पाठ – 5
प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
In this post we have given the detailed notes of class 9 Social Science chapter 5 Natural Vegetation and Wild Life in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 9 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 9 के सामाजिक विज्ञान के पाठ 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 9 में है एवं सामाजिक विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Social Science (Geography) |
Chapter no. | Chapter 5 |
Chapter Name | प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी (Natural Vegetation and Wild Life) |
Category | Class 9 Social Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
पाठ 5 प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी
परिचय
हमारे चारों ओर एक अद्भुत दुनिया है, जिसमें तरह-तरह के पेड़-पौधे और जीव-जंतु रहते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि ये सभी कैसे एक साथ रहते हैं और एक-दूसरे पर कैसे निर्भर हैं? भारत, अपनी विशालता के कारण, कई प्रकार के प्राकृतिक आवासों का घर है, जहाँ विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पनपते हैं।
प्राकृतिक वनस्पति
प्राकृतिक वनस्पति से तात्पर्य उन पौधों से है जो मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना प्राकृतिक रूप से उगते हैं। ये पौधे किसी भी क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होते हैं, जो भोजन, आश्रय और कई अन्य संसाधन प्रदान करते हैं। भारत में, प्राकृतिक वनस्पति को मुख्य रूप से पाँच प्रकारों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
- उष्णकटिबंधीय सदाबहार वन: ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा प्रचुर मात्रा में होती है, जैसे कि पश्चिमी घाट, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, और असम के ऊपरी भाग। इन वनों में पेड़ बहुत ऊँचे और घने होते हैं, जिससे सूर्य का प्रकाश जमीन तक पहुँचना मुश्किल हो जाता है। यहाँ के पेड़ों की पत्तियाँ चौड़ी और चमकदार होती हैं, जो वर्ष भर हरी रहती हैं। इन वनों में पाए जाने वाले कुछ महत्वपूर्ण पेड़ों में महोगनी, रोज़वुड, आबनूस, रबड़ और सिनकोना शामिल हैं, जिनका उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- उष्णकटिबंधीय पर्णपाती वन: ये वन भारत में सबसे बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं और इन्हें मानसूनी वन भी कहा जाता है। ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा मध्यम होती है, जैसे कि प्रायद्वीपीय पठार के कुछ हिस्से और उत्तर प्रदेश के मैदान। यहाँ के पेड़ शुष्क मौसम में अपनी पत्तियाँ गिरा देते हैं ताकि पानी की कमी को कम किया जा सके। इन वनों में पाए जाने वाले कुछ प्रमुख पेड़ों में सागौन, साल, पीपल और नीम शामिल हैं।
- उष्णकटिबंधीय कँटीले वन: ये वन उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहाँ वर्षा बहुत कम होती है, जैसे कि राजस्थान और गुजरात के रेगिस्तानी इलाके। यहाँ के पेड़ों में कांटे होते हैं और उनकी जड़ें बहुत गहरी होती हैं ताकि वे मिट्टी से पानी सोख सकें। इन वनों में पाए जाने वाले कुछ पौधों में बबूल, खजूर, नागफनी और यूफोरबिया शामिल हैं।
- पर्वतीय वन: पहाड़ी क्षेत्रों में, ऊँचाई के साथ तापमान में कमी आती है, जिससे वनस्पति में भी परिवर्तन होता है। निचली ऊँचाई पर, चौड़ी पत्ती वाले ओक और चेस्टनट जैसे पेड़ पाए जाते हैं, जबकि ऊँचाई बढ़ने पर शंकुधारी पेड़ जैसे चीड़, देवदार और स्प्रूस पाए जाते हैं।
- मैंग्रोव वन: ये वन तटीय क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जहाँ नदियाँ समुद्र में मिलती हैं। इन वनों के पेड़ों की जड़ें पानी में डूबी रहती हैं और वे खारे पानी में भी जीवित रह सकते हैं। सुंदरी पेड़, जो अपनी मजबूत लकड़ी के लिए जाना जाता है, इन वनों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
वन्य प्राणी
भारत विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों का घर है, जिनमें स्तनधारी, पक्षी, सरीसृप, उभयचर और मछलियाँ शामिल हैं। भारत में लगभग 2,000 प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं, जो दुनिया के कुल पक्षियों का 13% है। यहाँ मछलियों की 2,546 प्रजातियाँ हैं, जो दुनिया की लगभग 12% हैं। भारत में हाथी, गैंडा, शेर, बाघ, हिरण, बंदर और कई अन्य जानवर पाए जाते हैं।
औषधीय पौधे
भारत में कई ऐसे पौधे पाए जाते हैं जिनका उपयोग औषधीय प्रयोजनों के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में लगभग 2,000 पौधों का वर्णन है, जिनमें से 500 का उपयोग नियमित रूप से किया जाता है। नीम, तुलसी, जामुन, अर्जुन और बबूल जैसे कई पौधों में औषधीय गुण होते हैं और इनका उपयोग विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए किया जाता है।
वन्यजीव संरक्षण
मानव गतिविधियों, जैसे कि वनों की कटाई, शिकार और प्रदूषण, के कारण कई पौधों और जानवरों की प्रजातियाँ खतरे में हैं। भारत सरकार ने इन प्रजातियों के संरक्षण के लिए कई कदम उठाए हैं, जैसे कि:
- जीव मंडल निचय: ये संरक्षित क्षेत्र हैं जहाँ वनस्पतियों और जीवों की दुर्लभ प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है। भारत में 18 जीव मंडल निचय हैं, जिनमें से 12 को यूनेस्को द्वारा विश्व नेटवर्क ऑफ़ बायोस्फीयर रिज़र्व में शामिल किया गया है।
- राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य: ये संरक्षित क्षेत्र हैं जहाँ वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षित किया जाता है। भारत में 106 राष्ट्रीय उद्यान और 573 वन्यजीव अभयारण्य हैं।
- पादप उद्यान: ये उद्यान पौधों की विभिन्न प्रजातियों के संरक्षण और अध्ययन के लिए बनाए जाते हैं।
- लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण के लिए योजनाएँ: सरकार ने लुप्तप्राय प्रजातियों, जैसे कि शेर, बाघ, गैंडा और भारतीय भैंस, के संरक्षण के लिए कई योजनाएँ बनाई हैं।
निष्कर्ष
यह अध्याय हमें भारत की अद्भुत जैव विविधता के बारे में बताता है। हमें यह समझना होगा कि पेड़-पौधे और जानवर हमारे जीवन के लिए बहुत ज़रूरी हैं और हमें इनका संरक्षण करना चाहिए। हमें अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए ज़िम्मेदारी उठानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियाँ भी इस अद्भुत प्राकृतिक विरासत का आनंद ले सकें।
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