लेखन कला और शहरी जीवन (CH-2) Notes in Hindi || Class 11 History Chapter 2 in Hindi ||

 

पाठ – 2

लेखन कला और शहरी जीवन 

In this post we have given the detailed notes of class 11 History Chapter 2 लेखन कला और शहरी जीवन (Writing and City Life) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 11 के इतिहास के पाठ 2 लेखन कला और शहरी जीवन (Writing and City Life) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं इतिहास विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board, CGBSE Board, MPBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectHistory
Chapter no.Chapter 2
Chapter Nameलेखन कला और शहरी जीवन  (Writing and City Life)
CategoryClass 11 History Notes in Hindi
MediumHindi
Class 11 History Chapter 2 Writing and City Life in Hindi
https://youtu.be/8kZYSRiGvUI
https://youtu.be/KLIkaQ7_mkk

लेखन कला और शहरी जीवन

 

मेसोपोटामिया सभ्यता

  • मेसोपोटामिया दो शब्द यूनानी भाषा के दो शब्दों मसोस (मध्य) और पोटामास (नदी) से मिलकर बना है। 
  • यह माना जाता है कि शहरी जीवन की शुरुआत मेसोपोटामिया में ही हुई थी। 
  • यह फरात नदी और दजला नदी के बीच स्थित है वर्तमान में यह इराक में है। 
  • ऐसा  माना जाता है कि मेसोपोटामिया की सभ्यता, हड़प्पा सभ्यता की समकालीन सभ्यता थी। 
  • इस सभ्यता में सबसे पहले ‘सुमेरी’ भाषा, उसके बाद ‘अक्कादी’ और उसके बाद अरामाइक भाषा फलती – फूलती रही। 
  • यह सभ्यता अपनी संपन्नता, शहरी जीवन, विशाल एवं समृद्ध साहित्य, गणित और खगोलविद्या के लिए प्रसिध्द है। 

मेसोपोटामिया सभ्यता की भौगोलिक स्थिति

  • जैसे कि हमें पता है, इराक भौगोलिक विविधता वाला देश है। 
  • मेसोपोटामिया भेड़ और बकरी या जो स्टेप पर चरती थी उत्तर पूर्वी मैदानी और पहाड़ी ढलान में मांस दूध और उन प्रचुर मात्रा में पैदा होते थे
  • इसके पूर्वोत्तर भाग में हरे – भरे, ऊंचे – नीचे मैदान और पर्वत श्रंखला है, यह स्वच्छ झरने, जंगल फूल और अच्छी फसल के लिए पर्याप्त वर्षा होती है। 
  • पूर्व में दजला की सहायक नदियां ईरान की  पहाड़ी प्रदेशों में जाने के लिए परिवहन का अच्छा साधन है। 
  • उत्तर की ओर ऊंची भूमि है, ‘स्टेपी’ घास के मैदान है, जहां पशुपालन, लोगों को कृषि की तुलना से बेहतर आजीविका प्रदान करता है।
  • दक्षिण की ओर रेगिस्तान है, और यही वह स्थान है जहाँ सबसे पहले नगर एवं लेखन प्रणाली का विकास हुआ।
  • इसी जगह पर फरात और दजला नदी उपजाऊ मिट्टी लाकर जमा कर देती थी। 
  • फरात नदी रेगिस्तान में प्रवेश करने के बाद अलग-अलग दिशाओं में बट जाती थी, और यह धाराएं सिंचाई की लहरों का काम करती थी जिससे गेहूं, जो, मटर, मसूर के खेतों में सिंचाई की जाती थी।

शहरीकरण

  • नगरों में लोग बड़ी संख्या में नहीं रहते थे क्योंकि लोग गांव में रहना ज्यादा पसंद करते थे जब किसी स्थान पर खेती के अलावा ने आर्थिक गतिविधियां होने लग जाती थी तब कस्बो का निर्माण होता है था यह जनसंख्या घनत्व बढ़ने लगता था। 
  • शहर में व्यापार, उत्पादन, सेवाएं  महत्वपूर्ण थी परंतु शहर के लोग आत्मनिर्भर नहीं होते थे उन्हें नगरिया गांव के लोगों द्वारा उत्पन्न  वस्तुओं या दी जाने वाली सेवाओं के लिए उन पर आश्रित होना पड़ता था।

