खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत (CH-8) Notes in Hindi || Class 11 Physical Education Chapter 8 in Hindi ||

पाठ – 8

खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत

In this post we have given the detailed notes of class 11 Physical Education chapter 8 खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत (Fundamentals of anatomy and physiology and kinesiology in sports) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams.

इस पोस्ट में कक्षा 11 के शारीरिक शिक्षा के पाठ 8 खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत (Fundamentals of anatomy and physiology and kinesiology in sports) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं शारीरिक शिक्षा विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectPhysical Education
Chapter no.Chapter 8
Chapter Nameखेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत (Fundamentals of anatomy and physiology and kinesiology in sports)
CategoryClass 11 Physical Education Notes in Hindi
MediumHindi
Class 11 Physical Education Chapter 8 खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत (Fundamentals of anatomy and physiology and kinesiology in sports) in Hindi
Table of Content
3. Chapter – 8 खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत

Chapter – 8 खेलों में शरीर रचना, शरीर क्रिया विज्ञान और किनजियोलॉजी के मूलभूत सिद्धांत

  

शरीर रचना विज्ञान

मानव शरीर रचना विज्ञान में शरीर के सभी अंगों की बनावट, आकार, स्वरूप स्थिति तथा भार आदि का अध्ययन किया जाता है।

मानव शरीर क्रिया विज्ञान

मानव शरीर क्रिया विज्ञान में मानव शरीर के सभी संस्थानों के कार्यों तथा उनके परस्पर संबंधों का अध्ययन किया जाता है।

किनजियोलॉजी – पेशीय गतिविज्ञान

पेशीय गति विज्ञान की वह शाखा है, जिसमें जीव के शरीर की गति के विषय में सुव्यवस्थित एवं क्रमबद्ध तरीके से अध्ययन करते हैं।

इस विज्ञान में शरीर की उन क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है जिनमें शरीर की बनावट, मांसपेशी, हड्डियों, जोड़ तथा उसके कार्यरत तन्त्र जो जीव को गति प्रदान करते हैं, एवं जीव की गति को प्रभावित करते हैं।

मानव शरीर के मुख्य तन्त्र

  • कंकाल प्रणाली

  • मांसपेशी तंत्र

  • पाचन तंत्र

  • श्वसन प्रणाली

  • तंत्रिका तंत्र

  • गंथियां प्रणाली

  • उत्सर्जन तंत्र

  • प्रजनन प्रणाली

शरीर रचना विज्ञान, किनजियोलॉजी और शरीर क्रिया विज्ञान का महत्त्व

  • शारीरिक पुष्टि में मदद करता है।
  • शरीर रचना के बारे में ज्ञान प्रदान करता है।
  • खेल के चयन में मदद करता है।
  • व्यक्तिगत मतभेदों के बारे में जानने मदद करता है।
  • खेल चोटों से बचाता है।
  • पुनर्वास की प्रक्रिया में मदद करता है।
  • स्वस्थ शरीर बनाए रखने में मदद करता है।

कंकाल प्रणाली:-

कंकाल प्रणाली हमारे शरीर की हडिड्यों की रूप रेखा है। एक वयस्क शरीर में 206 हडिड्याँ होती है।

कंकाल प्रणाली के कार्य

  • कंकाल तन्त्र शरीर को सहारा प्रदान करता है।
  • कंकाल तन्त्र शरीर को आकार और संरचना देता है।
  • कंकाल तन्त्र शरीर के महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षा प्रदान करता है।
  • कंकाल तंत्र एक उत्तोलक के रूप में भी कार्य करता है।
  • कंकाल तन्त्र की हडिड़यों के बीच की जगह खनिजों के भंडार के रूप में कार्य करती है।
  • यह लाल रक्त कणिकाओं के उत्पाद घर के रूप में भी कार्य करता है।
  • यह Skeleton muscle के junction या अनुलग्नक के रूप में कार्य करता है।

हडिड्यों का वर्गीकरण

  • लम्बी हडिड़याँ (जांघ की हड्डी) (बांह की हड्डी)

     

  • छोटी हडिड्याँ (उंगलियों की एवं कान की हडडी)

   

 

  • चपटी हडिड़याँ (खोपड़ी एवं पसलियों की हडिड़याँ)

     

 

  • तिल्लाकार हडिड़याँ (टखने एवं हथेली की हडिड्याँ)

     

 

