पाठ – 2
बहुपद
In this post we have given the detailed notes of class 9 Math chapter 2 Polynomials in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के गणित के पाठ 2 बहुपद के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं गणित विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Math |
Chapter no. | Chapter 2 |
Chapter Name | बहुपद (Polynomials) |
Category | Class 9 Math Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 2, बहुपद
बहुपद
चर, अचर, चर के गुणांक तथा ऋणेतर घातांक के जोड़, घटाव या गुणन की क्रिया वाले बीजगणितीय व्यंजक को बहुपद कहा जाता हैं।
बीजीय बहुपद मुख्यतः दो प्रकार के होते है:
- अचर बहुपद
- चर बहुपद
1. अचर बहुपद
बहुपद का वैसा पद जिसका मान हमेशा स्थिर रहता है वह अचर बहुपद कहलाता है। जैसे:- 3x + 5, x – 2, 2 और 5 अचर बहुपद है क्योंकि इनका मान सदैव स्थिर रहता है। अचर बहुपद वास्तविक या काल्पनिक, दोनों संख्या हो सकते है। अचर बहुपद का घात शून्य होता है।
2. चर बहुपद
जिन बहुपदों में केवल एक ही चर राशि का प्रयोग किया जाए एक चर वाले बहुपद कहलाते हैं। 2x² -5x+7 इस व्यंजक में 2x², -5x और 7 तीन पद हैं।
मुख्य अवधारणाएँ और परिणाम
- बहुपद का अर्थ
- बहुपद की घात
- गुणांक
- एकपदी, द्विपद, इत्यादि
- अचर, रैखिक, द्विघात बहुपद, इत्यादि
- चर के दिए हुए मान के लिए बहुपद का मान
- बहुपद के शून्यक
- शेषफल प्रमेय
- गुणनखंड प्रमेय
- मध्यपद को विभक्त कर एक द्विघात बहुपद का गुणनखंडन
बहुपद की घात
यदि p(x) एक बहुपद है, तो चर x, के बहुपद p(x) में x की उच्चतम घात, बहुपद की घात कहलाती है।
उदाहरण
बहुपद 5x – 4x² + 3 में x की उच्चतम घात 2 है। इसलिए कह सकते हैं कि दिए गए बहुपद की घात 2 है। p
गुणनखंड बीजीय सर्वसमिकाएँ
गुणनखंड प्रमेय के प्रयोग द्वारा बीजीय व्यंजकों के गुणनखंड बीजीय सर्वसमिकाएँ:
(x + y)² = x² + 2x y+ y²
(x – y)² = x² – 2x y + y²
x² –y² = (x + y) (x – y)
(x + a) (x + b) = x² + ( a + b) x + ab
(x + y + z)² =x² + y² + z² + 2x y + 2y z + 2z x
(x + y)³ = x³ + 3x²y + 3xy² + y³ = x³ + y³ + 3x y ( x + y)
(x – y)³ = x³ – 3x²y + 3xy² – y³ = x³ – y³ – 3x y ( x – y)
x³ + y³ = (x + y) (x² – x y + y²)
x³ – y³ = (x – y) (x²+ x y + y²)
x³ + y³ + z³ – 3xyz = (x + y + z) (x² + y² + z² – x y – y z – z x)
बहुपद का गुणांक
- बहुपद के प्रत्येक पद का एक गुणांक होता है।
- उदाहरण के लिए बहुपद x² + 5x + 4 को लेते हैं इस बहुपद में अलग-अलग पदों के अलग गुणांक हैं। जैसे x² का गुणांक 1 है, x का गुणांक 5 है तथा अचर पद का गुणांक 4 है।
रैखिक बहुपद
मान लिया कि 4x + 2 एक बहुपद है। इस बहुपद के चर x का घात 1 है। अत: इस बहुपद को एक घात वाला बहुपद या एक घातीय बहुपद या रैखिक बहुपद कहते हैं।
द्विघात बहुपद
ऐसे बहुपद जिनमें चर पद की उच्चतम घात दो होती है को द्विघात बहुपद या द्विघाती बहुपद कहते हैं। उदाहरण के लिए बहुपद x² + x + 2 में x की उच्चतम घात दो है अतः यह एक द्विघात बहुपद है।
a का मान ज्ञात कीजिए, यदि x – a बहुपद x³ – a x² + 2x + a – 1 का एक गुणनखंड है।
मान लीजिये p(x) = x³ – a x² + 2x + a – 1
क्योंकि x – a, p(x) का एक गुणनखंड है इसलिए p(a) = 0
