पाठ – 10
विकास
In this post we have given the detailed notes of Class 11 Political Science Chapter 10 विकास (Development) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 exams.
इस पोस्ट में क्लास 11 के राजनीति विज्ञान के पाठ 10 विकास (Development) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं राजनीति विज्ञान विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Political Science |
Chapter no. | Chapter 10 |
Chapter Name | विकास (Development) |
Category | Class 11 Political Science Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 10 विकास
विकास से अभिप्राय
- संकुचित रूप में इसका प्रयोग प्रायः आर्थिक विकास की दर में वृद्धि और समाज का आधुनिकीरण के संदर्भ में किया जाता है।
- व्यापकतम अर्थ में विकास उन्नति, प्रगति, कल्याण और बेहतर जीवन की अभिलाषा के विचारों का वाहक है। इसमे आर्थिक उन्नति के साथ – साथ जीवन की गुणवत्ता में वृद्धि को भी शामिल किया जाता है।
विकास की दृष्टि से विश्व के भाग
विकास की दृष्टि से विश्व को तीन श्रेणियों में बांटा जाता है।
- विकसित देश
- विकासशील देश
- अल्प विकसित देश
मानव विकास प्रतिवेदन ‘ संयुक्त राष्ट्रसंघ विकास कार्यक्रम द्वारा विकास को मापने का एक नया तरीका है। इसमें साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु संभाविता और मातृ – मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है।
सतत् विकास
- स्थायी विकास के लिए पर्यावरण तंत्र और औद्योगिक तंत्र के मध्य सही तालमेल तथा संयोजन की आवश्यकता है। विकास के नाम पर औद्योगिकरण द्वारा पर्यावरण को दूषित किया गया है। विकास के लिए आर्थिक रूप और नीतियों का निर्धारण होना चाहिए।
- मनुष्य के लिए पर्यावरण प्रदूषण को रोकते हुए विकास के कार्यक्रम किए जाने चाहिए। अधिक प्रभावी तथा शक्तिशाली देशों में जीवनशैली के साथ – साथ जीव – जन्तु और मानव को पर्यावरण प्रदषण से बचाए रखने का प्रमाण होना चाहिए। पर्यावरण को विकास नीतियों के साथ प्रबंध के स्तर पर जोड़ दिया जाना चाहिए। वास्तव में पर्यावरण और विकास नीति एक दूसरे के पूरक हैं। स्थायी विकास तभी संभव है।
विकास का प्रचलित मॉडल
- अविकसित या विकासशील देशों ने पश्चिमी यूरोप के अमीर देशों और अमेरिका से तुलना करने के लिए औद्योगीकरण, कृषि और शिक्षा के आधुनीकीकरण एवं विस्तार के जरिए तेज आर्थिक उन्नति का लक्ष्य निर्धारित किया और यह सिर्फ राज्य सत्ता के माध्यम से ही संभव है।
- अनेक विकासशील देशों (जिसमें भारत भी एक था) ने विकसित देशों की मदद से अनेक महत्वकांक्षी योजनाओं का सूत्रपात किया।
- विभिन्न हिस्सों में इस्पात संयंत्रों की स्थापना, खनन, उर्वरक उत्पादन और कृषि तकनीकों में सुधार जैसी अनेक वृहत्त परियोजनाओं के माध्यम से देश की संपदा में बढ़ोतरी करना व आर्थिक विकास की प्रक्रिया को तेज करना था।
- इस मॉडल से विकास के लिए उर्जा का अधिकाधिक उपयोग होता है जिससे इसकी कीमत समाज और पर्यावरण दोनों को चुकानी पड़ती है।
विकास के समाज पर पड़ने वाले कुप्रभावों
सामाजिक दुष्परिणाम
- विकासशील देशों की प्रभुसत्ता पर प्रभाव
- विस्थापीकरण
- बेरोज़गारी, गरीबी में वृद्धि
- जनसंख्या के संतुलित वितरण का अभाव
- आर्थिक असमानता
- संघर्षों व आन्दोलनों का जन्म
विकास मॉडल की आलोचना, समाज और पर्यावरण द्वारा चुकाई गई कीमत
- विकासशील देशों के लिए काफी मंहगा साबित हुआ। इसमे वित्तीय लागत बहुत अधिक रही जिससे वह दीर्घकालीन कर्ज से दब गए।
- बांधों के निर्माण, औद्योगिक गातिविधियों और खनन कार्यों की वजह से बड़ी संख्या में लोगों का उनके घरों और क्षेत्रों से विस्थापन हुआ।
- विस्थापन से परंपरागत कौशल नष्ट हो गए। उनकी संस्कृति का भी विनाश हुआ क्योंकि विस्थापन से दरिद्रता के साथ – साथ लोगों की सामुदायिक जीवन पद्धति खो जाती है।
- विशाल भू – भाग बड़ें बांधों के कारण डूब जाते है जिससे पारिस्थिति का संतुलन बिगड़ता है।
- उर्जा के उत्तरोतर बढ़ते उपयोग से पर्यावरण को नुकसान होता है क्योंकि इससे ग्रीन हाग्स गैसों का उत्सर्जन होता है।
- वायुमण्डल में गीन हाऊस गैसों के उत्सर्जन की वजह से आर्कटिक और अंटार्कटिक ध्रुवों पर बर्फ पिघल रही है। परिणामस्वरूप बांग्लादेश एवं मालदीव जैसे निम्न भूमि वाले क्षेत्रों को डुबो देने में सक्षम हैं।
- विकास का फायदा विकासशील देशों में निम्नतर वर्ग तक नहीं पहुंचा इस कारण से समाज मे आर्थिक असमानता और बढ़ गई है। सर्वाधिक निर्धन एवं वंचित तबको के जीवन स्तर में सुधार नही आया।
विकास की वैकल्पिक अवधारण
- लोकतांत्रिक सहभागिता के आधार पर विकास की रणनीतियों में स्थानीय निर्णयकारी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित करना।
- ऊपर से नीचे की रणनीति को त्यागते हुए विकास की प्राथमिकताओं, रणनितियों के चयन व परियोजनाओ के वास्तविक कार्यान्वयन में स्थानीय लोगों के अनुभवों को महत्व देना तथा उनके शान का उपयोग करने के लिए उनकी भागदारी को बढ़ावा।
- न्यायपूर्ण और सतत्विकास की अवधारणा को महतव देना।
- प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित व संरक्षित रखने के प्रयास किए जाने चाहिए।
- हमें अपनी जीवन शैली को बदलकर उन साधनों का कम से कम प्रयोग करना चाहिए जिनका नवीनीकरण नहीं हो सकता।
- विकास की महंगी, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाली और प्रौद्योगिकी से संचालित सोच से दूर होने की कोशिश करता है।
टिकाऊ विकास
विकास की ऐसी रणनिती जिसमें पर्यावरण को कम से कम नुकसान हो और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग मितव्ययता के साथ किया जाये और उन्हें संरक्षित रखा जाए।
- मानव विकास को मापने का एक तरीका है ‘ मानव विकास प्रतिवेदन ‘ जिसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) वार्षिक तौर पर प्रकाशित करता है। इस प्रतिवदेन में साक्षरता और शैक्षिक स्तर, आयु, संभाविता और मातृ – मृत्यु दर जैसे विभिन्न सामाजिक संकेतकों के आधार पर देशों का दर्जा निर्धारित किया जाता है।
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