पाठ – 8
मार्गदर्शन और परामर्श
In this post we have given the detailed notes of class 12 Home Science Chapter 8 मार्गदर्शन और परामर्श (Guidance and Counselling ) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.
इस पोस्ट में क्लास 12 के गृह विज्ञान के पाठ 8 मार्गदर्शन और परामर्श (Guidance and Counselling ) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं गृह विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 12 |
Subject | Home Science |
Chapter no. | Chapter 8 |
Chapter Name | मार्गदर्शन और परामर्श (Guidance and Counselling ) |
Category | Class 12 Home Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 8: मार्गदर्शन और परामर्श
मार्गदर्शन
मार्गदर्शन या निर्देशन शब्द का अर्थ सहायता करने से ले जाता है शिक्षा के क्षेत्र में इस अवधारणा का महत्वपूर्ण स्थान है बाल पोषण की परिभाषा मानव क्रियाओं में शैक्षिक, व्यवसायिक, मनोरंजन संबंधी, तैयार करने, प्रवेश करने और प्रगति करने में व्यक्ति की सहायता करने की प्रक्रिया के रूप में की जा सकती है विभिन्न मनोविज्ञान ने मार्गदर्शन की विभिन्न परिभाषा दी हैं मार्गदर्शन को व्यक्ति को उसके जीवन के लिए तैयार करने और समाज में उसके स्थान के लिए तालमेल करने में या सहायता देने के रूप में परिभाषित किया जाता है।
केफेयर के अनुसार मार्गदर्शन
मार्गदर्शन वह स्थिति है जहां से व्यक्ति शैक्षणिक तथा व्यवसाय उपलब्धियों के लिए विभाजीत होते हैं।
माध्यमिक शिक्षा आयोग 1952 के अनुसार मार्गदर्शन
लड़कों तथा लड़कियों को सहायता प्रदान करने की एक ऐसी कला है जो उन्हें अपने और उस संसार, जहां उन्हें रचना और काम करना है, से संबंधित तत्व के पूर्ण प्रकाश में अपने भविष्य के लिए बुद्धिता पूर्वक योजना बनाने की योग्यता प्रदान करती है।
परामर्श
परामर्श परस्पर बातचीत (अंत : क्रिया) द्वारा सीखने की प्रक्रिया है जिसमें परामर्शदाता (कभी – कभी जिसे चिकित्सक भी कहते हैं) परामर्श लेने वालों को (चाहे वह व्यक्ति, परिवार, समूह अथवा संस्थान हो) कठिनाइयों का कारण समझने और मुद्दों को सुलझाकर निर्णय पर पहुँचने में उनकी सहायता करते हैं। परामर्श में समग्र सोच होती है जो सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक और भावनात्मक मुद्दों को संबोधित करती है।
मार्गदर्शन और परामर्श विशेषज्ञों के लिए कुछ नीति -परक सिद्धांतों
- व्यक्ति और उसकी सांस्कृतिक भिन्नताओं तथा मानव अनुभवों की विविधताओं के प्रति सम्मान और सावधानी से काम करें।
- कभी भी कोई ऐसा कदम न उठाये जिससे परामर्श लेने वाले को किसी तरह का कोई नुकसान हो।
- परामर्श लेने वाले व्यक्ति द्वारा परामर्शदाता पर किए गए भरोसे का सम्मान करें और उसके मुद्दो के बारे में दूसरों से बातें न करें।
- परामर्श लेने वाले व्यक्ति को आत्मज्ञान (बोध) बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करें।
- संकट की स्थितियों से प्रभावी रूप से निपटने के लिए परामर्श लेने वाले व्यक्ति के विकल्पों को तलाशने और उनमें वृद्धि करने में सहायता करें।
- उनकी क्षमता के दायरे में उनसे व्यवहार करें और ऐसे मामलों में जिनमें अधिक गहन उपचार की आवश्यकता हो, परामर्श के लिए ऐसे विशेषज्ञों के प्रशिक्षित हों।
- कठिन परिस्थितियों से घिरे व्यक्तियों के लिए उपलब्ध सभी सेवाओं का जानकार होना चाहिए जिससे आगे संदर्भ के लिए यदि आवश्यक हो तो उचित मार्गदर्शन किया जा सके।
परामर्श सेवा के स्तर
दैनिक जीवन में आपने देखा होगा कि परामर्श सेवा शब्द का उपयोग अनौपचारिक रूप से किसी भी प्रकार की जानकारी चाहने वाली बातचीत के लिए किया जाता है, जिसमें रोज़गार के लिए किसी व्यक्ति का मूल्यांकन भी शामिल है।
परामर्श सेवा के विभिन्न स्तर
- अनौपचारिक परामर्श सेवा
- गैर विशेषज्ञ परामर्श सेवा
- व्यावसायिक परामर्श सेवा
अनौपचारिक परामर्श सेवा
