्यूनतम जीवन स्तर की सुविधा (न्यूनतम जीवन स्तर का अर्थ होता है एक ऐसी स्थिति जिसमे एक व्यक्ति को वह सभी सुविधाए उपलब्ध हो जिनके बिना उसका सामान्य रूप से विकास करना मुश्किल हो। )
  • बेरोज़गारी न के बराबर (सोवियत व्यवस्था में बेरोज़गारी लगभग न के बराबर थी )
  • उन्नत संचार प्रणाली
  • मिलकियत (मालिकाना हक़) का प्रमुख रूप राज्य का स्वामित्व
  • भूमि और अन्य उत्पादक सम्पदाओं पर राज्य का नियंत्रण
  • उपभोक्ता उद्योग बहुत उन्नत (एक छोटी सी पिन से लेकर कार जैसी बड़ी वस्तुओ का उत्पादन )
  • ऊर्जा संसाधनों का विशाल भंडार (सोवियत संघ के पास सभी प्रमुख ऊर्जा संसाधन जैसे की खनिज, तेल, लोहा, इस्पात आदि प्रचुर अधिक मात्रा में उपलब्ध थे।)

सोवियत प्रणाली की राजनीतिक विशेषताएं

  • केवल एक पार्टी का शासन (सोवियत संघ में केवल पार्टी यानि कम्युनिस्ट पार्टी का शासन था।)
  • पूंजीवाद, निजीस्वामित्व तथा मुक्त व्यापार का विरोध
  • किसी अन्य राजनीतिक पार्टी को बनाने की छूट नही

सोवियत संघ का इतिहास

जोसेफ स्टालिन का शासन (1924-53)

इन्होने 1924 से 1953 तक सोवियत संघ का नेतृत्व किया। तथा इन्होने सोवियत संघ के विकास में महतवपूर्ण भूमिका निभाई।

कार्य

  • उद्योगों की बढ़ावा दिया
  • द्वितीय विश्वयुद्ध में जीत दिलाई
  • खेती का बलपूर्वक समूहीकरण किया

सोवियत संघ और शीत युद्ध

  • 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध खत्म होने के बाद विश्व में दो महा शक्तियों का उदय हुआ
  • जिसमें से पहली थी अमेरिका और दूसरा था सोवियत संघ
  • दो महा शक्तियां होने की वजह से विश्व में शीतयुद्ध का दौर शुरू
  • दोनों महा शक्तियों खुद को दूसरी महाशक्ति से अच्छा साबित करने की कोशिश करने लगी

निकिता ख्रुश्चेव

जोसेफ स्टालिन के बाद निकिता ख्रुश्चेव ने सोवियत संघ की कमान संभाली

मुख्य घटनाएँ

  • क्यूबा मिसाइल संकट
  • अंतरिक्ष में पहुंचने की होड़
  • (स्पुटनिक , यूरी गागरिन को अंतरिक्ष में भेजा )
  • बर्लिन की दीवार का निर्माण

सोवियत संघ पर शीत युद्ध का प्रभाव

  • हथियारों के निर्माण में अत्याधिक खर्चा
  • पश्चिमी देशो से पिछड़ जाना
  • अर्थव्यवस्था का रुक जाना
  • विकास की गति कम होना
  • देश की समस्याओं से ध्यान हट ना

मिखाइल गोर्बाचेव

गोर्बाचेव द्वारा सोवियत संघ में सुधार के लिए दो नीतिया, ग्लासनोस्त(खुलापन ) तथा पेरेस्त्रोइका (पुनर्रचना ) बनाई गई।

जिनका मुख्य उद्देश्य सोवियत संघ में शांति लाना था।

राजनीतिक सुधार

  • लोकतंत्र को बढ़ावा दिया।
  • अफगानिस्तान और पूर्वी यूरोप से सेना को वापस बुलाया
  • जर्मनी के एकीकरण  में सहायता की

आर्थिक सुधार

  • हथियारों की होड़ पर रोक लगाई।
  • आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के प्रयास किये।
  • निजीकरण को बढ़ावा दिया।