माल की आवाजाही 

  • मेसोपोटामिया में खनिज संसाधनों का अभाव नहीं था। 
  • दक्षिण के अधिकांश बागों में औजार मोहरे आभूषण बनाने के लिए पत्थर की कमी थी। 
  • इराकी खजूर के पोपलार  पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल गाड़ी बनाने बनाने के लिए अच्छी नहीं थी। 
  • औजार पात्र गहने बनाने के लिए कोई धातु भी उपलब्ध नहीं थी। 
  • इसलिए यहां के लोग लकड़ी, धातु, सोना, चांदी, तांबा, पत्थर आदि। तुर्की, ईरान, खाड़ी पार देशो से मंगाते थे क्योंकि यह सारी वस्तुएं वहां पर उपलब्ध नहीं होती थी। 
  • इसके लिए वह अपना कपड़ा और कृषि उत्पाद निर्यात करते थे। 
  • यह सब मंगवाने के लिए यह जलमार्ग का इस्तेमाल व्यापार के रूप में करते थे क्योंकि एक जगह से दूसरी जगह तक जानवरों द्वारा माल को लाया नहीं जा सकता था।

लेखन कला का विकास

  • मेसोपोटामिया में जो पट्टीकायें पाई गई 3200 ईसा पूर्व की है, उसमें चित्र जैसे चैन और संख्याएं दी गई हैं।  
  • लेखन कार्य तब शुरू हुआ होगा जब लेनदेन का स्थाई हिसाब रखने की जरूरत पड़ी होगी, इनके द्वारा मिट्टी की पट्टीका  के ऊपर लिखा जाता था। 
  • सुमिरन भाषा का प्रयोग भूमि के हस्तांतरण राजा के कार्य का वर्णन में किया जाता था परंतु यह भाषा आगे जाकर बदल गई और अक्कादी भाषा हो गई। 

लेखन प्रणाली 

  • मेसोपोटामिया की लिपि को समझने के लिए बहुत ज्यादा चिह्न सीखने पड़ते थे क्योंकि यह सैकड़ों चिन्हो में हुआ करते थे। 
  • इसे गीली पट्टी पर सूखने से पहले ही लिखना होता था और लिखने का काम सबसे महत्वपूर्ण माना जाता था।

साक्षरता

  • ऐसा माना जाता है कि मेसोपोटामिया के बहुत कम लोग ही पढ़े-लिखे हुआ करते थे जो पढ़े-लिखे हुआ करते थे वह लोग राजा के आधीन कार्य करते थे। 
  • सुमेरियन महाकाव्य में प्राचीन शासक एनमर्कर के बारे में है इसके अंतर्गत उरुक शहर के बारे में लिखा गया है।  
  • एनमर्कर शहर के मंदिरों को सजाने के लिए बहुमूल्य रत्न धातुएं मंगवाना चाहते थे इसलिए उन्होंने एक राजदूत अरट्टा को भेजा परंतु वह असफल रहा। 

दक्षिणी मेसोपोटामिया  मंदिर और राजा

  • धीरे धीरे लगभग 5000 ईसा पूर्व दक्षिणी मेसोपोटामिया की बस्तियां विकास होने  लगी और इन बस्तियों में से कुछ प्राचीन शहर बन गए
  • शहर मुख्यता तीन  हिस्सों में बटे हुए थे
  • मंदिरों के चारों ओर विकसित हुए शहर
  • व्यापार केंद्र के रूप में विकसित हुए शहर
  • और शाही शहर
  • बाहर से आए कुछ लोगों ने अपने गांव में चुने हुए स्थानों पर मंदिर बनाना शुरू कर दिया था।  
  • जो मंदिर बने हुए थे उनका पुनर्निर्माण करना शुरू कर दिया। 
  • सबसे पहला मंदिर एक छोटा सा देवालय था, जो कच्ची ईंटों का बना हुआ था यह मंदिर अलग – अलग देवी – देवताओं के स्थान थे। 

दक्षिणी मेसोपोटामिया  मंदिर और राजा

  • उदाहरण के लिए 
  • उर:-  जो चंद्र देवता थे। 
  • इंनाना:-  प्रेम और युद्ध की देवी। 
  • मंदिरों का आकार शुरुआत में काफी छोटा हुआ करता था लेकिन धीरे-धीरे मंदिरों का आकार बढ़ यह लोग देवता के लिए अन्न दही मछली लाते थे। 
  • समय के साथ साथ यह मंदिर एक संस्था बन गए। 
  • कभी-कभी फरात नदी में अधिक पानी होने के कारण फसल डूब जाती थी जिससे हानि होती थी कभी नदियों के मार्ग बदलने से सूखा पड़ जाता था। 
  • जब यहां पर समस्याएं आने लग गई तब लोगों का विस्थापन शुरू हुआ। 
  • उरुक  नगर सुरक्षा के लिए चारों और किलेबंदी की गई और हजारों आदमी मंदिर के निर्माण के लिए रखे गए यह सब लोग काम के बदले अनाज लिया करते थे। 
  • इसके अंतर्गत इनका कार्य पत्थर खोदने, धातु और खनिज निकालने तथा ईट बनाने था। 

