स्थानीय शासन (CH-8) Notes in Hindi || Class 11 Political Science Book 2 Chapter 8 in Hindi ||

पाठ – 8

स्थानीय शासन

In this post, we have given the detailed notes of class 11 Political Science Chapter 8 स्थानीय शासन ( Local Governments) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 exams.

इस पोस्ट में क्लास 11 के राजनीति विज्ञान के पाठ 8 स्थानीय शासन ( Local Governments) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं राजनीति विज्ञान विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 11
SubjectPolitical Science
Chapter no.Chapter 8
Chapter Nameस्थानीय शासन ( Local Governments)
CategoryClass 11 Political Science Notes in Hindi
MediumHindi
Class 11 Political Science Chapter 8 स्थानीय शासन ( Local Governments) in Hindi
Table of Content
2. स्थानीय शासन

स्थानीय शासन

जब स्थानीय समस्याओं का हल उस स्थान रहने वाले  व्यक्तियों द्वारा  किया जाता है तो उसे स्थानीय स्वशासन कहते है ।  

स्थानीय शासन का महत्व

  • वास्तविक लोकतंत्र
  • कार्य कुशलता
  • स्थानीय समस्याओ का ठीक हल
  • शक्तियों का विकेंद्रीकरण
  • प्भ्र्स्टाचार की कमी
  • मुख्यालय का कार्य कम

 

भारत मे स्थानीय शासन का विकास (स्वतंत्रता के बाद)

बलवन्त राय मेहता समिति (1956)

  • अध्यक्ष: –

    • बलवन्त राय मेहता
  • काम: –

    • स्थानीय शासन हेतु सिफारिशें देना
  • परिणाम: –

    • तीन स्तरीय स्वायत्तशासी स्थानीय समितियों का निर्माण

नगरपालिका

  • नगर पंचायत
  • नगर परिषद
  • नगर निगम

पंचायती राज

  • ग्राम पंचायत
  • पंचायत समिति
  • जिला परिषद
  • सादिक अली समिति(1964)

  • अध्यक्ष: –

    • सादिक अली

  • काम: –

    • पंचायती राज संस्थाओ के कार्य संचालन  पर  रिपोर्ट देना 

  • परिणाम:

    • सन् 1964 मेरिपोर्टदी

नगरीय क्षेत्र                                                     ग्रामीण क्षेत्र

  • गैर सरकारी नेतृत्व अप्रभावी
  • जनता की आकांक्षाओ और सरकार की प्राथमिकता मेल नही
  • अज्ञानता व गरीबी की वजह से रूचि नहीं
  • सरकारी कर्मचारियो का अधिक प्रभाव

अशोक मेहता समिति

  • अध्यक्ष:

    • अशोक मेहता
  • काम:

    • समस्याओं का समाधान ढूंढे
  • परिणाम: –

    • भेजी गई सिफारिशें
      • अधिक शक्तिशाली बनाएं
      • ग्रामपंचायत समाप्त हो
      • चुनाव राजना/ तक आधार पर हो
      • जिला अधिकारी, जिला परिषद् के नियत्रण हो ।

नोट: – अंत मे सभी सिफारिशे अस्वीकार ।


73 वाँ संवैधानिक संशोधन (पंचायती राज से सबधित)

लोकसभा द्वारा समिति का गठन

  • 20 सदस्य लोकसभा

  • 10 सदस्य राज्यासभा

  • अध्यक्ष: –

    • नाथूराम मिर्या
  • परिणाम: –

    • समिति की सिफारिशे 24/4/1993 से लागू
  • विशेषताएँ: –

    • स्थानीय संस्थाओ को मान्यता
    • ग्राम सभा की परिभाषा
    • पंचायत की परिभाषा
    • तीन स्तरीय पंचायती राज प्रणाली
    • पंचायतो की बनावट
    • अध्यक्ष का चुनाव और पदच्युति
    • स्थानों का आरक्षण