सोवियत संघ का विघटन

  • गोर्बाचेव ने सोवियत संघ में सुधार की कोशिश की
  • पर उनके प्रयास पूरी तरह से असफल रहे
  • वह लोग जो यह सुधार चाहते थे उन्होंने कहा कि सुधार बहुत धीरे-धीरे हो रहे हैं और जो लोग इन सुधारों का विरोध कर रहे थे वह इनका विरोध करते रहे
  • इस वजह से गोर्बाचेव ने को कहीं से भी समर्थन नहीं मिला
  • 1989 बर्लिन की दीवार गिरने के साथ ही सोवियत संघ के विघटन की शुरुआत हुई
  • 1991 तक सोवियत संघ का रूप पूर्ण से विघटन हो गया

सोवियत संघ के विघटन के कारण

  • लोगो की आकांक्षाओं को पूरा न कर पाना।
  • नौकरशाही का शिकंजा।
  • कम्युनिस्ट पार्टी का दबदबा।
  • हथियारों के निर्माण में अत्याधिक खर्चा
  • पश्चिमी देशो से पिछड़ जाना
  • रूस का दबदबा
  • अर्थव्यवस्था का रुक जाना।
  • लोगो में आज़ादी की भावनाओ का उठना
  • तात्कालिक कारण
  • लोगो के मन में आज़ादी की भावना का उभरना
  • गोर्बाचेव के सुधार (पेरेस्त्रोइका और ग्लासनोस्त)

सोवियत संघ के विघटन के परिणाम

  • शीत युद्ध की समाप्ति
  • अमेरिकी वर्चस्व की शुरुआत
  • हथियारों की होड़ की समाप्ति
  • सोवियत संघ का अंत
  • 15 नए देशो का उदय
  • रूस सोवियत संघ का उत्तराधिकारी बना।
  • समाजवादी विचारधारा को झटका
  • पूंजीवादी विचारधारा को बल
  • रूस में कम्युनिस्ट पार्टी पर प्रतिबन्ध
  • सोवियत संघ से आज़ाद देशो ने लोकतंत्र तथा पूंजीवाद को अपनाया
  • रूस को वह सभी अधिकार मिले जो की सोवियत संघ के पास थे जैसे की संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यता
  • जो संधिया सोवियत संघ द्वारा की गई थी वह सभी अब रूस द्वारा निभाई जानी थी।
  • परमाणु संपन्न देश का दर्जा रूस को मिला।

शॉक थेरेपी 

  • शॉक थेरेपी का अर्थ होता है आघात पंहुचा कर उपचार करना।
  • 1991 में जब सोवियत संघ का विघटन हुआ तो नए बने देशो में पूंजीवादी व्यवस्था को स्थापित करने के लिए विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा शॉक थेरेपी का निर्माण किया गया।
  • क्योकि सोवियत संघ समाजवादी विचारधारा पर बना था इसीलिए वहा सभी उद्योग सरकार के आधीन काम किया करते थे। अब सोवियत संघ के विघटन के बाद इन सभी देशो में पूंजीवादी व्यवस्था स्थापित की जानी थी। शॉक थेरेपी के द्वारा सभी सरकारी उद्योगों को निजी हाथो में सौप देने का प्रावधान था।
  • दूसरे शब्दों में Government Sector को Private Sector में बदलना ही शॉक थेरेपी था।

शॉक थेरेपी के उद्देश्य

  • राज्य की सम्पदा का निजीकरण
  • मुक्त व्यपार को अपनाना
  • पश्चिमी देशो की अर्थव्यवस्थाओं से जुड़ना

शॉक थेरेपी के परिणाम

  • पूरी तरह से असफल।
  • रूस का औद्योगिक ढांचा टूट गया  
  • रुसी मुद्रा रूबल में गिरावट
  • समाज कल्याण की व्यवस्था की बर्बादी
  • बड़ी बड़ी कंपनियों की उल्टे  सीधे दामों पर बेच दिया गया
  • आर्थिक विषमता बड़ी देश में अमीरो तथा गरीबो के बीच का अंतर
  • खाद्यान संकट
  • कालाबाज़ारी को बढ़ावा मिला
  • इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल
  • शॉक थेरेपी को इतिहास की सबसे बड़ी गराज सेल कहा गया क्योकि बड़ी बड़ी कंपनियों को बहुत ही कम दामों पर यानि कबाड़ के भाव में बेच दिया गया।

ऐसा क्यों हुआ ?

