पाठ – 3
आँकड़ों का संगठन
In this post we have given the detailed notes of class 11 Economics chapter 3 आँकड़ों का संगठन (Organisation of Data) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 11 board exams.
इस पोस्ट में कक्षा 11 के अर्थशास्त्र के पाठ 3 आँकड़ों का संगठन (Organisation of Data) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 11 में है एवं अर्थशास्त्र विषय पढ़ रहे है।
Board | CBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board |
Textbook | NCERT |
Class | Class 11 |
Subject | Economics |
Chapter no. | Chapter 3 |
Chapter Name | आँकड़ों का संगठन (Organisation of Data) |
Category | Class 11 Economics Notes in Hindi |
Medium | Hindi |
Chapter – 3 आँकड़ों का संगठन
आँकड़ों का संगठन
वर्गीकरण आंकड़ों को उनकी समानता और निकट सम्बन्ध के अनुसार वर्गों और समूहों में व्यवस्थित करने की एक प्रक्रिया है। बड़ी संख्या में आंकड़े अपने मूल रूप में शुद्ध आंकड़े कहलाते हैं। चर और गुण : जब आंकड़ों का वर्गीकरण समय या आकार की मात्रा के रूप में किया जा सकता है तो उसे चर कहते हैं।
आँकड़ों के वर्गीकरण
- एकत्रित आँकड़ों को उनकी समानता और असमानताओं के आधार पर विभिन्न वर्गों व समूहों में विभाजित करना वर्गीकरण कहलाता है।
- वर्गीकरण आंकड़ों को उनकी समानता और निकट सम्बन्ध के अनुसार वर्गों और समूहों में व्यवस्थित करने की एक प्रक्रिया है। बड़ी संख्या में आंकड़े अपने मूल रूप में शुद्ध आंकड़े कहलाते हैं। चर और गुण : जब आंकड़ों का वर्गीकरण समय या आकार की मात्रा के रूप में किया जा सकता है तो उसे चर कहते हैं।
वर्गीकरण की विशेषताएँ-
- स्पष्टता (Clarity): वर्गीकरण करते समय विभिन्न वर्ग इस प्रकार निर्धारित किये जाने चाहिए कि उनमें सरलता व स्पष्टता हो
- व्यापकता (Comperhensiveness): किसी भी समस्या से सम्बन्धित आंकड़ों का वर्गीकरण इतना व्यापक होना चाहिए।
- सजातीयता (Homogeneity): वर्गीकरण करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक वर्ग विशेष में रखे जाने वाले पदों के गुण एक समान ही हों। यानि कि भिन्न-भिन्न वर्गों के गुण एक दूसरे से भिन्न हों।
- अनुकूलता
- लोचदार (Elastic): वर्गीकरण लोचदार होना चाहिए। उसमें उद्देश्यों की आवश्यकता के अनुसार विभिन्न वर्गों में परिवर्तन करने की संभावना होनी चाहिए।
- स्थिरता (Stability): आँकड़ों को तुलना योग्य बनाने तथा परिणामों की अर्थपूर्ण तुलना करने के लिए आवश्यक है, स्थिरता हो।
- उपयुक्तता (Suitability): वर्गों की रचना उद्देश्यानुसार होनी चाहिए। जैसे-व्यक्तियों की आर्थिक स्थिति या बचत प्रवृत्ति जानने के लिए आय के आधार पर वर्गों की रचना करना उपयुक्त रहेगा।
वर्गीकरण का आधार-
- कालानुक्रमिक वर्गीकरण:- जब आँकड़ों को समय के संदर्भ जैसे- वर्ष, तिमाही, मासिक या साप्ताहिक आदि रूप में आरोही या अवरोही क्रम में वर्गीकृत किया जा सकता है।
- स्थानिक वर्गीकरण:- जब आँकड़ों को भौगोलिक स्थितियों जैसे देश, राज्य, शहर, जिला, कस्बा आदि में वर्गीकृत किया जाता है।
- गुणात्मक वर्गीकरण:- विशेषताओं पर आधारित आँकड़ों के वर्गीकरण को गुणात्मक वर्गीकरण कहा जाता है। जैसे राष्ट्रीयता, साक्षरता, लिंग, वैवाहिक स्थिति आदि।
- मात्रात्मक वर्गीकरण:- जब विशेषताओं की प्रकृति मात्रात्मक होती है। जैसे ऊँचाई, भर, आयु, आय, छात्रों के अंक आदि।
चर
चर से अभिप्राय किसी तथ्य की वह विशेषता है जिसमें परिवर्तन होते रहते हैं तथा जिन्हें किसी इकाई द्वारा मापा जा सकता है।
चर की प्रकार
संतत चर- वे चर है जो मापदण्डों की इकाइयों में होते है और अपने वर्गों में विभक्त किए जा सकते हैं। इन्हें भिन्नात्मक रूप में लिखा जा सकता है।
विविक्त चर- ये चर केवल निश्चित मान वाले हो सकते हैं। इसके मान केवल परिमित ‘उछाल से बदलते हैं। यह उछाल एक मान से दूसरे मान के बीच होते हैं, परन्तु इसके बीच में कोई मान नहीं आता है।