भारत में पंचायती राज व्यवस्था

ग्राम सभा

  • रचना: –

    • एक ग्राम पंचायत के क्षेत्र मे मौजूद सभी मतदाता मिलकर ग्राम सभा का निर्माण करते है।
  • बैठके:-

    • वर्ष मे दो सामान्य बैठक आवश्यक
  • गणपूर्ति: –

    • कार्यवाही करने के लिए कुल सदस्यों का पाँचवा भाग होना आवश्यक है 
  • कार्य: –

    • बजट व पिछले वर्ष की लेखा रिपोर्ट पर सोच  विचार
    • विकास योजना बनाना
    • पंचायत का चुनाव व पदच्युति
    • शिक्षा व सामाजिक कल्याण के कार्यों बढाव देना 
    • लोगो के मध्य सहयोग व एकता बढ़ाना

ग्राम पंचायत

  • रचना: –

    • हिमाचल प्रदेश से 1000 आबादी वाले हर गांव मे ग्राम पंचायत, आबादी कम होने पर संयुक्त एक प्रधान (सरपंचा), उप प्रधान (उप-सरपंच)के अतिरिक्त 5 से 13 तक सदस्य, महिलाओं हेतु 1/3 आरक्षण ।
  • सदस्य की योग्यताएँ: –

    • भारत का नागरिक हो ।
    • 21 वर्ष पूर्ण आयुहो ।
    • गाँव मे एक वर्ष से रह रहा हो ।
    • मतदाता सूची मे नाम हो ।
    • सरकारी कर्मचारी न हो ।
  • अवधि: –

    • 5 वर्ष, ग्राम सभा 213 बहुमत से हटा सकती है ।
  • अध्यक्ष: –

    • पंचायत के अध्यक्ष को सरपंच कहते हैं चुनाव लोगों द्वारा होता है। तथा निषयक मत का अधिक होता है।
  • बैठके: –

    • हर महीने मे एक बार अवश्य
  • कार्य व शक्तियाँ: –

    • प्रशासनिक कार्य
    • सार्वजनिक कल्याण कार्य 
    • विकास सबधि कार्य
    • न्याय सबधि
  • पंचायतो की आय के साधन: –

    • लगान का 10%
    • गृह कर
    • गाँव की साँझी भूमि से आय
    • अपराधी पर जुर्माना
    • गाँव मे आयोजित मेलो, मंडियो पर कर
    • राज्य सरकार द्वारा सहायता
    • लाइसेंस फीस

पंचायत समिति

  • रचना: –

    • क्षेत्र मे से प्रत्येक 3000 पर एक व्यक्ति ।
    • क्षेत्र से चुने गए राज्यसभा, लोकसभा व विधानसभा. के सदस्य ।
    • क्षेत्र में आने वाली सभी पंचायतो के प्रधानों को पाँचव भाग।
  • योग्यताएँ: –

    • दिवालिया या पागल न हो ।
    • भारत का नागरिकहो।
    • 2 वर्ष पूर्ण हो ।
    • सरकारी पद पर न हो ।
    • न्यायालय द्वारा अयोग्य घोषितन किया गया हो।
  • अवधि: –

    • 5 वर्ष, सरकार पहले भंग कर सकती है ।
  • अध्यक्ष: –

    • पंचायत समिति के सदस्य अपने मे से एक अध्यक्ष और एक उपाध्यक्ष चुनते है और इस  213 बहुमत द्वारा हटाया भी जा सकता है।
  • बैठके: –

    • एक महीने मे एक बार बैठक अवश्य ।
  • कार्य व शक्तियाँ: –

    • पंचायतो के कार्यो की देखरेख
    • भूमि सुधार कार्यकर्मो को लागू करना
    • सफाई व स्वास्थ्य का उचित प्रबंध
    • सामुदायिक विकास परियोजनाओं को लागू करना
    • संकट के समय आर्थिक सहायता
    • सरकारी संपत्ति का प्रबंध व देखरेख
    • जन्म-मरण संबंधी ब्यौरा
    • पेंशनो पर निगरानी
    • सामाजिक बुराइयों को दूर करने का प्रयास
  • आय के साधन: –

