पाठ – 5
हामिद खाँ
In this post we have given the detailed notes of Class 9 Hindi chapter 5 हामिद खाँ These notes are useful for the students who are going to appear in Class 9 board exams
इस पोस्ट में कक्षा 9 के हिंदी के पाठ 5 हामिद खाँ के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi (संचयन) |
Chapter no. | Chapter 5 |
Chapter Name | हामिद खाँ |
Category | Class 9 Hindi Notes |
Medium | Hindi |
पाठ 5 हामिद खाँ
– एस. के. पोट्टेकाट
सारांश
लेखक को एक दिन समाचार पत्र में तक्षशिला (पाकिस्तान) में आगजनी की खबर पढ़ते हैं जिससे लेखक को हामिद खाँ नाम के व्यक्ति की याद आ जाती है जो तक्षशिला भ्रमण के दौरान लेखक को मिला था। लेखक उसके लिए ईश्वर से हिफ़ाज़त की दुआ माँगते हैं।
दो साल पहले लेखक तक्षशिला के पौराणिक खंडहर देखने गए थे। कड़ी धुप और भूख-प्यास के कारण उनका बुरा हाल हो रहा था। वे रेलवे स्टेशन से करीब पौने मील दूर बसे एक गाँव की और चल पड़े। उन्हें वहाँ तंग बाज़ार, धुआँ, मच्छर और गंदगी से भरी जगहें दिखीं। होटल का कहीं नामोनिशान ना था। कही-कहीं सड़े हुए चमड़े की बदबू आ रही थी।
अचानक लेखक को एक दूकान दिखी जहाँ चपातियाँ सेंकी जा रहीं थीं। लेखक ने मुस्कराहट के साथ उस दूकान में प्रवेश किया। वहाँ एक अधेड़ उम्र का पठान चपातियाँ बना रहा था। लेखक ने खाने के बारे में उससे पूछा। दुकानदार ने लेखक को बेंच पर बैठने के लिए कहा।
दुकानदार ने चपातियाँ बनाते हुए लेखक से पूछा कि वह कहाँ के रहने वाले हैं? लेखक ने उसे बताया कि वह हिंदुस्तान के दक्षिणी छोर पर मद्रास के आगे मालबार क्षेत्र का रहने वाला है। दुकानदार ने पूछा की क्या वे हिन्दू हैं? लेखक ने हामी भरी। इसपर दुकानदार ने पूछा कि क्या वे मुसलमानी होटल में खाना खाएँगे? इसपर लेखक ने हामिद (दुकानदार) को बताया कि उनके यहाँ अगर किसी बढ़िया चाय पीनी हो या बढ़िया पुलाव खाना हो तो लोग बिना कुछ सोचे मुसलमानी होटलों में जाया करते हैं।हामिद लेखक की बात पर विश्वास नहीं कर पाया। लेखक ने उसे बताया कि उनके यहाँ हिन्दू-मुसलमान में कोई फर्क नहीं है और उनके बीच न के बराबर होते हैं। हामिद इन बातों को ध्यानपूर्वक सुनकर बोला कि काश वः भी यह सब देख पाता।
हामिद ने लेखक का स्वागत करते हुए खाना खिलाया। लेखक ने खाना खाकर हामिद को पैसे दिए परतु उसने लेने से इनकार कर दिया। बहुत करने पर हामिद ने पैसे लिए और वापस देते हुए कहा कि मैंने पैसे ले लिए, मगर मैं चाहता हूँ आप इस पैसे से हिंदुस्तान जाकर किसी मुसलमानी होटल में पुलाव खाएँ और तक्षशिला के भाई हामिद को याद करें। लेखक वहाँ से तक्षशिला के खंडहरों की तरफ चले गए। उसके बाद लेखक ने हामिद को कभी नहीं देखा।
लेखक आज समाचार पत्र पढ़कर हामिद और उसकी दूकान को सांप्रदायिक दंगों से बच जाने की प्रार्थना क्र रहे थे।
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