सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां (CH – 6) Notes in Hindi || Class 12 Sociology Chapter 6 in Hindi ||

पाठ – 6

सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां

In this post we have given the detailed notes of class 12 Sociology Chapter 6 Sanskritik Vividhta Ki Chunautiyan (The Challenges of Cultural Diversity) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के नागरिक सास्त्र के पाठ 6 सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां (The Challenges of Cultural Diversity) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं नागरिक सास्त्र विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectSociology
Chapter no.Chapter 6
Chapter Nameसांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां (The Challenges of Cultural Diversity)
CategoryClass 12 Sociology Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Sociology Chapter 6 Sanskritik Vividhta Ki Chunautiyan in Hindi
Class 12th (Sociology) Ch 4 (The Challenges of Cultural Diversity) in Hindi | Latest Syllabus 2021 | बाजार एक सामाजिक संस्था के रूप में | Book – 1 | Part – 1 |
Table of Content
2. सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां

सांस्कृतिक विविधता

  • सांस्कृतिक विविधता से अभिप्राय समाज में ऐसे विभिन्न वर्गों के होने से है जिनकी जीवन शैली भाषा रीति रिवाज धार्मिक मान्यताएं आदि एक दूसरे से भिन्न होते हैं। 
  • इन भिन्नता के कारण इन विभिन्न वर्गों का जीवन जीने का तरीका, जीवन के लक्ष्य और जीवन में उपस्थित चुनौतियां एक दूसरे से अलग अलग होते हैं जिस वजह से इन सभी वर्गों और समूह में सामंजस्य पैदा करना एक चुनौती बन जाता है इसे ही सांस्कृतिक विविधता की चुनौतियां कहा जाता है। 

सामुदायिक पहचान

  • एक समुदाय का निर्माण ऐसे लोगों के समूह से होता है जो एक विशेष धर्म भाषा क्षेत्र और विचारधारा से आपस में जुड़े होते हैं। 
  • जन्म के साथ ही एक व्यक्ति को एक विशेष पहचान प्राप्त होती है जो उस समुदाय से जुड़ी होती है जिसमें बच्चे का जन्म होता है इसे ही सामुदायिक पहचान कहा जाता है। 

सामुदायिक पहचान की विशेषताएं

  • सामुदायिक पहचान एक व्यक्ति के साथ उसके जन्म के समय से जुड़ी होती है। 
  • यह अपने पन पर आधारित होती है। 
  • इसकी प्राप्ति किसी उपलब्धि के आधार पर नहीं होती। 
  • व्यक्ति की पसंद या नापसंद इसमें शामिल नहीं होती। 

 

सामुदायिक पहचान का महत्व

  • सामुदायिक पहचान का एक व्यक्ति के जीवन में अत्याधिक महत्व होता है क्योंकि यह बचपन से उससे जुड़ी होती है और यह समाज में उसे एक पहचान प्रदान करती है। 
  • एक व्यक्ति अपनी सामुदायिक पहचान से कठोर रूप से जुड़ा होता है। 

राष्ट्र

  • राष्ट्र एक विशेष प्रकार का समुदाय होता है जिसका वर्णन तो किया जा सकता है परंतु इसे परिभाषित करना मुश्किल है। 
  • वर्तमान विश्व में अनेकों राष्ट्र अलग-अलग विशेषताओं के साथ अस्तित्व में है इनकी अलग-अलग विशेषताओं के अनुसार उनका वर्णन तो किया जा सकता है परंतु कुछ विशेषताओं के साथ राष्ट्र की परिभाषा का निर्माण करना बहुत ही मुश्किल कार्य है।
  • उदाहरण के लिए 

    • विश्व में कई ऐसे राष्ट्र हैं जो एक धर्म भाषा समान इतिहास आदि पर आधारित है परंतु विश्व में कई ऐसे भी रास्ते हैं जिनकी एक समान भाषा धर्म या इतिहास नहीं है। 
    • कई राष्ट्र ऐसे हैं जहां पर एक भाषा मुख्य रूप से बोली जाती है परंतु भाषा के आधार पर उन राष्ट्रों की पहचान नहीं की जा सकती। 

