जामुन का पेड़ (CH- 18) Detailed Summary || Class 11 Hindi आरोह (CH- 18) ||

पाठ – 18

जामुन का पेड़

In this post we have given the detailed notes of class 11 Hindi chapter 18 जामुन का पेड़ These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams

इस पोस्ट में क्लास 11 के हिंदी के पाठ 18 जामुन का पेड़ के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं हिंदी विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectHindi (आरोह)
Chapter no.Chapter 18
Chapter Nameजामुन का पेड़
CategoryClass 11 Hindi Notes
MediumHindi
Class 11 Hindi Chapter 18 जामुन का पेड़

Chapter – 18 जामुन का पेड़

-कृश्नचंदर

सारांश

‘जामुन का पेड़’ कृश्नचंदर की प्रसिद्ध हास्य-व्यंग्य कथा है। हास्य-व्यंग्य के लिए चीजों को अनुपात से ज्यादा फैला-फुलाकर दिखलाने की परिपाटी पुरानी है और यह कहानी भी उसका अनुपालन करती है। इसलिए इसकी घटनाएँ अतिशयोक्तिपूर्ण और अविश्वसनीय लगने लगती हैं। विश्वसनीयता ऐसी रचनाओं के मूल्यांकन की कसौटी नहीं हो सकती। प्रस्तुत पाठ यह स्पष्ट करता है कि कार्यालयी तौर-तरीकों में पाया जाने वाला विस्तार कितना निरर्थक और पदानुक्रम कितना हास्यस्पद है। यह व्यवस्था के संवेदनशून्य व अमानवीयता के रूप को भी बताता है।

रात को चली आँधी में सचिवालय के पार्क में जामुन का पेड़ गिर गया। सुबह माली ने देखा कि उसके नीचे एक आदमी दबा पड़ा है। उसने यह सूचना तुरंत चपरासी को दी। इस तरह मिनटों में दबे आदमी के पास भीड़ इकट्ठी हो गई। क्लकों को रसीले जामुनों की याद आ रही थी, तभी माली ने आदमी के बारे में पूछा। उन्हें उस आदमी के जीवित होने में संदेह था, तभी वह दबा आदमी बोल पड़ा। माली ने पेड़ हटाने का सुझाव दिया, परंतु सुपरिंटेंडेंट ने अपने ऊपर के अधिकारी से पूछने की बात कही। इस तरह बात डिप्टी सेक्रेटरी, ज्वांइट सेक्रेटरी, चीफ सेक्रेटरी, मिनिस्टर के पास पहुँची। मंत्री ने चीफ सेक्रेटरी से कुछ कहा और उसी क्रम में बात नीचे तक पहुँची और फाइल चलती रही।

दोपहर को भीड़ इकट्ठी हो गई। कुछ मनचले क्लर्क सरकारी इजाजत के बिना पेड़ हटाना चाहते थे कि तभी सुपरिंटेंडेंट फाइल लेकर भागा-भागा आया और कही कि यह काम कृषि विभाग का है। वह उन्हें फाइल भेज रहा है। कृषि विभाग ने पेड़ हटवाने की जिम्मेदारी व्यापार विभाग पर डाल दी। व्यापार विभाग ने कृषि विभाग पर जिम्मेदारी डालकर अपना पल्ला झाड़ लिया। दूसरे दिन भी फाइल चलती रही। शाम को इस मामले को हॉर्टीकल्चर विभाग के पास भेजने का फैसला किया गया, क्योंकि यह फलदार पेड़ है।

रात को माली ने दबे हुए आदमी को दाल-भात खिलाया, जबकि उसके चारों तरफ पुलिस का पहरा था। माली ने उसके परिवार के बारे में पूछा तो दबे हुए आदमी ने स्वयं को लावारिस बताया। तीसरे दिन हॉर्टीकल्चर विभाग से जवाब आया कि आजकल ‘पेड़ लगाओ’ स्कीम जोर-शोर से चल रही है। अत: जामुन के पेड़ को काटने की इजाजत नहीं दी जा सकती।

