पाठ – 4
वन्य समाज और उपनिवेशवाद
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 4 Forest Society and Colonialism in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 4 वन्य समाज और उपनिवेशवाद के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (History) |
Chapter no. | Chapter 4 |
Chapter Name | वन्य समाज और उपनिवेशवाद (Forest Society and Colonialism) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 4 वन्य समाज और उपनिवेशवाद
इस अध्याय में हम जानेंगे कि कैसे अंग्रेजों ने भारत के जंगलों पर कब्जा किया और वनवासियों के जीवन को प्रभावित किया।
वनों का महत्व:
जंगल हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं। ये हमें विभिन्न प्रकार की वस्तुएं प्रदान करते हैं, जैसे कागज, फर्नीचर, रंग, मसाले, दवाइयां, ईंधन, भोजन, और बहुत कुछ।
वन विनाश:
- औद्योगीकरण के कारण, 1700 से 1995 के बीच दुनिया के 9.3% जंगल नष्ट हो गए।
- वनों के विनाश को ‘वन-विनाश’ कहा जाता है।
- वन-विनाश कोई नयी समस्या नहीं है, लेकिन औपनिवेशिक शासन के दौरान यह और भी बढ़ गया।
भारत में वन-विनाश के कारण:
- कृषि का विस्तार: बढ़ती आबादी और खाद्य मांग के कारण, किसानों ने जंगलों को काटकर खेती योग्य भूमि बढ़ाई।
- व्यावसायिक फसलें: अंग्रेजों ने पटसन, गन्ना, गेहूं, कपास जैसी व्यावसायिक फसलों को बढ़ावा दिया, जिससे जंगलों की कटाई हुई।
- रेलवे लाइनें: रेलवे लाइनों के निर्माण के लिए लकड़ी की भारी मांग हुई, जिससे जंगलों की कटाई बढ़ी।
- बागान: चाय, कॉफी, रबड़ के बागानों के लिए भी जंगलों को साफ किया गया।
वैज्ञानिक वानिकी:
- अंग्रेजों ने जंगलों के संरक्षण के लिए ‘वैज्ञानिक वानिकी’ की शुरुआत की, जिसके तहत प्राकृतिक वनों को काटकर उनकी जगह एक ही प्रकार के पेड़ों के बागान लगाए गए।
- वन विभाग ने जंगलों को नियंत्रित करने के लिए नियम बनाए और लोगों के जंगल उपयोग पर प्रतिबंध लगाए।
- जंगलों को आरक्षित, सुरक्षित और ग्रामीण श्रेणियों में बांटा गया।
- आरक्षित वनों में लोगों का प्रवेश वर्जित था।
- वैज्ञानिक वानिकी का उद्देश्य व्यावसायिक उपयोग के लिए लकड़ी का उत्पादन करना था।
वन कानूनों का प्रभाव:
- लोगों की परेशानी: वन कानूनों से लोगों को जलावन, चारा, फल इकट्ठा करने में परेशानी हुई।
- घुमंतू खेती पर रोक: झूम खेती पर रोक से कई समुदाय विस्थापित हुए।
- शिकार पर प्रतिबंध: लोगों के शिकार के अधिकार छिन गए, जबकि अंग्रेजों ने शिकार को खेल बना दिया, जिससे कई जानवरों की प्रजातियां लुप्त होने लगीं।
- नए रोजगार: कुछ लोगों को वन उत्पादों के व्यापार में नए अवसर मिले, लेकिन कई लोग अपनी जीविका खो बैठे।
वन विद्रोह:
- वन कानूनों के खिलाफ लोगों ने विद्रोह किया, जैसे बस्तर में 1910 का विद्रोह।
- बस्तर के लोगों ने जंगल पर अपने अधिकार के लिए अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
- अंग्रेजों ने विद्रोह को कुचल दिया, लेकिन लोगों के प्रतिरोध के कारण वन आरक्षण कम करना पड़ा।
जावा के जंगल:
- जावा में भी अंग्रेजों की तरह डचों ने वैज्ञानिक वानिकी लागू की और लोगों के जंगल उपयोग पर प्रतिबंध लगाए।
- कलांग समुदाय के लोगों ने डचों का विरोध किया, लेकिन उन्हें दबा दिया गया।
- सामिन ने जंगल पर राजकीय मालिकाने पर सवाल उठाया और आंदोलन चलाया।
युद्ध और वन:
- विश्वयुद्धों के दौरान जंगलों का अत्यधिक दोहन हुआ।
वानिकी में नए बदलाव:
- 1980 के दशक से, सरकारों ने वन संरक्षण को महत्व देना शुरू किया और वन समुदायों को इसमें शामिल किया।
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