क्षेत्रवाद

एक ऐसी स्थिति जिसमें एक व्यक्ति अपने क्षेत्र से प्यार एवं अन्य क्षेत्र से नफरत करने लगता है  क्षेत्रवाद कहलाती है  इस स्थिति के कारण व्यक्ति अन्य क्षेत्रों के लोगों को अपने क्षेत्र में विदेशी समझने लगता है। 

भारत और क्षेत्रवाद

  • भारत में सांस्कृतिक विविधता अधिक होने के कारण क्षेत्रवाद का प्रभाव ज्यादा है।
    भारत क्षेत्रवाद भाषा संस्कृति और धर्म  आदि में विविधता होने के कारण पाया जाता है। 
  • यह क्षेत्रवाद भारतीय व्यवस्था के लिए एक बड़ी चुनौती है क्योंकि इतनी विभिन्न  इच्छा हो और मान्यताओं वाले लोगों को एक साथ रहने के लिए प्रेरित करना सरल कार्य नहीं है। 
  • भारत का संघीय ढांचा कुछ हद तक क्षेत्रवाद की समस्या को कम करता है इसके अंतर्गत क्षेत्रीय स्तर पर राज्य सरकार क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करते हैं और केंद्र सरकार इन सभी क्षेत्रों को आपस में बांधे रखने का काम करती है। 

अल्पसंख्यक समुदाय और आरक्षण

अल्पसंख्यक समुदाय

  • समाज के समुदाय जिनकी संख्या धर्म या जाति के आधार पर कम होती है अल्पसंख्यक समुदाय कहलाते हैं। 
  • उदाहरण के लिए

    • मुस्लिम जैन पारसी आदि। 

 

आरक्षण

  • समाज के वंचित वर्गों को समाज के संसाधनों में एक विशेष हिस्सा प्रदान करना आरक्षण कहलाता है। 

अल्पसंख्यक समुदाय और आरक्षण

  • समाज में उपस्थित अल्पसंख्यक वर्गों के लिए आरक्षण एक अति आवश्यक व्यवस्था है। 
  • संख्या कम होने के कारण अल्पसंख्यक समुदाय राजनीतिक रूप से अपने हितों की पूर्ति नहीं कर सकते इसी वजह से आरक्षण और विशेष प्रावधानों द्वारा अल्पसंख्यक समुदायों के हितों की रक्षा करना अति आवश्यक है। 

भारत और अल्पसंख्यक समुदाय

  • अल्पसंख्यक समुदाय का विकास सामाजिक विकास की सबसे महत्वपूर्ण पक्षों में से एक है इसी वजह से भारतीय संविधान द्वारा भारत में उपस्थित अल्पसंख्यकों के लिए विशेष प्रावधान किए गए। 
  • अनुच्छेद 29

    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए निम्नलिखित विशेष प्रावधान किए गए हैं।
      • अल्पसंख्यक समुदाय अपनी भाषा लिपि और संस्कृति को बनाए रखने के लिए प्रयास कर सकते हैं। 
      • राज्य द्वारा संचालित किसी शिक्षा संस्था से किसी भी नागरिक को जाति धर्म  और भाषा के आधार पर वंचित नहीं किया जा सकता। 
  • अनुच्छेद 30 

    • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 में अल्पसंख्यक समुदायों के लिए निम्नलिखित विशेष प्रावधान किए गए हैं।
      • अल्पसंख्यक वर्ग को अपने धर्म या भाषा पर आधारित शिक्षा संस्थानों की स्थापना करने का अधिकार है। 
      • शिक्षा संस्थानों को सहायता देने की स्थिति में राज्य इस आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता कि वह संस्थान अल्पसंख्यक द्वारा संचालित है। 

सांप्रदायिकता

  • सांप्रदायिकता धर्म पर आधारित ऐसी विचारधारा है जिसमें व्यक्ति अपने समुदाय को श्रेष्ठ मानता और अन्य समुदायों को निम्न या विरोधी समझता है। 
  • यह एक विशेष धर्म के प्रचार का आक्रामक तरीका है, इसमें इसके अंतर्गत एक विशेष धर्म को प्रभावशाली जबकि अन्य धर्मों को दुर्बल दिखाने का प्रयत्न किया जाता है। 
  • सांप्रदायिक सोच वाले लोगों का यह मानना होता है कि एक धर्म के सदस्य ही एक समुदाय का निर्माण कर सकते हैं अलग-अलग धर्म के सदस्य आपस में मिलकर एक समुदाय का निर्माण नहीं कर सकते। 
  • भारत में सांप्रदायिकता

