रैदास (CH- 7) Detailed Summary || Class 9 Hindi स्पर्श (CH- 7) ||

पाठ – 7

रैदास

In this post we have given the detailed notes of Class 9 Hindi chapter 7 रैदास These notes are useful for the students who are going to appear in Class 9 board exams

इस पोस्ट में कक्षा 9 के हिंदी के पाठ 7 रैदास के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectHindi (स्पर्श)
Chapter no.Chapter 7
Chapter Nameरैदास
CategoryClass 9 Hindi Notes
MediumHindi
Class 9 Hindi Chapter 7 रैदास

पाठ 7 रैदास

-रैदास

सारांश

अब कैसे छूटै राम नाम रट लागी।

प्रभु जी, तुम चंदन हम पानी , जाकी अँग-अँग बास समानी।

प्रभु जी, तुम घन बन हम मोरा , जैसे चितवत चंद चकोरा।

प्रभु जी, तुम दीपक हम बाती , जाकी जोति बरै दिन राती।

प्रभु जी, तुम मोती हम धागा , जैसे सोनहिं मिलत सुहागा।

प्रभु जी, तुम तुम स्वामी हम दासा , ऐसी भक्ति करै रैदासा।

 प्रभु! हमारे मन में जो आपके नाम की रट लग गई है, वह कैसे छूट सकती है? अब मै आपका परम भक्त हो गया हूँ। जिस तरह चंदन के संपर्क में रहने से पानी में उसकी सुगंध फैल जाती है, उसी प्रकार मेरे तन मन में आपके प्रेम की सुगंध व्याप्त हो गई है । आप आकाश में छाए काले बादल के समान हो, मैं जंगल में नाचने वाला मोर हूँ। जैसे बरसात में घुमडते बादलों को देखकर मोर खुशी से नाचता है, उसी भाँति मैं आपके दर्शन् को पा कर खुशी से भावमुग्ध हो जाता हूँ। जैसे चकोर पक्षी सदा अपने चंद्रामा की ओर ताकता रहता है उसी भाँति मैं भी सदा आपका प्रेम पाने के लिए तरसता रहता हूँ।

हे प्रभु ! आप दीपक हो और मैं उस दिए की बाती जो सदा आपके प्रेम में जलता है। प्रभु आप मोती के समान उज्ज्वल, पवित्र और सुंदर हो और मैं उसमें पिरोया हुआ धागा हूँ। आपका और मेरा मिलन सोने और सुहागे के मिलन के समान पवित्र है । जैसे सुहागे के संपर्क से सोना खरा हो जाता है, उसी तरह मैं आपके संपर्क से शुद्ध हो जाता हूँ। हे प्रभु! आप स्वामी हो मैं आपका दास हूँ।

ऐसी लाल तुझ बिनु कउनु करै।

गरीब निवाजु गुसाईआ मेरा माथै छत्रु धरै॥

जाकी छोति जगत कउ लागै ता पर तुहीं ढरै।

नीचउ ऊच करै मेरा गोबिंदु काहू ते न डरै॥

नामदेव कबीरू तिलोचनु सधना सैनु तरै।

कहि रविदासु सुनहु रे संतहु हरिजीउ ते सभै सरै॥

 हे प्रभु ! आपके बिना कौन कृपालु है। आप गरीब तथा दिन – दुखियों पर दया करने वाले हैं। आप ही ऐसे कृपालु स्वामी हैं जो मुझ जैसे अछूत और नीच के माथे पर राजाओं जैसा छत्र रख दिया। आपने मुझे राजाओं जैसा सम्मान प्रदान किया। मैं अभागा हूँ। मुझ पर आपकी असीम कृपा  है। आप मुझ पर द्रवित हो गए । हे स्वामी आपने मुझ जैसे नीच प्राणी को इतना उच्च सम्मान प्रदान किया। आपकी दया से नामदेव , कबीर जैसे जुलाहे , त्रिलोचन जैसे सामान्य , सधना जैसे कसाई और सैन जैसे नाई संसार से तर गए। उन्हें ज्ञान प्राप्त हो गया। अंतिम पंक्ति में रैदास कहते हैं – हे संतों, सुनो ! हरि जी सब कुछ करने में समर्थ हैं। वे कुछ भी करने में सक्षम हैं।

We hope that Class 9 Hindi Chapter 7 रैदास notes in Hindi helped you. If you have any query about Class 9 Hindi Chapter 7 रैदास notes in Hindi or about any other notes of Class 9 Hindi Notes, so you can comment below. We will reach you as soon as possible…

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