    • स्थानीय करो मे भाग
    • मेलो तथा मंडीयो से आय
    • लाइसेंस फीस
    • सरकारी अनुदान
    • संपत्ति से आय
    • भू राजस्व

जिला परिषद्

  • रचना:-

    • प्रत्यक्ष तौर पर चुने गए सदस्य, हर 20000″व्यक्तियो के लिए 1 व्यक्ति
    • जिले से चुने गए विधानसभा, लोकसभा व राज्यसभा के सदस्य ग्रामीण
    • पंचायत समितियों के अध्यक्ष
  • अवधि: –

    • 5 वर्ष, सरकार भंग कर सकती है।
  • अध्यक्ष: –

    • सदस्यो द्वारा अपने मे से ही एक प्रधान व उप- प्रथान का चयन किया जाता है।
  • बैठके:-

    • वर्ष मे चार बार अवश्य
  • निर्णय: –

    • बहुमत द्वारा, निर्णायक मत अध्यक्ष का
  • स्थायी समितियाँ: –

    • सामान्य स्थायी समिति
    • ‘वित्त और योजना समिति
    • सामाजिक न्याय समिति
    • शिक्षा और स्वास्थ्य समिति
    • कृषि व उद्योग समिति
  • कार्य व शक्तियाँ: –

    • पंचायत समितियों मे मेल बिठाना
    • वार्षिक बजट पर विचार
    • पंचायत समितियों के कार्यों पर निगरानी
    • विकास संबंधी कार्य
    • ग्रामीण बागो व पार्को का विकास
    • स्कुलो का प्रबंधन
    • सरकारी विकास योजनाएं लागू करना
  • आय के साधन: –

    • स्थानीय कर
    • सरकार द्वारा अनुदान
    • संपत्तिद्वारा आय
    • चंदोद्वारा
    • अखिल भारतीय संस्थाओ द्वारा

पंचायती राज का महत्व

  • जनता का राज
  • प्रत्यक्ष लोकतंत्र
  • आत्मनिर्भरता
  • आत्मविश्वास
  • बाहरी हस्तक्षेपकम
  • स्वतंत्रता की भावना का उदय
  • गांवों की समस्याओ का समाधान
  • लोगो को शिक्षा

समस्याएँ एवं दोष

  • अशिक्षा
  • अज्ञानता
  • सांप्रदायिकता
  • गुटबंदी
  • राजनीतिक दलो का अनुचित हस्तदोप
  • धन का आभाव 
  • लापरवाह कर्मचारी
  • चुनावो का समय पर न होना

दोष दूर करने के उपाय

  • शिक्षा का प्रसार
  • सदस्यो का प्रशिक्षण
  • योग्य व ईमानदार कर्मचारी
  • धन की अधिक सहायता
  • नियमित चुनाव
  • राजनीतिक दलो पर रोक

शहरी विकास व स्थानीय स्वशासन

शहरो की समस्याएँ

  • मकान व आवास
  • गन्दी बस्तियाँ
  • अनधिकृत बस्तियाँ
  • दूषित वातावरण
  • पीने के पानी की कमी
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी संस्थाओं की कमी।
  •  

74 वाँ सवैधानिक संशोधन

विशेषताएं

  • शहरी स्वशासन को संवैधानिक मान्यता
  • तीन स्तरीय स्थानीय व्यवस्था
  • प्रत्येक वर्ग को प्रतिनिधित्व
  • वार्ड समिति
  • सीटो मे आरक्षण
  • वित्त आयोग का गठन व कार्य
  • सदस्यो की योग्यताएँ
  • कर लगाना
  • जिला योजनाबंदी
  • नगरपालिका के चुनाव संबंधी व्यवस्था
  •  