अर्थात् a³ – a (a)² + 2a + a – 1 = 0
या a³ – a³ + 2a + a – 1 = 0
या 3a – 1 = 0
या a =
चर के दिए हुए मान के लिए बहुपद का मान
यदि p(x), चर x में कोई बहुपद है और a कोई वास्तविक संख्या है, तो p(a) में x को a से प्रतिस्थापित करने पर प्राप्त वास्तविक संख्या p(x) का x = a पर मान कहलाती है और इसे p(a) से निरूपित करते हैं। a, p(x) का शून्यक कहलाता है, यदि p(a) = 0 है।
मध्यपद को विभक्त कर एक द्विघात बहुपद का गुणनखंडन
एक द्विघात बहुपद के गुणनखंड करने के लिए मध्य पद को इस तरह से विभाजित करते हैं कि विभाजित पदों का योग मध्य पद के बराबर होता है तथा गुणनफल प्रथम और अंतिम पद के गुणनफल के बराबर होता है।
एक उदाहरण के माध्यम से इसको समझने का प्रयास करते हैं:
p(x) = x² + 5x + 4 के गुणनखंड करने के लिए 5x को इस प्रकार विभाजित करते है कि विभाजित दोनों पदों का योग 5x के बराबर रहे तथा गुणनफल 4x² के बराबर हो।
अतः 5x को x + 4x लिख सकते हैं।
x + 4x = 5x और x × 4x = 4x²
x² + 5x + 4 = x² + x + 4x + 4
= x (x + 1) + 4 (x + 1)
= (x + 1) (x + 4)
घात और पद के अधार पर बहुपदों को निम्न प्रकार से विभाजित किया जा सकता है:
- अचर बहुपद को ‘शून्य बहुपद’ कहते हैं। इसमें p(x) = 0
- रैखिक बहुपद: एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद कहते हैं।
उदाहरण: ax + b, जहाँ a ≠ 0
- द्विघात बहुपद: दो घात वाली बहुपदों को द्विघात बहुपद कहा जाता है।
उदाहरण: ax² + bx + c, जहाँ a ≠ 0
- त्रिघात बहुपद: तीन घात वाले बहुपद को त्रिघात बहुपद कहते हैं।
उदाहरण: ax³ + bx² + cx + d जहाँ a ≠ 0
- एकपदी बहुपद: एक पद वाले बहुपद को एकपदी बहुपद कहते हैं।
उदाहरण: x, 2x, 3y², 5a³
- द्विपदी बहुपद:- दो पदों वाले बहुपद को द्विपदी बहुपद कहते हैं।
उदाहरण: x + 2, 2x² + 5 , 2y² − 4, 5a³ + 7
- त्रिपदी बहुपद: तीन पदों वाले बहुपद को त्रिपदी बहुपद कहते हैं।
उदाहरण: x² + 2x + 5, 2x³ + x² – 5x, 4x³ − 4x² – 8x
बहुपद के शून्यक
बहुपद के शून्यक किसी बहुपद मे चर के स्थान पर किसी वास्तविक संख्या को प्रतिस्थापित करने पर यदि बहुपद का मान शून्य आ जाये तो वह वास्तविक संख्या बहुपद का शून्यक कहलाती है।
उदाहरण: ax – b का शून्यक b/a है।
बहुपद के शून्यक एवं गुणांक में सम्बन्ध
उदाहरण के लिए एक रैखिक बहुपद p(x) = ax + b जहाँ a ≠ 0 हो, तो p(x) का शून्यक एक होता हैं। जिसका मान –b/a है।
= – (अचर पद) / (x का गुणांक)
यहाँ अचर पद b है तथा x का गुणांक a है।
शेषफल प्रमेय
मान लीजिए कि p(x) एक से अधिक या उसके बराबर घात का कोई बहुपद है और मान लीजिए कि a कोई वास्तविक संख्या है। यदि p(x) को रैखिक बहुपद x – a से विभाजित किया जाता है, तो शेषफल p(a) होता है।
उदाहरण:
बहुपद p(x) = 2x ⁴ – 3x³ + 3x + 1 को x + 1 से भाग देने पर शेषफल ज्ञात कीजिए।
हल:
p(x) = 2x⁴ – 3x³ + 3x + 1) में x = -1 रखने पर
p(-1) = 2 (-1)⁴ – 3(-1)³ + 3(-1) + 1
p(-1) = 2 × 1 -3 × -1 + 3 × -1 + 1
= 3
शेषफल = 3
गुणनखंड प्रमेय
यदि बहुपद p(x) को बहुपद g(x) से विभाजित किया जाए और शेषफल r(x) = 0 हो तो बहुपद g(x) बहुपद p(x) का एक गुणनखंड होगा या हम कह सकते हैं कि यदि g(x), p(x) का एक गुणनखंड है, तो शेषफल r(x) शून्य होगा।
हल कीजिए क्या x + 1 बहुपद x² + 4x + 3 का एक गुणनखंड है?