बारम्बारता वितरण- यह अपरिष्कृत आँकड़ों को एक मात्रात्मक चर में वर्गीकृत करने का एक सामान्य तरीका है। यह दर्शाता है कि किसी चर के भिन्न मान विभिन्न वर्गों में अपने अनुरूप वर्गों में बारम्बारताओं के साथ कैसे वितरित किए जाते हैं।
- वर्ग- निश्चित सीमाओं के विस्तार को जिसमें मदें शामिल होती हैं, वर्ग कहा जाता है जैसे- 0-10, 10-20, 20-30 आदि।
- वर्ग सीमाएँ- प्रत्येक वर्ग की दो सीमाएँ होती हैं – निम्न सीमा तथा ऊपरी सीमा। उदाहरण के लिए 10-20 के वर्ग में 10 निम्न सीमा (L1) तथा ऊपरी सीमा (L2) है।
- वर्गान्तर- वर्ग की ऊपरी सीमा तथा निम्न सीमा के अन्तर को वर्गान्तर कहते हैं। उदाहरण के लिए 10-20 का वर्गान्तर 10 है।
- वर्ग आवृत्ति- किसी वर्ग में शामिल मदों की संख्या को उस वर्ग की आवृत्ति या बारम्बारता कहते हैं। इसे f द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
मध्य मूल्य- किसी वर्ग के वर्गान्तर का मध्य बिन्दु ही मध्य मूल्य कहलाता है । इसे वर्ग की ऊपरी सीमा व निम्न सीमा के योग को 2 से भाग देकर प्राप्त किया जा सकता है। इसे वर्ग चिन्ह भी कहते हैं।
अपवर्जी विधि- इस पद्धति का उपयोग उन श्रृंखलाओं के लिए किया जाता है जिनमें एक वर्ग की ऊपरी सीमा अगले वर्ग की निचली सीमा बन जाती है। इसे अपवर्जी श्रेणी कहते हैं क्योंकि किसी वर्ग अंतराल की ऊपरी सीमा की बारंबारताएं उस वर्ग विशेष में शामिल नहीं होती हैं। इस प्रकार की श्रृंखला में, एक वर्ग की ऊपरी सीमा अगले वर्ग की निचली सीमा बन जाती है, उदाहरण के लिए, 0-10, 10-20, 20-30, इत्यादि। ऊपरी सीमा को बाहर रखा गया है लेकिन निचली सीमा को वर्ग अंतराल में शामिल किया गया है। निरंतर चरों के डेटा के लिए यह विधि सबसे उपयुक्त है।
समावेशी विधि– डेटा के वर्गीकरण की इस पद्धति के तहत, वर्गों का निर्माण इस तरह से किया जाता है कि एक वर्ग अंतराल की ऊपरी सीमा अगले वर्ग अंतराल की निचली सीमा के रूप में खुद को दोहराती नहीं है। ऐसी श्रृंखला में, ऊपरी सीमा और निचली सीमा दोनों को विशेष वर्ग अंतराल में शामिल किया जाता है, उदाहरण के लिए, 1-5, 6-10, 11-15, और इसी तरह। अंतराल 1-5 में दोनों सीमाएँ अर्थात् 1 और 5 शामिल हैं।
सूचना की हानि- बारम्बारता वितरण के रूप में आँकड़ों के वर्गीकरण में एक अन्तर्निहित दोष पाया जाता है। यह परिष्कृत आँकड़ों को सारांश में प्रस्तुत कर उन्हे संक्षिप्त एवं बोधगम्य तो बनाता है, परन्तु इसमें वे विस्तृत विवरण प्रकट नहीं हो पाते जो अपरिष्कृत आँकड़ों में पाए जाते हैं। अतः अपरिष्कृत आँकड़ों को वर्गीकृत करने में सूचना की हानि होती है।
श्रृंखला को प्रकार
व्यक्तिगत श्रृंखला- वह श्रृंखला है जिसमें प्रत्येक इकाई का अलग-अलग माप प्रकट किया जाता है, जो कि निम्न उदाहरण से स्पष्ट है-
अनुक्रमांक | अंक |
1 | 18 |
2 | 95 |
3 | 82 |
4 | 59 |
5 | 92 |
खण्डित या विविक्त श्रृंखला- वह श्रृंखला है जिसमें आँकड़ों को इस प्रकार प्रस्तुत किया जाता है कि प्रत्येक मद का निश्चित माप स्पष्ट हो जाता है, जो कि निम्न उदाहरण से स्पष्ट है-
परिवार का आकार | परिवारों की संख्या |
1 | 15 |
2 | 10 |
3 | 20 |
4 | 30 |
5 | 15 |
6 | 10 |
सतत या अविच्छिन श्रृंखला- वह श्रृंखला है जिसमें इकाईयों का निश्चित माप संभव नहीं होता इसलिए इन्हें वर्ग सीमाओं में प्रकट किया जाता है जो कि निम्न उदाहरण से स्पष्ट है-
प्राप्तांक | आवृत्ति |
0-10 | 5 |
10-20 | 7 |
20-30 | 10 |
30-40 | 8 |
स्मरणीय बिन्दु-
अपरिष्कृत आँकड़ों को सरल, संक्षिप्त तथा व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत करने को आँकड़ों का व्यवस्थितिकरण कहा जाता है ताकि उन्हें आसानी से आगे के सांख्यिकीय विश्लेषण के योग्य बनाया जा सके।
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