मुद्रा और बैंकिंग (Ch – 3) Notes in Hindi || Class 12 Macro Economics Chapter – 3 in Hindi ||

मुद्रा और बैंकिंग

In this post we have given detailed notes of class 12 Macro Economics Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking) in Hindi. These notes are useful for the students who are going to appear in class 12 board exams.

इस पोस्ट में क्लास 12 के समष्टि अर्थशास्त्र के पाठ 3 मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking) के नोट्स दिये गए है। यह उन सभी विद्यार्थियों के लिए आवश्यक है जो इस वर्ष कक्षा 12 में है एवं अर्थशास्त्र विषय पढ़ रहे है।

BoardCBSE Board, UP Board, JAC Board, Bihar Board, HBSE Board, UBSE Board, PSEB Board, RBSE Board
TextbookNCERT
ClassClass 12
SubjectMacro Economics (समष्टि अर्थशास्त्र)
Chapter no.Chapter 3
Chapter Nameमुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking)
CategoryClass 12 Economics Notes in Hindi
MediumHindi
Class 12 Macro Economics Chapter 3 मुद्रा और बैंकिंग (Money and Banking) in Hindi

Chapter – 3 मुद्रा एवं बैंकिंग

मुद्रा

मुद्रा को ऐसी वस्तु के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो विनिमय के माध्यम, मूल्य के मापक, स्थगित भुगतानों के माप तथा मूल्य संचय हेतु, संचय रूप से स्वीकार की जाती है।

मुद्रा आपूर्ति

मुद्रा पूर्ति से अभिप्राय एक निश्चित समय पर देश में जनता के पास कुल मुद्रा के स्टॉक से है।

मुद्रा की आपूर्ति = जनता के पास करेंसी + बैंकों के पास मांग जमाएं + रिजर्व बैंक के पास अन्य जमाएं

MS = C + DD + OD

मुद्रा आपूर्ति के घटक

  • जनता के पास करेंसी (सिक्के व नोट)
  • मांग जमाएँ।

मांग जमाएँ

ये वे जमाएं हैं जो किसी भी समय मांगने पर बैंक से निकलवाई जा सकती हैं या जिन्हें चैक द्वारा भी निकलवाया जा सकता है।

व्यावसायिक बैंक का अर्थ

व्यावसायिक बैंक वह वित्तीय संस्था है जो मुद्रा तथा साख में व्यापार करती है। व्यावसायिक बैंक ऋण प्रदान करने के उद्देश्य से जनता से जमाएँ स्वीकार करते हैं तथा अपने लिए लाभ का सृजन करती हैं।

व्यावसायिक बैंकों द्वारा साख निर्माण / मुद्रा निर्माण :-

साख निर्माण से तात्पर्य बैंकों की उस शक्ति से है जिसके द्वारा वे प्राथमिक जमाओं का विस्तार करते हैं। बैंकों द्वारा साख सृजन की प्रक्रिया तथा वैधानिक आरक्षित अनुपात (LRR) में विपरीत सम्बन्ध होता है।

  • जमा सृजन = प्रारम्भिक जमा x जमा गुणक।
  • शुद्ध / निवल साख का सृजन = जमा सृजन – प्रारम्भिक जमा।

केन्द्रीय बैंक

एक देश की बैंकिंग व वित्तीय प्रणाली में सर्वोच्च संस्था है। जो देश के मौद्रिक व बैंकिंग ढाँचे का संचालन, नियंत्रण, निर्देशन एवं नियमन करती है तथा देश के हित में मौद्रिक नीति का निर्माण करती है।

केन्द्रीय बैंक के कार्य

  • नोट निर्गमन का एकाधिकार अर्थात् वैधानिक मुद्रा का जारीकर्ता बैंक
  • सरकार का बैंकर, अभिकर्ता एवं सलाहकार
  • बैंकों का बैंक तथा पर्यवेक्षक
  • साख नियंत्रक
  • विदेशी मुद्रा का एक मात्र संग्राहक और संरक्षक

रेपो दर

वह ब्याज दर जिस पर केन्द्रीय बैंक वैधानिक तरलता अनुपात की प्रतिभूतियों के अतिरिक्त शेष प्रतिभूति पर पुनक्रय प्रस्ताव के बदले व्यायवसायिक बैंकों को अल्पकाल के लिए ऋण प्रदान करता है, रेपो दर कहलाता है।