    • भारत में सांप्रदायिकता एक चिंता का विषय है कि भारत ने अपने इतिहास में कई बार सांप्रदायिक दंगों का सामना किया है। 
    • 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे और 2002 में हुए मुस्लिम विरोधी दंगे इसका एक अच्छा उदाहरण है। 

धर्मनिरपेक्षता

  • धर्मनिरपेक्षता का अर्थ राज्य को धर्म से दूर रखना है इस विचारधारा के अनुसार राज्य धर्म को विशेष महत्व नहीं देगा और सभी धर्मों को समान अधिकार प्रदान किए जाएंगे। 
  • यह विचारधारा पश्चिमी विचारकों की देन है और समय के साथ-साथ भारत में भी इसका प्रभाव तेजी से बढ़ा है सन 1976 में भारतीय संविधान के प्रस्तावना में पंथनिरपेक्ष शब्द को शामिल किया गया। 

सत्तावादी राज्य

  • लोकतंत्र के विपरीत सत्तावादी राज्य एक ऐसी व्यवस्था होता है जिसमें सत्ता पर विराजमान व्यक्ति जनता के प्रति जवाब देना होकर अपने अनुसार व्यवस्था को चलाता है इसमें जनता की मांगों को नजरअंदाज कर नेता की इच्छा अनुसार सभी फैसले किए जाते हैं। 

सत्तावादी राज्य की विशेषताएं

  • इस प्रकार के राज्य में प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित कर दिया जाता है। 
  • नागरिक स्वतंत्रता को सीमित कर दिया जाता है। 
  • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम कर दिया जाता है। 
  • सभी राजनीतिक संगठनों पर सरकार के प्रभाव में वृद्धि होती है। 
  • सत्ता में स्थित नेता जनता की बजाय अपनी इच्छाओं के अनुसार काम करता है। 

भारत में सत्तावादी परिस्थितियां

  • भारत में 25 जून 1975 को लगाया गया आपातकाल और उस दौरान की परिस्थितियां सत्तावादी व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है।
    • 25 जून 1975 को इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा भारत में आपातकाल की घोषणा की गई इस दौर में बड़े स्तर पर विरोध करने वालों को गिरफ्तार किया गया। 
    • जनसंचार के लगभग सभी साधनों पर सेंसरशिप व्यवस्था को लागू कर दिया गया 
    • पूरे देश में जबरन लोगों की नसबंदी की गई। 
    • संविधान में परिवर्तन कर चुनाव को स्थगित कर दिया गया। 
    • नागरिकों के स्वतंत्रता संबंधी अधिकार छीन लिए गए। 
  • वैश्विक स्तर पर चीनी व्यवस्था सत्तावादी व्यवस्था का एक अच्छा उदाहरण है। 

नागरिक समाज

  • एक व्यक्ति के निजी क्षेत्र से परे क्षेत्र जहां पर में समाज और उससे संबंधित मुद्दों की चर्चा करता है नागरिक समाज कहलाता है। 
  • यह क्षेत्र है जहां पर आकर एक व्यक्ति समाज से संबंधित मुद्दों की चर्चा करता है और सामाजिक व्यवस्था को सामान्य बनाए रखने के लिए नियमों और कानूनों पर विचार करता है। 

नागरिक समाज द्वारा उठाए गए कुछ मुख्य विषय

  • मानव अधिकारों 
  • बांधों के निर्माण के कारण सांस्कृतिक नुकसान
  • गंदी बस्तियों के कारण स्वास्थ्य संबंधी समझ
  • शिक्षा संबंधी सुधार
  • दलितों के विकास के लिए नियम
  • स्त्रियों की सामाजिक स्थिति में सुधार
  • प्रदूषण की समस्या का निवारण
  • पर्यावरण की सुरक्षा आदि। 
  • सूचना का अधिकार

 

We hope that class 12 Sociology Chapter 6 Sanskritik Vividhta Ki Chunautiyan (The Challenges of Cultural Diversity) notes in Hindi helped you. If you have any query about class 12 Sociology Chapter 6 Sanskritik Vividhta Ki Chunautiyan (The Challenges of Cultural Diversity) notes in Hindi or about any other notes of class 12 sociology in Hindi, so you can comment below. We will reach you as soon as possible… 

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