ऐसा इसीलिए हुआ  क्योकि इस सेल में भाग लेने के लिए सभी नागरिको को अधिकार पत्र दिए गए। यह अधिकार पत्र उन नागरिको द्वारा कालाबाजारियों को बेच दिए गए क्योकि उन्हें पैसो की ज़रूरत थी और साथ ही साथ वो इस स्थिति में भी नहीं थे की वह इस सेल में भाग ले सके

साम्यवादी देश और भारत

  • भारत तथा साम्यवादी देशो के सम्बन्ध शुरू से ही अच्छे रहे है।
  • रूस शुरू से ही भारत की मदद करता आया है।
  • दोनों का सपना बहुध्रुवीय विश्व का है
  • दोनों देश ही लोकतंत्र में विश्वास रखते है
  • 2001 में भारत और रूस के बीच 80 द्विपक्षीय समझौता
  • भारत रुसी हथियारों का खरीददार
  • भारत में रूस से तेल का आयात
  • वैज्ञानिक योजनाओ में रूस की मदद
  • कश्मीर मुद्दे पर रूस का भारत को समर्थन

अरब क्रांति (अरब स्प्रिंग )

ट्यूनीशिया

  • ट्यूनीशिया उत्तरी अफ्रीका का एक देश है
  • यहां पर तानाशाही सरकार थी
  • यहां के मीडिया पर पाबंदी थी और वह सरकार के खिलाफ कुछ भी दिखा नहीं सकता था
  • तानाशाही देश होने की वजह से यहां लोगों पर अत्याचार होते थे और उन्हें इंसाफ नहीं मिलता था
  • 1987 से यहां के राष्ट्रपति थे Zine El Abidine Ben Ali

अरब क्रांति की शुरुआत

अरब क्रांति की शुरुआत मोहम्मद बाउजीजी नामक एक गरीब व्यक्ति के आत्मदाह करने की वजह से हुई

मोहम्मद बाउजीजी जी कौन थे?

  • मोहम्मद बाउजीजी एक गरीब व्यक्ति थे
  • इनका जन्म 29 मार्च 1984 को ट्यूनीशिया में हुआ था
  • यह जब 3 साल के थे तब इनके पिताजी की मृत्यु हो गई
  • 10 वर्ष की उम्र से ही इन्होने काम करना शुरू कर दिया था और यह फल बेचा करते थे

मुख्य समस्या

  • मोहम्मद बाउजीजी ने टाउन हॉल के पास एक दुकान के लाइसेंस के लिए आवेदन किया हुआ था उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिल पा रही थी
  • 17 दिसंबर को जब वह फल बेचने के लिए उसी स्थान पर पहुंचे जहां पर वह रोज फल बेचा करते थे तो उन्होंने देखा कि वहां पर कोई और व्यक्ति अपना सामान बेच रहा था
  • उन्होंने उस व्यक्ति से बात कर उसे वहां से हटाने की कोशिश की और उसके ना मानने पर उन्होंने पुलिस से बात की
  • लेकिन पुलिस ने इनके फल और इनका सामान छीन लिया और उनकी बेइज्जती की और साथ ही साथ मारा भी
  • इन सब चीजों की वजह से वह बहुत ज्यादा दुखी हो गए और गुस्से में आकर उन्होंने अपने ऊपर केरोसिन छिड़क लिया और खुद को आग लगाकर आत्मदाह कर लिया
  • लोगों ने इनको बचाने का प्रयास किया पर वह नहीं बच सके
  • आत्मदाह करते वक्त उनके चचेरे भाई अली ने इस घटना का वीडियो बना लिया और यह वीडियो फेसबुक की वजह से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया
  • 4 जनवरी 2011 को इनकी मृत्यु हो गई और इनके अंतिम संस्कार में हजारों लोग शामिल हुए

मोहम्मद बाउजीजी की मृत्यु के बाद

  • मोहम्मद बाउजीजी की मृत्यु के बाद कोई भी कड़े कदम नहीं उठाएं गए इसी वजह से लोगों का गुस्सा और ज्यादा बढ़ा
  • मोहम्मद बाउजीजी की मृत्यु के बाद ट्यूनीशिया में लोगों ने भारी संख्या में विरोध करना शुरू कर दिया
  • विरोध को दबाने के लिए वहां की सरकार द्वारा उन पर गोलियां भी चलवा दी गई ताकि लोग डर कर शांति से बैठ जाए पर ऐसा नहीं हुआ
  • विरोध के बढ़ने की वजह से वहां पर कर्फ्यू लगा दिया गया और बाद में आपातकाल भी लागू किया गया
  • अंत में बेन अली ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया और बेन अली का शासन खत्म हो गया

ट्यूनीशिया के लोगों ने विद्रोह क्यों किया?