  • सुचुरल (Setural हडिड्यौं) (खोपड़ी के जोड़ की हडिडयाँ)

जोड़ो के प्रकार

  • अचल या रेशेदार जोड़
  • आंशिक चल या उपास्थि जोड़
  • स्वतन्त्र रूप से चल जोड़
  • कब्जेदार जोड़
  • कीलक जोड़
  • बाल और सॉकेट जोड
  • काठीदार जोड़
  • फिसलनदार जोड़

मांसपेशी

मांसपेशी एक संकुचनशील उत्तक होता है पेशियाँ कंकाल तन्त्र के साथ मिलकर सभी प्रकार की गति के लिए उत्तरदायी होती है।

मांसपेशी के गुण

  • उत्तेजनाशीलता:- मांसपेशियों की सक्रिय होने होने की योग्यता उनकी उत्तेजनशीलता कहलाती है। यदि मांसपेशी की उत्तेजनशीलता ज्यादा होती है, तो इसकी शक्ति, वेग व सहनक्षमता भी ज्यादा होते हैं।
  • संकुचनशीलता:- उत्तेजना की क्रिया को परिणामस्वरूप आकार में परिवर्तन करने की शक्ति की संकुचनशीलता कहते हैं। अतः मांसपेशी का उत्तेजित होने पर आकार परिवर्तन होता है।
  • प्रसार योग्यता:- प्रसार या फैलाव योग्यता मांसपेशी की खींचने की योग्यता होती है। संकुचन क्रिया के दौरान मांसपेशी रेशे छोटे हो जाते हैं। लेकिन आराम अथवा विश्राम अवस्था में दौरान मांसपेशी की लम्बाई को ज्यादा खिंचाव अथवा प्रसार कर सकते है। मांसपेशी रेशों के खिंचाव से ही गति संभव होती है।
  • लचीलापन:- खिंचाव अथवा प्रसार की क्रिया के बाद मांसपेशी रेशों का अपने मूल आकार में पुनः लौट आना ही लोचशीलता है। यदि मांसपेशी में लचीलेपन का गुण नहीं होता तो मांसपेशी एक बार खिंचाव अथवा प्रसार होने के बाद उसी अवस्था में रह जाती।

मांसपेशियों के प्रकार

  • स्वैच्छिक, कंकाल मांसपेशी अथवा धारीदार मांसपेशी
  • अनैच्छिक मांसपेशी अथवा चिकनी मांसपेशी
  • हृदय की मांसपेणियाँ

मांसपेशियों के कार्य

  • मांसपेशी शरीर को आकार एवं संरचना प्रदान करती है।
  • शरीर के भीतरी अंगों को सुरक्षा प्रदान करती हैं।
  • मांसपेशियाँ तरल पदार्थों की गति में मदद करती है।
  • मांसपेशियाँ बल (उत्तोलक के रूप में) कार्य करती हैं।

मांसपेशी की संरचना

एक मांसपेशी फाइवर मायोफीवरिल से बनी है। प्रत्येक मायोफीवरिल actin और मायोसिन नामक प्रोटीन अणुओं के होते है।

श्वसन

श्वसन एक शारीरिक प्रक्रिया है जिसके द्वारा जीव आसपास से ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाईऑक्साइड बाहर छोड़ते हैं।

श्वसन प्रक्रिया

यह नाक, फेफड़े, रक्त और कोशिकाओं के माध्यम से ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान – प्रदान करते हैं और शरीर में ऊर्जा उत्पादन करते हैं।

श्वसन प्रणाली के कार्य

  • हवा और रक्त के बीच ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड का आदान – प्रदान करने के लिए।
  • ध्वनि उत्पन्न करने के लिए।
  • रक्त पीएच (PH) को विनियमित करने के लिए।
  • कुछ सूक्ष्मजीवों के खिलाफ रक्षा करने के लिए।

श्वसन के प्रकार

  • बाहरी श्वसन
  • आंतरिक श्वसन

संचार प्रणाली

शरीर के विभिन्न भागों के बीच सामग्री का परिवहन संचार प्रणाली कहलाता है। यह हृदय, रक्त वाहिकाओं, धमनियों, कोशिकाओं, नसों (Venules) और तरल पदार्थ से मिलकर बना होता है।

