पाठ – 3
अपवाह
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 3 Drainage in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 3 अपवाह के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (Geography) |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | अपवाह (Drainage) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 3 अपवाह
3.1 अपवाह तंत्र: नदियों का जाल
अपवाह का मतलब होता है किसी क्षेत्र में नदी तंत्र द्वारा पानी के बहाव का पूरा क्षेत्र। कल्पना करो, बारिश की छोटी-छोटी बूंदें पहाड़ों और पठारों से नीचे बहती हैं, और छोटी-छोटी नालियों में इकट्ठा हो जाती हैं। ये नालियाँ मिलकर छोटी धाराएँ बनाती हैं, और फिर ये धाराएँ आपस में मिलकर बड़ी नदियाँ बनाती हैं। आखिरकार, ये नदियाँ किसी झील, समुद्र या महासागर में जाकर मिल जाती हैं। जिस क्षेत्र का सारा पानी एक नदी तंत्र में जाता है, उसे अपवाह द्रोणी कहते हैं।
जल विभाजक: अब, दो अपवाह द्रोणियों के बीच में अक्सर ऊँचे-ऊँचे पहाड़ या पठार होते हैं, जो इन द्रोणियों को एक दूसरे से अलग करते हैं। इन ऊँचे क्षेत्रों को जल विभाजक कहते हैं। ये पानी के बहाव को अलग-अलग दिशाओं में मोड़ देते हैं, जैसे दो दोस्तों के बीच में कोई दीवार आ जाए।
3.2 भारत में अपवाह तंत्र
भारत में नदियों को दो मुख्य भागों में बाँटा गया है:
- हिमालय की नदियाँ: ये नदियाँ बारहमासी होती हैं, यानी इनमें साल भर पानी रहता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इन्हें वर्षा के अलावा ऊँचे पहाड़ों पर जमी बर्फ के पिघलने से भी पानी मिलता रहता है। ये नदियाँ बहुत लंबी होती हैं और इनमें पानी का बहाव भी बहुत तेज होता है। इतने तेज बहाव से ये पहाड़ों को काटकर गहरी घाटियाँ बना देती हैं, जिन्हें गॉर्ज कहते हैं। मैदानी इलाकों में आकर ये नदियाँ विसर्प बनाती हैं, यानी घुमावदार रास्तों से बहती हैं। ये नदियाँ अपने साथ पहाड़ों से मिट्टी और रेत बहाकर लाती हैं, और मैदानी इलाकों में जमा कर देती हैं, जिससे उपजाऊ मैदान बनते हैं। समुद्र में मिलने से पहले ये नदियाँ डेल्टा बनाती हैं, जहाँ नदी कई धाराओं में बँट जाती है और मिट्टी जमा करके नई ज़मीन बनाती है।
- प्रायद्वीपीय नदियाँ: ये नदियाँ मौसमी होती हैं, यानी इनमें पानी मुख्यतः वर्षा पर निर्भर करता है। इसलिए, गर्मी के मौसम में इनमें पानी कम हो जाता है, और कई बार तो ये सूख भी जाती हैं। ये नदियाँ हिमालय की नदियों से छोटी और कम गहरी होती हैं। ये नदियाँ भी अपने मुहाने पर डेल्टा बनाती हैं, लेकिन कुछ नदियाँ जैसे नर्मदा और तापी ज्वारनदमुख बनाती हैं, जहाँ नदी का पानी समुद्र के पानी से मिल जाता है।
3.3 हिमालय की प्रमुख नदियाँ
सिंधु नदी तंत्र:
- यह नदी मानसरोवर झील के पास तिब्बत से निकलती है।
- यह भारत में लद्दाख से होकर बहती है, जहाँ यह बहुत ही खूबसूरत गॉर्ज बनाती है।
- इसकी सहायक नदियाँ हैं: जास्कर, नूबरा, श्योक, हुंज़ा, सतलुज, ब्यास, रावी, चेनाब, झेलम
- यह नदी आखिरकार कराची के पास अरब सागर में मिल जाती है।
- सिंधु जल समझौते के तहत भारत सिंधु नदी के पानी का केवल 20% ही इस्तेमाल कर सकता है, जिसका उपयोग पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में सिंचाई के लिए किया जाता है।
गंगा नदी तंत्र:
- इसकी मुख्य धारा भागीरथी गंगोत्री हिमानी से निकलती है।
- अलकनंदा नदी देवप्रयाग में भागीरथी से मिलती है, और तब इसे गंगा नदी कहा जाता है।
- इसकी सहायक नदियाँ हैं: यमुना, घाघरा, गंडक, कोसी, चंबल, बेतवा, सोन
- बांग्लादेश में यह ब्रह्मपुत्र नदी से मिलकर सुंदरवन डेल्टा बनाती है, जो दुनिया का सबसे बड़ा डेल्टा है।
- सुंदरवन डेल्टा में सुंदरी नामक पेड़ बहुत पाए जाते हैं, इसलिए इसका नाम सुंदरवन पड़ा।
- यहाँ रॉयल बंगाल टाइगर भी पाए जाते हैं।
ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र:
- यह नदी मानसरोवर झील के पूर्व से निकलती है।
- भारत में यह अरुणाचल प्रदेश से प्रवेश करती है, जहाँ इसे दिहाँग कहते हैं।
- इसकी सहायक नदियाँ हैं: दिबांग, लोहित, केनुला