  • गुस्सा
  • तानाशाही
  • भ्रष्टाचार
  • गरीबी
  • बेरोजगारी
  • मोहम्मद बाउजीजी

ट्यूनीशिया में आंदोलन के सफल होने के बाद धीरे-धीरे आंदोलन पूरे उत्तरी अफ्रीका और अरब देशों में फैल गया

 

अरब स्प्रिंग के परिणाम

  • अरब क्रांति सफल नहीं हुई
  • इसका लाभ केवल ट्यूनीशिया में हुआ
  • अरब क्रांति की वजह से लीबिया और सीरिया पूरी तरह से तबाह हो गए
  • कुछ देशों में सैन्य शासन और ज्यादा मजबूत हो गया
  • प्रसादी अरब और अन्य देशों ने स्थिति को बड़ी समझदारी से संभाल लिया

 

मध्य पूर्व का संकट

 
  • मध्य पूर्व के संकट के अंदर मुख्य रूप से हमें दो विषयों पर बात करनी है
  • अफगानिस्तान संकट (1979-89)
  • प्रथम खाड़ी युद्ध

अफगानिस्तान

  • अफगानिस्तान की राजनीतिक व्यवस्था

    • अफगानिस्तान विश्व युद्ध एवं शीतयुद्ध दोनों से अलग रहा
    • 1960 में अफगानिस्तान के राजा जाहिर शाह द्वारा कुछ राजनीतिक बदलाव किए गए
    • अफगानिस्तान में चुनाव कराए गए
    • लोगों को राजनीतिक अधिकार दिए गए
    • स्त्री शिक्षा पर जोर दिया गया
    • 1973 में राजा के चचेरे भाई दाऊद खान ने उन्हें हटा दिया और वह खुद अफगानिस्तान के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बन गए
  • समाजवादी हस्तक्षेप

    • 5 साल बाद यानी 1978 में पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ अफगानिस्तान (PDPA) ने दाऊद खान की सरकार का तख्तापलट कर दिया
    • PDPA एक समाजवादी पार्टी थी
    • इन्होंने भूमि सुधार प्रक्रिया के तहत ऐसे लोगों से जमीन लेना शुरू कर दिया जिनके पास बहुत ज्यादा जमीन थी और इस जमीन को उन लोगों में बांटने लगे जिनके पास जमीन नहीं थी
    • इस वजह से अफगानिस्तान के गांव के लोग सरकार से नाराज हो गए
    • लोगों ने विद्रोह करना शुरू कर दिया
    • सरकार द्वारा इस विद्रोह को दबाने की कोशिश की गई पर वह इसमें कामयाब नहीं हुए
  • USSR और अफगानिस्तान

    • अफगानिस्तान में बनी समाजवादी सरकार ने सोवियत संघ से मदद मांगी और सोवियत संघ ने इनकी मदद करते हुए उन्हें हथियार और अन्य सामग्री उपलब्ध कराई
    • फिर भी लोगों के विद्रोह पर काबू नहीं पाया जा सका
    • व्यवस्था को खराब होते हुए देखकर 1979 में सोवियत संघ ने अपनी सेना अफगानिस्तान में भेजी
    • 34 मुस्लिम देशों और संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा द्वारा सोवियत संघ की सेना अफगानिस्तान में भेजे जाने का विरोध किया गया
    • पर सोवियत संघ ने किसी की भी नहीं सुनी और उसने अफगानिस्तान के शहरों और वहां की संचार व्यवस्था पर पूरा कब्जा कर लिया
  • अफगानिस्तान युद्ध(1979-89)