माना p(x) = x² + 4x + 3 और x + 1, p(x) का एक गुणनखंड है।
इसप्रकार, x = -1 के लिए p(x) का मान 0 होगा
इसके सत्यापन्न के लिए x = -1, p(x) में रखते हैं
p(-1) = (-1)² + 4 (-1) + 3
= 1 – 4 + 3
p(-1) = 0
जिससे सिद्ध होता है कि x + 1, p(x) का एक गुणनखंड है।
बीजीय सर्वसमिकाएँ
बीजीय सर्वसमिका एक बीजीय समीकरण होती है जो कि चरों के सभी मानों के लिए सत्य होती है।
- सर्वसमिका- 1: (x + y)² = x² + 2xy + y²
- सर्वसमिका- 2: (x – y)² = x² – 2xy + y²
- सर्वसमिका- 3: x² – y² = (x + y) (x – y)
- सर्वसमिका- 4: (x + a) (x + b) = x² + (a + b)x + ab
- सर्वसमिका- 5: (x + y + z)² = x² + y² + z² + 2xy + 2yz + 2zx
- सर्वसमिका- 6: (x + y)³ = x³ + y³ + 3xy (x + y)
- सर्वसमिका- 7: (x – y)³ = x³ – y³ – 3xy(x – y) = x³ – 3x²y + 3xy² – y³
- सर्वसमिका- 8: x³ + y³ + z³ – 3xyz = (x + y + z) (x² + y² + z² – xy – yz – zx)
हल सहित उदाहरण
उपयुक्त सर्वसमिकाएँ प्रयोग करके, निम्नलिखित में से प्रत्येक का मान ज्ञात कीजिएः
(i) (104)³
(ii) (999)³
उपरोक्त प्रश्न का हल
(i) (104)³ = (100 + 4)³
= (100)³ + (4)³ + 3(100) (4)( 100 + 4) (सर्वसमिका- 6 का प्रयोग करने पर)
= 1000000 + 64 + 124800
= 1124864
(ii) (999)³ = (1000 – 1)³
= (1000)³ – (1)³ – 3(1000)(1)(1000 – 1) (सर्वसमिका- 7 का प्रयोग करने पर)
= 1000000000 – 1 – 2997000
= 997002999
स्मरणीय तथ्य
- एक पद वाले बहुपद को एकपदी कहा जाता है।
- दो पदों वाले बहुपद को द्विपद कहा जाता है।
- तीन पदों वाले बहुपद को त्रिपद कहा जाता है।
- एक घात वाले बहुपद को रैखिक बहुपद कहा जाता है।
- दो घात वाले बहुपद को द्विघाती बहुपद कहा जाता है।
- तीन घात वाले बहुपद को त्रिघाती बहुपद कहा जाता है।
- वास्तविक संख्या “a”ए बहुपद P(x) का एक शून्यक होती है, यदि P(a) = 0 हो।
- एक चर में प्रत्येक रैखिक बहुपद का एक अद्वितीय शून्यक होता है। एक शून्येतर अचर बहुपद का कोई शून्यक नहीं है और प्रत्येक वास्तविक संख्या शून्य बहुपद का एक शून्यक होती है।
- शेषफल प्रमेय रू यदि च(ग)ए एक से अधिक या एक के बराबर घात वाला एक बहुपद हो, और P(x) को रैखिक बहुपद x – a से भाग दिया गया हो, तो शेषफल P(a) होता है।
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