एक मनचले ने आदमी को काटने की बात की। इससे पेड़ बच जाएगा। दबे हुए आदमी ने इस पर आपत्ति की कि ऐसे तो वह मर जाएगा। आदमी काटने वाले ने अपना तर्क दिया कि आजकल प्लास्टिक सर्जरी उन्नति कर चुकी है। यदि आदमी को बीच में से काटकर निकाल लिया जाए तो उसे प्लास्टिक सर्जरी से जोड़ा जा सकता है। इस बात पर फाइल मेडिकल विभाग भेजी गई। वहाँ से रिपोर्ट आई कि सारी जाँच-पड़ताल करके पता चला कि प्लास्टिक सर्जरी तो हो सकती है, किंतु आदमी मर जाएगा। अत: यह फैसला रद्द हो गया।

रात को माली ने उस आदमी को बताया कि कल सभी सचिवों की बैठक होगी। वहाँ केस सुलझने के आसार हैं। दबे हुए आदमी ने गालिब का एक शेर सुनाया

“ये तो माना कि तगाफूल न करोगे लेकिन

खाक हो जाएँगे हम तुमको खबर होने तक!”

यह सुनकर माली हैरान हो गया। आदमी के शायर होने की बात सारे सचिवालय में फैल गई, फिर यह चर्चा शहर में फैल गई और तरह-तरह के कवि व शायर वहाँ इकट्ठे हो गए। वे सभी अपनी रचनाएँ सुनाने लगे। कई क्लर्क उस आदमी से अपनी कविता पर आलोचना करने को मजबूर करने लगे। जब यह पता चला कि दबा हुआ व्यक्ति कवि है, तो सब-कमेटी ने यह मामला कल्चरल डिपार्टमेंट को सौंप दिया। साहित्य अकादमी के सचिव के पास फाइल पहुँची। सचिव उसी समय उस आदमी का इंटरव्यू लेने पहुँचा। दबे हुए आदमी ने बताया कि उसका उपनाम ओस है तथा कुछ दिन पहले उसका लिखा हुआ ‘ओस के फूल’ गद्य-संग्रह प्रकाशित हुआ है। सचिव ने आश्चर्य जताया कि इतना बड़ा लेखक उनकी अकादमी का सदस्य नहीं है। आदमी ने कहा कि मुझे पेड़ के नीचे से निकालिए। सचिव उसे आश्वासन देकर चला गया।

अगले दिन सचिव ने उसे साहित्य अकादमी का सदस्य चुने जाने की बधाई दी। आदमी ने उसे पेड़ के नीचे से निकालने की प्रार्थना की तो उसने असमर्थता जताई। उसने कहा कि यदि तुम मर गए तो वे उसकी बीवी को वजीफा दे सकते हैं। उनके विभाग का संबंध सिर्फ कल्चर से है। पेड़ काटने का काम आरी-कुल्हाड़ी से होगा। वन विभाग को लिख दिया गया है। शाम को माली ने बताया कि कल वन विभाग वाले पेड़ काट देंगे।

माली खुश था। दबे हुए आदमी का स्वास्थ्य जवाब दे रहा था। दूसरे दिन वन विभाग के लोग आरी-कुल्हाड़ी लेकर आए तो विदेश विभाग के आदेश से यह कार्य रोक दिया गया। यह पेड़ पीटोनिया राज्य के प्रधानमंत्री ने सचिवालय में दस साल पहले लगाया था। पेड़ काटने से दोनों राज्यों के संबंध बिगड़ जाएँगे। दूसरे पीटोनिया सरकार राज्य को बहुत सहायता देती है। दो देशों की खातिर एक आदमी के जीवन का बलिदान दिया जा सकता है।

अंडर सेक्रेटरी ने बताया कि प्रधानमंत्री विदेश दौरे से सुबह वापस आ गए हैं। अब वे ही निर्णय देंगे। शाम के पाँच बजे स्वयं सुपरिंटेंडेंट कवि की फाइल लेकर आया और चिल्लाया कि प्रधानमंत्री ने सारी जिम्मेदारी स्वयं लेते हुए पेड़ काटने की अनुमति ो दे दी। कल यह पेड़ काट दिया जाएगा। तुम्हारी फाइल पूरी हो गई।

परंतु कवि का हाथ ठंडा था। उसके जीवन की फाइल भी पूरी हो चुकी थी।

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