हृदय

हृदय मुट्ठी के आकार का है। इसके चार कक्ष होते हैं। यह रक्त वाहिकाओं के माध्यम से शरीर के विभिन्न भागों से अशुद्ध / ऑक्सीजन रहित रक्त इकट्ठा करता है और शुद्ध / (Oxygenation) के बाद शरीर के विभिन्न भागों में शुद्ध / ऑक्सीजन युक्त रक्त की आपूर्ति करता है।

हृदय के कार्य

शरीर में रक्त का प्रवाह करता है। हृदय संकुचन की प्रक्रिया तथा कार्य दबाव पंप की तरह होता है जिसके कारण रक्त हृदय से निकलकर धमनियों द्वारा शरीर के विभिन्न भागों में पहुंचाता है।

धमनियाँ

वे नलिकाएँ जिनमें हृदय से शुद्ध रक्त निकलकर बहता है उन्हें धमनियाँ (Arteries) कहा जाता है।

  • लचीली धमनियाँ
  • मांसपेशिय धमनियाँ
  • आर्टट्रीओलस (Arterioles)

शिराएं

  • इन नलिकाओं द्वारा शरीर से अशुद्ध रक्त वापिस हृदय में लाया जाता है।

कोशिकाएं

ये बहुत ही पतली नलिकाएं होती है जो रक्त परिसंचरण का कार्य करती है।

  • निरंतर कोशिकाएं
  • फेनेस्ट्रेटेड (Fenestrated) कोशिकाएँ
  • सिन्यूसायडल कोशिकाएं ((Sinusoidal)

रक्त

  • रक्त तरल पदार्थ का एक विशेष प्रकार है, जो शरीर के एक भाग से दूसरे भाग के लिए पोषक तत्वों और गैसों को ले जाने के एक माध्यम के रूप में कार्य करता है।

हृदय दर

  • यह दिल द्वारा संकुचन में प्रयुक्त रक्त की मात्रा है। यह सामान्य वयस्क में लगभग 80 मिलीलीटर प्रति संकुचन है, जबकि प्रशिक्षित खिलाड़ियों में यह 110 मिलीलीटर / संकुचन होती है।

हृदयी निर्गम

  • कार्डियक आउटपुट = स्ट्रोक मात्रा X दिल की दर। यह बेसल स्तर पर 5 से 6 लीटर हैं।

रक्तचाप

  • यह रक्त वाहिकाओं की दीवारों पर रक्त के द्वारा लगाए जाने वाले दबाव है।

दूसरी पवन

  • लम्बे समय तक व्यायाम की वजह से सांस लेने में असमर्थता को हमारे शरीर द्वारा स्वचालित रूप से हटा दिया जाता हैं खिलाड़ी को मिलने वाली राहत के अहसास को ‘ दूसरी पवन ‘ कहते हैं।

ऑकसीजन ऋण

  • जोरदार गतिविधि के बाद वसूली की अवधि के (Recovery period) दौरान एक खिलाड़ी द्वारा ली ऑक्सीजन की मात्रा ‘ ऑक्सीजन ऋण के रूप में कही जाती है।

संतुलन

  • किसी बिंदु पर कार्य करने वाले बल का परिणाम जब शून्य होता है, तो ऐसी स्थिति को सन्तुलन कहते हैं।

गतिशील सन्तुलन

  • किसी व्यक्ति या वस्तु द्वारा गतिशील रहते हुए स्थिरता बनाए रखने को गतिशील सन्तुलन कहते हैं।

स्थिर सन्तुलन

  • जब व्यक्ति स्थिर अवस्था में होता है तब उसे स्थिर संतुलन कहते हैं।

स्थिरता के सिद्धांत

  • सहारे के लिए चौड़ा आधार चाहिए।
  • स्थिरता शरीर के भार के अनुपातिक होती है।
  • जब गुरूत्व केन्द्र आधार के मध्य में होता है तब अधिक स्थिरता होती है।
  • गुरूत्व केन्द्र नीचे रखने से स्थिरता बढ़ती है।

गुरूत्व केन्द्र

  • गुरूत्व केन्द्र यह एक काल्पनिक बिंदु है जिसके चारों ओर शरीर संतुलित रहता है। केन्द्र अपना स्थान बदलता है। अन्यथा यह निश्चित (Fix) होता है।

बल

  • एक शरीर द्वारा दूसरे शरीर को धकेलने या खींचने की प्रक्रिया बल कहते है बल किसी वस्तु के भार एवं त्वरण के गुणनफल के बराबर होता है।

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