पाठ – 3
नात्सीवाद और हिटलर का उदय
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 3 Nazism and the Rise of Hitler in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (History) |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | नात्सीवाद और हिटलर का उदय (Nazism and the Rise of Hitler) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 3 नात्सीवाद और हिटलर का उदय
प्रथम विश्व युद्ध का अंत और वाइमर गणराज्य का जन्म:
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) में जर्मनी ने ऑस्ट्रिया के साथ मिलकर मित्र राष्ट्रों (इंग्लैंड, फ्रांस और रूस) के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
- इस युद्ध में जर्मनी की हार हुई और उसे वर्साय की संधि के तहत अपमानजनक शर्तें माननी पड़ीं।
- जर्मनी को अपना 13% भूभाग, 75% लौह भंडार, 26% कोयला भंडार और सभी उपनिवेश छोड़ने पड़े।
- जर्मनी पर भारी जुर्माना लगाया गया और उसकी सेना को भंग कर दिया गया।
- इस हार और अपमान के लिए जर्मनी के लोगों ने नए वाइमर गणराज्य को जिम्मेदार ठहराया।
वाइमर गणराज्य के सामने चुनौतियाँ:
- आर्थिक संकट: युद्ध के बाद जर्मनी की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई थी।
- जर्मनी पर भारी हर्जाना लगाया गया था, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी।
- मुद्रास्फीति बढ़ गई थी और लोगों की क्रय शक्ति कम हो गई थी।
- 1929 में आई महामंदी ने जर्मनी की आर्थिक स्थिति को और बदतर बना दिया।
- बेरोजगारी बढ़ गई थी और लोगों को भुखमरी का सामना करना पड़ रहा था।
- राजनीतिक अस्थिरता: वाइमर गणराज्य में कई गठबंधन सरकारें बनीं और जल्दी-जल्दी गिर गईं।
- आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के कारण किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पा रहा था।
- अनुच्छेद 48 के तहत राष्ट्रपति को आपातकाल की शक्तियाँ प्राप्त थीं, जिसका दुरुपयोग किया गया।
- सामाजिक असंतोष: लोगों में बेरोजगारी, महंगाई और राजनीतिक अस्थिरता के कारण असंतोष बढ़ रहा था।
- मध्यम वर्ग को सर्वहाराकरण (गरीब होते जाना) का डर सता रहा था।
- युवाओं को अपना भविष्य अंधकारमय दिखाई दे रहा था।
- महिलाओं को अपने बच्चों का पेट भरने में कठिनाई हो रही थी।
हिटलर का उदय:
- हिटलर ने प्रथम विश्व युद्ध में एक सैनिक के रूप में लड़ाई लड़ी थी और जर्मनी की हार से वह बहुत दुखी था।
- उसने 1919 में जर्मन वर्कर्स पार्टी ज्वाइन की और बाद में उसे नात्सी पार्टी में बदल दिया।
- हिटलर ने लोगों को एक शक्तिशाली राष्ट्र, वर्साय संधि का बदला और रोजगार का वादा किया।
- उसने बड़ी-बड़ी रैलियाँ और भाषणों के माध्यम से लोगों को अपनी ओर आकर्षित किया।
- 1933 में हिटलर जर्मनी का चांसलर बना और उसने जल्द ही लोकतंत्र को खत्म कर तानाशाही स्थापित कर दी।
नात्सी विचारधारा:
- नात्सी विचारधारा में नस्लवाद को बहुत महत्व दिया जाता था।
- हिटलर का मानना था कि आर्य नस्ल सर्वश्रेष्ठ है और यहूदी सबसे नीच।
- नात्सी विचारधारा में यहूदियों, जिप्सियों और विकलांगों को अवांछित माना जाता था।
- हिटलर का मानना था कि जर्मनी को “Lebensraum” (रहने की जगह) की जरूरत है, जिसके लिए उसने दूसरे देशों पर हमला किया।
नात्सी शासन में अत्याचार:
- नात्सी शासन ने यहूदियों, जिप्सियों और विकलांगों पर बहुत अत्याचार किए।
- लाखों लोगों को कंसन्ट्रेशन कैंपों में भेज दिया गया, जहाँ उन्हें यातनाएं दी गईं और मार डाला गया।
- यहूदियों को घेटो (यहूदी बस्तियों) में रखा गया और बाद में उन्हें गैस चेंबरों में मार डाला गया।
नात्सी शासन में युवा:
- हिटलर का मानना था कि युवाओं को नात्सी विचारधारा से प्रभावित करना बहुत जरूरी है।
- स्कूलों में नस्लवाद और हिटलर की पूजा सिखाई जाती थी।
- बच्चों को युवा संगठनों में शामिल होना पड़ता था, जहाँ उन्हें युद्ध और हिंसा का प्रशिक्षण दिया जाता था।
नात्सी शासन में महिलाएँ:
- नात्सी विचारधारा में महिलाओं को घर संभालने और बच्चे पैदा करने तक सीमित कर दिया गया था।
- महिलाओं को प्रोत्साहित किया जाता था कि वे ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करें, खासकर आर्य नस्ल के।
नात्सी प्रचार:
- नात्सी शासन ने प्रचार के माध्यम से लोगों को बरगलाया और अपने विरोधियों को बदनाम किया।
- प्रचार में यहूदियों को शैतान के रूप में दिखाया जाता था और जर्मनों को उनसे नफरत करने के लिए उकसाया जाता था।
आम जनता की प्रतिक्रिया:
- बहुत सारे लोग नात्सी प्रचार से प्रभावित हो गए और नात्सी विचारधारा को अपना लिया।
- कुछ लोगों ने नात्सी शासन का विरोध किया, लेकिन बहुत सारे लोग खामोश रहे।
महाध्वंस (होलोकॉस्ट):
- नात्सी शासन ने लाखों यहूदियों, जिप्सियों और विकलांगों को मार डाला।
- इस नरसंहार को महाध्वंस (होलोकॉस्ट) के नाम से जाना जाता है।
- युद्ध के बाद दुनिया को नात्सी अत्याचारों की पूरी जानकारी मिली।
मुख्य बिंदु:
- प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की हार और वर्साय की संधि ने जर्मनी में आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता पैदा की।
- इस अस्थिरता का फायदा उठाकर हिटलर ने नात्सी पार्टी को सत्ता में लाया और तानाशाही स्थापित की।
- नात्सी विचारधारा में नस्लवाद को बहुत महत्व दिया जाता था और यहूदियों, जिप्सियों और विकलांगों को अवांछित माना जाता था।
- नात्सी शासन ने लाखों लोगों को कंसन्ट्रेशन कैंपों में भेज दिया और उन्हें मार डाला।
- नात्सी प्रचार ने लोगों को बरगलाया और नात्सी विचारधारा को फैलाया।
- महाध्वंस (होलोकॉस्ट) में लाखों यहूदियों, जिप्सियों और विकलांगों को मार डाला गया।
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