पाठ – 4
भारत में खाद्य सुरक्षा
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 4 Food Security in India in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 4 भारत में खाद्य सुरक्षा के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (Economics) |
Chapter no. | Chapter 4 |
Chapter Name | भारत में खाद्य सुरक्षा (Food Security in India) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 4 भारत में खाद्य सुरक्षा
खाद्य सुरक्षा क्या है? (What is Food Security?)
भोजन हमारे जीवन का आधार है, जैसे सांस लेने के लिए हवा। खाद्य सुरक्षा का मतलब सिर्फ पेट भरना नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि सभी लोगों को हर समय पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध हो।
खाद्य सुरक्षा के तीन मुख्य पहलू हैं:
- उपलब्धता (Availability): इसका मतलब है कि देश में पर्याप्त मात्रा में भोजन का उत्पादन हो, जरूरत पड़ने पर आयात किया जा सके, और सरकारी भंडारों में पर्याप्त स्टॉक हो।
- पहुंच (Accessibility): भोजन हर व्यक्ति की पहुंच के भीतर होना चाहिए, चाहे वह किसी भी क्षेत्र या सामाजिक वर्ग का हो।
- किफायती (Affordability): हर व्यक्ति के पास पर्याप्त, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन खरीदने के लिए पैसे होने चाहिए।
खाद्य असुरक्षा क्यों होती है? (Why Food Insecurity?)
कई कारणों से लोग खाद्य असुरक्षा का सामना करते हैं:
- प्राकृतिक आपदाएं (Natural Calamities): सूखा, बाढ़, भूकंप जैसी आपदाओं से फसलें बर्बाद हो सकती हैं, जिससे अनाज की कमी और महंगाई हो सकती है।
- गरीबी (Poverty): गरीब लोगों के पास भोजन खरीदने के लिए पैसे नहीं होते, जिससे वे खाद्य असुरक्षा का शिकार होते हैं।
- मौसमी बेरोजगारी (Seasonal Unemployment): खेतिहर मजदूरों को साल में कुछ महीनों के लिए काम नहीं मिलता, जिससे उनकी आमदनी कम हो जाती है और वे भोजन नहीं खरीद पाते।
- सामाजिक भेदभाव (Social Discrimination): कुछ जातियों और समुदायों के लोगों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ता है क्योंकि उन्हें समान अवसर नहीं मिलते।
खाद्य असुरक्षा के शिकार कौन हैं? (Who are Food Insecure?)
भारत में कई लोग खाद्य असुरक्षा का शिकार हैं, खासकर:
- भूमिहीन मजदूर (Landless Labourers): उनके पास अपनी जमीन नहीं होती और वे दूसरों के खेतों में काम करके गुजारा करते हैं।
- छोटे किसान (Small Farmers): उनके पास कम जमीन होती है और फसल खराब होने पर उन्हें भारी नुकसान होता है।
- शहरी क्षेत्रों में अनियमित काम करने वाले मजदूर (Casual Labourers in Urban Areas): उन्हें रोज का काम मिलता है और आमदनी अनियमित होती है।
- आदिवासी और आपदा प्रभावित लोग (Tribal and Disaster Affected People): आदिवासी लोग अक्सर दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं जहां सुविधाओं की कमी होती है। आपदा प्रभावित लोग अपना घर-बार खो देते हैं और खाद्य असुरक्षा का सामना करते हैं।
- महिलाएं और बच्चे (Women and Children): महिलाओं और बच्चों को अक्सर भोजन में कम प्राथमिकता दी जाती है, जिससे वे कुपोषण का शिकार होते हैं।
भारत में खाद्य सुरक्षा (Food Security in India)
भारत सरकार ने खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं:
- हरित क्रांति (Green Revolution): 1960 के दशक में हरित क्रांति के कारण गेहूं और चावल के उत्पादन में भारी वृद्धि हुई, जिससे भारत अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बन सका।
- बफर स्टॉक (Buffer Stock): सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर किसानों से अनाज खरीदती है और उसे भंडारण करती है ताकि जरूरत पड़ने पर बाजार में उसकी आपूर्ति की जा सके।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS): राशन की दुकानों के जरिए गरीबों को सस्ता अनाज उपलब्ध कराया जाता है। इससे उन्हें बाजार मूल्य से कम कीमत पर अनाज मिल जाता है।
- अन्य योजनाएं (Other Schemes): मिड-डे मील, अंत्योदय अन्न योजना जैसी योजनाएं भी खाद्य सुरक्षा में मदद करती हैं। मिड-डे मील से स्कूलों में बच्चों को दोपहर का भोजन मिलता है, जबकि अंत्योदय अन्न योजना के तहत गरीबों को बहुत ही कम कीमत पर अनाज दिया जाता है।
अन्य महत्वपूर्ण विषय:
- बंगाल का अकाल (1943): 1943 में बंगाल में आए भयंकर अकाल में लाखों लोग मारे गए थे। यह अकाल खाद्य असुरक्षा का एक भयावह उदाहरण है, जिसमें गरीब और मजदूर वर्ग के लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए थे।
- रामू की कहानी: रामू एक खेतिहर मजदूर है, जिसे साल में कुछ महीनों के लिए काम नहीं मिलता। ऐसे में उसे और उसके परिवार को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ता है। यह कहानी भारत के ग्रामीण इलाकों में मौसमी बेरोजगारी और खाद्य असुरक्षा के बीच संबंध को दर्शाती है।
- अहमद की कहानी: अहमद एक रिक्शा चालक है, जिसकी आमदनी अनियमित है। लेकिन PDS के जरिए उसे सस्ता अनाज मिल जाता है, जिससे वह अपने परिवार का पेट पाल पाता है। यह कहानी शहरी क्षेत्रों में खाद्य असुरक्षा और PDS की भूमिका को दर्शाती है।
महत्वपूर्ण बिंदु (Important Points)
- खाद्य सुरक्षा सिर्फ अनाज उपलब्ध होने का नाम नहीं है, बल्कि उसके पौष्टिक, किफायती और सभी की पहुंच में होने का भी नाम है।
- भारत ने अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है, लेकिन अभी भी कई लोग खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं, खासकर गरीब, भूमिहीन, महिलाएं और बच्चे।
- सरकार की विभिन्न योजनाएं और कार्यक्रम, जैसे हरित क्रांति, बफर स्टॉक, PDS, मिड-डे मील, अंत्योदय अन्न योजना, खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
- सहकारी समितियां भी खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं, जैसे अमूल और मदर डेयरी।
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