    • इस दौरान अफगानिस्तान के लोगों और सोवियत संघ की सेना के बीच युद्ध शुरू हो गया और अफगानिस्तान के लोगो ने इसे धर्म युद्ध का नाम दिया
    • अमेरिका द्वारा अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन किया गया और इस तरह से दोनों महाशक्तियां अफगानिस्तान युद्ध में आमने-सामने आ गई
    • ओसामा बिन लादेन भी इस युद्ध में शामिल था और इसी युद्ध से शुरुआत हुई तालिबान और अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों की
  • अफगानिस्तान युद्ध की समाप्ति

    • 1985 में गोर्बाचेव सोवियत संघ के राष्ट्रपति बने और उन्होंने सोवियत संघ की व्यवस्था में बदलाव लाने शुरू किए
    • इसी दौरान उन्होंने अफगानिस्तान से अपनी सेना को वापस बुलाया और 1989 तक सोवियत सेना पूरी तरह से अफगानिस्तान से बाहर आ चुकी थी
    • इस तरह अफगानिस्तान युद्ध का अंत हुआ
  • अफगानिस्तान युद्ध की समाप्ति के बाद

    • USSR की सेना के बाहर जाने के बाद भी अफगानिस्तान की समस्या खत्म नहीं हुई वहां पर गृह युद्ध शुरू हो गया उन्हीं सब आतंकवादी गुटों के बीच जो इस दौरान विकसित हुए थे जैसे कि अलकायदा तालिबान और अन्य गुट

खाड़ी युद्ध

  • 1990 में इराक ने कुवैत पर कब्जा कर लिया
  • इराक को समझाने की कोशिश की गई पर इराक नहीं माना
  • इस दौरान UNO ने इराक पर बल प्रयोग करने की अनुमति दी
  • इस सैन्य अभियान को नाम दिया गया ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म
  • UNO की सेना को इराक पर हमला करने के लिए भेजा गया। ये सेना वैसे तो 34 देशो की मिली जुली सेना थी पर इसमें 75% सैनिक अमेरिका के थे। इस सेना के जरनल भी अमेरिकी थे।
  • सद्दाम हुसैन जो उस समय इराक के राष्ट्रपति थे उन्होंने कहा की यह जंग सौ जंगो की एक जंग होगी मतलब की उन्हें हराना बहुत मुश्किल होगा पर ऐसा कुछ हुआ नहीं और इराक बड़े ही आराम से कुछ ही दिनों में हार गया और उसे कुवैत से हटना पड़ा।
  • इस युद्ध के दौरान अमेरिका ने अपनी शक्तियों का खुला प्रदर्शन किया।
  • इस युद्ध में अमेरिका ने स्मार्ट बमो का प्रयोग किया इसीलिए इसे कंप्यूटर युद्ध भी कहा जाता है
  • साथ ही साथ इस युद्ध का टीवी पर लाइव प्रसारण किया गया जिस वजह से इसे वीडियो गेम वॉर कहा गया।
  • UNO द्वारा लिए गए इस फैसले को नाटकीय इसीलिए कहा गया क्योकि इससे पहले कभी भी UNO द्वारा कोई इस तरह का निर्णय नहीं लिया गया था।

 

We hope that class 12 Political Science Chapter 2 Do Dhruviyata Ka Ant (The End of Bipolarity) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Political Science Chapter 2 Do Dhruviyata Ka Ant (The End of Bipolarity) notes in Hindi or about any other notes of class 12 Political Science in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…

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5 thoughts on “दो ध्रुवीयता का अंत (CH-2) Notes in Hindi || Class 12 Political Science Chapter 2 in Hindi ||”

  1. Ram nivas says:
    November 27, 2020 at 2:54 pm

    Ramnivas note
    download kaise karen uska video banakar daal dijiye

    Reply
  2. Sunny Kumar says:
    April 2, 2021 at 4:00 pm

    This way is a really amazing for is to study with notes

    Reply
    1. Rakesh meghwal says:
      June 23, 2022 at 10:17 pm

      Thanks sir

      Reply
    2. Vinay Singh says:
      August 6, 2023 at 6:33 pm

      Gjjjb

      Reply
  3. Shaheen parveen says:
    August 14, 2023 at 8:13 pm

    I am very glad from all this notes thank you so much sir or mam

    Reply

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