शहरी जीवन

  • शहरी जीवन में एक संभ्रांत वर्ग था जिनके पास धन की कोई कमी नहीं थी और उनके पास बहुमूल्य चीजें भी पाई गई जैसे आभूषण सोने के पात्र सफेद सीपियां लाजवर्त जाने इत्यादि राजा रानियों की कब्र से प्राप्त हुई है। 
  • मेसोपोटामिया में एकल परिवार को सबसे ज्यादा आदर्श माना गया है। (एकल परिवार यानी एक ऐसा परिवार जो पीढ़ी दर पीढ़ी  रहते आ रहे हैं।)
  • यहां कुछ नगर ऐसे भी थे जिनकी गलियां टेढ़ी-मेढ़ी और पतली थी, यहां पर सामान लाने के लिए किसी भी प्रकार के वाहन को नहीं लाया जा सकता था, जिसकी वजह से वहां गधों का इस्तेमाल किया जाता था।  
  • कूड़ा गलियों में डाला जाता था। 
  • विवाह में संबंध स्थापित होने के पश्चात उपहारों का आदान – प्रदान किया जाता था और एक साथ बैठकर भोजन खाया जाता था। 
  • पिता की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति (जैसे: घर, पशुधन, खेत) सब उनके पुत्रों को मिल जाया करता था। 
  • यहां एक तरह का अंधविश्वास भी था
  • उदाहरण के लिए
    • ऐसा माना जाता था कि जिनके घर की चौखट ऊंची होगी उनके पास धन दौलत भी ज्यादा है।

पशुचारक क्षेत्र एव व्यापारिक नगर

  • यहां दो प्रकार के लोग रहते थे पशुचारक और दूसरे किसान
  • पशुचारक  खानाबदोश हुआ करते थे जो कि एक जगह से दूसरी जगह जाया करते थे। 
  • वही किसान एक ही जगह रहते थे क्योंकि उन्हें वहीं पर किसानी भी करनी होती थी। 
  • 2000 ईसा पूर्व के बाद  मारी नगर शाही राजधानी के रूप में उभर के सामने आया और राजधानी के रूप में बहुत ज्यादा फला फुला। 
  • मारी  नगर के ऊपरी हिस्से में पशु चारक  और किसान दोनों ही लोग एक साथ रहते थे और बाकी का भाग भेड़ बकरी चराने के लिए उपयोग में लाया जाता था। 
  • पशुचारक अनाज और धातु के लिए लेन-देन में पनीर दूध मांस चमड़ा देते थे। 
  • वही किसानों के लिए पशुओं का गोबर की खाद बहुत उपयोगी थी कभी-कभी दो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती थी जिसमें किसान और गडरिया के बीच झगड़े हो जाते हैं इसका कारण जब चरवाहे अपनी जानवरों को चराने के लिए किसानों के खेत से गुजरते थे तब फसलों का काफी ज्यादा नुकसान हो जाता था जिसमें उनके बीच मतभेद उत्पन्न हो जाते थे। 
  • गडरियों  और पशुचारक अक्सर किसानों को लूट लिया करते थे जिसके वजह से किसान पशुचारको का रास्ता रोक लिया करते थे। 
  • इसके लिए मारी के राजाओं द्वारा पशुचारको  पर नजर भगवानी शुरू कर दी जिससे वह सावधान और सतर्क रहें। 
  • इन सब की जानकारी राजाओं और अधिकारियों के पत्रों से मिलती है कि वह किस प्रकार इन गतिविधियों पर कड़ी नजर रखते थे। 

मेसोपोटामिया संस्कृति में शहरों का महत्व

  • ऐसा माना जाता है की यह लोग शहरी जीवन को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया करते थे, क्योकि यहां पर अलग-अलग समुदाय और संस्कृति के लोग एक साथ रहा करते थे।
  • यहां के लोगों को अपने नगरों पर बहुत ही ज्यादा गर्व था। 
  • गिलगेमिस मैं इसका वर्णन मिलता है। 
  • लेखन कला की देन। 
  • 1800 के आसपास कुछ ऐसी पत्रिकाएं मिली जिसमें गुणा भाग वर्गमूल ब्याज की सारणी दी गई है।

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12 thoughts on “लेखन कला और शहरी जीवन (CH-2) Notes in Hindi || Class 11 History Chapter 2 in Hindi ||

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    Thanku so much.
    Bss video thodi small bnaya kro…
    Thanks for making this video…

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