- असम में यह नदी कई धाराओं में बँट जाती है और नदीय द्वीप बनाती है।
- माजुली, दुनिया का सबसे बड़ा नदीय द्वीप, ब्रह्मपुत्र नदी में ही स्थित है।
- हर साल बारिश के मौसम में यह नदी बाढ़ का कारण बनती है, जिससे असम और बांग्लादेश में बहुत नुकसान होता है।
3.4 प्रायद्वीपीय नदियाँ
नर्मदा:
- यह नदी अमरकंटक पहाड़ी से निकलती है।
- यह भ्रंश घाटी से होकर बहती है, यानी ऐसी घाटी जो ज़मीन के टूटने से बनी है।
- जबलपुर के पास यह धुआंधार जलप्रपात बनाती है।
तापी:
- यह नदी बेतुल जिले में सतपुड़ा पहाड़ियों से निकलती है।
- यह नर्मदा के समानांतर भ्रंश घाटी से बहती है।
गोदावरी:
- यह दक्षिण भारत की सबसे बड़ी नदी है, जिसे ‘दक्षिण गंगा’ भी कहते हैं।
- यह नासिक जिले में पश्चिमी घाट से निकलती है।
महानदी:
- यह नदी छत्तीसगढ़ से निकलती है।
- यह ओडिशा से होकर बहती है।
कृष्णा:
- यह नदी महाबालेश्वर के पास पश्चिमी घाट से निकलती है।
- इसकी सहायक नदियाँ हैं: तुंगभद्रा, कोयना, घाटप्रभा, मुसी, भीमा
कावेरी:
- यह नदी ब्रह्मगिरी पहाड़ियों से निकलती है।
- यह शिवसमुद्रम जलप्रपात बनाती है, जो भारत का दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात है।
3.5 झीलें
झील पानी से भरा एक गर्त होता है, जैसे कोई बड़ा गड्ढा जिसमें पानी भर गया हो। भारत में कई तरह की झीलें हैं:
- हिमानी द्वारा बनी झीलें: ये झीलें ऊँचे पहाड़ों में होती हैं, जहाँ बर्फ पिघलने से पानी इकट्ठा हो जाता है। जैसे, डल झील और नैनीताल।
- टेक्टॉनिक झीलें: ये झीलें ज़मीन के हिलने-डुलने से बनती हैं। जैसे, वूलर झील, जो भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है।
- लैगून: ये झीलें समुद्र के किनारे होती हैं, जहाँ रेत या मिट्टी के जमा होने से समुद्र का पानी अलग हो जाता है। जैसे, चिल्का झील।
- मानव निर्मित झीलें: ये झीलें इंसानों द्वारा बनाई जाती हैं, अक्सर नदियों पर बाँध बनाकर। जैसे, गोबिंद सागर।
झीलों का महत्व:
- ये नदियों के बहाव को नियंत्रित करती हैं, जिससे पानी का बहाव बहुत तेज या बहुत धीमा नहीं होता।
- ये बाढ़ को रोकने में मदद करती हैं, क्योंकि बारिश का ज़्यादा पानी झीलों में इकट्ठा हो जाता है।
- इनका उपयोग जलविद्युत उत्पादन में किया जाता है, जिससे बिजली बनती है।
- ये आस-पास के क्षेत्रों की जलवायु को संतुलित रखती हैं, जिससे मौसम बहुत ज़्यादा गर्म या ठंडा नहीं होता।
- ये पर्यटन को बढ़ावा देती हैं, क्योंकि झीलें देखने में बहुत सुंदर लगती हैं और लोग वहाँ घूमने जाना पसंद करते हैं।
3.6 नदियों का आर्थिक महत्व
नदियाँ प्राचीन काल से ही मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती आई हैं। नदियों के किनारे ही सबसे पहले शहर बसे थे, क्योंकि वहाँ पानी आसानी से मिल जाता था।
नदियों का उपयोग:
- सिंचाई: नदियों का पानी खेतों में फसलों को उगाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
- नौसंचालन: नदियों में नावें और जहाज चलाए जाते हैं, जिससे सामान और लोगों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है।
- जलविद्युत उत्पादन: नदियों पर बाँध बनाकर बिजली बनाई जाती है।
- मछली पालन: नदियों में मछलियाँ पकड़ी जाती हैं, जो खाने के काम आती हैं।
- पेयजल आपूर्ति: नदियों का पानी साफ करके पीने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
3.7 नदी प्रदूषण
बढ़ती जनसंख्या और औद्योगीकरण के कारण नदियाँ प्रदूषित हो रही हैं। लोग नदियों में कचरा और गंदगी डालते हैं, और फैक्ट्रियाँ भी अपना गंदा पानी नदियों में बहा देती हैं। इससे नदियों का पानी पीने लायक नहीं रह जाता और जलीय जीवन को भी खतरा होता है। नदियों को साफ रखने के लिए कई सरकारी योजनाएँ चलाई जा रही हैं।
मुख्य बिंदु:
- भारत में नदियों का एक विशाल और जटिल नेटवर्क है, जो देश की जलवायु, अर्थव्यवस्था और संस्कृति को प्रभावित करता है।
- नदियों और झीलों का संरक्षण हमारे लिए बहुत जरूरी है।
- हमें पानी का सही इस्तेमाल करना चाहिए और नदियों को प्रदूषित होने से बचाना चाहिए।
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