रिवर्स रेपो दर :-

वह दर जिस पर व्यवसायिक बैंक केन्द्रीय बैंक के पास अपना अतिरिक्त फंड जमा करके केन्द्रीय बैंक से सरकारी प्रतिभूति के पुनर्विक्रय प्रस्ताव के तहत प्रतिभूति क्रय करते है।

वैधानिक तरलता अनुपात (SLR) :-

SLR से अभिप्राय वाणिज्यिक बैंकों की तरल परिसंपतियों से है जो उन्हें अपनी कुल जमाओं के न्यूनतम प्रतिशत के रूप में अपने पास रखने की आवश्यकता होती है।

नकद आरक्षित अनुपात (CRR) :-

प्रत्येक व्यापारिक बैंक को अपने पास कुल जमा राशियों का एक न्यूनतम अनुपात केन्द्रीय बैंक के पास कानूनन जमा करना होता है। इसे नकद आरक्षित अनुपात कहते हैं।

खुले बाजार की क्रियाएँ (Open Market Operations) :-

  • देश के केंद्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) द्वारा खुले बाजार में प्रतिभूतियों (Securities) के खरीदने अथवा बेचने से संबधित क्रिया को खुले बाजार की क्रिया कहते हैं।
  • जब रिजर्व बैंक (केंद्रीय बैंक) बाजार में प्रतिभूतियों को बेचना प्रारंभ करता है तो वाणिज्य बैंकों के नकदी कोषों में कमी आ जाती है,इसके परिणामस्वरूप बैंकों की साख निर्माण क्षमता घट जाती है। इस प्रकार,प्रतिभूतियों की बिक्री साख की उपलब्धता को कम कर देती है।

बैंक दर (Bank Rate)

जिस दर पर देश का केंद्रीय बैंक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देता है उसे बैंक दर कहते है।

केन्द्रीय बैंक के कार्य ‘ मुद्रा जारी करना ‘ :-

  • मुद्रा जारी करना केन्द्रीय बैंक का प्राथमिक और बहुत ही महत्त्वपूर्ण कार्य है। आजकल प्रत्येक देश में केंद्रीय बैंक और इसलिए हमारे देश में रिजर्व बैंक को नोट – निर्गमन का एकाधिकार प्राप्त है इस कार्य का इतना अधिक महत्त्व हो गया है कि केंद्रीय बैंक को ‘ निर्गमन बैंक ‘ (Bank of Issue) ही कहा जाने लगा है।
  • नोट जारी करने की दृष्टि से केंद्रीय बैंक तीन मुख्य बातों को ध्यान में रखता है : एकरूपता, लोचशीलता (आवश्यकता के अनुसार मुद्रा की मात्रा तय करना), और सुरक्षा।
  • रिजर्व बैंक मुद्रा की वृद्धि को एक सीमा के भीतर ही बनाए रखने का प्रयत्न करता है और इस प्रकार, स्फीतिकारी दबावों को नियंत्रण में रखता है।

केन्द्रीय बैंक के कार्य ” बैंकों का बैंक ” :-

केन्द्रीय बैंक बैंकों का बैंक हैं। केन्द्रीय बैंक का अन्य व्यवसायिक बैंकों के साथ वैसा ही संबंध होता है,जैसा एक साधारण बैंक का अपने ग्राहकों के साथ होता है। केन्द्रीय बैंक व्यवसायिक बैंकों के कोषों का संरक्षक होता है तथा आवश्यकता पड़ने पर व्यापारिक बैंकों को ऋण प्रदान करता है।

केन्द्रीय बैंक के कार्य ‘ सरकार का बैंक ‘ :-

  • केन्द्रीय बैंक वे सभी बैंकिंग सुविधाएँ सरकार को प्रदान करता है,जो व्यापारिक बैंक द्वारा अपने ग्राहकों को प्रदान की जाती हैं।
  • केन्द्रीय बैंक सरकार के बैंक एजेंट व वित्तीय सलाहकार के रूप में सरकार के लिए कोषों की व्यवस्था करता है।
  • एक एजेंट के रूप में केन्द्रीय बैंक सरकार के लिए प्रतिभूतियों का क्रय – विक्रय तथा सार्वजनिक ऋण का प्रबन्ध करता है।
  • साथ ही यह सरकार को उचित मौद्रिक नीतियों के निर्माण हेतु उपयोगी परामर्श प्रदान करता है।

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