यह परामर्श सामान्यत : ऐसे व्यक्ति द्वारा दिया जाता है जिससे मिलकर बात की जा सकती है और जो बातों को समझ सकता है, भले ही वह व्यावसायिक रूप से योग्यता प्राप्त न हो। सहानुभूति रखने वाला यह व्यक्ति चाचा / मामा, चाची / मामी, मित्र अथवा सहकर्मी हो सकता है।
गैर – विशेषज्ञ परामर्श सेवा
यह अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञों जैसे – शिक्षकों, डॉक्टरों, वकीलों, धर्मगुरुओं द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता है जो अपने क्षेत्र की विशेषज्ञता के अतिरिक्त मनोवैज्ञानिक समस्याओं का समाधान भी करना चाहते हैं। वे लोगों की इन समस्याओं से निपटने के लिए वैकल्पिक तरीके प्रदान करने का प्रयास करते हैं जिनका सामना उन्हें अपने दैनिक कार्यों के दौरान करना पड़ता है।
व्यावसायिक परामर्श सेवा
व्यावसायिक परामर्शदाता वे होते हैं जिन्होंने परामर्श में विशेष प्रशिक्षण लिया हो और जिनके पास आवश्यक योग्यता हो। ये परामर्शदाता व्यक्ति की सामाजिक, भावनात्मक और व्यक्तिगत समस्याओं का समाधान करते हैं। परामर्श की प्रक्रिया में व्यावसायिक परामर्शदाता विभिन्न तकनीकों का प्रयोग कर सकते हैं।
परामर्शदाता की विशेषताएँ
- मानवीय समस्याओं के प्रति संवेदनशीलता
- समानुभूति
- व्यक्तिगत भिन्नताओं के लिए सम्मान
- निर्णयात्मक न होना
- गोपनीयता बनाए रखना
- आसानी से संपर्क करने योग्य
- दृढ़ लेकिन मित्रवत्
- रुचिकर व्यक्तित्व
- मूल्यों और संबंधों को समझने वाला
जीविका के अवसर
- जीविका परामर्शदाता :- कुछ परामर्शदाता व्यावसायिक और जीविका संबंधी परामर्श के लिए सभी आयुवर्ग के लोगों के साथ काम करते हैं।
- विद्यालय परामर्शदाता :- विद्यालय में भी बच्चों को सामंजस्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं। बच्चे को शैक्षिक उपलब्धि, साथियों अथवा माता – पिता से कोई समस्या हो सकती है। जो परामर्शदाता ऐसी कठिनाइयों को दूर करते हैं, विद्यालयी परामर्शदाता कहलाते हैं।
- परिवार परामर्शदाता :- यह ऐसे विशेषज्ञ होते हैं जो माता – पिता, बच्चों तथा परिवार के अन्य सदस्यों के साथ काम करते हैं। यह उन विशिष्ट मुद्दों का समाधान करते हैं जो परिवार के सदस्यों अथवा पीढ़ियों के बीच विवादों के कारण होते हैं। ये परिवार के किसी सदस्य की व्यवहारगत समस्याओं का भी समाधान करते हैं।
- वैवाहिक परामर्शदाता :- ये विवाह संबंधी विभिन्न मुद्दों या समस्याओं, वैवाहिक और विवाहपूर्व मुद्दों के लिए परामर्श अथवा निकट संबंधों के लिए व्यक्तिगत संगतता / अनुरूपता तथा दंपतियों के लिए परामर्श का काम करते हैं।
- जीवनकौशल प्रशिक्षक :- आज – कल अनेक व्यक्तियों को अपने दैनिक जीवन में घर अथवा कार्यस्थल पर तनाव के कारण परामर्श की आवश्यकता हो सकती है। उदाहरण के लिए एक सुस्थापित युवक / युवती अपनी क्षमताओं को इष्टतम स्तर तक लाने के लिए अधिक सक्रिय होना चाह सकता है।
- बच्चों के मार्गदर्शन के परामर्शदाता :- कुछ परामर्शदाता बच्चों के साथ कार्य करते हैं और बच्चों के मार्गदर्शन के परामर्शदाता कहलाते।
विद्यार्थियों द्वारा बताई गयीं प्रमुख समस्याएँ
- अपेक्षाओं और निष्पादन के बीच अंतराल।
- जीविका और व्यावसायों के बारे में जानकारी का अभाव।
- भविष्य के बारे में चिंता।
- एकाग्रता का अभाव।
- विपरीत जेंडर के सदस्यों से मित्रता करने अथवा उनके साथ व्यवहार करने में असमर्थता।
- यौन व्यवहारों के बारे में जानकारी का अभाव।
- अपनी शक्तियों और कमियों के बारे में जानकारी न होना।
- अपनी रुचियों और क्षमताओं के बारे में जानकारी न होना।
- संसाधनों का अभाव।
- अधिगम की प्रभावी कार्यनीतियों के बारे में जानकारी का अभाव।
- पिछली गलतियों के लिए स्वयं को माफ़ न कर पाने की असमर्थता।
ये सभी जानकारियाँ मार्गदर्शन और परामर्श के क्षेत्र में व्यावसायिकों की आवश्यकता को स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं।
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