नगरपालिका निर्माण

  • निर्माण: –

    • नगर पंचायत, नगरपालिका समिति        –               10 से 20 हजार 
    • नगरपालिका परिषदे                           –               20 हजार से 3 लाख 
    • नगर निगम                                       –               3 लाख से अधिक
  • बनावट:

    • क्षेत्र सरकार द्वारा निश्चित होगा और वार्ड कहा जाएगा, वार्ड के लोगो द्वारा अपना प्रतिनिधि चुना जाएगा।
  • योग्यताएँ: –

    • भारत का नागरिक हो ।
    • 21वर्ष पूर्ण हो ।
    • लाभदायक पद पर न हो ।
    • मतदाता सूची मे नाम हो।
    • पागल या ढीव लिया हो ।
  • अवधि: –

    • 5 वर्ष., सरकार भंग कर सकती है।  
  • अध्यक्ष:

    • सदस्यो द्वारा स्वयं मे से चुना जाता है अविश्वास पत्र‌द्वारा हटा सकते है।
  • बैठक:

    • माह मे एकबार बैठक अनिवार्य।
  • कार्य:

    • अनिवार्य
      • सफाई
      • स्वास्थ्य संबधी
      • सड़के तथा पुल
      • शिक्षा
      • पानी व बिजली
      • आग बुझाने का प्रबंध
      • जन्म व मृत्यु रजिस्ट्रेशन
      • तांगो व रिक्शो को लाइसेंस
    • ऐच्छिक कार्य
      • यातायात व्यवस्था
      • गरीबो हेतु गृह निर्माण
      • खेल के मैदान, पार्क आदि की व्यवस्था
      • मकानों के नक्शे पास करना
      • मेलो, प्रदशनियों व खेलो का संबंध
  • आय के साधन: –

      • चुंगीकर
      • मकानो पर कर
      • लाइसेंस फीस
      • टोल टैक्स
      • मनोरंजन कर
      • जुर्माने
      • राज्य सरकार से सहायता
      • संपत्ति से आय

नगर निगम

  • संगठन:

    • नगर निगम के अधिकतम सदस्यों की संख्या निश्चित होती है। जिसमे वरिष्ठ नागरिक भी शामिल होते है। और उन्हें उपराज्यपाल निर्वाचित करता है हर राज्य मे व्यवस्था अलग -अलग होती है।
  • कार्यकाल:

    • 5 वर्ष,
  • नगरनिगम के अधिकारी:

    • नगर निगम को सर्वोच्चा पदाधिकारी महापौर (मेयर) कहलाता है। प्रत्येक वर्ष सदस्य इसका निर्वाचन करते है।
  • महापौर के कार्य: –

    • बैठको की अध्यदोता
    • अनुशासन बनाए रखना
    • राज्य व निगम के मध्य कड़ी
  • आयुक्त:

    • प्रमुख अधिकारी, नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा कार्यकाल 5 वर्ष
  • कार्य: –

    • पूर्ण निगम आयुक्त की अधीनता मे
    • बजट तैयार करना
    • मार्गदर्शन
    • प्रत्येक सदस्यकी रिपोर्ट
    • कार्य अनिवार्य
      • जल की पूर्ति
      • बिजली व्यवस्था
      • सड़को का निर्माण
      • सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों की व्यवस्था
      • जन्म, मृत्यु पंजीकरण
    • ऐच्छिक कार्य
      • बाग बगीचो का निर्माण
      • विवाह पंजीकरण
      • विकलांगो की सहायता
      • सड़को के किनारे वृक्ष लगाना
      • भूमि संरक्षण कार्य
  • आय के स्त्रोत: –

    • सम्पत्ति कर
    • गृहकर
    • व्यवसाय कर
    • मनोरंजन कर
    • यातायात शुल्क
    • लाइसेंस फीस
    • केन्द्र व  राज्यो से प्राप्त अनुदा

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